tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post4050487640932476328..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: डॉक्टर मैती की कथाGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-90088758330403286842008-02-20T16:39:00.000+05:302008-02-20T16:39:00.000+05:30बंधूआप की पोस्ट पढ़ते पढ़ते मुझे बचपन में पढी एक क...बंधू<BR/>आप की पोस्ट पढ़ते पढ़ते मुझे बचपन में पढी एक कहानी याद आ गयी जिसके लेखक और शीर्षक का नाम पता नहीं क्या था लेकिन कहानी कुछ यूँ थी की एक सूट - बूट धारी सज्जन एक ऑटो रिक्शे में कहीं से कहीं जाते हैं रस्ते में अपनी शिक्षा और भाषा का रोब झाड़ते हैं गंतव्य पर पहुँचने पर उनको लगता है की ऑटो वाला उनसे कुछ अधिक पैसे मांग रहा है तो वे अपना कोट टाई उतार कर जमीन पर फैंक कर उसे ललकारते हैं ये कह के की हम पढे लिखे हैं तो इसका मतलब ये नहीं की गुंडा गर्दी नहीं जानते...<BR/>डाक्टर साहिब को मेरा चरण स्पर्श कहियेगा...शराफत ऐसे भी दिखाई जा सकती है. वाह..वा..<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-77203708868591965052008-02-19T18:10:00.000+05:302008-02-19T18:10:00.000+05:30छुट्टी के बाद वापसी पर आप का स्वागत है, आशा है डा ...छुट्टी के बाद वापसी पर आप का स्वागत है, आशा है डा मैती के साथ आप का उठना बैठना नियमित होगा, उन्हें भी खींच लाइए ब्लोग जगत मेंAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-16867370460752881492008-02-19T13:46:00.000+05:302008-02-19T13:46:00.000+05:30eहां हा हां मामला तगड़ा हैeहां हा हां <BR/>मामला तगड़ा हैAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-52043502616801802522008-02-19T00:01:00.000+05:302008-02-19T00:01:00.000+05:30मौका देख कर साल में एकाध बार लाठी भांजना ठीक रहता ...मौका देख कर साल में एकाध बार लाठी भांजना ठीक रहता है, साल भर सज्जन बने रहने के लिए। बादाम अगर कड़े खोल में न हो तो तोते ही चबा जाएं। इन्सान के पल्ले कुछ ना पड़े।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-65438183589685234652008-02-18T21:46:00.000+05:302008-02-18T21:46:00.000+05:30:)हा हाह!!!!इतने दिन बाद पढ़ा आपको..मगर अब कोई शिकव...:)<BR/>हा हाह!!!!<BR/><BR/>इतने दिन बाद पढ़ा आपको..मगर अब कोई शिकवा शिकायत नहीं. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-49843918524740655152008-02-18T16:59:00.000+05:302008-02-18T16:59:00.000+05:30रोचक किस्सा है. हाँ, अंत में हँसी आ गई.रोचक किस्सा है. <BR/>हाँ, अंत में हँसी आ गई.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-20785305632332039682008-02-18T15:27:00.000+05:302008-02-18T15:27:00.000+05:30डॉ मैती ने जो किया सही किया। आपने काफ़ी रोचक अंदाज...डॉ मैती ने जो किया सही किया।<BR/> आपने काफ़ी रोचक अंदाज मे लिखा है।पढने मे मजा आया।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-59214085215033595582008-02-18T15:17:00.000+05:302008-02-18T15:17:00.000+05:30ऐसे कई डॉ मैती मैने भी देखे हैं जो अक्सर डींगे हाँ...ऐसे कई डॉ मैती मैने भी देखे हैं जो अक्सर डींगे हाँकते रहते हैं पर जब मौका मिलता है अपनी ( औकात) पर उतर आते हैं। <BR/>आपका लेख का अंतिम पैरा गुदगुदी कर गया... भले ही आपका उद्धेश्य हंसाना ना रहा हो।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-7100912804673093232008-02-18T14:32:00.000+05:302008-02-18T14:32:00.000+05:30जैसे को तैसा। मौके के अनुसार ढलना ही आज की जरुरत ह...जैसे को तैसा। मौके के अनुसार ढलना ही आज की जरुरत है। मैती साहब को कह दीजियेगा ऐसे ही बने रहे।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-65733142253892155402008-02-18T13:25:00.000+05:302008-02-18T13:25:00.000+05:30वह जी हम तो पहले ही कहते थे की आप सज्जन है और अब त...वह जी हम तो पहले ही कहते थे की आप सज्जन है और अब तो आपने १००% सज्जनता का प्रूफ़ भी दे दिया जी..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-44808418083378314512008-02-18T13:15:00.000+05:302008-02-18T13:15:00.000+05:30ये आपने हमारे बिलाग पर आना और टिपियाना क्यू बंद कि...ये आपने हमारे बिलाग पर आना और टिपियाना क्यू बंद किया जी..? देखिये हमे आप मजबूर ना करे कि हम आप को सज्जन ना समझे.हम भी अभी तक आपको सज्जन ही समझते है..:)इसे उपर वाली कथा के अर्थ मे ले और टिपियाकर चाहे थोडा ही हमारी नजरो मे सज्जन बने रहे..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-61554462504881154302008-02-18T13:00:00.000+05:302008-02-18T13:00:00.000+05:30वाह वाह.. सही है...और क्या कहें.वाह वाह.. सही है...और क्या कहें.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-72430553952888966802008-02-18T12:37:00.000+05:302008-02-18T12:37:00.000+05:30@ बाल किशनअरे नहीं भाई. यह पूरी तरह से सत्य घटना ह...@ बाल किशन<BR/>अरे नहीं भाई. यह पूरी तरह से सत्य घटना है. डॉक्टर मैती के साथ ऐसा ही घटा है. मैं तो ख़ुद बाहर था, इसलिए ब्लॉग-जगत से वापस कल ही जुडा हूँ. मुझे नहीं पता कि यहाँ ऐसा क्या हो गया, या फिर तुम किसकी बात कर रहे हो.<BR/><BR/>वैसे भी मुझे किसी भी तरह के विवाद से दूर रहना है अब.Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-40101524371357965172008-02-18T12:29:00.000+05:302008-02-18T12:29:00.000+05:30हा! हा! हा!सही कहा आपने. इन जैसे भक्तों के लिए डॉक...हा! हा! हा!<BR/>सही कहा आपने. इन जैसे भक्तों के लिए डॉक्टर मैती ही बनना पड़ेगा.<BR/>वैसे इसी तरह की कुछ अराजकता अपन के ब्लॉग जगत मे भी पनप रही है.<BR/>कंही इस कथा के माध्यम से आप उसकी तरफ़ तो इशारा नहीं कर रहे?बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-34629269736229190052008-02-18T12:17:00.001+05:302008-02-18T12:17:00.001+05:30हा हा बहुत सही उदाहरण!!!बड़े से बड़ा नमूना भी खुद को...हा हा बहुत सही उदाहरण!!!<BR/>बड़े से बड़ा नमूना भी खुद को शरीफ और सज्जन ही समझता है।<BR/>और हां, आपकी छुट्टी खत्म हो गई अब ना। सो लिखना जारी रहे ;)Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-17489223040440975422008-02-18T12:17:00.000+05:302008-02-18T12:17:00.000+05:30बहुत ही उपदेशप्रद (समाज सुधारक) लेख है. पर सिर्फ़ ट...बहुत ही उपदेशप्रद (समाज सुधारक) लेख है. पर सिर्फ़ ट्यूबलाइट जलने से क्या काम चलेगा, आज के परिप्रेक्ष्य में तो सर्च-लाइट की रोशनी भी कम मालूम होती है.<BR/><BR/>- अजय यादव<BR/>http://merekavimitra.blogspot.com/<BR/>http://ajayyadavace.blogspot.com/<BR/>http://intermittent-thoughts.blogspot.com/SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-23259372357495740232008-02-18T11:49:00.000+05:302008-02-18T11:49:00.000+05:30यह तो बड़ी समाज सुधारक पोस्ट है!!! शठे शाठ्यम समाचर...यह तो बड़ी समाज सुधारक पोस्ट है!!! <BR/><B>शठे शाठ्यम समाचरेत</B> तो छोटा मंत्र है। शठ के साथ शठता करो तो वह सज्जन में रूपंतरित हो जाता है - आज यह जाना।<BR/><BR/>मेरी समझ की ट्यूबलाइट जलाने के लिये धन्यवाद!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com