tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post1003790679407773042..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: दुर्योधन की डायरी - पेज १६०५Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-25263921166164357002009-07-09T23:23:07.046+05:302009-07-09T23:23:07.046+05:30बेचारा दुर्योधन , किसके हाथ देदी डायरी !
सब कुछ स...बेचारा दुर्योधन , किसके हाथ देदी डायरी !<br /><br />सब कुछ सार्वजनिक हुआ जाता है !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-81670938489306546052009-06-22T22:43:26.849+05:302009-06-22T22:43:26.849+05:30Duryodhan ki Dayari Padh kar Kaleja muh ko aa jata...Duryodhan ki Dayari Padh kar Kaleja muh ko aa jata hai. Vakaee, Bahut Baeezatti Sahi bechare ne.कृष्ण मोहन मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14783932323882463991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-74462359130182621082009-06-21T09:42:48.871+05:302009-06-21T09:42:48.871+05:30वर्ग विभाजित समाज व्यवस्था में दुर्योधन को इसलिए र...वर्ग विभाजित समाज व्यवस्था में दुर्योधन को इसलिए रखता है ताकि व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह को टाला जा सके। इस व्यवस्था में जनता को तो पिसना ही है। इस मे दुर्योधन का दोष क्या है। आप ने व्यंग्य के लिए गलत विषय चुन लिया। व्यंग्य करना था तो गांधारी पर करते। आप के व्यंग्य ने व्यवस्था के नंगे सच को ढ़क दिया है। और दुर्योधन को निशाना बनाया है।<br />देश के दुर्योधन की कुल संख्या में से आधे से अधिक की आय तो साधारण क्लर्क से अधिक नहीं है। वे हास्य का विषय हो सकते हैं व्यंग्य का नहीं। <br />आप का आले दुर्योधन बिरादरी के लिए बहुत ही अपमान जनक है। यह तो अभी हिन्दी ब्लाग जगत में दुर्योधन पाठक इने गिने ही हैं और वे भी मित्र ही हैं। मैं ने भी आप के इस आलेख का किसी दुर्योधन मित्र से उल्लेख नहीं किया है। इस आलेख के आधार पर कोई भी सिरफिरा दुर्योधन मीडिया में सुर्खियाँ प्राप्त करने के चक्कर में आप के विरुद्ध देश की किसी भी अदालत में फौजदारी मुकदमा कर सकता है। मौजूदा कानूनों के अंतर्गत इस मुकदमे में सजा भी हो सकती है। ऐसा हो जाने पर यह हो सकता है, कि हम पूरी कोशिश कर के उस में कोई बचाव का मार्ग निकाल लें, लेकिन वह तो मुकदमे के दौरान ही निकलेगा। जैसी हमारी न्याय व्यवस्था है उस में मुकदमा कितने बरस में समाप्त होगा कहा नहीं जा सकता। मुकदमा लड़ने की प्रक्रिया इतनी कष्ट दायक है कि कभी-कभी सजा भुगत लेना बेहतर लगने लगता है। <br /><br />एक दोस्त और बड़े भाई और दोस्त की हैसियत से इतना निवेदन कर रहा हूँ कि कम से कम इस पोस्ट को हटा लें। जिस से आगे कोई इसे सबूत बना कर व्यर्थ परेशानी खड़ा न करे।<br /><br />आप का यह आलेख व्यंग्य भी नहीं है, आलोचना है, जो तथ्य परक नहीं। यह दुर्योधन समुदाय के प्रति अपमानकारक भी है। मैं अपने व्यक्तिगत जीवन में बहुत लोगों को परेशान होते देख चुका हूँ। प्रभाष जोशी पिछले साल तक कोटा पेशियों पर आते रहे, करीब दस साल तक। पर वे व्यवसायिक पत्रकार हैं। उन्हें आय की या खर्चे की कोई परेशानी नहीं हुई। मामला आपसी राजीनामे से निपटा। मुझे लगा कि आप यह लक्जरी नहीं भुगत सकते। <br />अधिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09951075515430193881noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-6458912666239997822009-06-21T01:15:46.440+05:302009-06-21T01:15:46.440+05:30उधर अर्जुन वगैरह इतने खुश हैं कि मुझे तो ज्यूस तक ...उधर अर्जुन वगैरह इतने खुश हैं कि मुझे तो ज्यूस तक नहीं पच रहा. <br />क्या मारा है कसकर । अब धोनी जी का भी यही हाल होने वाला है अगर पाकिस्तान मैच जीत जाता है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-11014094818050412832009-06-20T17:59:36.808+05:302009-06-20T17:59:36.808+05:30हुम्म! मुझे तो यह आडवाणी जी की डायरी लग रही है.......हुम्म! मुझे तो यह आडवाणी जी की डायरी लग रही है.......:)इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-32946742869815274132009-06-20T15:27:01.898+05:302009-06-20T15:27:01.898+05:30@दिनेशराय द्विवेदी
दुर्योधन बहुत उपयुक्त पात्र है...@दिनेशराय द्विवेदी <br />दुर्योधन बहुत उपयुक्त पात्र है। महाभारत काल का होते हुए भी आधुनिक काल में कहीं भी फिट हो जाता है।<br /><br />ना जी मैं तो इसमें लेखक का कमाल देखता हूँ....खूब फीट कर देते हैं. <br /><br />@सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’<br />दुर्योधन सुयोधन कहा जाता था।<br /><br />हारने वाले के साथ इतिहास सदा से यही करता आया है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-60822219509328498552009-06-20T12:49:48.007+05:302009-06-20T12:49:48.007+05:30मुझे तो आपके निर्विवाद लेखन में बड़ा आनन्द आया.मुझे तो आपके निर्विवाद लेखन में बड़ा आनन्द आया.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-36716848854618770712009-06-20T05:36:57.220+05:302009-06-20T05:36:57.220+05:30समय-समय की बात है अब कोई यह भी नही जानना चाहता कि ...समय-समय की बात है अब कोई यह भी नही जानना चाहता कि पहले यही दुर्योधन सुयोधन कहा जाता था।सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’https://www.blogger.com/profile/14324507646856271888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-88455555925609883592009-06-19T21:22:16.879+05:302009-06-19T21:22:16.879+05:30मिल गई इज्ज़त मिट्टी में. इज्ज़त भी अजीब चीज है. क...मिल गई इज्ज़त मिट्टी में. इज्ज़त भी अजीब चीज है. किसी को दे दो तो खुद को भी मिलती है. नहीं दो तो मिट्टी को मिल जाती है. जिसने भी इज्ज़त के इस लेन-देन की नीति निर्धारित की थी, उसे इस तरह की किसी भी अनिवार्यता को रखना ही नहीं चाहिए था. मैं पूछता हूँ कि ये कहाँ की नीति है कि इज्ज़त दो तभी इज्ज़त मिले? मैं कहता हूँ, कम से कम राजपुत्रों को इस अनिवार्यता से बरी कर देना चाहिए था. उनके लिए अलाऊ रहे कि वे इज्ज़त दें या न दें, उन्हें इज्ज़त मिलनी ज़रूर चाहिए.<br /><br />उम्दा पंक्तियां। मुझे बस अब एक ही फिक्र बाकी है...कहीं पाकिस्तान न जीत जाए।Neeraj Badhwarhttps://www.blogger.com/profile/15197054505521601188noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-54173371918590290212009-06-19T21:14:22.877+05:302009-06-19T21:14:22.877+05:30सुन्दर!* * * * *
धन्यवाद एवम नमस्कार जी
हे प्र...सुन्दर!* * * * *<br /><br /><br />धन्यवाद एवम नमस्कार जी<br /><br /><br />हे प्रभु यह तेरापथ <br /><br />मुम्बई टाईगरहें प्रभु यह तेरापंथhttps://www.blogger.com/profile/12518864074743366000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-14328684224282864022009-06-19T20:55:53.175+05:302009-06-19T20:55:53.175+05:30बहुत सारे कामों में से एक... आजकल ऐड्स भी तो बहुत...बहुत सारे कामों में से एक... आजकल ऐड्स भी तो बहुत मिलते हैं :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-72480571514685727322009-06-19T20:46:49.294+05:302009-06-19T20:46:49.294+05:30दुर्योधन की डायरी क्या मिल गई, लो महाभारत छिड़ गया:...दुर्योधन की डायरी क्या मिल गई, लो महाभारत छिड़ गया:-)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-42404780679965433912009-06-19T17:12:14.874+05:302009-06-19T17:12:14.874+05:30दुर्योधन बहुत उपयुक्त पात्र है। महाभारत काल का होत...दुर्योधन बहुत उपयुक्त पात्र है। महाभारत काल का होते हुए भी आधुनिक काल में कहीं भी फिट हो जाता है। <br />बहुत सुंदर व्यंग्य, बहुत दिनों में देखने को मिला।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-40973767653186996562009-06-19T16:13:28.725+05:302009-06-19T16:13:28.725+05:30दुर्योधन दावा ठोकने या केस करने नहीं आएगा.......तो...दुर्योधन दावा ठोकने या केस करने नहीं आएगा.......तो इसका क्या मतलब तुम ऐसे सरे आम उसकी डायरी के पन्ने सार्वजनिक करते रहोगे????? बताओ तो भला ऐसे भी कोई किसी की इज्ज़त की भुज्जी उडाता है.....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-11509707771460227142009-06-19T15:49:01.886+05:302009-06-19T15:49:01.886+05:30भाई रोज-रोज स्वयम्बर रखोगे तो, हर बार थोडी न जीतें...भाई रोज-रोज स्वयम्बर रखोगे तो, हर बार थोडी न जीतेंगे. <br /><br />भाई आज "द्रोपदी" से भी इम्पोर्टेंट "अर्थ" है, और उसमे दुर्योधन और सभी कौरव कमाल कर रहे है, खजाने में दिन दुगना बरोतरी हो रहा है... .... द्रोपदी हार गए तो क्या? फिर कल स्वयम्बर होगा, तब देख लेंगे, और इतिहास तो इतिहास है........इसमें तो "+ " " -" जनता करते ही रहेगी. अब तो केसव को भी दूसरा प्लान बनाना होगा..... <br /><br />भाई एक बात तो है आप कमाल का चौका-छक्का लगते होसंजय सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02047632624034296801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-84859187118888145682009-06-19T15:22:24.297+05:302009-06-19T15:22:24.297+05:30मिल गई इज्ज़त मिट्टी में. इज्ज़त भी अजीब चीज है. क...मिल गई इज्ज़त मिट्टी में. इज्ज़त भी अजीब चीज है. किसी को दे दो तो खुद को भी मिलती है. नहीं दो तो मिट्टी को मिल जाती है.<br /><br />वत्स इस असार संसार मे इस बात की काहे को फ़िक्र करनी? क्या इज्जत साथ लेकर आये थे जो साथ लेजाने की व्यर्थ चिंता करते हो? <br /><br />सब कुछ यहीं रह जाना है, इसलिये सदा मुझे याद करते रहो. मैं अपनी भैंस के गोबर अपने लठ्ठ से सबका बेडा पार लगा दूंगा.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-69321081811857100872009-06-19T14:56:09.391+05:302009-06-19T14:56:09.391+05:30बहुत सटीक...
वत्स दुर्योधन काहे परेशान होते हो.....बहुत सटीक... <br /><br />वत्स दुर्योधन काहे परेशान होते हो.. अर्जुन ले गया तो क्या... उससे उसका क्या भला हो गया.. तुम तो आगे कैसे हारना है इसकी तैयारी में लगो..रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-46671497232481516062009-06-19T13:18:36.178+05:302009-06-19T13:18:36.178+05:30इ लो जी .हमें तो कल रात ही किसी टी वी ने वाले बताय...इ लो जी .हमें तो कल रात ही किसी टी वी ने वाले बताया की अर्जुन से लेकर सारे पांडवो को पहले से चोट लगी हुई थी ...उनकी फिटनेस रिपोर्ट सलंग्न थी ...राजकीय चिकित्सक की.......ये तो खामखाँ शोर मचा रही है प्रजा...अगली बार जीत लेगे ....दो साल की तो बात है ....ललित मोदी ने सुना है इस्तीफे की धमकी दे डाली है की तुम बात बात में आई पी एल को क्यों ले आते हो....दिलशान को देखो.....ब्रेवो को देखो...वहां खेलकर ही तो बने है ....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-78059767693150670832009-06-19T12:53:24.584+05:302009-06-19T12:53:24.584+05:30ओह दुर्योधन का दुख देखते नहीं बन रहा...।ओह दुर्योधन का दुख देखते नहीं बन रहा...।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-7892418377676479912009-06-19T12:03:17.668+05:302009-06-19T12:03:17.668+05:30ek line meri taraf se jor lijiye.. jahan aapko ye ...ek line meri taraf se jor lijiye.. jahan aapko ye fit baithe.. :)<br /><br />मैं तो कर्ण को बचा कर रखना चाह रहा था अंत के लिये, तभी तो उसे बाद में भेजा था तीर चलाने के लिये. मगर मुझे क्या पता था कि कर्ण को सूत-पुत्र कह कर खारिज कर दिया जायेगा..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-16482403337755660192009-06-19T11:52:39.642+05:302009-06-19T11:52:39.642+05:30इसका नाम दुर्योधन पुराण रखें, तो ज्यादा उचित है।
...इसका नाम दुर्योधन पुराण रखें, तो ज्यादा उचित है।<br /><br /><a href="http://alizakir.blogspot.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://tasliim.blogspot.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sciblogindia.blogspot.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-75979265061707724172009-06-19T11:34:15.588+05:302009-06-19T11:34:15.588+05:30लपेट के मारना कोई आप से सीखे...अद्भुत लेखन...वाह.
...लपेट के मारना कोई आप से सीखे...अद्भुत लेखन...वाह.<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-57965629858873301872009-06-19T10:42:18.549+05:302009-06-19T10:42:18.549+05:30दुर्योधन उर्फ़ धोनी ने तो पहले ही द्रौपदी के कोप से...दुर्योधन उर्फ़ धोनी ने तो पहले ही द्रौपदी के कोप से डर कर बाल कटवा लिये हैं।वैसे संजय की बातों पर गौर किया जाना चाहिये।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-8775432988208608282009-06-19T09:51:10.681+05:302009-06-19T09:51:10.681+05:30दोष पिता श्री का है. बेचारों को लगातार स्वयंवरों म...दोष पिता श्री का है. बेचारों को लगातार स्वयंवरों में भेजते रहते है. कहीं न हो तो अपने ही राज्य में "फ्रेण्डली" स्वयंवर का आयोजन करते है. थक गए हैं बेचारे. फिर हारे नहीं तो और क्या हो?संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-61235635842445176642009-06-19T09:28:34.197+05:302009-06-19T09:28:34.197+05:30यह तो हारने वालों का शाश्वत सत्य है । यदि हार पचती...यह तो हारने वालों का शाश्वत सत्य है । यदि हार पचती नहीं है तो वर्णित ’साइड इफेक्ट्स’ झेलने पड़ते हैं । हार गये तो हार गये, फिर काहे की बघार रहे हैं ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com