tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post6849528830873063301..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: तुरत लिखा, फुरत आलोचक मिले और 'धुरत' फ़ैसला....Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-91481448085122178662008-10-19T17:20:00.000+05:302008-10-19T17:20:00.000+05:30अच्छा है पहले दोहे फ़िर कविता पर पोस्ट आप बिल्कुल स...अच्छा है पहले दोहे फ़िर कविता पर पोस्ट आप बिल्कुल सही दिशा में जा रहें है मंजिल जल्द ही मिलेगी :) :) <BR/><BR/>वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-84230875002366250092008-10-19T16:15:00.000+05:302008-10-19T16:15:00.000+05:30रामायण खत्म, सीता कौन?रामायण खत्म, सीता कौन?वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-63249649013335716932008-10-19T12:43:00.000+05:302008-10-19T12:43:00.000+05:30शुक्र मनाइये, अब अगले दीवाली में ही घर की साफ सफाई...शुक्र मनाइये, अब अगले दीवाली में ही घर की साफ सफाई होगी और घर के कबाड़ से कोई दुर्घटना रूपी कविता मिलने की आशंका होगी. लेकिन यह तो कन्फर्म कर लें कि इस दीवाली की सफाई चल ही रही है क्या..? वरना..पहले कविता और फ़िर उस पर टीपें........... ---~~~~##@@@@!!!समीर यादवhttps://www.blogger.com/profile/07228489907932952843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-4610053738809076292008-10-19T08:48:00.000+05:302008-10-19T08:48:00.000+05:30हा हा, कविता पर खिंचाई या ज्ञानजी पर खिंचाई या टिप...हा हा, कविता पर खिंचाई या ज्ञानजी पर खिंचाई या टिप्पणी पर खिंचाई या शायद सभी पर खिंचाई। बहुत खूबTarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-71496283810489483022008-10-18T23:26:00.001+05:302008-10-18T23:26:00.001+05:30ज्ञानजी की कविता के बाद आपकी चर्चा पढ़ने के बाद अब ...ज्ञानजी की कविता के बाद आपकी चर्चा पढ़ने के बाद अब मानसिक हलचल पर प्राप्त टिप्पणियों को पढ़ने के लिए फिरसे वहाँ जाना पड़ेगा...। <BR/><BR/>इसे कहते हैं जबरदस्त केमिस्ट्री। तभी तो मैं कहूँ कि इस ब्लॉग पर ज्ञानजी का नाम क्यों चल रहा है? :)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-82318441143368916872008-10-18T23:26:00.000+05:302008-10-18T23:26:00.000+05:30सर.. अभी तक हम आलोचक गति को प्राप्त नहीं हुये हैं....सर.. अभी तक हम आलोचक गति को प्राप्त नहीं हुये हैं.. जो भी उल्टा-सीधा लिखता हूं, सभी वाह वाह कर जाते हैं.. :)<BR/>पता नहीं मैं कब साहित्यकार गति को प्राप्त होऊंगा? :(PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-89315448036372341262008-10-18T23:25:00.000+05:302008-10-18T23:25:00.000+05:30हमें मसाले वाले भरवां बैंगन बहुत पसंद हैं , बैंगन ...हमें मसाले वाले भरवां बैंगन बहुत पसंद हैं , बैंगन ज्ञान जी के और मसाले शिव भैया के हो तो खूब करारी भाजी बनेगी , सोच कर ही मुंह में पानी आ रहा है…:)Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-43675389224433915012008-10-18T22:07:00.000+05:302008-10-18T22:07:00.000+05:30आपने कल दोहे धोये अब टिप्पणीकार को धो रहे है या ज्...आपने कल दोहे धोये अब टिप्पणीकार को धो रहे है या ज्ञान जी को ?हा हा हादीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-86091307971502051012008-10-18T21:25:00.000+05:302008-10-18T21:25:00.000+05:30अजी किस कविता की चर्चा हो रही है????????अजी किस कविता की चर्चा हो रही है????????राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-64858976150248651002008-10-18T16:13:00.000+05:302008-10-18T16:13:00.000+05:30हम प्रतिक्रिया बदल कर गाकर (समर्पित अरविंद जी को औ...हम प्रतिक्रिया बदल कर गाकर (समर्पित अरविंद जी को और अनूप जी को करते हुए)सुनाने की तमन्ना पाल बैठे हैं. :)<BR/><BR/>बैंगन बेचने को तो यूँ सलाह दी है कि जो बेचने से बच जायेगे, उन्हें ज्ञान जी फेकेंगे तो नहीं..खा ही लेंगे तो कब्जियत निवारण बिना कविता ठेले भी हो लेगा. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-47592037212797645022008-10-18T15:32:00.000+05:302008-10-18T15:32:00.000+05:30मुझे एग्प्लॉण्ट (बैंगन) बेचने की सलाह है। और अस्थि...मुझे एग्प्लॉण्ट (बैंगन) बेचने की सलाह है। और अस्थिर मति के लिये बैंगन से बढ़िया कोई प्रतीक नहीं। :-)<BR/> <BR/>कभी लगता है कि अस्थिर मति, स्थिर (जड़) मति से बेहतर है।<BR/><BR/>बहुत आलू-टमाटर पर ठेल लिया। लिहाजा बैंगन ज्यादा <I>आउट आफ कोर्स</I> नहीं है!:)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-62557018172807551922008-10-18T14:30:00.000+05:302008-10-18T14:30:00.000+05:30तुम भी कोउन कोउन चीज से खफिया (खफा) जाते हो पता न...तुम भी कोउन कोउन चीज से खफिया (खफा) जाते हो पता नही चलता........कभी साहित्यकार कभी कविकार......ई सब का है ?अरे ई फिल्ड में हो तो खली खुश रहना और सबको सबासी देना सीखो. <BR/> <BR/>बाकी लिखे बहुत जोरदार हो.पहिला पारा तो बड़ा ही जबरदस्त है.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-16943040616410724162008-10-18T14:23:00.000+05:302008-10-18T14:23:00.000+05:30कहीं ऐसा तो नहीं कि ज्ञान जी ने सब टिप्पणीकारों का...कहीं ऐसा तो नहीं कि ज्ञान जी ने सब टिप्पणीकारों का स्टिंग ऑपरेशन किया हो . अगर ऐसा है तो फँस गये अच्छे अच्छे टिप्पणीकार . वैसे उन्होंने चारलाइना पोस्ट भेजने वालों और उस पर टिप्पणी करने वालों की खिंचाई कुछ दिन पहले ही की थी .विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-75703095060419325042008-10-18T14:21:00.000+05:302008-10-18T14:21:00.000+05:30कोई इमानदार टिप्पणी कर गया उसका स्वागत होना चाहिए ...कोई इमानदार टिप्पणी कर गया उसका स्वागत होना चाहिए :) निंदक नियरे राखिये....<BR/><BR/>आप भी एक ठो कबिता ठोकिये और हम हू एक ठो लिखता हूँ, कविता ठेलने के लिए ही होती है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-42754260121520190562008-10-18T13:49:00.000+05:302008-10-18T13:49:00.000+05:30बहुत जोरदार लिखा ! सारी बातें कविता मय लग रही हैं ...बहुत जोरदार लिखा ! सारी बातें कविता मय लग रही हैं हमको तो ! शुभकामनाएं !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-30707091136196978972008-10-18T13:38:00.000+05:302008-10-18T13:38:00.000+05:30शुक्र है हम उस" कवितायी दुर्घटना "से बच गये ....(...शुक्र है हम उस" कवितायी दुर्घटना "से बच गये ....(दो दिन ब्लॉग से अनुपस्थित जो थे )पर उसका असर अब भी देख रहे है...संदेश यही जाता है की सभी टिपियाने वाले शिष्टचार का कितना पालन करते है .....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-2972932697618726132008-10-18T13:36:00.001+05:302008-10-18T13:36:00.001+05:30शुक्रिया तो अभी भी अदा किया जा सकता है इसमें क्या ...शुक्रिया तो अभी भी अदा किया जा सकता है इसमें क्या है .विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-19220402405555785772008-10-18T13:36:00.000+05:302008-10-18T13:36:00.000+05:30ज्ञान जी का तो पता नही कम से कम ओ. हेनरी को तो बेच...ज्ञान जी का तो पता नही कम से कम ओ. हेनरी को तो बेचारा समझ कर छोड़ दिया होता आपने :-)L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-24480625558397990732008-10-18T13:34:00.000+05:302008-10-18T13:34:00.000+05:30कविता के बहाने ज्ञान जी की खिंचाई, बहुत नाइंसाफी ह...कविता के बहाने ज्ञान जी की खिंचाई, बहुत नाइंसाफी है ये।<BR/><BR/>आपने एक बात उठाई, कि कवि यदि कविता किसी को भेजता है तो उसकी आलोचना(खिंचाई) होती है, वही कविता यदि वो अपने ब्लॉग पर छाप देता है तो तारीफ़, ऐसा कैसे। वो ऐसे कि भाई, जब आप कविता भेजते हो, तो पढने वाले की गरज नही होती, जितनी आपकी पढवाने की गरज होती है। जब आप कविता अपने ब्लॉग पर डालते हो तो ये कविता एक तरह का बुफे (गिद्द भोज) की तरह परोसी जाती है, वैब पर जितने कवि है वो तो आएंगी ही, टिप्पणी करने, क्योंकि उनको वापसी टिप्पणी की उम्मीद है। यहाँ कविता पृष्ठभूमि(बैकग्राउंड) मे चली जाती है, प्रति-टिप्पणी की आस फ्रंटलाइन मे रह जाती है। रही बात गिद्द-भोज की, उसको दिल पर मत लिया जाए।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-55470675542276811162008-10-18T13:22:00.000+05:302008-10-18T13:22:00.000+05:30हमने ज्ञानजी को सलाह भी दी कि जो वैकल्पिक रोजगार स...हमने ज्ञानजी को सलाह भी दी कि जो वैकल्पिक रोजगार सुझा रहा है , उसका शुक्रिया तो अदा कर दें। यह सुझाव यह मानते हुये दिया गया कि वह टिप्पनी स्वयं ज्ञानजी के मन की पुकार नहीं है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-78439460408152567332008-10-18T13:08:00.000+05:302008-10-18T13:08:00.000+05:30हा हा, कहीं इस सुझाव के बाद ज्ञानजी रेलवे की अफसरी...हा हा, कहीं इस सुझाव के बाद ज्ञानजी रेलवे की अफसरी छोड़ घास छीलन/बेचन पर ध्यान तो नहीं दे रहे :-)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-47863009531700055642008-10-18T13:06:00.000+05:302008-10-18T13:06:00.000+05:30बंधू कबाड़ से निकली चीज को अच्छा कहने के लिए हौसला...बंधू कबाड़ से निकली चीज को अच्छा कहने के लिए हौसला और पारखी नजर दोनों चाहिए...कविता हम भी पढ़े हैं और टिपियाये भी आप ने देखा ही होगा और हमारी समझ से, अब जो जितनी भी है, वो ठीक ही लगी...इस लायक नहीं लगी की उसपर पुनर्विचार किया जाए...पढ़ी अच्छी लगी कहा और खिसक लिए...आज आप फ़िर उसी मुद्दे को उठा लायें हैं...उस कविता पर चर्चा कर रहे हैं जिसे ज्ञान भैय्या बाल्यकाल में लिख कर भूल चुके थे...कबाड़ से निकली कविता प्रकाश में आयी ये क्या कम है ? बंधू कविता को कविता की तरह ही लो उसे पोस्ट मत बनाओ...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-20530973326001863902008-10-18T12:58:00.000+05:302008-10-18T12:58:00.000+05:30आदरणीय गुरुजी प्रणाम ! वो कविता तो खैर हमने पढी नह...आदरणीय गुरुजी प्रणाम ! वो कविता तो खैर हमने पढी नहीं पर आपकी यह कविता चर्चा चिट्ठाचर्चा के माध्यम से होनी चाहिए थी . आखिर आपका नाम भी चर्चाकारों में है फिर चिट्ठाचर्चा से इतनी दुश्मनी क्यों ? बताइए . बताइए बताइए . बताइए ना .विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-70154872785121508562008-10-18T12:33:00.000+05:302008-10-18T12:33:00.000+05:30शुक्र है अभी तक हमारे साथ को दुर्घटना नही हुई.. वर...शुक्र है अभी तक हमारे साथ को दुर्घटना नही हुई.. वरना हम भी साहित्यकार हो लेतेकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com