Monday, June 8, 2009

बाँट रहे सर्टिफिकेट गाकर सेकुलर राग

कभी नहीं सोचा था कि इस तरह का कुछ लिखना पड़ेगा. क्योंकि सेकुलर और कम्यूनल जैसे मुद्दों पर बहस का काम बड़े-बड़े ज्ञानी, विद्वान् करते हैं. लेकिन इनमें से ही एक विद्वान जी ने कुछ ब्लॉग पोस्ट पर टिप्पणी करने की वजह से मुझे कम्यूनल घोषित कर दिया है.

अब घोषित कर दिया है तो कर दिया है. विद्वान् हैं. विद्वान टाइप लोग कुछ भी करते रहते हैं. लेकिन भैया, मेरा कहना है कि मैंने क्या टिप्पणी की, वह तो देख लेते. केवल टिप्पणी करने की वजह से ही कम्यूनल घोषित कर दिया आपने?

इन विद्वान जी के विद्वत्ता देखकर सेकुलर और सेकुलरिज्म के जो मायने मुझे समझ में आये, वह इन 'धोयों' में हैं. देखिये जरा, आप सेकुलरिज्म की जो परिभाषा जानते हैं, वो ऐसी ही है क्या?

.....................................................

हम सेकुलर हैं जनम से और कम्यूनल हैं आप
संग हमरे जो न चले लेंगे गर्दन नाप

खुद को सेकुलर कह दिए ठप्पा लिया लगाय
वे टस से मस न करें चाहे सब मरि जाय

साठ साल से गा रहे अपना सेकुलर गान
बाकी चाहे जो कहें सुनें न उनका तान

बाँट रहे सर्टिफिकेट गाकर सेकुलर राग
सेकुलर साबुन यूज कर छुपा लिए सब दाग

वे जिसको सेकुलर कहें वह सेकुलर हो जाय
जिसको वे कम्यूनल कहें मिट्टी में मिल जाय

बैठे हैं जो उस तरफ देते अपनी राय
उन्हें समर्थन दे अगर फट सेकुलर हो जाय

किया बहाना बहस का पोस्ट दिया है चढाय
चार नाम ले लिख दिया सब कम्यूनल है भाय

'बहसी पोस्ट' चढाय जो चहु दिक् फैले नाम
बड़े-बड़े सेकुलर यहाँ करते उन्हें सलाम

हम समझायें धर्म क्या तुम बस सुनते जाव
जो कह दें वह फाइनल हमरा ऊंचा भाव

सेकुलर ही जाने यहाँ क्या है हिन्दुस्तान
बाकी सब चिरकुट यहाँ उनको नहि कछु ज्ञान

जिसकी चाहें फिक्स कर 'हाफ-पैन्टिया' जात
ले लाठी दौडाय दें, उसकी क्या औकात

32 comments:

  1. अरे महाराज आप तो सेंटिया गए...काहे कान धरते हो इन पर. क्या इनसे सर्टिफिकेट चाहिए है आपको प्रभु.

    आज ही हमें गरियाती फुल पोस्ट लिखी है एक सेक्युलर ने. इनका काम ही है यह. कान नहीं देने का. ससूरे खून से नहा कर अहिंसा का पाठ पढ़ाते है. नफरत पर इनका धंधा चलता है. राष्ट्रवादी विचारधारा पर कालिखपोत मिशन में लगे हुए है.

    धोयें जोरदार है इसमें कोई शक नहीं.

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  2. आप के दोहे भी...हैं...देखन में छोटे लगें...घाव करें गंभीर....हैं...खूब जोर का लिखे हैं आप...हैं...बहुत ही जोर का...अब एक आध दोहे की क्या बात करें....हैं...जब सारे के सारे ही जबरदस्त हों...हैं....समझे आप...हैं...इसे कहते हैं ...कहीं पे निगाहें...हैं...कहीं पे निशाना...
    नीरज

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  3. सेकुलर और कम्यूनल पर "आपकी डेफिनेसन" अच्छी लगी. और इस पर रचना भी जोरदार लगी. धन्यवाद.

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  4. भाई क्या गजब के "धोये" हैं लगता हैं धोनी के जैसे धोने के मूड में हो.
    भाई लोग लोकप्रिय या चर्चा में आने के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं, सिने कलाकार को लो, नेताओं को लो. ....यदि हम ब्लॉगर भी कुछ ऐसा करतें है तो नाराजगी काहे का.....समझे न.
    भाई मेरे समझ से सेकुलर और कोमुनल ठीक डेबिट और क्रेडिट के सामान होते है. जब भी किसी एक की बात होगी तो दूसरा बिना बुलाये आ जायेगा और भाई ये एक दुसरे के पूरक हैं.

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  5. सेक्यूलर साबुन यूज से छूटा बहुत है झाग।
    डफली उनकी छोड़कर गाएँ अपना राग।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  6. भैया क्या शानदार कविता लिखी है लिखते रहो उत्साह बढता है .
    वैसे आज मुझे सेकुलर शब्द का मतलब पता चल गया है आप भी नोट करले तभी अच्छे सेकुलर बन पायेगे.
    सेकुलर= से कुलर यानी से मतलब कहो , कुलर का मतलब यहा कूलर ही है ये कूलर उसी प्रकार का है जिस प्रकार आजकल की लडकिया होट होट कपडे पहन कर एक दूसरे मे अंगरेजी मे कहती है सो कूल . तुम कितनी कूल दिख रही हो .
    मतलब इनके अंदर आग भरी हुई है.चिढन की , जलन की ,ये आग इन्हे जिस थाली मे खाते है उसी मे छेद करने पर मजबूर कर देती है.ये कूल दिखने वाली पीढी भारतीय संभ्यता का नाश करने मे लगी है और ये सो काल्ड से-कुलर भारतीय सभ्यता के साथ भारत का भी सत्यानाश करने मे लगे है साहेब :)

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  7. अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि इस ब्लॉग में चार आना भर हमारी भी शेयरहोल्डिंग है और हम कम्यूनल घोषित न भये। :D
    पर आपकी इमेज/कमीज हमसे ज्यादा कम्यूनल कैसे! काहे में धोई है? इन धोयों में?
    -------
    खैर, जोक अपार्ट, ये कब्जसे पीड़ित रियेक्शन देने लायक नहीं हैं।

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  8. शिव जी, सबसे पहले काफ़ी अच्छी कविता लिखी है आपने, दुसरी बात आपकी टिप्पणी पढ्ने के बाद ही आपका नाम लिखा है। और एक चीज़ समझ मे नही आती सबकॊ अपना नाम लिखना बुरा लगा लेकिन किसी ने ये देखने की ज़हमत नही की मैरी ये पोस्ट लिखने की मुख्य वजह क्या थी?

    इतने बडे-बडे लोग लेकिन किसी को भी मेरी अस्ली वजह नही दिखी? मैने सुना था उम्र के साथ तजुर्बा आ जाता है लेकिन मुझे तो इस ब्लोग्गर समुदाय मे ऐसा नही दिखा।

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  9. kahe pareshan hote hain Shiv bhaiya?
    Ham to isi baat se khush hain ki aap Secular nahi kahlaye.. ab chahe jo bhi kahalaayiye, kam se kam Secular jaisi Gali se to bach gaye naa.. :)

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  10. भाई ये सेकूलर और कोमूनल का होत है? कोई हमका भी समझा दो. ई दोनों नाम कुछ कुछ सुना सुना सा लगता है कहीं पर?

    रामराम.

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  11. हमारी उमर कितनी भी हो जाये अब हम तड़ाक से "सेकुलर" न बनेंगे, और भड़ाक से वामपंथी साहित्य भी न पेल सकेंगे… खम ठोंककर "कम्युनल" हैं, कभी तो अखाड़ा मारेंगे ही… :) वैसे आपकी पोस्ट पर और "धोयों" पर, हमारी टिप्पणी - "हा हा हा हा हा हा हा हा…" (इसे बीस बार रिपीट करें…)

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  12. ओये लक्की ..लक्की ओये.. हा हु हुर्र !!

    आपको भी कोई गरिया गया क्या ? वो भी व्यक्तीगत तौर पर यह तो और बुरी बात है ,सामुहिक तौर पर हमाम मे सब नंगे है इसलिये सामुहिक बातो पर कोई एतराज नही अलबत्ता व्यक्तिगत आरोप लगाने वाले सेकुलरो से खुदा ही बचाये !

    लोगो कि छोडीये ...कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना !

    रोज व्यंग लिखते है और जब व्यंग लिखने का इतना धांसु मौका इन सेकु लड भाई ने दिया तब दोहे सुना रहे है ...टी आर पी बढाने का अच्छा मौका हाथ से खो रहे है :)।

    नमाजी सारे उठ कर चले गये मस्जीदो से
    दहशदगर्दो के हाथ ईस्लाम रह गया !


    अब देखे हमारे नाम का भी फ़तवा जारी होता है कि नही .....गोया सब विवाद से भागते है ...हम विवादित मुद्दो पर ही पोस्ट लिखते है और टिप्पणी करते है !

    इतने दिनो बाद इतनी लंबी टिप्पणी लिखने के लिये एक धन्यवाद हम जरुर डिसर्व करते है !!

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  13. ग़ालिब का शेर याद हो आया, पता नहीं क्यों...
    रोने से और इश्क में बेबाक हो गये
    धोये गये हम ऐसे कि बस पाक हो गये....

    छोड़िये इन विद्वानों की बातों को, लेकिन हम तो शुक्रगुजार हैं इनके कि...
    ...इसी बहाने हमें एक जबरदस्त पोस्ट पढ़ने को तो मिला

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  14. अरे गुरुदेव....हम ता समझ रहे थे की ई चिरकुटई ..हम जैसे चिर्कुत्तन ब्लॉगर के साथ ही होता है..सो मजे में झेल जाते थे..मुदा बताइये...अरे सर धो दिए हैं न..ऐसे ही निचोड़ कर सुखा दीजिये...नहीं ता लटका दीजिये चुट्टा लगा के..सूखने के लिए...

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  15. कासिफ़ जी क्या करे हम तो पहले ही घोषित कर चुके है कि हम पढे लिखे नही है सो आपकी पोस्ट वेदो मे क्या क्या लिखा है का मर्म नही समझ पाये . और अब जरूरी तो नही कि हम उम्र बढने के साथ आप जैसे आलिम फ़ाजिल हो पाये . अब आप ही ब्लोगर समुदाय को संभाले . हम तो यह भी नही कह सकते " जाने कहा कहा से आ जाते है बेअकल हम नासमझो को समझाने :)

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  16. धोये तो धांसू हैं लेकिन इन महोदय पर बर्बाद करने लायक नहीं. अरे दो कौडी के पोस्ट पर आपने लाखों के धोये बर्बाद कर दिए ! हमारा तो कुछ शेयर नहीं है (ज्ञान भैया की तरह) इस ब्लॉग में लेकिन आप का अनुज होने के नाते और इस टिपण्णी के लिए कोई हमें भी कुछ घोषित कर दे तो मजा आ जाए :)

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  17. शिव कुमार जी छोडे नादन होगा कोई, अगर स्याना होता तो ऎसी बात ना लिखता, कविता आप ने अच्छी लिखी.
    धन्यवाद

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  18. वाह वाह क्या दोहें हैं । पर अभिषेक जी सही कहते हैं इनपर क्या वक्त जाया करना ।

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  19. "सेकुलर साबुन यूज कर छुपा लिए सब दाग"
    साबुन से धोया जाता है छुपाया नहीं जाता। संगति नहीं बैठती, इसलिए इसे बदल दें, ऐसे:
    "सेकुलर साबुन यूज कर धोय लिए सब दाग"

    छुप्पा छुप्पी को कवर करने के लिए एक और दोहे (यहाँ की आम भाषा में कहें तो 'धोये') की आवश्यकता है।

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  20. नाइक की टोली अब सर्टिफेट भी बाँटेगी? यह तो साइबर टेररिज्म है।

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  21. अब क्या कहें तथाकथित सेकुलरों को | मुझे तो ये सेकुलर का सर्टिफिकेट बाँटने वाले सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक लगते है |
    और हाँ किसी ने वेद नहीं पढ़े हो तो उनकी जानकारी कासिफ जी ले ले !

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  22. @ दीपक

    "इतने दिनो बाद इतनी लंबी टिप्पणी लिखने के लिये एक धन्यवाद हम जरुर डिसर्व करते है !!"

    बिल्कुल डिजर्व करते हैं धन्यवाद. और मैं धन्यवाद दे रहा हूँ.

    दीपक जी के साथ-साथ आप सभी को धन्यवाद.

    पोस्ट लिखने के अलावा काशिफ जी से यही कहना है कि; " आपको मुझे कम्यूनल कहने की ज़रुरत क्यों आन पडी? सीधी सी बात है. भाई, जब मैंने आपको कभी सेकुलर नहीं कहा, तो आप मुझे कम्यूनल क्यों कह रहे हैं?"

    @ प्रशांत

    ab chahe jo bhi kahalaayiye, kam se kam Secular jaisi Gali se to bach gaye naa.. :)

    मुझे मालूम हैं प्रशांत. अगर मुझे सेकुलर कहा गया होता तो मुझे बहुत दुःख होता. तब शायद ऐसे दुःख से उबरना आसान नहीं होता....:-)

    मेरा तो कहना यही है कि न तो मैं सेकुलर हूँ और न ही कम्यूनल. भैया, मैं तो ब्लॉगर हूँ....:-)

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  23. @ काशिफ आरिफ
    काशिफ साहेब कहते हैं;

    "और एक चीज़ समझ मे नही आती सबकॊ अपना नाम लिखना बुरा लगा लेकिन किसी ने ये देखने की ज़हमत नही की मैरी ये पोस्ट लिखने की मुख्य वजह क्या थी?

    "इतने बडे-बडे लोग लेकिन किसी को भी मेरी अस्ली वजह नही दिखी?"

    भैया, आप क्या खुद को जयशंकर प्रसाद समझते हैं? या अज्ञेय? या फिर आप खुद को शुरुआती दिनों के गालिब समझते हैं जिनके शेर सुनकर मुशायरे में किसी ने कहा था;

    कलाम-ए-मीर समझे और जुबान-ए-मीरजा समझे
    मगर इनका कहा ये आप समझें या खुदा समझे

    आप खुद को क्या ऐसा महान छायावादी लेखक समझते हैं कि आप जो लिखेंगे वो केवल आपकी समझ में आएगा? या फिर कोई विश्वविद्यालय एक कमेटी का गठन करे. यह जानने के लिए कि आपने क्या लिखा है? जो लोग आपकी और आपकी सोच की जय-जयकार कर गए, उनकी समझ में आ गया और जो उनसे हटकर प्रतिक्रिया देते हैं, उनकी समझ में नहीं आया?

    आपके लेख में ऐसा क्या है जो हमारी समझ में नहीं आ सकता. ये तो अच्छी रही. आपके लेख पर कोई आपसे अलग राय रखे तो आप कहते हैं कि; "पाठकों की समझ में ही नहीं आया."

    खैर, ये कोई नई बात नहीं है. पहले भी तथाकथित सेकुलर समुदाय यही करता आया है. फट से कहकर निकल लेता है कि वह जो कहना चाहता है किसी की समझ में ही नहीं आया.

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  24. @ शिवकुमार जी मिश्र

    आपके लेख में ऐसा क्या है जो हमारी समझ में नहीं आ सकता. ये तो अच्छी रही. आपके लेख पर कोई आपसे अलग राय रखे तो आप कहते हैं कि; "पाठकों की समझ में ही नहीं आया."

    खैर, ये कोई नई बात नहीं है. पहले भी तथाकथित सेकुलर समुदाय यही करता आया है. फट से कहकर निकल लेता है कि वह जो कहना चाहता है किसी की समझ में ही नहीं आया.


    आप समझते क्युं नही? ये स्टाईल है बाबा स्टाईल. समझे क्या?:)

    रामराम.

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  25. आज तो भाई तुम्हारी पोस्ट पर टिपण्णी करने का मन ही नहीं कर रहा......क्योंकि तुम्हारी पोस्ट पढ़कर टिपण्णी देने जा ही रही थी कि सोचा जरा तुम्हारे दिए लिंक पर जाकर देखूं...........

    और वहां जाकर जो आनंद आया........वाह !!! ...........क्या कहूँ....

    अरे पोस्ट से नहीं रे.....टिप्पणियों से...

    कुछ टिप्पणियां तो मैंने सहेज कर रख लिया है....एकदम लाजवाब हैं........अरुण जी ,घुघूती जी,रतनजी....इत्यादि इत्यादि सभी ने जो बातें रखीं हैं....वाह !!

    हालाँकि मुझे राजनीति में कोई विशेष दिलचस्पी नहीं पर भाई सुरेश जी की पोस्ट तो मैं भी बिना नागा पढ़ती हूँ और टिप्पणियां भी देती हूँ.....मुझे बड़ा ही हर्ष होता है कि देश और देश की ज्वलंत समस्यायों पर जितना निर्भीक होकर वे लिखते हैं,वह ऐसा ही व्यक्ति लिख सकता है जिसके खून में देशभक्ति की मात्रा इतनी है कि वह कम्युनल कहलाने के डर से चुप हो ठंढी पड़ बैठती जमती नहीं.

    चलो अच्छा ही हुआ ..इसी बहाने एक सार्थक चर्चा हो गयी.....और तुम्हारे अन्दर का कवि हिलोरें मार कर उठ खडा हुआ ....गुड ...कीप इट अप....

    सतत लिखते रहो...गलत के विरुद्ध...
    खून में उबाल रहना ही चाहिए...

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  26. अरे तो आप उन्हें सेक्युलर घोषित कर दो, दिक्कत क्या है?
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  27. आप थोड़ा सा गड़बड़ा गए। मैं कूलर, हीटर कुछ भी न होने पर भी 'बात समझ गई' हूँ। ऐसा माना गया है। सो मुझे समझ आने के अपराध में कूलर, हीटर की पंक्ति में मत खड़ा कीजिएगा।
    दोहे गजब के बने हैं। मैं तो इसकी प्रेरणा देने वाले को बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ। दोहे बनाने की कला की कक्षाएँ कब शुरू कर रहे हैं?
    घुघूती बासूती

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  28. दोहों को 'धोयों' कहने की खास वजह समझ में आ गई..वैसे भी बहुत कठिन तो लिखे नहीं हो कि समझे न पायें. मस्त 'धोयों' की रचना की गई है 'धोयोंकार'द्वारा-धुल कर निकले एकदम झकाझक. बाकी तो मसला-क्या कहें. :)

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  29. ab ham murkh agyani kya kahen, hmne to ved padhe kya dekhe bhi nhi hain kabhi ...baki dhoye badhiya the.

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  30. भाई आप जितनी सहजता से बातो को कविता मे ढालते है ऐसा लगता है आपके लिए कविता लिखना साँस लेने जितना आसान है

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  31. इतना आप सब ने मिल कर धोया है कि अब मेरे लिए कुछ बाकी नहीं रह गया । वैसे शिव भैया गजब का धोते हैं आप भी । अब तक तो फलाने सूख कर स्त्री भी हो गये होंगे, चकाचक, माड़ी मार के ।

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  32. "सैकुलरिज्म" के ठेकेदारों की थ्योरी बुश (आतंकवाद पर - २००१) जैसी है।

    अगर आप हमारे साथ नहीं हो तो आप "कम्यूनल" हो।

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय