अपना देश एसएमएस प्रधान देश बनने की राह पर तेजी से अग्रसर है. वो दिन दूर नहीं जब हम इसे एसएमएस प्रधान देश बना डालेंगे और साल का कोई एक दिन सेलेक्ट करके उसे एसएमएस डे घोषित कर देंगे. करना भी चाहिए. आखिर फूल-पत्ती, कार्ड्स वगैरह बेचने वाले कब तक केवल मदर्स डे, फादर्स डे या फिर डाटर्स डे पर ही कार्ड्स बेचते रहेंगे? उन्हें भी तो नए दिन चाहिए ये सब बेचने के लिए.
एसएमएस संस्कृति का योगदान जीवन के हर क्षेत्र में बड़ी तेजी से बढ़ ही रहा है. वो दिन लद गए जब नचैया से लेकर गवैया और नेता से लेकर अभिनेता का चुनाव एसएमएस लेन-देन से निबटाया जाता था. अब तो शादी जैसा महत्वपूर्ण फैसला भी इसी एसएमएस पर डिपेंड करता है.
काश कि ऐसी विकट ग्रोथ देश की इकॉनोमी में होती.
कल एक समाचार चैनल पर किसी सीरियल के विज्ञापन में एक लड़की को देखा. सुन्दर लड़की, देखने में इंटेलिजेंट, पार्क जैसी किसी जगह पर बैठी है. फिर कैमरे की तरफ देखते हुए कहती है; "मेरी उम्र सत्ताईस साल है लेकिन मेरी शादी नहीं हो रही. कोई लड़का मुझे पसंद ही नहीं करता. मैं मोटी हूँ न."
आगे बोली; "अब जिस लड़के ने मुझे पसंद किया है, उसका चाल-चलन ठीक नहीं है. वो हर लडकी को बुरी नज़र से देखता है. अब आप मेरा मार्गदर्शन करें और बताएं कि मुझे इस लड़के से शादी करनी चाहिए या नहीं?"
अपनी बात को और आगे बढाते हुए लड़की बोली; "हाँ या ना में अपनी राय देने के लिए मुझे एसएमएस करें."
उन्होंने केवल एस एम एस की सुविधा मुहैया करवाई है. इतने महत्वपूर्ण फैसले की जिम्मेदारी उन्होंने हमें सौंप दी है. हमें अधिकार दे दिया है कि हम उनके जीवन का फैसला करें. वो भी एसएमएस भेजकर.
अब उनसे आमने-सामने बात होती तो ज़रूर पूछते कि; "यह क्या है देवी? आप इतना महत्वपूर्ण फैसला हमपर क्यों छोड़ रही हैं? शादी आपकी होगी. शादी के बाद उस हलकट से आपको निबाहना है. ऐसे में हम कौन होते हैं फैसला लेने वाले? और फिर, आप कौन सी सदी में जी रही हैं, इसके बारे में नहीं सोचा? आज पूरी दुनियाँ में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. अपना फैसला खुद करती हैं. अपने घर वालों तक को अपने जीवन के आड़े नहीं आने देती और आप हैं कि शादी जैसा महत्वपूर्ण फैसला खुद नहीं करके बाहर के लोगों से करवाना चाहती हैं? आप क्या कोई अजेंडा लेकर शादी करने निकली हैं कि दूसरों से फैसला करवा कर नारी स्वतंत्रता को पचास साल पीछे पहुंचा देंगी?"
लेकिन आमने-सामने तो बात नहीं न हो सकती. वैसे भी एसएमएस में भी रेस्ट्रिक्शन है कि जवाब भी केवल हाँ या ना में होना चाहिए. ऐसे में सलाहू टाइप लोग और क्या कर सकते हैं सिवाय इसके कि एसएमएस भेज कर उसकी शादी करवा दें या फिर शादी का उसका प्लान कैंसल करवा दें.
लेकिन एसएमएस के थ्रू दूसरों से फैसला करवाने वाली इस लड़की की तो आदत पड़ जायेगी कि वह हर फैसला सलाहू लोगों से एसएमएस मंगवा कर ही करवाए. फैसला गलत हुआ तो जिन लोगों ने उसे मेसेज भेजा है उन्हें जिम्मेदार ठहरा कर निकल लेगी.
अब ऐसा भी तो हो सकता है कि शादी कैंसल करने के बाद उसे और कोई लड़का पसंद कर ले. फिर वहां भी तो कोई लोचा हो सकता है. जो लड़का पसंद कर ले पता चला कि वो गुटका खाता है. लडकी फिर से एसएमएस मंगवाएगी? यह कहते हुए कि; " आप बताइए कि गुटका खाने वाले एक लड़के से मुझे शादी करना चाहिए या नहीं? जवाब हाँ या न...."
किसी भी मुद्दे पर मेसेज मंगवाने लगेगी. आदत खराब होते कितना समय लगता है? हो सकता है सलाहू भाई लोग एसएमएस में केवल "हाँ" लिखकर उसकी शादी करवा दें. फिर क्या होगा? देखेंगे कि शादी के बाद लडकी हर फैसला लेने के लिए मेसेज मंगवाती फिरे.
एक दिन बोलेगी; "आप बताएं, हमें हनीमून पर कहाँ जाना चाहिए. मेरे ये चाहते हैं कि हम स्विट्जरलैंड जाएँ और मैं चाहती हूँ कि हम अपने हनीमून के लिए झुमरी तलैया जाएँ. बचपन से ही झुमरी तलैया नाम सुनकर मुझे बड़ा अच्छा लगता है."
सलाहू जी लोग एसएमएस लिख कर उसे झुमरी तलैया पहुंचा देंगे. हसबैंड का समर्थन कौन करेगा? लड़की झुमरी तलैया में में अपना हनीमून मनाने के लिए बैग पैक कर लेगी. आखिर जो लड़की दूसरों के कहने पर शादी कर सकती है वह दूसरों के कहने पर स्विट्जरलैंड को डिस्कार्ड करते हुए झुमरी तलैया तो जायेगी ही.
क्या-क्या सीन होगा?
देखेंगे कि हसबैंड लड़कियों को बुरी नज़र से देखने के अपने दैनिक कार्यक्रम को समाप्त कर घर पर आया और उसे पता चला कि खाना नहीं बना है. कारण पूछने पर लड़की बताएगी; " आज नेटवर्क में कोई लोचा हो गया है. दोपहर को डेढ़ बजे लोगों से एसएमएस मंगवाया था. यह पूछते हुए कि आज रात डिनर में मुझे भिन्डी की सब्जी बनानी चाहिए या कद्दू की? क्या करें अभी तक एसएमएस नहीं आया. ये टेलिकॉम कंपनियों की वजह से आज लगता है बिना खाए ही रहना पड़ेगा....."
हो सकता है इस हलकट हसबैंड द्बारा लड़कियों को घूरने की आदत से किसी दिन लड़की परेशान हो जाए और उसे लगे कि अब इसे तलाक देना ज़रूरी हो गया है. उसके लिए भी एसएमएस मंगवा लेगी. यह कहते हुए कि; " मैं अपने उनको तलाक देना चाहती हूँ. आप मुझे एसएमएस करके बताएं कि मैं दोपहर को तलाक दूँ या फिर शाम को सात बजे..."
किसी दिन हो सकता है..........
गुरु जी, गुरु जी, गुरु जी!
ReplyDeleteइधर से नहीं, उधर से आइये,
आप वोट देते हैं ?
"देते हैं"
सरकार आप चलाते हैं ?
"नहीं"
फिर ?
एसएमएस पर बहुत बेहतरीन लिखा आपने..
ReplyDeleteमजेदार..
बात बात पर लोगो से एस एम् स मंगवाना क्या सही है.. ? इस का जवाब हाँ या ना में हमें एस एम् एस करे..
ReplyDeleteएक एस एम् एस हमने भी किया है आपको..देखिये जरा
ReplyDeleteसबसे मजेदार एस एम एस .. जो मुझे मिलता है .. वह है अपने भविष्य को जानें !!
ReplyDeleteचलो पहले सबसे एस एम् एस माँगा कर यह तय कर लिया जाय कि साल के तीन सौ पैंसठ दिन में से कौन सा दिन एस एम् एस डे मानाने के लिए बेहतर रहेगा... कोई दो डेट सुझाकर एस एम् एस मंगवा लो...लाजवाब आइडिया है....
ReplyDeleteबहुत बहुत जोरदार लिखे हो....शाबाश !!!
बाकी बातें तो एस एम एस पर कर लेंगे पर ये बताओ:
ReplyDeleteसुन्दर लड़की, देखने में इंटेलिजेंट
-ये कैसे देखते हैं??? :)
-मस्त आलेख.
बडिया आलेख है आभार्
ReplyDeleteये हर लड़की को बुरी नजर से देखना क्या होता है जी?
ReplyDelete@ समीर भाई
ReplyDeleteभैया, देख कर किसी की भी 'इंटेलीजेंटता' को तब तक माना जा सकता है जब तक वह बात न शुरू कर दे. सुना है प्रकाश की गति ध्वनि से बहुत ज्यादा होती है. जब तक देख रहे थे तब तक इंटेलिजेंट मान रहे थे. जब उसने बात करना शुरू किया तब मानना बंद कर दिया....:-)
@ द्विवेदी जी
पता नहीं क्या होता है. लेकिन वह लड़की यही कह रही थे, सो मैंने लिख दिया.
हम समझ गए बंधू...इंडी ब्लोगर्स में प्रथम रैंक आप एस.एम् एस करवा कर ही पाए होंगे...सब संभव है.
ReplyDeleteएस एम् एस डे मनाने का कौनो जरूरत है जब की हल पल एस एम् एस से ही सब कुछ निर्धारित होता है...
हम तो डर रहे हैं ये सोच कर की कल को कोई आपसे ये पूछे की हम सुबह हाज़त के लिए जाएँ या नहीं एस एम् एस कर के हाँ या ना में जवाब दें और जवाब ना में आये तो...???? बहुत संकट पैदा हो जायेगा...आप इस से होने वाले नुक्सान के बारे में कभी सोचे हैं? सोचिये...हम तो सिर्फ एक ही उधाहरण दिए हैं...
नीरज
हम टिपियाये या नहीं एस एम एस करके बतायें, सभी लाइनें कल सुबह तक खुली हैं
ReplyDeleteइस ब्लॉग पर टिप्पणी एसएमएस से भी भेजी जा सकती.
ReplyDeleteयह सुविधा आपको कैसी लगी? एस एम एस करो...
उस लड़की की कहानी अब चालू हो गयी है। करोल बाग की है वह। दो दिन तो ससुरों ने मुझे भी फँसा लिया इस सीरियल को देखने के लिए। इनका विज्ञापन अभियान जोरदार है।
ReplyDeleteलेकिन आपने जो बात निकाली है वह उससे भी ज्यादा जोरदार निकली। आनन्द आ गया। अब मैं भी एस.एम.एस. कार्ड डलवाता हूँ।
"अपना देश एसएमएस प्रधान देश बनने की राह पर तेजी से अग्रसर है."
ReplyDeleteहां जी, क्यों न हो जब एस एम एस [सरदार मनमोहन सिंह] इस देश के प्रधान मंत्री हैं:)
भारत एक एसेमेस प्रधान देश हो गया है इसमें तो कोई शक ही नहीं है. पर इसमें कुछ हम जैसे भी हैं जो १०० मुफ्त एसेमेस का क्या करें समझ नहीं आ रहा. दान वान होता है क्या, इसी बहाने पुण्य कम लेंगे :)
ReplyDeleteये एस एम एस पर बहुत सार गर्भित लेख है . क्या मुझे यहा टिप्पणी करनी चाहिये ?. कृपया 255075 पर टिप्पणी करदे के लिये हा ना क्रे के लिये ना एस एम एस करे ................................
ReplyDeleteजय हो! समीरलालजी की बात के जबाब को हम आगे बढ़ायें या यहीं छोड़ दें के लिये एस.एम.एस. किये थे। जबाब आया छोड़ो यार। तब अभी टिपिया रहे हैं! छोड़ के उस बात को।
ReplyDeleteBadhiya post. Tippadi Bhi SMS par Bhej raha hoon.
ReplyDeleteआपका सेल नम्बर होता तो मै अभी आपको एस एम एस कर कहता बहुत बढ़िया लिखा है लेकिन फिलहाल शब्दों का सफर पर आपके योगदान को रेखांकित करते हुए लेख मे आपका नाम पढकर यहाँ पहुंचा हूँ । आपको बधाई एवं शुभकामनायें -शरद कोकास ,दुर्ग, छ.ग..
ReplyDeleteभाई एसएम्एस पर बहुत जोरदार लिख दिए हो.
ReplyDeleteआपने बहुते सादगी से एसएम्एस को जिन्दगी के हर पहलू से जोड़ने का भरपूर प्रयास किया है. हम तो एसएम्एस डे की कल्पना मात्र से ही रोमांचित हो रहे हैं.
क्या कोई ऐसा विधेयक हमारी पार्लियामेंट में पास नहीं हो सकता है जिससे हम एसएम् एस की महाता को साधारण और जन साधारण लोगो में आसानी से पहुंचा सके और हमारी आर्थिक ग्रोथ के आकलन में एक रेटिंग दिला सके? भाई कुछ करो........ बहुते जरूरी है.
भाई हमको तो हर सुन्दर लड़की ही एन्त्तेलिगेंट लगती हैं. क्या करे ?
Hone ko to kuch bhee ho sakata hai. Waise aapka lekh bad dhansoo tha/hai.
ReplyDeleteHone ko to kuch bhee ho sakata hai. Waise aapka lekh bad dhansoo tha/hai.
ReplyDeleteई नारी स्वतंत्रता का मामला नहीं है भाई, असल में तो ई लोकतंत्र में उनकी आस्था का सवाल है. आप ई देखिए कि लोकतंत्र के प्रति कितनी आस्थावान हैं. अरे भाई जब देस की सरकारै जनमत से बनती है तो सादी के फैसिला में एसएमएस के प्रयोग पर आपको आपत्ति क्यों? अभी तो केवल शादी की ही बात है, आगे-आगे देखिए क्या होता है. क्या पता शादी के बाद के भी बहुत सारे कामों के लिए एसएमएस से जनमत सर्वेक्षण कराया जाए!
ReplyDeleteसोचा कि एस एम एस से पूछ लिया जाए की टिपण्णी देनी चाहिए या नहीं.फिर सोचा एक भी जवाब नहीं आयेगा क्योंकि ईश्वर ने हमें लड़की नहीं बनाया.बात एस एम एस तक ही सीमित रहे तो गनीमत है, एम एम एस तक नहीं पहुंचानी चाहिए.
ReplyDeleteजरा इंतजार करे हम एस एम् एस से पोल कराये हु पोल नंबर १.....की ये लेख १. बुरा है ... बहुत बुरा है ....३. कतई बुरा है ....
ReplyDeleteपोल न्एम्बार २
१. अछा है ,... २. बहुत अच्छा है .....३.....शानदार है ...
कुछ भेजेगे तो दुसरे नंबर का रिजल्ट टिपियायेंगे ...... वरना पहले का ....:)
Oh god,mein aapko jyotish kahoon ya visionary kahoon ?? Jo aapne 4 saal pehle likhaa thaa woh aaj AAP ke kejriwal ne,usse sachhaa karke dikhaa diyaa hai.Kejri toh itnaa confused hai ki sarkar banaaoon ki nahi...shaayad usse mein aapkaa pataa dekar shaant karaa deti hoon...What say Shiv....:)
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