Tuesday, November 20, 2007

ब्लॉग समाज के सदस्यों से अपील- सचिन को रास्ता दिखाये


सचिन फिर से शतक नहीं बना सके. कितने महीने बीत गए, एक शतक के लिए देश भर को तड़पा रहे हैं. देश के आधे लोगों की तड़प देखकर बाकी आधे तड़प रहे हैं. टीवी वाले सबसे ज्यादा दुखी दिख रहे हैं. धंधा ठीक ही चल रहा है लेकिन देश के लोगों के दुःख में शरीक हैं, ये भी दिखाना है, सो कैमरे पर आंखें दुखी हैं और माइक पर आवाज.

इन ज्योतिषियों की बातें सुनकर लगा कि सब कुछ बड़ा सरल है. क्या जरूरत है बैटिंग की प्रैक्टिस की. क्या जरूरत है मेहनत करने की. चांदी की गिलास, चांदी का बुरादा, शहर की नदी ही काफ़ी है.
बड़े शर्म की बात है कि अभी तक किसी शहर में यज्ञ नहीं हुआ. किसी ने न तो सिद्धि विनायक मन्दिर में पूजा अर्चना की, न ही विश्वनाथ मन्दिर में. कालीघाट में पूजा अर्चना का चांस भी जाता रहा. कलकत्ते की आम जनता बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर नंदीग्राम पर दुखी है. काकेश जी का दुखाशास्त्र एक बार फिर से चर्चा का विषय बनने जा रहा है. मेरे पड़ोस में कुछ लोगों ने पूजा करवाने की बात सोची लेकिन दीवाली की वजह से पंडित नहीं मिले. अब कह रहे थे कि अगर टेस्ट मैच में शतक नहीं लगा पाये तो फिर पूजा अर्चना की बात होगी.

कोशिश के नाम पर केवल टीवी वालों ने ही मुंह पीट कर लाल कर लिया. एक चैनल पर देखा. ज्योतिषियों की भीड़ लगी थी. एक ने बताया; "देखिये, उनका चंद्र ठीक से ड्यूटी नहीं कर रहा है. उन्हें अपने चन्द्र के बारे में कुछ करना पडेगा."

टीवी चैनल के एंकर ने पूछा; "क्या लगता है आपको? सचिन को क्या करना चाहिए कि उनका चन्द्र ठीक से ड्यूटी पर आ जाए."

ज्योतिषी ने जवाब दिया; "उन्हें चांदी के गिलास में पानी पीना चाहिए. रात को चन्द्रमा को निहारना चाहिए. बैटिंग करने से पहले अगर वे चांदी का बुरादा पिच पर छिड़कें तो शतक बन जायेगा."

मैंने सोचा ऐसा सचिन कर सकते हैं. लेकिन कहीं ऐसा न हो कि क्रिकेट की 'गवर्निंग बाडी' आई सी सी उन्हें पिच की कंडीशन बदलने को लेकर सजा न सुना दें. अगर शतक बन भी जाए तो आई सी सी उस शतक को रेकॉर्ड बुक में जाने से ही रोक दे. मैच फीस की कटौती ऊपर से. सचिन भी सोचेंगे कि चांदी का बुरादा खरीदने में पैसे खर्च हो गए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

एक और ज्योतिषी को देखा. बोले असल में समस्या चन्द्र की नहीं है. ये सारा कुछ मंगल का किया धरा है. सचिन का मंगल उनके लिए अमंगल पैदा कर रहा है. बोल रहे थे कि नौ की संख्या का रिमोट मंगल के हाथ में रहता है इसलिए शतक बन नहीं पा रहा. नब्बे और निन्यानवे के बीच सब कुछ रह जाता है. मुझे लगा इससे पहले भी तो सचिन ने इतने शतक लागाये हैं, तो क्या उस समय ये मंगल रिमोट कहीं रखकर भूल गया था क्या. एक ज्योतिषी ने तो समाधान बताया कि जिस शहर में खेलने जाएँ, वहाँ बह रही नदी में एक गिलास पानी सुबह-सुबह डाल दें, शतक बन जायेगा. इन ज्योतिषियों की बातें सुनकर लगा कि सब कुछ बड़ा सरल है. क्या जरूरत है बैटिंग की प्रैक्टिस की. क्या जरूरत है मेहनत करने की. चांदी की गिलास, चांदी का बुरादा, शहर की नदी ही काफ़ी है.

सोचते-सोचते मुझे एक खबरिया चैनल पर राशिफल बताने वाली एक महिला की बात याद आ गई. किसी राशि के लोगों के लिए दिन कैसे जायेगा, बताते हुए इस महिला ज्योतिष ने कहा था; "आप काली गाय को आज सबेरे-सबेरे पालक खिलाईये. और पालक खिलाते समय ध्यान रहे, कि आपने हरे रंग की शर्ट पहनी हो." मुझे लगा जुलाई महीने में इतनी भयानक बरसात होती है. ऐसे मौसम में पालक किसान तो क्या किसान का बाप भी नहीं उगा सकेगा. और फिर अगर कोई शहर में रहता हो और काली गाय खोजने निकल पड़े तो शायद घंटों का समय बरबाद हो जाए. आफिस में अब्सेंट लगेगा सो अलग. उस बेचारे का दिन तो ऐसे ही ख़त्म.
वैसे सचिन के लिए सबसे बढ़िया सुझाव उनके पुत्र ने दिया. बोला; "क्या जरूरत है आउट होने की. जब चौरानवे पर पहुँचें, तो एक छक्का लगा दें, झमेला खत्म." ये हुई न बात. क्रिकेटर का बेटा क्रिकेट खेलने की ही सलाह देगा.

वैसे आपके पास कोई सलाह हो तो जरूर बतायें. सचिन को अगर ज्योतिषी सलाह दे सकते हैं तो फिर ब्लॉगर क्यों नहीं.


9 comments:

  1. सचिन को सलाह के लिए कोई औकात वाला क्रिकेटर ढूंढिए, ब्लॉगर्स में तो मिलने से रहा।

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  2. आसान है ९० पर पहुँच कर फ़िर से गार्ड लें और १ २ ३.... से गिनती शुरू कर दें बजाय ९१ ९२ ९३... के न उनको टेंशन न दर्शकों को.
    हम दिनेश जी से पूछते हैं ये औकात वाला क्रिकेटर क्या होता है?
    नीरज

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  3. अपनी तो एक ही सलाह है कि सचिन को भी एक ब्लॉग खुलवा दिया जाय और ये कहा जाय कि हर रोज़ कम से कम १५ टिप्पणियां और हर दूसरे दिन एक पोस्ट जरुरी है सो बेचारा इसी मी उलझ जायेगा और शतक का टेंशन छोड़कर ब्लॉग का टेंशन पालेगा. अब अगर शतक का टेंशन न हो तो उसके लिए ९० या १०० सब बराबर. इस स्थिति मे उम्मीद है कि १०० कर लेगा.

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  4. बाल किशन जी सलाह काबिले गौर है.

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  5. बाल किशन का नाम भर बालक वाला है - सलाह इनकी पूरी वयस्क और सही है। शतक से चूकना शतक के तनाव के कारण है। तनाव दूर करने के लिये बेहतर है कि कोई दूसरा हल्का तनाव पाल लें - तनाव वैक्यूम में घुसता है।

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  6. ऊ का है ना भैय्या के हमरे देश में सलाहै मुफ़त मा मिलती है, लेकिन हम आजकल मुफ़त मे सलाह देना बंद कर दिए है!! मैच फ़ीस का हिस्सा दिलवाईएगा तो हम एकदमै धांसू सलाहै देंगे फ़ेर देखो कैसे शतक पे शतक शतक लगता है सचिनवा के बल्ले से!!

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  7. बहुत ही बढि़याँ, पोस्‍ट पढ़कर मजा आ गया,


    सचिन भी न 90 बना लेता है और बाकि 10 बनने में नानी याद करने लगता है। :)

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  8. सबसे ज्यादा दर्द मीडिया को हो रहा है, यहाँ तक कि जनता को पकड़ पकड़ (सुना सुना) कर कहलवाना चाह रहे हैं कि बोलो तुम्हें भी ये दर्द हो रहा है। सचिन रन ना बनाये तो भी मीडिया वाले रोते हैं वो रन बनाये तो भी मीडिया वाले रोते हैं।

    शिव कुमार जी, बहुत खूब, सही पकड़ के मारा है।

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  9. sexy artical..........'
    enjoyed n learnt a lot.....

    Lage rahiye janaab

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय