tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post1654864093600207595..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: काकेशजी के दुख-शास्त्र का आगामी चुनावों में महत्वGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-9954645704695678692007-11-24T19:48:00.000+05:302007-11-24T19:48:00.000+05:30शिव कुमार जी हम सब हिन्दी में तोह लिख लेते है , ऐस...शिव कुमार जी हम सब हिन्दी में तोह लिख लेते है , ऐसे इस स्क्रोल कर रहा था की देखा अपने एक अंग्रेजी वेब काउंटर का इस्तेमाल किया है | हाल में मैंने यह नया टूल देखा एक हिन्दी वेब काउंटर - <A HREF="http://gostats.in" REL="nofollow">http://gostats.in</A><BR/>में सोचता इस अगर हम हिन्दी - देवनागरी में लिख रहे है तोह टूल्स भी सब हिन्दी इस्तेमाल करे , नहीं क्या |<BR/>हर हिन्दुस्तानी का यह फ़र्ज़ बँटा है की वह हिन्दी को बढावा दे |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-36577632363739527062007-10-30T07:18:00.000+05:302007-10-30T07:18:00.000+05:30हा हा हा …।बड़िया है शिव भाई, अब तक हमने काकेश जी क...हा हा हा …।बड़िया है शिव भाई, अब तक हमने काकेश जी का लेख नही पढ़ा था, अब प्ढ़ने जा रहे है, ये दुख कुछ् काम की चीज लगती है शायद हमें भी फ़ायदा हो जाये। हमारी टिप्प्णी पढ़ कर थोड़ा दुखी हो ले तभी सुख की प्राप्ती होगी।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-72647986553100241032007-10-29T21:56:00.000+05:302007-10-29T21:56:00.000+05:30बहुत दुखी हूँ.वैसे तो मैडम को काकेश के लिंक के साथ...बहुत दुखी हूँ.<BR/><BR/>वैसे तो मैडम को काकेश के लिंक के साथ भौमियो का लिंक भी दे देते तो खुद ही रोमन मेम पढ़ लेतीं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-74545182624482504312007-10-29T13:47:00.000+05:302007-10-29T13:47:00.000+05:30माननीय म...माननीय महोदय आप का दुःख पुराण पढ़ कर अत्यन्त ही सुख की अनुभूति हो रही है. आपने ये जो दुःख को माध्यम बनाकर सुख और सफलता अर्जित करने का रास्ता दिखलाया है उसके लिए हम आजीवन आभारी रहेंगे. किंतु मेरी कुछ सुहानुभुती काकेश भाई के साथ भी है क्योंकि इतने बड़े दुःख का उत्पादन करने के बावजूद उन्हें सिर्फ़ पद्मश्री से संतुष्ट होना पड़ रहा है. अब मेरी भी इच्छा हो रही है की दुःख को आमंत्रण दे डालूं. इसलिए पेश है:-<BR/>"घरां घरां मत जा रे दुखडा घनो पछ्तावोगा <BR/>म्हारो घर तो खुलो पडो है कब आवोगा."<BR/><BR/>और भी है.<BR/>"रे दुःख तु इतना हैरान इतना परेशान क्यों है. <BR/>मेरे दिल के होते खोजता फिरता दूसरा मकान क्यों है."<BR/>तो महोदय मेरी पुकार पर भी कुछ ध्यान देकर कुछ दुःख पार्सल करने की कृपा करें.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-25140393459750805092007-10-29T13:13:00.000+05:302007-10-29T13:13:00.000+05:30मस्त है!1मस्त है!1Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-21996349990085532442007-10-29T09:44:00.000+05:302007-10-29T09:44:00.000+05:30कबीर दुख के अतरौ ब्लॉगर सौं दुख नाहींज्यादा हिट हा...कबीर दुख के अतरौ ब्लॉगर सौं दुख नाहीं<BR/>ज्यादा हिट हाहा करैंकम पर रोवैं हाही...<BR/>मस्त करनेवाली पोस्टबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-53781052401466303282007-10-29T09:40:00.000+05:302007-10-29T09:40:00.000+05:30भई रोमन हिंदी का जवाब नहीं है। दुखों में ब्लागरों ...भई रोमन हिंदी का जवाब नहीं है। <BR/>दुखों में ब्लागरों के दुख भी तो हैं। <BR/>थोड़े से हिट पाय के ठंडा पानी पीव<BR/>देख पराये हिटन को मत ललचाये जीव<BR/>कुछ ब्लागरों के दुख पर तो हो।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-88756647208467138442007-10-29T08:45:00.000+05:302007-10-29T08:45:00.000+05:30कांग्रेस अध्यक्षा ने निबंध लेते हुए जैसे ही उसे पढ...<I>कांग्रेस अध्यक्षा ने निबंध लेते हुए जैसे ही उसे पढ़ने के लिए चश्मा लगाया, वे नाराज हो गईं. उन्होंने कहा; "किस तरह का मजाक है आपका? ये तो हिन्दी में लिखा गया है. आपको मालूम है मैं केवल 'रोमन हिन्दी' पढती हूँ.""</I><BR/><BR/>ओह यह बात आपने कुछ दिन पहले याद दिला दी होती तो <A HREF="http://epandit.blogspot.com/2007/10/roman-aggregator-of-hindi-blogs.html" REL="nofollow">एग्रीगेटरों द्वारा लिप्यंतरण</A> सुविधा के कुछ और उपयोग मिल जाते।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-31967464646176453452007-10-29T07:47:00.000+05:302007-10-29T07:47:00.000+05:30हमें दुख है कि हमें केवल पद्मश्री ही मिल रहा है. इ...हमें दुख है कि हमें केवल पद्मश्री ही मिल रहा है. इन निबंधों को लिखते समय से हम भारत रत्न की उम्मीद लगाये बैठे थे खैर...और एक और दुख की बात है देखिये कैसे सरे आम लोग हमारे कॉपीराइट का उल्लंघन कर रहे हैं.लाखों प्रतियां छ्पवा दी गयीं और हमें कोई रायल्टी भी नहीं मिली..इस देश की इन्ही अव्यवस्थाओं के कारण बहुत दुख होता है.<BR/><BR/>अब जो भी पार्टी जीतेगी हम उन से कहेंगे कि हमारे दुख को कम करने के लिये कम से कम हमें मिनिस्टर पद तो दिया ही जाय.ताकि हम और दुखी हो सकें कितने सारे काम करने पड़ेंगे ना देश के लिये.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-3706599477718527352007-10-29T07:15:00.000+05:302007-10-29T07:15:00.000+05:30हम दुखी होने का प्रयास कर रहे हैं।हम दुखी होने का प्रयास कर रहे हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com