tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post5015937459793823840..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: एक अधूरा इंटरव्यूGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-5125160329715042042011-01-08T16:24:23.757+05:302011-01-08T16:24:23.757+05:30niceniceनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-8564398442832918482011-01-04T15:42:14.431+05:302011-01-04T15:42:14.431+05:30सही व्यंग्य। हकीकत है कि ऐसे ही मानवाधिकार कार्यकर...सही व्यंग्य। हकीकत है कि ऐसे ही मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के चलते हर उस व्यक्ति को शक की निगाह से देखा जाता है, जो गरीबों की आवाज उठाता है। उनकी सेवा सच्ची निष्ठा से करता है। ऐसे ही मानवाधिकारवादी सच्चे लोगों को कलंकित करते हैं। हद तो तब लगती है जब कुत्ते, बिल्ली बंदर, शेर, चूहे और पता नहीं किस-किसके अधिकारों की चिंता होती है। भालू नचाने वाले, मदारी और सपेरे को जेल में बंद किया जाता है, यह सोचे बगैर कि वह अपने पालतू को कहीं ज्यादा प्यार करता है। यह भी नहीं सोचा जाता कि उसकी रोजी-रोजगार की क्या व्यवस्था है। (इन अधिकारवादियों का भी एक इंटरव्यू होना चाहिए।)<br /><br />दूसरा पहलू- इस तरह के मानवाधिकारवादी बड़े चालू होते हैं। वे आंकड़े जानते हैं और उन्हें पता होता है कि अगर सही में पीड़ित और गरीब लोगों के अधिकार की मांग की जाए तो वह सरकार पूरा नहीं कर पाएगी और वे अपने अभियान में सफल नहीं होंगे। वहीं किसी आतंकी या अमीर चोर की मदद की जाए तो उसका सत्ता पक्ष भी समर्थन करेगा और उसका आंदोलन सफल होगा और उसकी अंटी भी भारी होगी।Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-9527820544331461752011-01-04T00:08:10.966+05:302011-01-04T00:08:10.966+05:30व्यंग्य अच्छा है. नक्सलियों से समान दूरी रखते हुये...व्यंग्य अच्छा है. नक्सलियों से समान दूरी रखते हुये यही कहना चाहता हूं कि नक्सली और संवेदन-शून्य अफसर और सरकारों में बहुत अधिक फर्क नहीं है. नक्सलियों के साथ, उनके समर्थकों के साथ और इस तरह की मानसिकता वाले अधिकारियों-नेताओं सबके साथ एक जैसा सुलूक ही वांछित है तभी देश का भला होगा...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-51491633171586816992011-01-03T23:51:17.433+05:302011-01-03T23:51:17.433+05:30shandar...shandar...Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-29052974205474121032011-01-03T22:26:24.055+05:302011-01-03T22:26:24.055+05:30` आपको इसके बारे में नहीं पता? '
कैसे पता होग...` आपको इसके बारे में नहीं पता? '<br /><br />कैसे पता होगा... सेंट स्टीफ़ेन्स के जो नहीं है :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-68171635733592445852011-01-03T18:34:37.037+05:302011-01-03T18:34:37.037+05:30अप तो भिगो भिगो कर जूते चलाते हैं। सटीक व्यंग। बधा...अप तो भिगो भिगो कर जूते चलाते हैं। सटीक व्यंग। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-64361856741199181782011-01-03T17:44:38.668+05:302011-01-03T17:44:38.668+05:30बेहतरीनबेहतरीननितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-54056764404127492422011-01-03T16:56:51.420+05:302011-01-03T16:56:51.420+05:30सटीक...सटीक...सटीक....सटीक...सटीक...सटीक....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-17478569350808196712011-01-03T14:44:49.073+05:302011-01-03T14:44:49.073+05:30"नरोत्तम जी बोलते जा रहे थे. कोई सुनने वाला न..."नरोत्तम जी बोलते जा रहे थे. कोई सुनने वाला नहीं था. पत्रकार बेहोश हो चुका था. " पत्रकार बेचारा मरता न क्या करता 'जान बची तो लाखो पाए' :)The Innovatorhttps://www.blogger.com/profile/09616751595799690484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-50353318044341990992011-01-03T13:04:29.352+05:302011-01-03T13:04:29.352+05:30कठिन इण्टरव्यू में सबकी जान जोखम में रहती है, सही ...कठिन इण्टरव्यू में सबकी जान जोखम में रहती है, सही बात है, नये पत्रकारों को इससे दूर रख मानवाधिकार को बचाया जा सकता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-91701707244229986232011-01-03T12:54:04.510+05:302011-01-03T12:54:04.510+05:30बरखा दत्त एवं प्रभु चावला से ट्रेनिंग लेना भी मानव...बरखा दत्त एवं प्रभु चावला से ट्रेनिंग लेना भी मानवाधिकार की श्रेणी में लाना आवश्यक किया जाये… :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-22628974804016420492011-01-03T10:09:17.505+05:302011-01-03T10:09:17.505+05:30हाहाहा ये जूता लगता है कई दिन से भीगने के लिए पानी...हाहाहा ये जूता लगता है कई दिन से भीगने के लिए पानी में दिए हुए थे.. आज मारे हैं... मजा आ गया... गज़ब गज़ब!!!!!!!!! <br />देखिये कहीं ऐसे इंटरव्यू पढवाने के लिए आपपर भी उ का कहते हैं.. हाँ "मानवाधिकार" का केस न लग जाए...Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.com