नए राज्य बनाने की कवायद ने हाल के वर्षों में एक उद्योग का रूप ले लिया है. प्लान और बजट बनाकर अभियान चलाये जा रहे हैं. मीडिया में पब्लिक ओपिनियन बनाई जा रही है. भूख हड़ताल की जा रही है. गाँधी जी के रास्ते पर चलने का दावा करते हुए मारपीट भी की जा रही है. यह एक तरह से अच्छा भी है. सरकार अगर किसी राज्य को अच्छी तरह से गवर्न नहीं कर सके तो नया राज्य बना देना अच्छी नीति है. पेश है तेलंगाना राज्य के सन्दर्भ में साल २०१८ की एक न्यूजपेपर रिपोर्ट;
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आज पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव के बीच कटुता ने तब एक नया रूप ले लिया जब श्री राव ने रमेश को यह कहते हुए लताड़ दिया कि; "रमेश को अब शाहजहाँ के परिवार वालों को यह कहते हुए नोटिस भेज देना चाहिए कि उन्होंने ताजमहल बनवाने से पहले पर्यावरण मंत्रालय से क्लीयरेंस नहीं लिया था. साथ ही ताजमहल को गिराने का ऑर्डर भी पास कर देना चाहिए."
ज्ञात हो कि तीन दिन पहले श्री जयराम रमेश ने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि तेलंगाना राज्य बनाने के लिए न ही केंद्र सरकार ने और न ही आंध्र प्रदेश सरकार ने साल २०११ में पर्यावरण मंत्रालय से क्लीयरेंस लिया. एक राज्य बनाने के आठ वर्ष बाद श्री रमेश के इस तरह के बयान को राजनीतिक हलकों में बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. जानकारों का मानना है कि पर्यावरण मंत्रालय जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर तेलंगाना राज्य पर स्टे ले लेगा और तब पूरा तेलंगाना ही ठप हो जाएगा.
श्री रमेश के तेलंगाना राज्य बनाने के समय इनवायर्नमेंट क्लीयरेंस न लेने के बयान के बाद तेलंगाना का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय स्तर बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. कल शाम भूतपूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल गोर ने भारतीय सरकार की यह कहते हुए आलोचना की है कि; "बिना इनवायर्नमेंट क्लीयरेंस लिए एक राज्य बना देना एक ऐसी बात है जो आने वाले वर्षों में विश्व पर्यावरण के लिए खतरा साबित होगी."
श्री अल गोर की इस बात का समर्थन करते हुए नोबल पुरस्कार विजेता श्री आर के पचौरी ने कहा कि वे श्री रमेश और श्री गोर के साथ हैं और जल्द ही तेलंगाना के मुद्दे पर एक बड़ा आन्दोलन शुरू करेंगे. ज्ञात हो कि पिछले महीने ही श्री पचौरी ने यह घोषणा करते हुए विवाद खड़ा कर दिया था कि पूरे तेलंगाना के ग्लेसियर अगले तीन महीने में ही ख़त्म ही जायेंगे. जब लोगों ने उन्हें याद दिलाया कि तेलंगाना में ग्लेसियर नहीं हैं तब उन्होंने कहा था कि अगर ग्लेसियर नहीं हैं तो पानी ख़त्म हो जाएगा.
श्री पचौरी का मानना है कि पर्यावरण के हिसाब से तेलंगाना अन्टार्कटिका जितना महत्वपूर्ण है.
उधर तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री राव और गृहमंत्री श्री कपिल सिबल में उस समय झगड़ा हो गिया जब श्री सिबल ने अपने एक अद्भुत फ़ॉर्मूले का इस्तेमाल करते हुए यह साबित कर दिया कि तेलंगाना राज्य में अब केवल सत्रह गाँव हैं इसलिए इस राज्य को केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि और करों की अदायगी उसी के अनुसार होनी चाहिए. ज्ञात हो कि पिछले सप्ताह तक तेलंगाना में कुल सत्ताईस हज़ार गाँव थे.
विद्वानों का मानना है कि श्री सिबल ने राज्य के गाँवों की संख्या बताने के लिए उसी फ़ॉर्मूले का इस्तेमाल किया है जिसका इस्तेमाल करके साल २०११ में उन्होंने साबित कर दिया था कि टू-ज़ी स्पेक्ट्रम घोटाला एक लाख सतहत्तर हज़ार करोड़ की जगह शून्य रूपये का था. वैसे कुछ विद्वान यह मानते हैं कि श्री सिबल से फ़ॉर्मूला इस्तेमाल करने में कोई भूल हुई है नहीं तो तेलंगाना में गावों की संख्या सत्रह की जगह शून्य होती. कुछ पत्रकार मानते हैं कि आज रात श्री सिबल अपना असली फ़ॉर्मूला इस्तेमाल कर सकते हैं.
सूत्रों का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच यह झगड़ा एक नया रूप ले सकता है. ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं प्रधानमंत्री श्री सिंह इस बात से नाराज़ हैं कि जहाँ देश के बाकी राज्यों में प्याज तीन सौ रूपये किलो बिक रही है वहीँ तेलंगाना में दो सौ नब्बे रूपये किलो बिक रही है. उनका मानना है कि प्याज की दरों में इतना बड़ा अंतर उन्हें बर्दाश्त नहीं है.
केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इस झगड़े को सुलझाने के लिए कल प्रधानमंत्री ने जस्टिस श्री कृष्णा के नेतृत्व में एक कमीशन का गठन किया है जो यह सुझाव देगा कि झगड़े को सुलझाने के कितने रास्ते हैं? लोगों का अनुमान है कि झगड़े को सुलझाने के लिए जस्टिस श्री कृष्णा करीब अट्ठारह रास्ते निकालेंगे. उसके बाद सरकारों पर निर्भर करेगा कि वे एक रास्ते पर चलकर झगड़ा सुलझाएं या फिर सारे अट्ठारह रास्तों पर चलकर. ज्ञात हो कि तेलंगाना राज्य के गठन पर जस्टिस श्री कृष्णा ने कुल छ सुझाव दिए थे उन सारे सुझावों पर चलकर तेलंगाना का गठन किया गया था.
Monday, January 10, 2011
तेलंगाना समाचार, १० जनवरी २०१८.
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और कुछ न भी कर पाऊं तो कम से कम २-३ क़ुइन्तल प्याज की ऍफ़ डी करवा लेता हूँ !
ReplyDelete2018 में कॉंग्रेस की सरकार होने के प्रति आप मैडम से ज्यादा आशावान दिख रहे है :)
ReplyDeleteयही लोग सरकार में रहेंगे? कितनी चुगद है भारत की जनता और कितने भीषणतर स्कैम आगे आने वाले हैं?!
ReplyDeleteतेलंगाना जाये तेल लेने। हमको तो यह पढ़ कर अवसाद हो रहा है!
सारे देश को जंगल बना दिया है, अब तो कुछ भी करने के लिये पर्यावरण मन्त्रालय से पूछना पड़ेगा।
ReplyDeleteग्लेसियर नहीं हैं तो पानी ख़तम हो जाएगा :) बढ़िया है.
ReplyDeleteहहहह्हहहहा.........
ReplyDeleteमजा आ गया..............
इस 'तेलंगाना समाचार, १० जनवरी २०१८." को पढने के बाद लगता है SP सुप्रीमो (पूर्व) अमर सिंह UP के लिए पूर्वांचल को अलग करने की मांग सफल होने के आसार बन सकते है और उसके मंत्री मंडल में होंगे अमिताभ बच्चन, जया प्रदा , बिग-बॉस स्टार मनोज तिवारी :D
ReplyDeleteकभी आप दुर्योधन की डायरी पढवाते हुए हमें त्रेता युग में ले जाते है और कभी २०१८ याने सात साल आगे की न्यूज रिपोर्ट हमें पढवाते हैं...आपके साथ समस्या क्या है आप वर्तमान में क्यूँ नहीं जीते...बहरहाल एक बात वर्तमान काल में सिद्ध हो गयी के आपकी भूत और भविष्य काल पर बहुत अच्छी पकड़ है...
ReplyDeleteनीरज
` नोबल पुरस्कार विजेता श्री आर के पचौरी ने कहा कि ..........
ReplyDeleteहो गया है गर्म हिमालय,बर्फ़ अब पिघलनी चाहिए
तेलंगाना की आग है तो क्या, ये आग जलनी चाहिए :)
भले ही ख़बर आज 2018 की हो पर लगता नहीं कि तेलंगाना बन चुका है हां सपने में यह सब ठीक हो सकता है :) पर्यावरण भले ही fad हो गया हो, काश सच्चाई भी हो इसमें...
ReplyDeleteबहरहाल... तेलंगाना बहुत पुराना मुद्दा है. अंग्रेज़ों के ज़माने से चला आने वाला. इसी पृष्ठभूमि में कभी गोविन्द देशपाण्डे ने नाटक 'उद्धस्त धर्मशाला' भी लिखा था. यह neglect का मुद्दा है पर आज के संदर्भों में लगता नहीं कि यह वर्तमान राजनीति से ऊपर उठकर समाज से जुड़ने वाला है.
हर जिले का एक मुखिया हो जाये तो अच्छा हो...
ReplyDeleteBanate jaeeye naye naye rajya aur payawaran ke nam par kich bhee band kawatae jaeeye. band karwate jaeeye. 2018 men bhee paryawaran mantri Jayram Ramesh ? Kash aap Jaitapur project ka bhawishya bhee batlate.
ReplyDeleteइस रिपोर्ट को पढ़कर मेरा विश्वास और पक्का हो गया है कि सन १११११ तक आज का हर भारतीय जिला एक राज्य होगा...
ReplyDeleteजिस रस्ते तेजी से देश चल रहा है... राजतंत्र आएगा ही आएगा..