tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post3496065492908577287..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: बुक फेयर नहीं हुआ तो क्या, उसका उद्घाटन तो हो ही सकता हैGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-29850562008759409492008-02-01T10:13:00.000+05:302008-02-01T10:13:00.000+05:30कमाल ही कहा जायेगा.कमाल ही कहा जायेगा.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-66895676200801883972008-02-01T00:51:00.000+05:302008-02-01T00:51:00.000+05:30अरे भाई ये किताब मेला वगैरह छोडो और खिचडी मेले की ...अरे भाई ये किताब मेला वगैरह छोडो और खिचडी मेले की बात करो तो कोई बात बने.<BR/>आजकल तो हर रोज दो चार पोस्ट रीता भाभी की खिचडी और उनके किताबें नही पढ़ सकने के ऊपर ही रहती है.<BR/>वैसे पौरानिक्जी का सुझाव बहुत अच्छा है.<BR/>ब्लॉग मेला विथ मसाला खिचडी बहुत जमेगा.<BR/>जगह की कोई दिक्कत नही होगी ये जिम्मेदारी हम लेते है. <BR/>आप बस ये ध्यान रखे की कोई कोर्ट मे केस ना करदें.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-7754199850159777552008-02-01T00:02:00.000+05:302008-02-01T00:02:00.000+05:30आर्मी के मैदान में राजनैतिक रैलियां होती हैं,दुर्ग...आर्मी के मैदान में राजनैतिक रैलियां होती हैं,दुर्गा पूजा का पंडाल लगता है,सर्कस लगता है. इन सब की अनुमति मिलती है तो उद्धाटन की भी मिल गई. लेकिन पुस्तकों का पांडाल प्रदूषण फैलाता है, उसकी नहीं मिली। इस कारण सरकार पूरे बुक फेयर को क्यों कैंसल करे? उस के एक भाग को तो जीवित रखे। इस बहाने पुस्तकों पर बात तो होगी। साथ ही यह विमर्श भी कि बुक फेयर का क्या किया जाए। यह सही है कि इस मामले में वकील और न्यायालय की भूमिका विचारणीय है। यह भी हो सकता है कि न्यायालय के निर्णय या आदेश जो भी हो उस के विरुद्ध सरकार ने ऊंचे न्यायालय को अपील की हो और उसी मैदान में बुक फेयर के अपने अधिकार को बनाए रखने के लिए ही वह उद्धाटन की रस्म पूरी करना चाहती हो। इस मामले में सरकार की भूमिका तो सकारात्मक प्रकट हो रही है किन्तु न्यायालय की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। यदि उस आदेश की प्रति मिले तो उस की विवेचना की जा सकती है। <BR/>पत्रकार बन्धु इस मामले पर प्रकाश डालें तो कुछ पता चले। किसी बुक फेयर का किसी भी वजह से न हो पाना एक महत्वपूर्ण बात है। इस पर न केवल लेखकों, प्रकाशकों को पाठकों को सामूहिक आवाज उठानी चाहिए। आखिर भारत जैसे जनतंत्र में पर्यावरण के बहाने से बुक फेयर को रोका जाना एक गंभीर घटना है। आगे जा कर इसी तरह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित किया जा सकता है। उंगली उठते ही रोक देनी चाहिए। अन्यथा कल से हाथ उठेगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-40584840165942406412008-01-31T23:18:00.000+05:302008-01-31T23:18:00.000+05:30बुद्धिजीवियों का राज्य कहे जाने वाले पश्चिम बंगाल ...बुद्धिजीवियों का राज्य कहे जाने वाले पश्चिम बंगाल में किताबों से ज्यादा प्रदूषण और क्या फ़ैला सकता है भला ;) ।<BR/><BR/>एक सटीक मुद्दा चुना आपने!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-78346462319081809052008-01-31T22:45:00.000+05:302008-01-31T22:45:00.000+05:30बुक फेयर पर आपत्ति हो, तो ब्लाग फेयर करवा दिया जाय...बुक फेयर पर आपत्ति हो, तो ब्लाग फेयर करवा दिया जाये। आर्मी से पूछ लीजिये। ब्लाग फेयर ठीक रहेगा।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-29260170028254040622008-01-31T22:12:00.000+05:302008-01-31T22:12:00.000+05:30हां आज कल उद्घाटन और अखबार में फ़ोटू ज्यादा जरुरी ह...हां आज कल उद्घाटन और अखबार में फ़ोटू ज्यादा जरुरी हो गये हैं , मार्केटिंग का जमाना है भाई सरकार भी क्या करे…।:)Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-83389222731180202042008-01-31T21:45:00.000+05:302008-01-31T21:45:00.000+05:30बहुत सच कहा आपनेबहुत सच कहा आपनेसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-28617976891829969622008-01-31T21:32:00.000+05:302008-01-31T21:32:00.000+05:30अच्छा है शिव भैया. न सरकार की आदत सुधरेगी न ही आप...अच्छा है शिव भैया. न सरकार की आदत सुधरेगी न ही आप की. (आप समझ रहे हैं मेरा मतलब ?) खैर, सरकार की तो मैं नहीं जानता, आप यूँ ही डटे रहें. मैं ने कहा था न इन बातों की अलग अहमियत है .. ...अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-88913462399232353562008-01-31T20:31:00.000+05:302008-01-31T20:31:00.000+05:30बडे अफ़सोस की बात है कि सरकार ऐसा कर रही है।बडे अफ़सोस की बात है कि सरकार ऐसा कर रही है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-48555133327671760072008-01-31T20:27:00.000+05:302008-01-31T20:27:00.000+05:30सरकार बुद्धिमान है। वह सहित्य के प्रदूषण की समस्या...सरकार बुद्धिमान है। वह सहित्य के प्रदूषण की समस्या समझती है। साहित्य में प्रदूषण पॉलीथीन की थैलियों और रैलियों से ज्यादा है। :-)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com