tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post7015711458549025727..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: और मुशर्रफ़ साहब ने मन को छुट्टी पर भेज दिया.Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-72560760340633666762007-11-07T16:59:00.000+05:302007-11-07T16:59:00.000+05:30भई हमने तो सूना था की मन के हारे हार है, मन के जीत...भई हमने तो सूना था की मन के हारे हार है, मन के जीते जीत<BR/>अबा अगर मन को ही छुट्टी पर भेज दिया तो मैच तो ड्रा ही होगा ना..पुनीत ओमरhttps://www.blogger.com/profile/09917620686180796252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-60964527354632072552007-11-07T15:42:00.000+05:302007-11-07T15:42:00.000+05:30मन के घोड़े दौड़ाते रहें..….रोचक प्रयासमन के घोड़े दौड़ाते रहें..….रोचक प्रयासपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-58613561269004338072007-11-07T15:20:00.000+05:302007-11-07T15:20:00.000+05:30भाई जी,ईश्वर आपके मन को २-४ जोड़े पंख और प्रदान करे...भाई जी,<BR/>ईश्वर आपके मन को २-४ जोड़े पंख और प्रदान करें,जो निरंतर इस से भी अधिक गति से दौड़ लगाया करे ताकि हमे ऐसे ही लेखों का रसास्वादन कर पाएं.बहुत ही उत्तम है.<BR/>शुभकामनाएं.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-207155112773704482007-11-07T12:58:00.000+05:302007-11-07T12:58:00.000+05:30मस्त है!!देखिए, ज़रा ई बताइए कि पांच हजार साल और हज...मस्त है!!<BR/><BR/>देखिए, ज़रा ई बताइए कि पांच हजार साल और हजारों किमी घूम आने के दौरान आपका ई मनवा कित्थे कित्थे स्टॉपेज़ लिया था इसका डिटेल तो आपने दिया नई अभी, कब देंगे!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-67642556483988681292007-11-07T11:24:00.000+05:302007-11-07T11:24:00.000+05:30एक बार मुशर्रफ़ साहब भारत से भी बात चलाकर देख सकते...एक बार मुशर्रफ़ साहब भारत से भी बात चलाकर देख सकते थे. नेताओं की बाढ़ मे अगर पाकिस्तान न बह जाता तो कहते. अरे सर सब रकम के, आकर के, गंध के, नेता यंहा बहुतायत मे पाये जाते है छाँट -छाँट के माल उठा सकते थे पर वो ठहरे भारत विरोधी शायद इसीलिए यंहा के नेता उन्हें मंजूर ना हुए. खैर कोई बात नही. वैसे टमाटर और जम्हूरियत जोरदार रहा. आपने अच्छा और उच्चकोटि का व्यंग्य लिखा.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-85883074703076744142007-11-07T08:39:00.000+05:302007-11-07T08:39:00.000+05:30हा हा!!! टमाटर और ये हाल? :) क्या कहूँ..हा हा!!! टमाटर और ये हाल? :) क्या कहूँ..Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-59752682677843274692007-11-07T08:35:00.000+05:302007-11-07T08:35:00.000+05:30वाह शिव भैया क्या दूर की सोची, मुशर्र्फ़ ने खुद भी ...वाह शिव भैया क्या दूर की सोची, मुशर्र्फ़ ने खुद भी नही सोचा होगा ऐसा।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-83341056071951303472007-11-07T07:57:00.000+05:302007-11-07T07:57:00.000+05:30काकेशजी की बात पर ध्यान दें। भई क्या जुमला है जम्ह...काकेशजी की बात पर ध्यान दें। भई क्या जुमला है जम्हूरियत लाना सरल है, टमाटर लाना मुश्किल है। सच्ची में जम्हूरियत का सिर्फ इतना फायदा होना है कि जो काम वर्दी वाले कर रहे हैं, वो खादी वाले करते हैं। बस पब्लिक को भौंकने की आजादी होती है। वैसे यह आजादी भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। <BR/>चोर आये चोरी की सब कुछ चुरा के ले गये<BR/>कर ही क्या सकता था लेखक भौंकने के सिवाय<BR/>ओरिजनल शेर अकबर इलाहाबादी साहब का है<BR/>चोर आये, चोरी की सब कुछ चुरा के ले गये <BR/>कर ही क्या सकता था बंदा खांसने के सिवायALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-72177833246896966062007-11-07T07:50:00.000+05:302007-11-07T07:50:00.000+05:30मन की गति सच्ची तेज है लेकिन बेचारी टमाटर का मोह न...मन की गति सच्ची तेज है लेकिन बेचारी टमाटर का मोह नहीं छोड़ पाता :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-59208138390651404182007-11-07T06:07:00.000+05:302007-11-07T06:07:00.000+05:30आपकी बात से इत्तेफाक नहीं है.टमाटर के भाव देखें है...आपकी बात से इत्तेफाक नहीं है.<BR/><BR/>टमाटर के भाव देखें है आपने. आजकल टमाटर लाना कठिन है जम्हूरियत लाना सरल है. यदि आप इंडिया की बात कर रहे हैं तो.पाकिस्तान की बात कर रहे हैं तो बात अलग है.:-) <BR/><BR/>मन सचमुच बहुत तेज दौड़ा आपका. आज हमारा मन भी तेज दौड़ा था लोकतंत्र में थोड़ा देख कर बतायें. कितना तेज.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com