Monday, March 19, 2012

बजट २०१२ - कुछ अन-ऑफिशियल रिएक्शन...

बजटोत्सव आया. पूरे देश में लोगों ने अपने-अपने बजटोत्सव धर्म का पालन किया. मीडिया ने उसे को सबसे बड़ा इवेंट बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी. मैंने मीडिया की इस उपलब्धि पर उसे बधाई दी. ये अलग बात है कि ज्यादातर मीडिया वाले आजकल बधाई-वधाई में इंटरेस्ट नहीं दिखाते. उन्हें प्रिंसिपल की ज्यादा फिक्र रहती है. बजट लोकसभा में प्रस्तुत होता है लिहाजा लोकसभा स्पीकर ने सांसदों को बैठ जाने के लिए कहा. सांसद उनका कहना मानते हुए बैठे. वित्तमंत्री श्री प्रनब मुख़र्जी ने बजट पढ़ा. बजट पाठन कार्यक्रम के दौरान सांसदों ने प्रैक्टिसानुसार मेजें थपथपाई. कुछ सांसदों ने हो-हो का शोर मचाया. हमेशा की तरह ही प्रधानमंत्री डॉक्टर सिंह ने संसद में शिला-धर्म का पालन किया.

वित्तमंत्री ने इस बार कविता नहीं पढ़ी. बजट के साथ कविता फ्री न मिले तो बड़ा अजीब सा लगता है. मेरे ख़याल से बिना कविता के बजट अधूरा रहता है. मैंने तो आजतक वित्त और रेलमंत्रियों को बिना कविता वाला बजट पढ़ते हुए नहीं देखा. देखा जाय तो कुछ मौके ऐसे भी आये जब लगा कि वित्तमंत्री हमें कविता के साथ बजट फ्री में दे गए. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. वित्तमंत्री शायद पिछले कई महीनों से बिजी थे इसलिए बजट के लिए कविता की खोज नहीं हो सकी. १९९१ के बाद विपक्षी पार्टियों ने हमारे वित्तमंत्रियों पर हमेशा पश्चिमी देशों का अजेंडा लागू करने का आरोप लगाया है. शायद इसीलिए इस बार वित्तमंत्री ने भारतीय कवियों की कवितायें नहीं कोट की और सीधा शेक्सपीयर को कोट किया. बोले; "आई मास्ट बी क्रूएल, ओनोली टू बी काइंड."

अपने वादे के मुताबिक़ वे किसी के साथ क्रुएल तो किसी के साथ काइंड. किसी-किसी के साथ तो क्रुएल और काइंड दोनों हुए. उनके बजट प्रपोजल सुनकर एक स्टॉक ट्रेडर बोला; "हम बहुत लकी हैं कि वित्तमंत्री हमारे साथ क्रुएल और काइंड दोनों रहे. सर्विस टैक्स का रेट बढ़ाकर क्रुएल हुए ही थे कि फट से एसटीटी का रेट घटाकर काइंड हो लिए."

आखिर में हमें एक अदद बजट की प्राप्ति हो ही गई.

उसके बाद बजट की रेटिंग हुई. मजाक हुआ. टीवी पैनल डिस्कशन हुए. टीवी स्क्रीन पर घरेलू और इम्पोर्टेड दोनों तरह के विशेषज्ञों के दर्शन हुए. अरनब गोस्वामी की मानें तो हाल ही में हुए चुनावों में उनका चैनल (वैसे कुछ लोग़ उसे अदालत कहते हैं) टाइम्स नाऊ विजयी रहा था. अभी तक यह नहीं पता चल सका है कि बजट में किसकी विजय हुई? खैर, आपने तमाम लोगों के वक्तव्य सुने और देखे. लेकिन मुझे लगता है कि टीवी स्टूडियो में बजट के ऊपर जो रिएक्शन दिखाई देता है वह उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं जो वे रिएक्शन हैं जो प्राइवेटली दिए जाते हैं. इसीलिए हमारे ब्लॉग पत्रकार चंदू चौरसिया ने पिछले ३ दिनों तक देश भर की यात्रा की और बजट पर तमाम लोगों के रिएक्शन इकठ्ठा किये. आप बांचिये.

वित्तमंत्री प्रनब मुखर्जी: "लूक, दीस इज हाऊ ईट भार्क्स. नो-बोडी ईज एभर आबसोलुटाली सैटिस्फाइड उविथ दा बाजेट. आई मास्ट रिमाइंड इयु दैट उइ हैभ लिमिटेड मैंडेट. सो उइ उविल हैभ टू टेक आभार एलाइज इनटू कोंफ़िडेंस. सो, उइ डीड नोट टाक एबाऊट मेजोर रिफोर्म्स. बाट लेट मी टेल इयु दैट ओन दा मैटर आफ फिस्कोल डेफिसिट उइ उविल डू सामथिंग आउट साइड ओफ दा बाजेट. पीपुऊल उवांटेड मी टू बाईट दा बुलेट बाट दे मास्ट टेक माई एज ऐंड माई टीथ ईन टू कोंसीडारेशोंन."

प्रधानमंत्री: "वी हैव द नम्बर्स. जो बजट श्री प्रनब मुख़र्जी ने प्रस्तुत किया है वह न सिर्फ ग्रोथ को बढ़ाएगा बल्कि वह देश को नई दिशा देगा. वी हैव द नम्बर्स. जब भी जरूरत पड़ेगी हम संसद में नम्बर्स प्रूव करेंगे. हमारे पास नम्बर्स हमेशा रहे. आपको याद हो तो अभी एक साल पहले तक हमारे पास आठ परसेंट था. जो कि एक बड़ा सेक्रेड नम्बर था. उसके पहले जुलाई २००८ में हमारे पास २७२ की संख्या थी, जो अपने आप में सबसे बड़ा डेमोक्रेटिक नंबर है. तो मैं यही कहना चाहूँगा कि हमारे पास नम्बर्स है. आप लगे हाथों यह भी बताता चलूं कि हमारे पास सी बी आई भी है."

मायावती जी: "यह बजट देश के गरीब और दलित वर्ग के खिलाफ है. हमने सोचा था कि नोटों का हार बनाने वालों के लिए इस बजट में ऋण माफी योजना की घोषणा की जायेगी प्रंतू ऐसा नहीं हुआ. न ही केंद्र सरकार ने पत्थर की मूर्तियाँ बनानेवालों को आयकर की सीमा में कोई छूट दी. मैंने अपने सुझाव में कहा था कि जैसे अभियान चलाकर शेरो और बाघों की रक्षा की जा रही है वैसे ही एक अभियान चलाकर हाथियों की रक्षा की जानी चाहिए. मैंने सोचा था कि वित्तमंत्री इसी बजट में "बाबा साहेब अम्बेदकर हाथी रक्षा अभियान" की घोषणा करेंगे लेकिन वह भी नहीं हुआ. यह बजट दलित विरोधी है. इसलिए बहुजन समाज इसका विरोध करता हैं."

ममता जी: "जोब रेल बाजेट हुआ तोभी हामको लगा कि जोनोराल बाजेट भी खाराब होगा. होमारा पाटी पार्लामेंट में जैसा रेल बाजेट का बिरोधिता किया ओइसा ही एहि बाजेट का भी करेगा. देखो, हाम कोमोन मैन का बात कारता है. गोरीब, मोज्दूर, पूअरेस्ट ओफ दा पुआर का बात कारता है. इस बाजेट में उसका लिए कुछ भी नेही है? होम डीमांड किया था कि सोरकार को आर्ट औउर काल्चर को प्रोमोट करना है. उसका बास्ते सोरकार ऊ सब लोगों को इन्काम टैक्स में छूट देना चाहिए जो नेता लोगों का पेंटिंग्स ख़रीद करता है वो भी इसी सोरकार ने नेही किया. हाम ए भी डीमांड किया था कि ह्वाईट और ब्लू पेंट पार सोरकार एक्साइज ड्यूटी कोम करे. वो भी नेही हुआ. अपना साथी दोल का साथ सोरकार ऐसा करेगा तो फीर तो मुश्कील है. होम दिल्ली जा रहा है. वित्तमोंत्री से एक बार फीर बात करेगा."

राम जेठमलानी, कानूनविद : "उच्चतम न्यायालय के लिए सरकार और उसके मंत्रियों के मन में कोई आदर नहीं रहा. वोडाफ़ोन केस में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को सरकार ने एक नियम लाकर निरस्त्र कर दिया. ऊपर से वित्तमंत्री कहते हैं कि वोडाफोन जैसे केस पर आयकर लगाने के लिए लाया गया कानून १९६१ से लागू होगा और यह माना जाएगा कि सरकार इस तरह का आयकर १९६१ से लगाना चाहती है. अगर ऐसा ही है तो हम मांग करते हैं कि आज़ादी के बाद पाकिस्तान को दिए गए ७५ करोड़ रूपये को भी रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से देखा जाय और सरकार उसपर पाकिस्तान से टी डी एस का पैसा वापस ले. ब्याज के साथ. हम बाबा रामदेव से कहेंगे कि वे इस मुद्दे को लेकर आन्दोलन करें."

बी एस येदुइराप्पा : "बजट अच्छा नहीं है. सरकार को चाहिए था कि बजट में ऐसा प्रावधान करती जिससे प्राइवेट ट्रस्ट को मिलने वाले कंट्रीब्यूशन पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कोई जांच न कर सके. और यह प्रावधान भी लाना चाहिए था कि प्राइवेट ट्रस्ट को खाता-बही रखने की ज़रुरत नहीं हो. दूसरा जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है कि सरकार ऐसे रेसोर्ट और होटल को टैक्स में छूट दे जो असंतुष्ट विधायकों को अपने रेसोर्ट में रहने और ज़रुरत पड़ने पर छिपने में सहायता करते हैं. कम से कम फिनांस मिनिस्टर ये तो कर ही सकते थे कि क्राइसिस के समय असंतुष्ट विधायकों से होने वाले आय पर दस साल के लिए छूट दे. नए रेसोर्ट खुलने पर उन्हें सर्विस टैक्स होलीडे भी दिया जा सकता था. आई कम्प्लीटली अपोज दिस बजट."

रॉबर्ट वाडरा : "ऑफिसियली तो नहीं बट अन-ऑफिसियली मैं इस बजट से खुश नहीं हूँ. इसमें प्रोस्पेक्टिव पॉलीटिशियन के लिए कुछ है ही नहीं. आज पोलिटिक्स में अच्छे लोगों की ज़रुरत है. इसीलिए मैं खुद पोलिटिक्स में आना चाहता हूँ. ऐसे में सरकार की ड्यूटी है कि वह नए पॉलीटिशियन को एनकरेज करने के लिए कुछ छूट वगैरह दे. जैसे सरकार यह कर सकती है कि अगर कोई पोलिटिक्स ज्वाइन करता है तो उसे दस सालों तक इनकम टैक्स का रिटर्न फ़ाइल करने की ज़रुरत ही न हो. फिनांस मिनिस्टर एक काम और कर सकते थे. अगर कोई अपनी वाइफ के साथ पोलिटिक्स में आना चाहे तो उसे २० साल तक इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने की ज़रुरत न रहे. अगर ऐसा हुआ तो अच्छे हसबंड-वाइफ एक साथ पोलिटिक्स ज्वाइन करेंगे और फिर इस देश का भला होने से कोई रोक नहीं पायेगा."

रंजना कुमारी, डायरेक्टर ऑफ द सेंटर फॉर सोशल रिसर्च: "देश को आज़ाद हुए पैंसठ बरस हो गए लेकिन आज भी बजट आम आदमी के लिए ही बनता है. मुझे आश्चर्य होता है कि जिस कोलीशन की चेयर-परसन एक महिला हो वह कोलीशन कम से कम अपना बजट तो आम औरत के लिए बना सकता है. ऐसी तरक्की किस काम की जो आज़ादी के पैंसठ साल बाद भी आम औरत के लिए बजट न बनवा सके. मेरा विरोध इसी मुद्दे पर है. बाकी बातें बजट में ठीक है."

राहुल गाँधी: "हमने तय किया था कि इस बजट में हम उन गाँव वालों को मेहमान भत्ता देने का प्रावधान लायेंगे जिनके यहाँ मैंने खाना खाया और पानी पीया था लेकिन यूपी में चुनाव नहीं जीत पाने से हमने वह प्रोग्राम ड्रॉप कर दिया. हाँ, मैं ऐसा मानता हूँ कि वित्तमंत्री उन एडवरटाइजिंग एजेंसियों के लिए कुछ टैक्स होलीडे की घोषणा कर सकते थे जो नेताओं की इमेज बिल्डिंग का काम करती हैं. खैर, हम अमेंडमेंट लाकर भी ऐसा कर सकते हैं. और हम चाहेंगे कि बजट सेशन में हि ऐसा हो."

मनोहर भइया कांग्रेसी: "प्रनब दा ने शानदार बजट दिया है. वे हमारे सचिन तेंदुलकर हैं. आई टेल यू, दिस बजट विल फुएल ग्रोथ टिल वी रन आइदर आउट ऑफ फुएल ऑर आउट ऑफ बजट."

बप्पी लाहिरी: "सुना है बाजेट का बजह से सोना आब कॉस्टली हो जाएगा. ऐसा हुआ तो हमारा नेटवर्थ बाढ़ जाएगा. हाम अपना इश्टाइल में प्रानब दा के लिए कुछ कहेगा कि प्रानब दा आआआआ, वी लाभ यू.

मुलायम सिंह जी; "बजट जो है वो हमें नई देखा. केंद सअकार से आशा ही कि अखियेश के औजवानों को दिए आने वाले भत्ता घोषणा में कुछ जो है वो सहायता कएगी. लेकिन पनब दा ने कुछ किया ही नई. ये सअकार अपसंखक, गईब, केसान के लिए काम ही नई कअती. हम तो आहते थे कि यूपी में जो बाहुबई सब मंती बने हैं, उनको बाहुबई भत्ता मिलता तो ठीक रअता."

सीताराम बजरंगी, दूधवाले; "हम सरकार को धन्यवाद देते हैं जो यूरिया क दाम घटाए हैं. यूरिया से दूध तैयार करने में लागत बढ़ गया था. प्राफिट मार्जिन कम हो गया था. अब एही डिमांड है कि जैसे यूरिया क दाम घटायें हैं ओइसे ही डिटर्जेंट और बाकी केमिकल क दाम भी घटा दें त ठीक रहेगा. बड़ा राहत मिला है यूरिया का दाम घटने से. हम तो कहते हैं कि वित्तमंत्री राजी हों त हमसब मिलि के उनका सार्वजनिक अभिनन्दन कर दें."

लॉर्ड इन्द्रजीत देसाई, लन्दन वाले ; "यूरिया प्रोड्यूस करने वाली मशीन पर कस्टम्स ड्यूटी कम करने से फार्मर्स क इनकम बढ़ेगा. अब फार्मर्स के बेटर डेज आयेंगे. ये फिनांस मिनिस्टर ने ठीक ही किया. कभी-कभी फार्मर्स के बारे में भी सोचना चाहिए और उसका भी इनकम बढ़ाना चाहिए."

श्री पी चिदंबरम: "आई थैंक, फिनांस मिनिस्टर फॉर नॉट रेजिंग एक्साइज ड्यूटी ऑन चेविंग गम्स एंड बगिंग इक्विपमेंट. दिस विल गो अ लॉन्ग वे टू एनकरेज बगिंग..."

सुब्रमनियम स्वामी; "मैं किसी भी मुद्दे पर अपने विचार ट्वीट करके व्यक्त करता हूँ. बजट पर मेरे रिएक्शन के लिए ट्विटर पर मेरी टाइम-लाइन देखें."