Friday, November 14, 2008

तुम्हें याद है तो कि तुम रिटायरमेंट का एलान कर चुके हो?

सौरव गांगुली रिटायर हो गए. नेता और क्रिकेटर में बड़ा फरक है जी. क्रिकेटर बेचारा पैंतीस साल का हुआ नहीं कि लोग पूछना शुरू कर देते हैं; "कब रिटायर जो रहे हो?"

नेता होते तो भाषण देते समय मन की बात कहकर हलके हो लेते कि; "न तो टायर और न ही रिटायर." नेताओं के सामने तो पत्रकार भी सवाल नहीं उठाते. ऊपर से अनुभव से लबालब होने के बहाने अनुरोध तक लिख डालते हैं कि; "अभी तो आपके दिन शुरू हुए हैं. आप बने रहिये."

वैसे कम ही खिलाड़ियों को रिटायर होने का मौका मिलता है. सौरव बड़े खिलाड़ी थे तो रिटायर हुए. छोटे होते तो रिटायर होने का चांस नहीं मिलता. टीम से निकाल दिए जाते. अब बड़ा खिलाड़ी रिटायर होगा तो तमाम तरह के राग बजने शुरू हो ही जायेंगे.

टीवी वालों की बात मानें तो सौरव के रिटायर होने से देश भर में दुःख व्याप्त है. क्रिकेट प्रेमी इसलिए दुखी हैं कि एक अच्छा खिलाड़ी रिटायर हो गया. टीवी न्यूज़ चैनल वाले तो दुखी होने की होड़ में सबसे आगे हैं. कुछ भावुक हैं. कुछ इसलिए दुखी हैं कि न्यूज मेकर की उनकी लिस्ट से एक न्यूज मेकर निकल गया.

टीवी चैनल वाले बता रहे थे कि सौरव ने भारतीय क्रिकेट को ढेर सारे यादगार लम्हें दिए हैं. ये बताते हुए उन्होंने सौरव द्बारा शर्ट उतार कर हवा में घुमाकर गाली देने का सीन दिखाया. हमें इन यादगार लम्हों की याद आ गई.

आशा है, आने वाले दिनों में गुलज़ार साहब सौरव द्बारा दिए गए यादगार लम्हों पर एक नज़्म जरूर लिखेंगे. यादगार लम्हों को नज़्म में ढालने का काम उनसे अच्छा कोई नहीं कर सकता.

सौरव ने प्रेस कान्फरेन्स में पहले ही बता दिया था कि वे रिटायर हो रहे हैं. ये उन्होंने अच्छा किया. पत्रकार पूछें, इससे पहले ही बता दो. जब उन्होंने ये बात कही तो लोगों ने कहना शुरू किया कि रिटायर होने के उनकी घोषणा से सीनियर खिलाड़ियों पर दबाव पड़ेगा. इस सीरीज में वे अच्छा नहीं खेल सके तो उन्हें भी रिटायर होना पड़ेगा. लेकिन ऐसी नौबत नहीं आई. ज्यादातर सीनियर खिलाड़ियों ने अच्छा खेला.

नतीजा ये हुआ कि लोगों को अब उस मैच का इंतजार करना पड़ेगा जिसमें सचिन सेंचुरी नहीं बना सकेंगे. वैसा ही कुछ 'लक्ष्मन' जी के साथ है.

आते हैं सौरव के रिटायरमेंट पर. अपने प्लान के बारे में बताने के बाद जब उन्होंने अगले ही मैच में शतक बना डाला तो लोगों ने कहना शुरू किया; "सौरव को रिटायर नहीं होना चाहिए था. अभी भी दो साल खेल सकते थे."

कलकत्ते के कुछ खेल संवाददाता सौरव के बारे में ही लिखते-पढ़ते हैं. दिन-रात उन्हें ही ओढ़ते-बिछाते हैं. एक-दो तो ऐसे हैं जिन्हें सौरव के बारे में उतना मालूम है, जितना ख़ुद सौरव को मालूम नहीं होगा. ऐसे ही एक संवाददाता ने बताया; "सौरव से बात करने के बाद मुझे लगा जैसे वे चाहते हैं कि कोई उनसे कहे तो वे रिटायरमेंट कैंसल कर देंगे."

इनकी बात सुनकर बड़ा अजीब लगा. अपने मन से रिटायर होंगे और दूसरों के मन से वापस आयेंगे? ये कैसी बात. लेकिन इस घोषणा के बाद उनके साथ जो कुछ भी किया गया उससे लगा कि सौरव के मन की बात शायद टीम वालों ने समझ ली होगी. यही कारण था कि मैदान पर जब-तब सौरव को कन्धों पर उठा रहे थे. सुबह का खेल शुरू होने पहले लाइन लगाकर खड़े हो गए. सौरव जब मैदान पर आए तो उनसे टीम को लीड करने के लिए कहा. चाय पीने का ब्रेक हुआ तो उन्हें घेरकर ताली बजाने लगे.

देखकर लगा जैसे कह रहे हों; "हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं जिससे तुम्हें याद रहे कि तुम रिटायरमेंट की घोषणा कर चुके हो."

और तो और अन्तिम मैच के अन्तिम ओवेरों तक भाई लोगों को विश्वास नहीं था. शायद इसीलिए अन्तिम पॉँच ओवर के लिए धोनी ने कप्तान बना दिया. वही, जैसे बता रहे हों;"आप रिटायर होने का एलान कर चुके हैं."

सीनियर खिलाड़ी को कंधे पर उठाने का काम जूनियर खिलाड़ी करते हैं. लेकिन अन्तिम मैच ख़त्म होने के बाद तो हद ही हो गयी. लक्ष्मण ने सौरव को कंधे पर उठा लिया. लगा जैसे कह रहे हों; "अभी तो हम जूनियर हैं. सौरव को कंधे पर उठाकर हम बता देन अचाहते हैं कि हम अभी और खेलेंगे."

शायद उन्हें डर था कि अगले मैच में जूनियर खिलाड़ी उन्हीं को कंधे पर न उठा लें.

खैर, अब तो लक्ष्मण ऐसा करके जूनियर खिलाड़ी बन गए हैं. आशा है कम से कम एक साल तक जूनियर बने रहेंगे. सौरव भी क्रिकेट खेलकर घर पहुँच गए हैं. सुना कि पूरा कोलकाता ही उन्हें रिसीव करने एअरपोर्ट पहुँच गया था. वैसे तो एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे बिजनेस में ध्यान लगायेंगे. कमेंट्री वगैरह भी कर सकते हैं.

लेकिन हमें तो इंतजार है उनके नेता बनने का. एक बार बन गए तो उन्हें रिटायरमेंट की घोषणा के बारे में सोचना भी नहीं पड़ेगा.

10 comments:

  1. हमारे कंधे भी बेताब हो रहे है... कोई ब्लॉगर रिटायरमेंट ले रहा है क्या???

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  2. मस्त.

    कैसा रहे अगर कोई पहले खेलें, रिटायर हो...फिर नेता बने....फिर रिटायर हो...फिर ब्लॉगर बनें...कभी रिटायर न हो....

    आहा आनन्दम..क्या जॉब है अपनी...सेवानिवृति होती ही नहीं.


    मस्त लिखा है, मजा आया.

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  3. शायद उन्हें डर था कि अगले मैच में जूनियर खिलाड़ी उन्हीं को कंधे पर न उठा लें.
    " ha ha ha great write up.... liked reading"

    Regards

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  4. जैसे सचिन के साथ है, आप से अपेक्षाएं बहुत बढ़ गई हैं। मजा नहीं आया।

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  5. बताना कब रिटायर हो रहे हो--थोड़ा कँधे पर बैठा कर घूमा देंगे.

    बहुत सही दिया-बेहतरीन!!

    वैसे तो लक्ष्मण को तो जबरदस्ती ही कोई उठाये तो ही उठेंगे वरना तो उम्मीद बेकार है.

    हमारी आपसे अपेक्षाओं ने अभी बहुत बड़ा मूँह नहीं फाड़ा है अतः यह आलेख अच्छा लगा. :)

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  6. हम तो टायर रीट्रेडिंग कम्पनी खोलने पर विचार कर रहे हैं! :-)

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  7. अच्छा है। बेहतर उदाहरण ब्लागिंग में मिलेंगे। लोगों को पता है साथी लोग उनको उतार लायेंगे इसलिये लोग जब कुछ नहीं समझ में आता तब टंकी पर चढ़ जाते हैं।

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  8. दर्शको का तो नही पता मगर लगता है उसके रिटायरमेंट से खिलाडी खुश हो गये है !!

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  9. hmmmmm nice post hai ji



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  10. आपको याद है एक बार समीर भाई ने भी रिटायरमेंट की घोषण की थी, देखा था थोक में कमेण्ट आ गये थे। दादा के साथ तो ऐसा होना ही था।

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय