tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post3176505907498636103..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: ब्लॉगिंग पर कविताGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-85728865640879163762007-12-04T19:11:00.000+05:302007-12-04T19:11:00.000+05:30जी खुश हो गया वाकई. आपमे काव्य प्रतिभा तो है ही. प...जी खुश हो गया वाकई. आपमे काव्य प्रतिभा तो है ही. पहले पैदा हुए होते तो मैथिली शरण गुप्त वगैरह भी हो सकते थे . पर खैर देर की है तो भुगतो. अरे कान पुर कवि सम्मेलन मे विपुल जी के साथ आप ही थे कया. 24 नवम्बर को?बसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-41979830139031376562007-11-30T04:38:00.000+05:302007-11-30T04:38:00.000+05:30एकदम सरसराती चली गई कविता। सौ ग्राम की बात तो विनम...एकदम सरसराती चली गई कविता। सौ ग्राम की बात तो विनम्रता ही है। वज़न तो कहीं से भी दो ढाई किलो से कम नहीं । ये आप भी जानते होंगे।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-33469809825241257762007-11-29T22:27:00.000+05:302007-11-29T22:27:00.000+05:30मज़ा आ गया जनाब. ये तो समझ में नहीं आया कि निगाहे...मज़ा आ गया जनाब. ये तो समझ में नहीं आया कि निगाहें किधर हैं और निशाने पे कौन है ... लेकिन बात तो दो टूक कह ही दी आपने. और हाँ, पचास ग्राम भी हो जाये तो ठेल दिया करें, झेलने वाले हम जैसे कई बैठे हैं ... एक श्रेणी यह भी तो है !अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-57528033144625063672007-11-29T18:43:00.000+05:302007-11-29T18:43:00.000+05:30कित्थे कित्थे नज़र डाल रेले हो भैय्या!!मस्त लिखा है...कित्थे कित्थे नज़र डाल रेले हो भैय्या!!<BR/>मस्त लिखा है!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-58171423830989974542007-11-29T15:29:00.000+05:302007-11-29T15:29:00.000+05:30शिव भाईअच्छी कविता है....शिव भाई<BR/>अच्छी कविता है....बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-82956175783978953772007-11-29T12:05:00.000+05:302007-11-29T12:05:00.000+05:30समझ गया. ये व्यंग्य ज्ञान भइया पर नही साफ-साफ मेरे...समझ गया. ये व्यंग्य ज्ञान भइया पर नही साफ-साफ मेरे ऊपर किया गया है. देख लें :-<BR/>मिले टिपण्णी यही जरूरी<BR/>नाम दिखे या हो बेनामी<BR/>कभी-कभी गाली पाकर भी<BR/>ब्लॉगर कितने खुश हो जाते<BR/>लेकिन मैं भी संजीव जी और वड्डे वाप्पाजी की बात से सहमत हूँ.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-22949093046600291342007-11-29T11:54:00.000+05:302007-11-29T11:54:00.000+05:30बहुत खूब लिखा है बंधू. गध्य पर तो आप की पकड़ थी ही ...बहुत खूब लिखा है बंधू. गध्य पर तो आप की पकड़ थी ही अब पद्य पर भी बना रहे हैं. ग़ज़ल के क्षेत्र में कब कूदेंगे महाराज?<BR/><BR/>मिले टिपण्णी यही जरूरी<BR/>नाम दिखे या हो बेनामी<BR/><BR/>"बिना टिपण्णी सब ब्लॉगर की यही कहानी <BR/>दिल जैसे शमशान और आंखों में पानी"<BR/> नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-82564713099854872622007-11-29T10:41:00.000+05:302007-11-29T10:41:00.000+05:30अच्छी तुकबंदी करते हैं जी..यह क़्या ज्ञान जी के ऊपर...अच्छी तुकबंदी करते हैं जी..यह क़्या ज्ञान जी के ऊपर व्यंग्य है...:-)काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-5033052523968457582007-11-29T10:21:00.000+05:302007-11-29T10:21:00.000+05:30तुकबन्दी में चिट्ठाजगत की मायाइसका रूप बखान बड़ा मन...तुकबन्दी में चिट्ठाजगत की माया<BR/>इसका रूप बखान बड़ा मन भाया !<BR/><BR/>व्यंग्य हास्य में 'किलो' भर आया <BR/>सत्य 'शिव' का सुन्दर बन पाया !मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-61659166210119397412007-11-29T08:47:00.000+05:302007-11-29T08:47:00.000+05:30सत्य वचन………अनोखी है ये ब्लागिंग की दुनिया ,फ़िर भी…...सत्य वचन………अनोखी है ये ब्लागिंग की दुनिया ,फ़िर भी…………<BR/><BR/>ये सारी बातें हैं फिर भी<BR/>कोई डोर हमें बांधे है<BR/>मिलकर हमसब गिरते-पड़ते<BR/>चिट्ठापथ पर चलते जाते<BR/>चिट्ठापथ पर चलतेपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-29433677175124489312007-11-29T08:36:00.000+05:302007-11-29T08:36:00.000+05:30भैया, दाल में काला लग रहा है। व्यंग का निशाना हमें...भैया, दाल में काला लग रहा है। व्यंग का निशाना हमें तो नहीं बना रहे! :-)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-56346163244435259292007-11-29T08:20:00.000+05:302007-11-29T08:20:00.000+05:30शिव भईया सौ ग्राम नहीं पूरे किलो भर है, अब तो हिन्...शिव भईया सौ ग्राम नहीं पूरे किलो भर है, अब तो हिन्द युग्म वालों को आपकी अनुशंसा भेजनी होगी कि हमारे एक और गद्य के ब्लागर कविता लिख रहे हैं । <BR/>वाह वाह ।<BR/><BR/><A HREF="http://aarambha.blogspot.com/" REL="nofollow">आरंभ</A> <BR/><A HREF="http://jrcounsel4u.blogspot.com/" REL="nofollow">जूनियर कांउसिल</A>36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.com