tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post8213907924930713030..comments2024-03-05T08:08:12.202+05:30Comments on शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग: घुन्नन-मिलनGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-40401016360143557012009-09-20T01:49:35.504+05:302009-09-20T01:49:35.504+05:30बहुत प्यारी पोस्टबहुत प्यारी पोस्टअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-52961161954885844232009-07-16T18:09:29.012+05:302009-07-16T18:09:29.012+05:30बंधू अब आप ही कहिये अगर ये साहित्य नहीं है तो और क...बंधू अब आप ही कहिये अगर ये साहित्य नहीं है तो और क्या है? बाल सखा घुन्नन पर आप जो लिखें हैं उसे पढ़ कर आज भले ही कोई उसे ब्लॉग पोस्ट समझ कर भुला दे लेकिन कल इसी पोस्ट को देखिएगा लोग सर आँखों पे बिठाएंगे और हो सकता है की उच्च माध्यमिक बोर्ड इसे हिंदी साहित्य की किसी किताब में जगह भी दे दें.<br />आपने चोटिया जलेबी को, जिसे हमने आज तक नहीं खाया था, इतिहास में अमर कर दिया है.<br />हम आपके इस विलक्षण लेखन के सम्मुख नतमस्तक हैं...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-31923412851416156482009-07-16T12:59:12.441+05:302009-07-16T12:59:12.441+05:30सौरी भाई,हम ता समझबे नहीं किये की ई साहित्यिक कालज...सौरी भाई,हम ता समझबे नहीं किये की ई साहित्यिक कालजयी रचना कृति है....उ ता संजय बेंगानी जी की टिपण्णी पढ़े ता बुझाया की ई बहुते महान लेखन है....."घुन्नन मिलन साहित्यिक दृष्टि से" <br /><br />चलो ई हमरा सौभाग्य है की एतना महान साहित्यकार से हमरा जान पहचान है....धन्य भाग हमारे.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-28830538775199771862009-07-16T08:12:08.431+05:302009-07-16T08:12:08.431+05:30अगली बार जब घुन्नन आयें तो उनसे फिर मिलवाईयेगा और ...अगली बार जब घुन्नन आयें तो उनसे फिर मिलवाईयेगा और हमारी तरफ से भी जलेबी खिलाइयेगा ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-35721166501359822692009-07-16T07:47:14.075+05:302009-07-16T07:47:14.075+05:30चलो पोस्ट व टिप्पणियाँ पढने के बाद पता तो चला की स...चलो पोस्ट व टिप्पणियाँ पढने के बाद पता तो चला की साहित्य क्या होता है | <br /><br />वैसे आलेख बहुत अच्छा लगा पढ़कर हमें भी स्कूल के दिन याद आ गए | साथ ही रामावतार की दुकान की कलाकंद |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-48015596742298846952009-07-15T18:41:02.965+05:302009-07-15T18:41:02.965+05:30खूब पतंग उड़ी मिलन-जुलन की लेकिन बालसुब्रमण्यम जी ल...खूब पतंग उड़ी मिलन-जुलन की लेकिन बालसुब्रमण्यम जी लंगड़ भी लगाये हैं-पूरी ईमानदारी से।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-7835835208830013372009-07-15T10:54:06.844+05:302009-07-15T10:54:06.844+05:30एकदम आईएसआई मार्का असली साहित्य।एकदम आईएसआई मार्का असली साहित्य।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-24394967645227891222009-07-15T07:26:26.630+05:302009-07-15T07:26:26.630+05:30ज्ञान जी और घुन्नन जी को बहुत बहुत धन्यवाद। ज्ञान ...ज्ञान जी और घुन्नन जी को बहुत बहुत धन्यवाद। ज्ञान जी ना लिखते तो हम सब इस घोर साहित्यिक रचना रुपी चोटिया जलेबी का स्वाद ना ले पाते!!नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-27646541076955238372009-07-14T22:54:54.195+05:302009-07-14T22:54:54.195+05:30अरे मिसीर जी, ..हमको तो पहले से ही शक था की ई जलेब...अरे मिसीर जी, ..हमको तो पहले से ही शक था की ई जलेबी जरूर बामन ही है..आज आप बताये की इका चोटियों होता है था हमरा शक यकीन में बदल गया..मुदा हम कभी खाए नहीं हैं..आ अब ता जिलेबी से ज्यादा ..ससुरा ऊका चोटिया खाने का मन कर रहा है..ई घुनान्न्वा ता हमको भी अपना लाप्तान्वा का याद दिला दिया..बस एके गो अंतर था..ओका साथे हम ..नोक वाला लित्तिया खाते थे...बड़ा भारत मिलन टाईप लगा ई एपीसोड...जानते हैं..अरे मिसर जी आप जानबे करते होंगे...अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-6808387895286770992009-07-14T22:25:38.016+05:302009-07-14T22:25:38.016+05:30" उन्हें अंकवारि भरे पंद्रह मिनट तक भेंटता रह..." उन्हें अंकवारि भरे पंद्रह मिनट तक भेंटता रहा. इच्छा तो हुई कि एक घंटा तक भेंटे .." <br /><br />हां, हां, भेंटिये --घणा गे युग जो आ गया है!!!!!!!!!!!! जय हो चोटिया जलेबी की:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-83738258224075338502009-07-14T21:18:46.265+05:302009-07-14T21:18:46.265+05:30माफ कीजिए, मुझे तो ज्ञानदत्त वाला छोटा पोस्ट घुन्न...माफ कीजिए, मुझे तो ज्ञानदत्त वाला छोटा पोस्ट घुन्न ही अधिक साहित्यिक (या साइबरित्य) लगा, उसी के 50 साल जीने की अधिक संभावना है!<br /><br />यह तो जबर्दस्ती खींचा हुआ लेखन लगा, ईमानदारी से कहता हूं!बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-29386263242619418002009-07-14T19:48:10.226+05:302009-07-14T19:48:10.226+05:30जय हो सुदामा प्रिय कृष्ण की।जय हो सुदामा प्रिय कृष्ण की।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-18087866949640648142009-07-14T19:26:23.937+05:302009-07-14T19:26:23.937+05:30आर्ट मूवी-सी लगी। अंतराल से पूर्व ज्ञान जी की पोस्...आर्ट मूवी-सी लगी। अंतराल से पूर्व ज्ञान जी की पोस्ट और अंतराल के बाद शिव जी की:)जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-189516193566140352009-07-14T19:05:41.262+05:302009-07-14T19:05:41.262+05:30bhaiya kya bat hai, aapne to gyaan ji ke ghunnan m...bhaiya kya bat hai, aapne to gyaan ji ke ghunnan milan ko ek naya hi rup de diya.Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-20728881853514025812009-07-14T18:22:38.592+05:302009-07-14T18:22:38.592+05:30दोनों पोस्ट और टिप्पणी पढने के बाद ही पूरा मामला स...दोनों पोस्ट और टिप्पणी पढने के बाद ही पूरा मामला समझ आता है। <br /><br /> मेरे विचार से ये पोस्ट अमूर्त (Abstractism )का द्विबीजपत्री फल (पोस्ट) है :)सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-82035362945765540462009-07-14T16:42:30.997+05:302009-07-14T16:42:30.997+05:30एक घुन्नन जिससे ठीक से मिले भी नहीं और एक २५० ग्रा...एक घुन्नन जिससे ठीक से मिले भी नहीं और एक २५० ग्राम चोटिया जलेबी ही ऐसी अमर साहित्यिक कृति को जन्म दे सकती है. आपकी यह रचना कालजयी है. आने वाले ५० वर्ष बाद इसका मह्त्व न सिर्फ बरकरार रहेगा बल्कि बढ़ जायेगा-क्योंकि अभी चोटिया शब्द चकित करता है और तब तो जलेबी और मर्तबान शब्द भी चकित करेंगे. जो जितना चकित कर सके, उतना महान साहित्य-ऐसा कल ही एक ज्ञानी ने आभास कराया और आज आपने कर दिखाया.<br /><br />आप महान हैं. इस घोर साहित्यिक रचना की उपज भूमि उस हल्की फुल्की ब्लॉग पोस्ट के दर्शन पहले ही कर चुका हूँ वरना तो यह और भी चकित करती.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-33019351208285142692009-07-14T16:40:03.492+05:302009-07-14T16:40:03.492+05:30मजा आ गयामजा आ गयाअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-68121601197858739442009-07-14T16:18:56.597+05:302009-07-14T16:18:56.597+05:30अरे वाह! जय हो घुन्नन और आपकी मित्रता की!अरे वाह! जय हो घुन्नन और आपकी मित्रता की!भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-87671397408064391822009-07-14T14:58:28.525+05:302009-07-14T14:58:28.525+05:30सिर्फ़ चोटिया जलेबी खाने के लिए इतना लम्बा पोस्ट ठे...सिर्फ़ चोटिया जलेबी खाने के लिए इतना लम्बा पोस्ट ठेल सकते हैं, ये अन्दाजा नहीं था, नहीं तो हमने अब तक कब का एसएमएस कर दिया होता! लीजिए अभी करता हूं.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-22372906374172468582009-07-14T14:19:39.425+05:302009-07-14T14:19:39.425+05:30एक टिप्पणी और बोनस समझ लें. :)
बहुत ही सुन्दर मि...एक टिप्पणी और बोनस समझ लें. :)<br /><br /><br />बहुत ही सुन्दर मिलन रहा...हम शहरी लोग अपनी जड़ों से कटते जा रहें है (किसने कहा था, कटने को?) घुन्नन कहीं पीछे छूट गया है, बेरहम बजारवाद (?) ने शहरों और गाँवों के बीच की खाई को गहरा ही इतना कर दिया है (भले ही बजारवाद के चलते शहरी सुविधाएं गाँवों में पहूँच रही हो) खाई इतनी गहरी की दो दोस्त मिलन को तड़पते रहते है. आखिर क्या मिला इस विकास से....न जलेबी बची न बचपन का प्रेम...सब यांत्रिक हो गया है....पश्चीम की हवा से आज की पीढ़ी बिगड़ गई है (अरे..कहाँ से कहाँ पहुँच गए?)...'हाय ड्यूड' कहने वाले क्या जाने घुन्नन क्या है...जलेबी क्या है...आप भाग्यशाली है जो मित्र से मिल सके. सबका भाग्य ऐसा कहाँ. आँखे भर आयी है. गला रूँध सा गया. आपने बहुत ही संजीव चित्र खिंचा है. सारे पात्र जिवंत हो गए. <br /><br />(ज्यादा तो नहीं हुआ? :) )संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-1383499219552333682009-07-14T14:18:51.536+05:302009-07-14T14:18:51.536+05:30दोनो पोस्ट पढी हमे तो खुद अपने बचपन की याद हो आई त...दोनो पोस्ट पढी हमे तो खुद अपने बचपन की याद हो आई तो स्सवन भी है गाँव हो आते हैं झूले भी पडे होंगे और जलेबियाँ भि मिल जायेंगी आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-71096571384572927902009-07-14T14:02:50.359+05:302009-07-14T14:02:50.359+05:30पहले तो ई बताओ, इसे किस श्रेणी में डालें? व्यंग्य ...पहले तो ई बताओ, इसे किस श्रेणी में डालें? व्यंग्य होते हुए भी है नहीं. साहित्य के साथ थोड़ी यह परेशानी रहती ही है. <br /><br />ब्लॉग वास्तविकता है, साहित्य काल्पनिक होता है. जैसी साहित्यकार की कल्पना. वहाँ रूहें आ सकती है, उस घटना के लिए जो हुई ही न हो. गुजरात दंगो पर असगर वजाहत की कहानियों की बात कर रहा हूँ.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-74590055724049075752009-07-14T14:02:15.282+05:302009-07-14T14:02:15.282+05:30अब मैं उसके वापस आने की बाट जोह रहा हूँ........और ...अब मैं उसके वापस आने की बाट जोह रहा हूँ........और मैं भी.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-76270618970203921392009-07-14T13:50:02.678+05:302009-07-14T13:50:02.678+05:30आपका लिखा हर बार पसंद आता है। इस बार भी। शुभकामनाए...आपका लिखा हर बार पसंद आता है। इस बार भी। शुभकामनाएं।Anshu Mali Rastogihttps://www.blogger.com/profile/01648704780724449862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8266441011250183695.post-17691269253169308302009-07-14T13:23:18.567+05:302009-07-14T13:23:18.567+05:30जय हो अब देखते जाईये ब्लागजगत मे कितनी घुन्नन पोस्...जय हो अब देखते जाईये ब्लागजगत मे कितनी घुन्नन पोस्ट आयेंगी.:) माल बिल्कुल मौलिक लग रहा है.:)<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.com