Monday, January 7, 2008

सांताक्लाज के साथ बतडंग - भाग एक



सांता क्लाज मिल गए. जी हाँ, कलकत्ता पहुँच चुके हैं. परसों ही दिल्ली के मेंटल हॉस्पिटल से छुट्टी मिली. छुट्टी मिलते ही भाग लिए. प्रण किया कि अब दिल्ली नहीं जायेंगे कभी. मुझे देखते ही दूसरी तरफ़ भागने लगे. मैंने आवाज लगाई तो रुके. मैंने पूछा; "क्यों भाग रहे हैं?"

बोले; "तुम भी तो ब्लॉगर हो न. मैंने तुम्हारी फोटो देखी है. इसीलिए डर के मारे भाग रहा हूँ." इतना कहकर फिर से भागने लगे. मैंने आवाज़ लगे; "अरे सांता अंकल, सुनो तो."

मेरी बात सुनकर एकदम से रुक गए. नाराज होते हुए बोले; "क्या, तुमने मुझे अंकल कहा?"

मैंने कहा; "तो क्या हुआ जो मैंने आपको अंकल कहा? आपको बुरा लगा क्या?"

बोले; "क्यों, तुम्हें कोई अंकल कहता है तो तुम्हें अच्छा लगता है क्या?"

मैंने कहा; "नहीं मुझे एकदम अच्छा नहीं लगता. लेकिन ये बताईये, आप ब्लागरों से डरते हैं क्या?"

बोले; "डरते हैं. ब्लागरों से कौन नहीं डरता? तुम ख़ुद एक ब्लॉगर हो, लेकिन क्या तुम भी ब्लागरों से नहीं डरते?"

मैंने कहा; "आप ठीक कह रहे हैं. लेकिन आप ब्लागरों से इतना डरते क्यों हैं?"

बोले; "पुराणिक जी से मुलाक़ात के बाद जो अनुभव रहा, उसके बाद कोई भी ब्लागरों से डरेगा ही. पूरे चार पोस्ट तक मुझसे सवाल-जवाब करते रहे. ऐसा तो मेरे साथ ऍफ़बीआई वालों ने भी नहीं किया."

ऍफ़बीई का नाम सुनकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ. मुझे लगा ऐसा क्या हो गया कि ऍफ़ बी आई वालों ने इन्हें पकड़ लिया. मैंने उनसे पूछा; "क्या ऐसा भी कभी हुआ है कि ऍफ़बीआई वालों ने आपसे भी पूछ-ताछ की है?"

बोले; "हाँ, पिछले साल उन लोगों ने मुझे पकड़ लिया था. उन्हें मेरे ऊपर शक था."

मैंने पूछा; "आपके ऊपर भी लोग शक करते हैं. लेकिन ऍफ़ बी आई वालों को किस बात का शक था आपके ऊपर?"

सांता ने इधर-उधर देखा. फिर उदास होकर बोले; "उनलोगों को शक था कि मेरी इस झोली में डब्लूएमडी है."

"डब्लूएमडी, आपका मतलब वीपन आफ मास...."; मैंने अपनी बात पूरी करने वाला था कि उन्होंने कहा; "हाँ-हाँ, वही. उन्हें शक था कि मैं अपनी झोली में डब्लू एम डी रखता हूँ"

मेरी उत्सुकता बढ़ गई. मैंने पूछा; "लेकिन ऐसा हुआ कैसे? उन्हें आपके ऊपर ऐसा शक क्यों हुआ?"

बोले; "तुम्हें तो मालूम ही है. इराक में चार सालों से अमेरिकी सैनिक हैं. मर रहे हैं, मार रहे हैं. कुछ तो पूरी तरह से टूट चुके हैं. तो उन्हें खुश रखने के लिए मैं पिछले साल इराक चला गया था. उनके साथ कुछ दिन था. वहाँ से जब निकला और अमेरिका पहुँचा तो वहाँ किसी ने ऍफ़ बी आई को बताया कि मैं इराक से अमेरिका में घुसा हूँ. बस, ऍफ़ बी आई वालों ने पकड़ लिया."

मैंने पूछा; "फिर आप छूटे कैसे? मैंने तो सुना है कि ऍफ़ बी आई के पास जो फंस गया, उसका छूटना बहुत मुश्किल है."

बोले; " अरे, बहुत सारे अफसरों के बीच एक इंटेलीजेंट अफसर भी था. मेरी झोली की छान-बीन के बाद बोला कि जब तुम्हारी झोली में तेल का कुआँ ही नहीं है तो फिर डब्लू एम् डी होने का कोई चांस नहीं. तुम जा सकते हो."

मैंने कहा; "अच्छा हुआ ऍफ़ बी आई में कुछ इंटेलिजेंट अफसर हैं. नहीं तो आपको तो वे लोग छोड़ते ही नहीं. हो सकता है आपको भी जेल में रख देते."

बोले; "ठीक ही कह रहे हो. मैं तो बच गया."

"वैसे पुराणिक जी ने जो सवाल-जवाब किए, उससे आप विचलित नहीं हुए?"; मैंने उनसे पूछा.

बोले; "पहली पोस्ट में तो थोड़ा डरा लेकिन बाद में लगा कि पुराणिक जी तो शिक्षक हैं. उन्हें छात्रों से सवाल करने की आदत होगी. इसीलिए बाद की पोस्ट में उनके सवाल एन्जॉय करने लगा."

8 comments:

  1. लगता है अभी काफी समय तक सांता की खैर नहीं है । वैसे भी कुछ ही सप्ताह में गर्मी आ जाएगी और वैसे ही उनके पसीने छूट जाएँगे । खैर इसी में है कि समय रहते यहाँ से चलते बनें ।
    घुघूती बासूती

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  2. subah ki pahli post padhkar muskura baithii ..lagta hai din achacha beetega...SHIV ji aabhaar

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  3. सांताजी की अब खैर नहीं. एफबीआई से छूटना तो आसान है, पर व्यंग्यकारों के लपेटे में जो आ गया, उसका बचना मुश्किल है।

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  4. अब तेरा क्या होगा सान्ता । :)

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  5. दुनिया के लाखों करोड़ों बच्चों के चेहरे से मुस्कराहट गायब हो चुकी है, निराशा ने उनको घेर लिया है उनको समझ नहीं आ रहा की सांता को पहली बात तो कलकत्ता जाने की ज़रूरत क्या थी और अगर वो ग़लत दिशा में चल कर वहाँ पहुँच ही गए थे तो शिव कुमार नामक प्राणी से मिलने क्या ज़रूरत थी? क्यों की कलकत्ता और शिव जी के पास सिर्फ़ संता और बंता टाइप के लोग ही आते हैं..... ?
    " इश्वर" से सुबह बात हुई तो कहने लगे अब सांता के मानसिक संतुलन को संभालना उनके बस की बात नहीं रही है क्यों की शिव उनसे जो सवाल पूछेंगे उनके जवाब देने के बाद जो हलचल शिव और ज्ञान भैय्या के दिमाग तक सीमित थी वो सांता में हो जायेगी.... सांता गली गली गाता मिलेगा अब... "हम से का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली..."
    नीरज

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  6. पहले आलोक जी के लपेटे में फ़िर शिव जी के लपेटे मे।
    सांता जी को तो अब भगवान भी नई बचा सकते!!
    कुछ दिन बाद सांता गाना गाते नज़र आएंगे……जा जा तू अब ना याद आ, मुझे भूल जाने दे………;)

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  7. सांता भारत आना छोड़ देगा. रहम करो. आपसे छूटा तो कामरेड के हत्थे चढ़ गया.... जाने दें लम्बी कहानी हो जायेगी :)

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  8. बहुत सुन्दर! सांता कहाँ फ़स गया बेचारा...:)

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय