tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post6549826681804343170..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: बाबाओं को चरणस्पर्शGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-86979594679558628032012-06-19T16:26:12.494+05:302012-06-19T16:26:12.494+05:30वह, मैंने कभी कल्पना भी न की थी कि पांव छूने, छुआन...वह, मैंने कभी कल्पना भी न की थी कि पांव छूने, छुआने जैसे कार्यक्रम में एक बढ़िया सी पोस्ट छिपी बैठी थी. आप धन्य हैं. पढ़कर मैं धन्य हुई.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-66858157212878524982012-06-18T09:13:23.282+05:302012-06-18T09:13:23.282+05:30पैर छुवाने की शौकीन एक बड़ी नेता बड़े से हाल में ए...पैर छुवाने की शौकीन एक बड़ी नेता बड़े से हाल में एकमात्र कुर्सी पर पैर आगे बढ़ाकर बैठी थीं। सभी मुलाकाती आते और पैर छूकर जमीन पर बिछी दरी पर बैठते जाते। धीरे-धीरे हाल भरता गया। नेता जी की हनक ऐसी कि कोई भी कुछ बोल नहीं रहा था। तभी एक नया रंगरूट आया और घबराहट में ठीक से पैर नहीं छू सका। हाथ नीचे पाँव तक ले जाने के बजाय घुटने के आस-पास ही छू गया। फिर क्या था- “हरामी, तुम्हें नहीं पता पैर किधर है। देखो सिंह साहब, यह कहाँ से आया है। इसे बाहर निकाल दो। पार्टी से भी...।”सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-88143140430914445902012-06-16T07:51:11.707+05:302012-06-16T07:51:11.707+05:30घुटने टूटने से दिल को ठंडक..... क्या साम्यता स्थाप...घुटने टूटने से दिल को ठंडक..... क्या साम्यता स्थापित की है. आप दोनों की जुगलबंदी ब्लॉग जगत को नया आयाम मिले... यही शुभकामनाएं !!!!!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-4000449218024049302012-06-11T20:49:30.627+05:302012-06-11T20:49:30.627+05:30पाँव छूते-छूते पाँव घिस कर खतम न हो जायें, यह खतरा...पाँव छूते-छूते पाँव घिस कर खतम न हो जायें, यह खतरा आसन्न है...<br />इसीलिए पाँव छूने वाले और छूलाने वाले, दोनों इससे बचना चाह रहे हैं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05247690089943209893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-69000161670003579912012-06-09T03:06:48.133+05:302012-06-09T03:06:48.133+05:30खासी छुआछूत मचा दी आपने ।
पांव ना छुओ कोई बात नही ...खासी छुआछूत मचा दी आपने ।<br />पांव ना छुओ कोई बात नही पर घुटना टूटने की बददुआ तो ना दो ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-38359784933635399492012-06-07T01:56:37.537+05:302012-06-07T01:56:37.537+05:30"इश्टाइल" बहुत सही है. ध्यान रखना पड़ेगा ..."इश्टाइल" बहुत सही है. ध्यान रखना पड़ेगा पाँव छूते समय... हमारे पीछे भी ऐसे ना कहा जाता हो कहीं :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-54653989665510493932012-06-07T01:30:01.810+05:302012-06-07T01:30:01.810+05:30नेता और बाबा मिलकर भोली भली प्रजा को बेवक़ूफ़ बनात...नेता और बाबा मिलकर भोली भली प्रजा को बेवक़ूफ़ बनाते हैं :-|Giribalahttps://www.blogger.com/profile/11481010044909052232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-25703503320378093392012-06-06T09:29:10.301+05:302012-06-06T09:29:10.301+05:30छोने=छूनेछोने=छूनेसंतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-78933009852561407902012-06-06T09:26:12.823+05:302012-06-06T09:26:12.823+05:30..दौड़ कर पैर छोने वाले उत्तम-कोटि के होते हैं,यह .....दौड़ कर पैर छोने वाले उत्तम-कोटि के होते हैं,यह हमारे मास्टरजी बताया करते थे.वो कहते थे कि उन्हें पैर छोने की स्टाइल से ही चेले का हाव-भाव पता चल जाता था !!<br /><br />...भाई मिसिरजी,कमाल का लिखे हो,गडकरी जी तो लहालोट हो जायेंगे और बाबा अंतर्ध्यान !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-58828171692915953202012-06-05T22:29:50.023+05:302012-06-05T22:29:50.023+05:30इस्टाइल की व्याख्या गजब है! :)इस्टाइल की व्याख्या गजब है! :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-27523885045837894522012-06-05T18:02:14.611+05:302012-06-05T18:02:14.611+05:30"आपका घुटना टूटे तो मेरे दिल को ठंडक पहुंचे.&..."आपका घुटना टूटे तो मेरे दिल को ठंडक पहुंचे."<br /><br />प्रभु क्या ग़ज़ब का पोस्ट लिखें हैं आप...ब्लॉग जगत धन्य हो गया आप जैसों को अपने बीच पा कर...आप के चरण कहाँ हैं प्रभु...हाथ छूने को कुलबुला रहे हैं...जब तक छू नहीं लेंगे छाती में ठंडक नहीं पड़ेगी (वैसे भी जून महीने में ठंडक की कल्पना बेमानी है)नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-71101807142645693362012-06-05T18:02:11.369+05:302012-06-05T18:02:11.369+05:30@ GYANDUTT PANDEY नेताओं के रिढ़ नहीं होती अतः घुट...@ GYANDUTT PANDEY नेताओं के रिढ़ नहीं होती अतः घुटनों तक अटके नहीं और पाँव को छू गए...संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-36459918693318223102012-06-05T18:00:37.781+05:302012-06-05T18:00:37.781+05:30ये अच्छा हुआ जो पोस्ट ठेल दी... इतने दिनों से थर्म...ये अच्छा हुआ जो पोस्ट ठेल दी... इतने दिनों से थर्मोमिटर खोज रहा था जो बता दे कि जमाना कितना खराब हुआ है, अब वह चरण-स्पर्श शक्ल में मिल गया है. :)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-40008390192052436832012-06-05T17:59:59.874+05:302012-06-05T17:59:59.874+05:30चलिये अच्छा हुआ जो यह पोस्ट ठेल दी... इतने दिनों स...चलिये अच्छा हुआ जो यह पोस्ट ठेल दी... इतने दिनों से थर्मोमिटर खोज रहा था जो बता दे कि जमाना कितना खराब हुआ है, अब वह चरण-स्पर्श शक्ल में मिल गया है. :)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-14351542552575944082012-06-05T17:43:37.190+05:302012-06-05T17:43:37.190+05:30मस्त!
" नौजवान अपना हाथ बुजुर्ग के घुटने तक ल...मस्त!<br />" नौजवान अपना हाथ बुजुर्ग के घुटने तक ले जाता है फिर उसे खींचकर अपने छाती से लगा लेता है जिसे देखकर यह लगता है जैसे वह बताना चाहता हो कि आपका घुटना टूटे तो मेरे दिल को ठंडक पहुंचे."<br />यह तो अल्टीमेट....Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-75574020142522667782012-06-05T16:08:12.153+05:302012-06-05T16:08:12.153+05:30भैया पांव लागी!
समाज में पांव या घुटना छुने की पर...भैया पांव लागी!<br /><br />समाज में पांव या घुटना छुने की परंपरा को जीवित रखने में बाबाओं, नेताओं, राजश्री प्रोडक्शन और यश राज फिल्मस का महान योगदान रहा है :)नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-87814724239927857352012-06-05T15:10:08.802+05:302012-06-05T15:10:08.802+05:30पैर छुला लेना चाहिये, नहीं तो छूने वाला बुरा मान स...पैर छुला लेना चाहिये, नहीं तो छूने वाला बुरा मान सकता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-30159240862144293672012-06-05T13:37:59.788+05:302012-06-05T13:37:59.788+05:30अच्छा, नेताजी ने घुटना छुआ या पांव?अच्छा, नेताजी ने घुटना छुआ या पांव?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com