tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post1566738982262788731..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: रीच्ड होम.....Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-63334760157066913722011-02-02T23:57:30.910+05:302011-02-02T23:57:30.910+05:30हमसे न झिला\झिली फ़ेसबुक, लौट के बुद्धू घर को आये;...हमसे न झिला\झिली फ़ेसबुक, लौट के बुद्धू घर को आये;))संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-90492199955233792632011-02-02T23:24:06.776+05:302011-02-02T23:24:06.776+05:30एक महोदया अपनी फेसबुकी मंडली में हैं और उनके एक स्...एक महोदया अपनी फेसबुकी मंडली में हैं और उनके एक स्टेटस "बिल्ली के गले मे घंटी कौन बांधे?" को देखकर मैं लज्जा के मारे अपने पैजामे में ही धंस गया!<br />बेबात जैसी बात पर 63 लाइक और 127 कमेंट्स देखकर मैंने भी सोचा है के मैं भी इसी तरह की उलटबासियों वाले प्रतीकात्मक एवं सरखुजाधात्मक स्टेटस बनाया करूंगा.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-46241704187851070082011-02-02T19:28:20.158+05:302011-02-02T19:28:20.158+05:30हम अभी तक एक ठो ट्वीट नहीं किये यहाँ तक के ट्वीटर ...हम अभी तक एक ठो ट्वीट नहीं किये यहाँ तक के ट्वीटर पर एकाउंट भी नहीं है...मारे शर्म के का करें? समझ नहीं पा रहे...अब समझे लोग हमारी पीठ पीछे काहे हँसते हैं...हम जैसे आउट डेटेड लोग अब हंसने लायक चीज ही रह गए हैं...हम इसी में खुश हैं...आज के गलाकाट प्रतियोगिता वाले समय में कोई हँसता तो है...चाहे हमें देख कर ही सही...ऐसे लोगों की हंसी के खातिर हम ट्वीटर पर नहीं जायेंगे ये सोच लिए हैं...आप कहेंगे तब भी नहीं...सच्ची...हम अपने ट्वीटर एकाउंट की कुर्बानी देने को तैयार हैं...कभी मानव इतिहास इस कुर्बानी के लिए हमें पूजेगा...(सोचने में क्या हर्ज़ है?) <br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-57615640534440455262011-02-02T18:24:43.556+05:302011-02-02T18:24:43.556+05:30देखिए, आप रीच कर गए, हम अभी ले खीझाइये रहे हैं, जा...देखिए, आप रीच कर गए, हम अभी ले खीझाइये रहे हैं, जाने कब ले रीचेंगे (कि रीचायेंगे?). दुनिया अइसे काहे हो गई है जैसे हो गई है? कौनो दूसरे तरीके से नै हो सकती थी? रजवा ने सरकारी खजाने को बाइस हजार करोड़ का झटका दिया है, सिब्बल बोल रहे हैं चिन्ता के बात नै है, सरकार इतना झटका हंसते हुए सम्भाल सकती है. हलांकि एगो बिनायक बहरी छुट्टल घूमता है तो बहुतै डिस्टर्ब होवे लगती है. अऊर आप हैं कि कवनो के कार के नीचे बम्म चिपकाये की बजाय घर का पाला छूके मुदित हो रहे हैं? एशियाटिक पब्लिक घबराया भाग-भाग के सरक पे आ रहा है, आप सरक-सरक के घर रीच कै रहे हैं, क्यों?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-24753073681132062602011-02-02T10:05:52.744+05:302011-02-02T10:05:52.744+05:30हा हा हा मजाक मजाक मे कितना कुछ बता गये। कम ही जाय...हा हा हा मजाक मजाक मे कितना कुछ बता गये। कम ही जाया जाता है फेस बुक पर लेकिन लगता है अब अपने फालोवर बनाने पडेंग कहीँ बेटी की सास ये न कहे कि बहु मेरे फालोवर तो तुम्हारी माँ से अधिक हो गये तब बेटी बेचारी कितनी मायूस होगी। कल्पना से परे है। आप भी कुछ मदद कीजियेन न भाई कब काम आयेंगे? शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-61988148735340948192011-02-02T09:50:09.647+05:302011-02-02T09:50:09.647+05:30आपके विचारों से असहमत हूँ, फैसबुक के चलते मेरे साम...आपके विचारों से असहमत हूँ, फैसबुक के चलते मेरे सामाजिक सम्बन्ध सुन्दर हुए है, अब मैं पत्नि के "टच" में रहता हूँ और वो भी मेरे "स्टेटस" को लाइक करती रहती है. क्या समझे बाबू? <br /><br />:)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-38686463649536010752011-02-02T07:25:16.440+05:302011-02-02T07:25:16.440+05:30ऊंची बात कही आपने इस पोस्ट में।
मैं तो कल्पना कर र...ऊंची बात कही आपने इस पोस्ट में।<br />मैं तो कल्पना कर रहा हूं जब आबादकारी बाजार में सब्जियों के दाम के मोलभाव ट्विटर पर होंगे। दुकानदार फ़ेसबुक पर दाम का स्टेटस लगा देगा- आलू पांच रुपये किलो। इसके बाद ट्विटर पर मोलतोल शुरू होगा। <br /><br />चार रुपये में हैं सब जगह!<br />साढ़े चार में ले लीजिये लेना हो तो।<br />अरे कैसे ले लें चार में दो।<br />एक दाम सवा चार! <br /><br />-----<br />-----<br />फ़िर न जाने क्या हो? क्या पता नेटवर्क व्यस्त हो जाये। सब्जी के दुकान के सामने खड़ा ग्राहक मुंह लटकाये घर की तरफ़ लौटने का मन बना ले तब तक फ़िर नेटवर्क आ जाये और भाव टूटकर सहमति स्तर पर आ जायें और ग्राहक घर लौटकर फ़ेसबुक पर लिखे- <b>मैनेज्ड टु बारगेन सक्सेसफ़ुली एन्ड बाट हाफ़ केजी आलू एट द रेट रुपीस फ़ोर! </b>:)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-35407209404079115042011-02-02T00:33:45.516+05:302011-02-02T00:33:45.516+05:30वैसे सही सलामत घर लौटना भी किसी बड़े इवेन्ट से कम न...वैसे सही सलामत घर लौटना भी किसी बड़े इवेन्ट से कम नहीं.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-69478141809433230232011-02-01T21:42:18.510+05:302011-02-01T21:42:18.510+05:30बुरा कहीं वो ना मान जाएँ जिनके स्टेटस के बारे में ...बुरा कहीं वो ना मान जाएँ जिनके स्टेटस के बारे में आपने नहीं लिखा :) केवल दो के ही बारे में क्यों लिखा ? हमारे बारे में क्यों नहीं. <br />अब मैं तो सफाई देना चाहता था कुछ बातों पर लेकिन नहीं दे रहा डर है कि धर लिया जाऊँगा कि ये भी वैसा ही है. जैसे क्लास में सो रहा था और प्रोफ़ेसर ने किसी और को बोला क्यों सो रहे हो और मैं खड़ा हो गया.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-28541441338325251102011-02-01T21:19:52.282+05:302011-02-01T21:19:52.282+05:30मुला जो बात हम आपको बताना चाहते हैं कि मार्क जुकरब...मुला जो बात हम आपको बताना चाहते हैं कि मार्क जुकरबर्ग ने लड़कियों के सुन्दर चेहरों के लावण्य को मापने के लिए फेसबुक बनाया था ..फिर तो लोग आते गए और कारवाँ बढ़ता गया है ..हम भी हैं फेसबुक पर और कई बिना फेस वाले भी और फेसियल वाले भी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-26511358931585245682011-02-01T19:33:47.219+05:302011-02-01T19:33:47.219+05:30हम फेसबुक और ट्वीट का आनन्द उठाने में असमर्थ हैं, ...हम फेसबुक और ट्वीट का आनन्द उठाने में असमर्थ हैं, बाहर जो आ गये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-89732298995514381992011-02-01T18:35:48.466+05:302011-02-01T18:35:48.466+05:30कभी कभी ब्लॉग्गिंग भी तो Social networking लगती है...कभी कभी ब्लॉग्गिंग भी तो Social networking लगती हैNeerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-18278186982521502382011-02-01T17:48:11.589+05:302011-02-01T17:48:11.589+05:30मेरे एक शुभचिंतक जब मुझे समझा समझा कर थक गए कि मुझ...मेरे एक शुभचिंतक जब मुझे समझा समझा कर थक गए कि मुझे फेसबुक एकाउंट खोल लेना चाहिए और मैं फिर भी इसके लिए सहमत न हुई ,तो उन्होंने ब्रह्मास्त्र मारा...<br /><br />आप चाहती हैं न कि आपका व्यापार बढे ??<br /><br />मैंने कहा ....बिलकुल. बेशक ..<br /><br />तो मान लीजिये जबतक आपका फेसबुक प्रोफाइल और फोलोअर लिस्ट दमदार नहीं होगा, कोई आपको विश्वास के काबिल ही नहीं मानेगा...आपका परिचय लोग आपसे नहीं आपके फेसबुक से लेंना चाहेंगे...और दमदार क्या जब आपका कोई एकाउंट ही नहीं होगा,तो मतलब आप एग्झिस्ट ही नहीं करती इस कोर्पोरेट वर्ल्ड में....<br /><br />चार महीने पहले यह विमर्श मिला था और तब जो चिंतन मोड में घुसी ,सो अभी तक बाहर नहीं आ पाई हूँ...<br /><br />कि... क्या सचमुच ???रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-34792727655765249642011-02-01T17:24:59.605+05:302011-02-01T17:24:59.605+05:30आपने एक बहुत ही कचोटती समस्या पर ये लेख लिखा है .....आपने एक बहुत ही कचोटती समस्या पर ये लेख लिखा है ... फेसबुक तेज़ी से बढ़ती हुई एक महामारी है जो फायदा कुछ नहीं करती है ... कुछ खास नुकसान भी नहीं करती मगर मन झल्ला देती है ... <br /><br />लेकिन मेरा ख्याल है कि यह जायदा दिनो तक नहीं चलने वाला ... कुछ दिन मे लोग ऊब जाएंगे ... मन कि उत्सुकता बने रहने के लिए नयापन होना चाहिए ... फेसबुक मे नयेपन का बहुत ज़्यादा scope नहीं हैNo Misthttps://www.blogger.com/profile/00972468947907589417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-43567723138009843002011-02-01T17:17:10.547+05:302011-02-01T17:17:10.547+05:30"लाइक दिस आइटम" का बटन कहां है? हम तो जो..."<b>लाइक दिस आइटम</b>" का बटन कहां है? हम तो जो कुछ करते हैं, <b>लाइकै</b> करते हैं! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-33568560499652935262011-02-01T17:13:36.115+05:302011-02-01T17:13:36.115+05:30` कल क्या मेसेज लिखा जाय कि वह भी हिट हो जाए?
इस...` कल क्या मेसेज लिखा जाय कि वह भी हिट हो जाए? <br /><br />इसके लिए बस.... पत्नी से पिट जाए :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-28068607254879590022011-02-01T17:13:21.774+05:302011-02-01T17:13:21.774+05:30बहुत ज्ञानवर्द्धक पोस्ट। हम टिवटयाते नहीं। फेसबुक...बहुत ज्ञानवर्द्धक पोस्ट। हम टिवटयाते नहीं। फेसबुक पर भी केवल समर्थनों को कनफर्म ही करते हैं, बस।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-16395950158496405522011-02-01T17:09:47.850+05:302011-02-01T17:09:47.850+05:30"मारे प्रोस्पेक्टिव एम्प्लोयेर्स रिक्र्यूटमें..."मारे प्रोस्पेक्टिव एम्प्लोयेर्स रिक्र्यूटमेंट के विज्ञापन में यह क्यों नहीं लिखते कि; "कैंडिडेट्स विद मोर दैन वन थाउजेंड फालोवर्स ऑन ट्विटर विल बी प्रेफर्ड." या फिर "कैंडिडेट्स विद मोर देन थ्री हंड्रेड फिफ्टी फ्रेंड्स ऑन फेसबुक...."<br />वेस्टर्न मैंने सुना हैकुछ इसी तरह की प्रक्रिया already शुरु हो चुकी है और इसके परिणाम कुछ अच्छे आये तो किसीको अपनी नौकरी से हाथ धोनी पड़ी ! वैसे मुझे नींद से जगाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद . :)The Innovatorhttps://www.blogger.com/profile/09616751595799690484noreply@blogger.com