tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post6522091780598395431..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: चावल का अर्थशास्त्र और अर्थशास्त्री का चावलGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-2524360549113808312008-05-15T21:18:00.000+05:302008-05-15T21:18:00.000+05:30वाह - वो गाना याद आया - "चावल, चावल पुकारूं दलियों...वाह - वो गाना याद आया - "चावल, चावल पुकारूं दलियों में.. " - पूरा आप करें? [ :-)]Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-61606007883107478892008-05-14T17:43:00.000+05:302008-05-14T17:43:00.000+05:30भारत के बिबिधता मे एकता है ...... अब बात समझ में आ...भारत के बिबिधता मे एकता है ...... अब बात समझ में आई... ! केंद्रीय सरकार कह रही है की चावल की कमी है ,.... कर्नाटका के नेता गन दो रुपये में चावल खिला रहे हैं.! फिर भी देखिये नेताओं में कितनी एकता है, कोई भी दो रुपये के विरुध नही है.... यहाँ सब चलता है!ANIL SHAWhttps://www.blogger.com/profile/06877992332390917009noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-15604649470100081282008-05-12T22:42:00.000+05:302008-05-12T22:42:00.000+05:30is chaval ki manhgayi ne to sahi me jindagi maad k...is chaval ki manhgayi ne to sahi me jindagi maad kar dali.Kuch mahino pahle tak jahan ki sabse sasta chaval kitne rupye kilo hai to 12-15 batate the wahin ab seedhe seedhe 22-25 bataten hain.Ab to basmati chaval khana apne aap me kisi luxary se kam nahi hai.Sharon aur mahanagron me base hue we log jo mahine ke 2-5 hajar kamate hain kya aur kaise khayenge,sochkar man bhar aata hai.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-46932439961445714192008-05-10T09:32:00.000+05:302008-05-10T09:32:00.000+05:30भई वाह क्या चावल पकाया है ।भई वाह क्या चावल पकाया है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-72645387024999749382008-05-09T18:44:00.000+05:302008-05-09T18:44:00.000+05:30बहुत ही बड़िया विषय चुना इस बार चर्चा करने का। आप क...बहुत ही बड़िया विषय चुना इस बार चर्चा करने का। आप के तर्क जायज हैं । अमर्तया सेन की किताब अकाल पर पढ़ना जरूरी है।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-21934452451823813102008-05-09T13:39:00.000+05:302008-05-09T13:39:00.000+05:30अर्थशास्त्री अगर नेता बन जाए तो उसके अन्दर का अर्थ...अर्थशास्त्री अगर नेता बन जाए तो उसके अन्दर का अर्थशास्त्र वैसे ही पिघल कर निकल भागता है जैसे चावल का माड़.<BR/> सारगर्भित पंक्ति...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-79555734201821354072008-05-09T12:10:00.000+05:302008-05-09T12:10:00.000+05:30फ़िलहाल हम चावल के जुगाड मे कर्नाटक जा रहे है ,लौट ...फ़िलहाल हम चावल के जुगाड मे कर्नाटक जा रहे है ,लौट कर टिपियायेगे जी :) चाहो तो टिप्पणि के बजाय एक दो किलो चावल ले लेना :)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-37133250328925465162008-05-09T11:22:00.000+05:302008-05-09T11:22:00.000+05:30मस्त है जी.. सभी कर्नाटक शिफ्ट होना चाह रहे हैं.. ...मस्त है जी.. सभी कर्नाटक शिफ्ट होना चाह रहे हैं.. क्या बात है..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-38378842906279501772008-05-09T11:20:00.000+05:302008-05-09T11:20:00.000+05:30दरअसल दुःख की बात ये है की सारा प्रबंधन अनपढ़ ओर फ...दरअसल दुःख की बात ये है की सारा प्रबंधन अनपढ़ ओर फूहड़ लोगो के हाथ मे है गुंडे नेता है ओर हम आप अपनी ब्लोगिंग की दुनिया मे उलझे है.....महंगाई बढेगी तो रोना रो देगे फ़िर चुप हो जायेंगे.....दरअसल अब अपनी दुनिया मे व्यस्त है...अपना काम निकालो बाकी...... देश का ठेका सरकार का........डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-4140848597412005572008-05-09T06:10:00.000+05:302008-05-09T06:10:00.000+05:30सही कह रहे हैं-वैसे वाकई ज्ञान जी की बात गहरी है-क...सही कह रहे हैं-वैसे वाकई ज्ञान जी की बात गहरी है-कोई रस्ता निकालिये वहाँ का वोटर बनवाने का.<BR/><BR/>:)<BR/><BR/>------------------------<BR/><BR/>आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.<BR/><BR/>एक नया हिन्दी चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरु करवायें और हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें.<BR/><BR/>शुभकामनाऐं.<BR/><BR/>-समीर लाल<BR/>(उड़न तश्तरी)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-13440795864802067012008-05-08T22:53:00.000+05:302008-05-08T22:53:00.000+05:30ऐसी स्थिति में अर्थशास्त्री किसकी तरफ़ देखे?-जाहिर...<B>ऐसी स्थिति में अर्थशास्त्री किसकी तरफ़ देखे?</B>-जाहिर है शिवकुमार मिसिर जी के ब्लाग की तरफ़!कानपुरनामाhttps://www.blogger.com/profile/07679168863126865694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-72434506529935285612008-05-08T22:12:00.000+05:302008-05-08T22:12:00.000+05:30मेरा सवाल भी वही है जो ज्ञान भैया का है. कर्णाटक क...मेरा सवाल भी वही है जो ज्ञान भैया का है. कर्णाटक का वोटर कैसे बन सकते हैं?<BR/>हमारे बंगाल में तो ये सुविधा है नहीं.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-64504368870295130342008-05-08T21:45:00.000+05:302008-05-08T21:45:00.000+05:30@जब इस किसान को एक किलो चावल का चौदह रुपया मिलता ह...@जब इस किसान को एक किलो चावल का चौदह रुपया मिलता है तो ये जल-भुन जाता है. कहता है पूरी कीमत नहीं मिली. लेकिन जब इसे दो रूपये में एक किलो चावल मिलता है तो इसका चेहरा खिल जाता है.<BR/><BR/>बात तो सोचने वाली है .....Kirtish Bhatthttps://www.blogger.com/profile/10695042291155160289noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-35134802259515410242008-05-08T20:46:00.000+05:302008-05-08T20:46:00.000+05:30मुनाफे के लिए उत्पादन का अर्थशास्त्र सदैव अनियंत्र...मुनाफे के लिए उत्पादन का अर्थशास्त्र सदैव अनियंत्रण की और जाता है। माल खूब होते हुए दाम नहीं उतरते। मुनाफे का केन्द्रीयकरण बाजार में मंदी लाता है। इस संकट में छोटे उत्पादक हरिशरण हो जाते हैं। जनता अनाज होते हुए अकाल भोगती है। <BR/>ये दौर पहले समय लेकर आते थे। अब गति बढ़ गई है तो जल्दी जल्दी आते हैं। एक समाप्त नहीं होता, दूसरा टपक पड़ता है। <BR/>मुनाफे के उत्पादन की अर्थव्यवस्था ऐसे ही चलेगी। जब तक आवश्यकता के लिए उत्पादन की अर्थव्यवस्था कायम नहीं होती ये संकट झेलने ही होंगे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-22031589611134860002008-05-08T20:29:00.000+05:302008-05-08T20:29:00.000+05:30कृपया यह बताया जाये कि कर्णाटक का वोटर कैसे बना जा...कृपया यह बताया जाये कि कर्णाटक का वोटर कैसे बना जा सकता है? :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-33631632828933693812008-05-08T19:18:00.000+05:302008-05-08T19:18:00.000+05:30बंधूआप ऐसे विषय पर लेखनी चलायें हैं जिस पर हमारा ज...बंधू<BR/>आप ऐसे विषय पर लेखनी चलायें हैं जिस पर हमारा ज्ञान शून्य से भी नीचे है..वैसे आप पूछ सकते हैं की किस विषय पर हमारा ज्ञान शून्य से ऊपर है तो मुस्कुराते हुए उत्तर मिलेगा किसी पर भी नहीं. जब भी हमें अपनी अज्ञानता सार्वजनिक प्रदर्शित नहीं करनी होती तब हम सिर्फ़ मुस्कुराते हैं..वो भी मंद मंद...तो मंद मंद मुस्कुराते हुए हम इशारे से समझा रहे हैं की आप का लिखा पढने में बहुत मजा आया...समझने में नहीं. चावल, नेता और जनता तीनो की मिला कर आप जो खिचडी बनायें हैं और राजनीती का छौंक लगाये हैं वो देखने में बहुत स्वादिष्ट लग रही है...पाक शास्त्री (आप की भाषा में अर्थ शास्त्री) इसे खा कर बताएँगे की कितनी बढ़िया बनी है.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com