Wednesday, March 4, 2009

गुड आईएसआई और बैड आईएसआई.

- जनाब, दहशतगर्दों ने क्रिकेटरों पर हमला कर दिया, जनाब.

- क्रिकेटरों पर हमला कर दिया! चलो उन्हें भी नया टारगेट तो मिला. वैसे भी और कोई बचा नहीं था हमले करने को. होटल, मोटेल, आर्मी, स्कूल वगैरह पर हमला करके ये बेचारे भी बोर हो गए होंगे.

- वो तो ठीक है जनाब. बोरियत की बात तो समझ में आती है. लेकिन अब क्या किया जाय जनाब?

- क्या किया जाय? हम क्या कर सकते हैं? पूछो कि क्या कहा जाय?

- मेरा मतलब वही था जनाब.

- स्टेटमेंट दे दो कि हम हिन्दुस्तान के साथ मिलकर दहशतगर्दी को ख़त्म करना चाहते हैं.

- हिन्दुस्तान के साथ मिलकर? लेकिन जनाब हमला तो श्रीलंका के क्रिकेटरों पर हुआ है.

- तो कह दो हम श्रीलंका के साथ मिलकर दहशतगर्दी को ख़त्म करना चाहते हैं.

- श्रीलंका के साथ हम कैसे मिलेंगे जनाब? पड़ोसियों के साथ तो आजतक मिल नहीं सके. ऐसे में श्रीलंका....

- तुम कैसे अमले हो? तुम्हें ये भी पता नहीं कि जिस देश के ऊपर हमला होता है हमें उसी के साथ मिलकर दहशतगर्दी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है?

- माफ़ी जनाब. मैं असल में आफिसियल स्टैंड के बारे में भूल गया था, जनाब.

- ऐसे भूलोगे तो कैसे चलेगा. कैसे भूल गए कि अमेरिका के ऊपर हमला हुआ तो हम अमेरिका के साथ मिलकर दहशतगर्दी को ख़त्म कर रहे हैं. हिन्दुस्तान के ऊपर हमला हुआ तो.....

- जी समझ गया जनाब. बिलकुल समझ गया. और क्या कहना है जनाब?

- कह दो कि इस हमले में इंडियन एजेंसी का हाथ है.

- ज़रूर जनाब. जो हुकुम जनाब.

- पहले पूरी बात सुनो. केवल इंडियन एजेंसी का हाथ कहने से नहीं चलेगा. कह दो कि बरामद असलहों पर हिन्दुस्तान का मार्क है.

- ऐसा कहना ठीक होगा जनाब? मेरा मतलब कौन से मार्क होने की बात करें जनाब?

- कह दो कि असलहों पर आई एस आई का मार्क है.

- आई एस आई, इससे तो हमारे मुल्क का नाम बदनाम हो जायेगा जनाब?

- बेवकूफ हो तुम. आई एस आई का मार्क हिन्दुस्तान का है.

- लेकिन कन्फ्यूजन तो होगा न जनाब?

- कोई कन्फ्यूजन नहीं होगा. जैसे गुड तालिबान और बैड तालिबान, वैसे ही गुड आई एस आई और बैड आई एस आई.

14 comments:

  1. जनाब , आप ये गुड और शक्कर का डिफ्रेंस भी समझा देते। वो क्या है जनाब, कि हमारे क्रिकेटर नेता तो दम भरते थे कि ये तालीबानी तो क्रिकेट प्रेमी है और वे इस खेल पर ताली बजाते है धमाके नहीं बजाते जनाब:)

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  2. वाह जनाब वाह...क्या दूर की कौडी ले के आये हैं...मान गए जनाब...आपकी सोच को. गुड आई एस आई और बेड आई एस आई....बहुत खूब.
    आपकी जानकारी केलिए बता दें की हम भी हमारी कालोनी में क्रिकेट पर सुरक्षा बढा दिए हैं... काहे??? अरे भाई इन आतंकवादियों का क्या भरोसा किसी भी हद तक गिर सकते हैं, आज संगकारा को गोली मारी कल को हमें भी मार सकते हैं...क्यूँ की उनकी दुश्मनी किसी व्यक्ति से नहीं है सिर्फ क्रिकेट खेल से है....जो खेलेगा मरेगा...
    आज से ही एक खैनी मलता फौजी खडा मिला फील्ड पर जो समझा रहा था की विकेट के बीच भागते रहो क्यूँ की एक ही जगह खड़े रहने से दुश्मनों को निशाना साधने में आसानी रहेगी...अपनी जान बचाने के इस चक्कर में लगभग सभी खिलाडी रन आउट हो गए...

    इस पर आप क्या कहते हैं जनाब?

    नीरज

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  3. और गुड लेख शिवजी।

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  4. सामयिक एवं गम्‍भीर पोस्‍ट।

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  5. वाह, गुड-बैड पर गुड-गुडर-गुडेस्ट पोस्ट!

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  6. इस समस्या का मूलोच्छेदन कर देना है !

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  7. बयान कब कब कैसे कैसे बदलने है जनाब? वो भी बता दें. अमरिका भी दबाव बना रहा है, पहले जैसा नहीं रहा जनाब.

    सामयिक व्यंग्य.

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  8. SIMPLY GREAT.....aur kya kahun..kuchh bhi soojh nahi raha.....

    padhkar jo laga,use abhivyakt kar paane ke liye sachmuch koi shabd nahi soojh raha....


    WAAH !!!

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  9. गुड-बैड ISI के बारे में तो जानकार मज़ा ही आ गया जनाब.

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  10. हा हा , मजा आ गया

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  11. बहुत मजेदार लिखा है।
    घुघूती बासूती

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  12. गुड है जी। ये बोरियत बड़े काम की चीज है। हर काम करवा लेती है!

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  13. आईएसआई मार्क हथियार पर.
    और सारे रिसर्च आई एस आई कलकत्ता में. (इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीच्युट) :-)

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय