tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post8469736913201701911..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: शुकुल इफेक्ट - नए बिम्बों की तलाश में कविवरGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-20040923395083535992008-09-25T15:08:00.000+05:302008-09-25T15:08:00.000+05:30कवि जी को बोलो कि विदेशी कवियों से कुछ सीखें. मैंन...कवि जी को बोलो कि विदेशी कवियों से कुछ सीखें. मैंने भी सोचा है कि <BR/>अपनी कविताओं में नए बिम्बों का इस्तेमाल करून. <BR/><BR/>अच्छा ये नया बिम्ब कैसा रहेगा..<BR/><BR/>एसी रूम मैं बैठा अमीर <BR/>दुखी है <BR/>दुखी है क्योंकि वो बीड़ी नहीं पी सकता<BR/>उसकी इच्छा है बीड़ी पीने की<BR/>सोच रहा है कि <BR/>उससे अमीर तो वो गरीब है <BR/>जो अपनी इच्छा से बीड़ी पी सकता हैबालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-71227701365848513542008-09-25T14:50:00.000+05:302008-09-25T14:50:00.000+05:30नए बिम्ब की डिमांड में तो दम है.अब भला कला अगर सबक...नए बिम्ब की डिमांड में तो दम है.अब भला कला अगर सबकी समझ में आ जाए तो वह भी कोई कला हुई भला.अरे कवित्व कला तो ऐसी होनी चाहिए जिसको समझने के लिए भी विशेष प्रकार की योग्यता हासिल करनी पड़े.वरना सहज समझ में आ जाए वह कविता क्या ख़ाक कविता है.नए अविष्कार के इस नए युग में पुराने बिम्बों वाले छंदों में से रस निकलने के बजाय नए बिम्ब खोजने वालों को प्रोत्साहित करो वत्स,हतोत्साहित नही..रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-26061019169147634192008-09-25T11:11:00.000+05:302008-09-25T11:11:00.000+05:30कविता से छंद निकाला नहीं कि बिम्ब और दर्शन थोक में...कविता से छंद निकाला नहीं कि बिम्ब और दर्शन थोक में मिलता है. इसमें दम है. <BR/><BR/>यानी आत्मा को मार दो जीवन सरल हो जाएगा. <BR/><BR/>:)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-67246024332848988652008-09-25T10:02:00.000+05:302008-09-25T10:02:00.000+05:30.अच्छी खासी टिप्पणी लेकर आया था, शिव भाई ..अपनी ना...<I>.<BR/><BR/>अच्छी खासी टिप्पणी लेकर आया था, शिव भाई ..<BR/><B>अपनी नासमझी डिक्लेयर करने का बेहतरीन मौका था, किन्तु...<BR/></B><BR/>एक बम्बास्टिक टिप्पणिये पर अटक गया,<BR/>ज्ञानदत्त पांडेय इटैलिक्स से इतना बिदकते क्यों हैं, जी ?<BR/>लगता है, आज मेरा <B> नासमझी इज़ाफ़ा दिवस </B> है !<BR/>बोलो जय श्री राम !!!</I>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-86611771247956188292008-09-25T06:31:00.000+05:302008-09-25T06:31:00.000+05:30यहां हम बोले तो शुकुल यह कहना चाहते हैं कि:१.परसाई...यहां हम बोले तो शुकुल यह कहना चाहते हैं कि:<BR/><BR/>१.परसाईजी के <B>भीषण प्रशंसक</B> को नये बिम्ब तलाश करने के लिये किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये। न जाने कित्ते तो आपने खुदै सृजित किये हैं। <BR/><BR/>२.जो नये बिम्ब तलाशने वाली बात है वह हमारे ठेलुहा मित्र के माध्यम से हमने कहलाई है। अत: यह उनका सच माना जाना चाहिये न कि मेरा। वैसे हमारा भी मान लिया जाये तो कोई हर्ज नहीं लेकिन एक बात कही।<BR/><BR/>३. नये बिम्ब का उदाहरण देने के लिये जैसे आप समझें कि पंखा घूम रहा है। तो आप पंखे में कुछ नया पन देखें। <BR/>(अ)कह सकते हैं कि पंखा बेचारा चक्कर लगा रहा है जैसे एक लड़की का बाप लड़के के बाप के चक्कर लगाता है।<BR/>(ब) पंखा के चक्कर देखकर आभास हो रहा है कि चुनाव के मौसम आ गये और पंखा टिकटार्थी नेता की तरह पार्टी-पार्टी भटक रहा है। जहां टिकट मिल गया वहीं ठहरकर पार्टी ज्वाइन कर लेगा।<BR/><BR/>और भी बहुत कुछ है। सब बतायेंगे तो लोग कहेंगे टिप्प्णी में पोस्ट ठोंक दी।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-57596975805288030192008-09-25T06:04:00.000+05:302008-09-25T06:04:00.000+05:30एकदम लेटेस्ट बिम्ब तो खैर सुकुल जी से बेहतर कौन बत...एकदम लेटेस्ट बिम्ब तो खैर सुकुल जी से बेहतर कौन बतायेगा...मगर कुछ बदलाव तो आवश्यक होते जा रहे हैं, यह आज आपको खुले ज्ञानचक्षु देखकर लगा...<BR/><BR/>अब से चिठिया हो तो हर कोई बांचे में चिठिया की जगह ईमेल और एस एम एस....बिदेश की जगह स्पेस स्टेशन...बैलगाड़ी की जगह फ्लाईट....बाजा की जगह कीबोर्ड...आदि आदि तो तय ही मानिये.<BR/><BR/>बहुत ही ज्ञानवर्धक, सराहनीय और प्रेरक पोस्ट रही..मार्मिक और भावुक कर देने वाली तो खैर है ही..पुराने बिम्बों को विसर्जित जो कर रहे हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-74723053555418457602008-09-25T00:41:00.000+05:302008-09-25T00:41:00.000+05:30छत पर बैठ कर रोटी खाकर साम्राज्यवाद से मुक्त दिखने...छत पर बैठ कर रोटी खाकर साम्राज्यवाद से मुक्त दिखने की कोशिश ज़रुर करुन्गा,मज़्ज़ा आ गयाAnil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-31326075589099949362008-09-24T23:40:00.000+05:302008-09-24T23:40:00.000+05:30मौज भी बड़े काम की चीज है.अच्छी बात हे हम मोज कर क...मौज भी बड़े काम की चीज है.अच्छी बात हे हम मोज कर के आते हे.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-40841121262288622012008-09-24T21:47:00.000+05:302008-09-24T21:47:00.000+05:30छंद संभालने गए तो बिम्ब गायब. बिम्ब संभालने गए तो ...छंद संभालने गए तो बिम्ब गायब. बिम्ब संभालने गए तो दर्शन गायब. दर्शन संभालने गए तो छंद गायब. इसीलिए हम छंद को तवज्जो नहीं देते. <BR/><BR/>शिवजी भाई प्रणाम आपको !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-91057714704980399922008-09-24T21:00:00.000+05:302008-09-24T21:00:00.000+05:30सुबह अनूप जी की बिम्ब चर्चा पढी थी, अब आपकी पढ़ रहे...सुबह अनूप जी की बिम्ब चर्चा पढी थी, अब आपकी पढ़ रहे हैं. ज्यादा कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा. दर्पण में प्रतिबिम्ब देखते हुए अपनी मूढ़ता को रोने जा रहे हैं.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-62524695424551578812008-09-24T20:02:00.000+05:302008-09-24T20:02:00.000+05:30बड़े नये बिम्ब विस्फोट करने लगे हैं अब कैपिटलवाद या...बड़े नये बिम्ब विस्फोट करने लगे हैं अब कैपिटलवाद या साम्राज्यिज़्म से इतर। <BR/>ढ़ेरों! और इतने ज्यादा कि मन धकधक हो रहा है। <BR/>बिना देखे बिम्ब आ रहे हैं। नीरज जी ने कह ही दिया है कि ज्ञान का चक्षु से कोई लेन देन नहीं (अब कुछ गलत तो पढ़ ही सकता हूं)! <BR/>बिम्ब हैं कि बम!<BR/>है न बम्बास्टिक टिप्पणी? इटैलिक्स करना हो तो बता देना!<BR/>:)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-54878270555510609522008-09-24T19:48:00.000+05:302008-09-24T19:48:00.000+05:30नीरज जी की रचना के इंतज़ार में. हूँ ....आज अपनी कुछ...नीरज जी की रचना के इंतज़ार में. हूँ ....आज अपनी कुछ ज्यादा समझ नही आया...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-18346593640585452152008-09-24T19:32:00.000+05:302008-09-24T19:32:00.000+05:30कैक्टस, रेगिस्तान, फीयर फैक्टर, आसमान, धूल, बकरी, ...कैक्टस, रेगिस्तान, फीयर फैक्टर, आसमान, धूल, बकरी, गाय वगैरह....<BR/>ह्म्म्म्म...हम नोट कर लिया हूँ अगली gazal इन्हीं को ले कर लिखूंगा....किसी को समझ आए ना आए ये उसकी किस्मत...नए बिम्बों के चक्कर में चर्चा में तो aayenge ..... हमारे ज्ञान chakshu खोलने का शुक्रिया....(नोट: ज्ञान chakshu का ज्ञान bhaiiya से कोई लेना देना नहीं है और ना ही कोई bimb है)<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-29914891084932249822008-09-24T19:13:00.000+05:302008-09-24T19:13:00.000+05:30मौज बड़े काम की चीज है ही। आप भी तो मौज में आकर नय...मौज बड़े काम की चीज है ही। आप भी तो मौज में आकर नयी पोस्ट लिख डाले :)Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.com