कल हलकान भाई के घर जाना हुआ. सोचा नए साल के शुभ अवसर पर मिल आऊँ. आजकल वैसे भी नए साल, फ्रेंडशिप डे वगैरह जितने शुभ होते हैं उतना होली-दिवाली वगैरह नहीं होते. हलकान भाई के घर पहुंचे तो देखा कि अपनी ब्लागिंग टेबल पर बैठे थे. बायें हाथ में दो पन्नों वाला एक कागज़ और दायें हाथ में मॉउस. दुआ-सलाम के बाद बातचीत शुरू हुई. मैंने पूछा; "हलकान भाई कैसे हैं?"
वे बोले; "एक मिनट जरा वेट करो यार. मैं एक ज़रूरी काम कर रहा हूँ."
मैंने ध्यान से देखा तो वे अपने ब्लॉग पर लगे उस विजेट को माउस से खोद रहे थे जिसपर तमाम देशों के नाम लिखे रहते हैं और नाम के आगे कुछ संख्या लिखी रहती है. विजेट दर्शाता है कि कौन से देश से कितनी बार पाठक ब्लॉग पर आये. हलकान भाई विजेट पर चलती-फिरती जानकारी देखते और दूसरे ही पल अपने हाथ के कागज़ को. सात-आठ बार देखने के बाद बोले; "अजीब बात है. वहाँ से कोई भी नहीं आया?"
मैंने पूछा; "क्या हुआ हलकान भाई? कहीं से कोई आनेवाला था क्या? कौन आनेवाला था?"
मेरी बात सुनकर उन्होंने कहा; "अरे यार क्या बताऊँ? ये जो विजेट है, इसमें हर देश का नाम दिखाई दे रहा है जिससे पता चलता है कि हर देश में मेरे ब्लॉग के पाठक हैं. लेकिन एक देश का नाम नहीं दिखाई दे रहा."
मैंने पूछा; "कौन सा देश? कहीं आप चिली की बात तो नहीं कर रहे? कहीं ऐसा तो नहीं कि चिली से कोई आया ही नहीं?"
वे बोले; " अरे नहीं यार. चिली में तो मेरे कई पाठक हैं. तुम खुद ही देख लो. चिली के आगे इक्कीस लिखा हुआ है. हमेशा आते-जाते रहते हैं. मैं चिली की बात नहीं कर रहा हूँ."
मैंने पूछा; "फिर शायद अफगानिस्तान से कोई नहीं आया होगा. वहाँ आजकल लड़ाई चल रही है न."
वे बोले; "अरे नहीं यार वहाँ से भी लोग आते हैं. ईराक से भी लोग आते हैं मेरा ब्लॉग पढने. यहाँ तक कि पाकिस्तान से लोग आते हैं और उस इलाके से आते हैं जहाँ आजकल पाकिस्तानी सेना और तालिबान में लड़ाई चल रही है. असल में यह और ही देश है."
मैंने कहा; "कौन सा देश है, बताएँगे तो."
वे बोले; "तुमने नाम भी नहीं सुना होगा."
मैंने कहा; "ठीक है, हो सकता है नहीं सुना होगा. लेकिन आप बताइए तो."
वे बोले; "असल में मैं लाइबेरिया की बात कर रहा हूँ."
मैंने कहा; "लाइबेरिया का नाम तो मैंने सुना है. अभी हाल में ही सुना था न जब मधु कोड़ा जी के ऊपर कार्यवाई शुरू हुई. उन्होंने लाइबेरिया की खानों में इन्वेस्टमेंट किया है. मैंने सुना है न. हलकान भाई आपको मेरे सामान्य ज्ञान पर इतना भी भरोसा नहीं?"
वे बोले; "सुना तो मैंने भी तभी था. लेकिन समस्या वह नहीं है. समस्या यह है कि लाइबेरिया में क्या मेरे ब्लॉग के बारे में किसी को पता नहीं है?"
मैंने कहा; "क्या बात करते हैं हलकान भाई? हमलोगों को खुद लाइबेरिया के बारे में अभी जानकारी हुई है वो भी कर्टसी मधु कोड़ा और आप चाहते हैं कि हमें जानकारी हो गई इसलिए वहाँ से तुरंत पाठक आपके ब्लॉग पर पंहुच जाएँ?"
वे बोले; "कौन नहीं चाहता है? वैसे भी हिंदी ब्लागिंग को लेकर तुम उतने सीरियस नहीं हो, जितना मैं हूँ. ऐसे में तुम तो कहोगे ही न. लेकिन मेरी बात और है. मैं चाहता हूँ हिंदी ब्लागिंग केवल भारत, फिजी, वेस्टइंडीज या उन देशों तक सीमित न रहे जहाँ भारतीय रहते हैं. हिंदी ब्लागिंग हर उस देश में पहुंचे जहाँ मनुष्य रहता है."
मैंने कहा; "कोई बात नहीं है हलकान भाई. आ ही जायेंगे कभी न कभी. लाइबेरिया से भी पाठक आ ही जायेंगे. जब हमारे इन्वेस्टर वहाँ पहुँच गए हैं तो इन्वेस्टमेंट को मैनेज करने वाले भारतीय भी तो पहुंचेंगे ही. एक बार वे पहुँच गए तो फिर आपके ब्लॉग पर वहाँ से भी पाठक आ ही जायेंगे."
वे बोले; "भगवान करे ऐसा ही हो. तुम देख लेना एक दिन हिंदी ब्लागिंग को मैं एलडोराडो तक पहुँचा दूंगा. चाँद तक पहुँचा दूंगा. मंगल तक पहुँचा दूंगा......"
आप भी मेरे साथ दुआ करें कि हलकान भाई के ब्लॉग पर जल्द ही कोई लाइबेरिया से पधारे.
Amen!!!!
ReplyDeleteवैसे भी हिंदी ब्लागिंग को लेकर तुम उतने सीरियस नहीं हो.. यह सही कहा, क्योंकि आदरनीय हलकानजी से ज्यादा कोई सिरियस कैसे हो सकता है. फिर आप या तो किसी से माँग कर या चुरा कर लिखते है, अलकानजी ऑरिजनल लिखते है. :) :)
ReplyDeleteहिंदी ब्लागिंग हर उस देश में पहुंचे जहाँ मनुष्य रहता है... क्या हलकान भाई, मनुष्यतर भी और जहां है. वहाँ तक सोचिये.
मैं तो कहता हूँ कोड़ाजी को हिन्दी ब्लॉगिंग को विश्वस्तर तक पहूँचाने के लिए सम्मानीत करना चाहिए. तथा ऐसे ही घोटाले बाजों को हिन्दी सेवा के लिए प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए. करो निवेश, पाओ पाठक. :)
संजय बेंगाणी said... ko mera bhi manaa jaaye
ReplyDeleteहलकान भाई को एक और देश 'हुक्का-बुक्का' का भी पता दे दिजिये, सुना है वहीं पर 'रावण का हुक्का' गिरा था और रावण बुक्का फाड कर वहीं रोया था :)
ReplyDeleteहलकान सीरिज खूब जंच रही है। बढिया लिखा ।
बहुत रोचक लगे हलकाई जी . ...
ReplyDeleteहलकान भाई तो कर ही रहे हैं, आप भी यह हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
ReplyDeleteहिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
और हां, निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
ReplyDeleteएक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
@ ज्ञान जी, पूरा संदेश एक है, आप तो उसे राज्य समझ बेठे, दो टुकड़े में बांट दिया :) हा हा!!
ReplyDeleteशिव भाई, हालाकान भाई से कह दिजियेगा कि उदास न हों, जुगाड़ बैठ गया है शायद श्री कोड़ा जी का ऑडिट हमको ही मिले, तब वहीं जायेंगे और उनको टिप्पणी तो करेंगे ही.
--
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
आपका साधुवाद!
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
:)
कसम से दर्द की गोली ने आपका सेन्स ऑफ़ ह्यूमर ओर झकास कर दिया है .....साइड एफ्फेक्ट बोले तो ...हलकान भाई के लिए दुआ करेगे ...सुना है उनके केल कुलेटर की सेल हर तीन दिन के बाद बदलती है .टिप्पणी गिनते रहते है ना....
ReplyDeleteमैं ज्ञान जी की बातों से सहमत हूं।
ReplyDeleteआपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
हलकान भाई की दुआ कबूल हो...कबूल हुई तभी तो हमारे ब्लॉग को भी वहां लोग पढेंगे....इस में हलकान भाई के साथ न जाने कितने हिंदी ब्लागर्स के भाग खुल जायेंगे...धन्य हैं मधु कोड़ा भाई जो बिना ब्लॉग खोले वहां के बारे में जानकारी सबको दे गए हैं...बल्कि ब्लॉग प्रशश्ति का नया मार्ग भी खोल गए हैं...हम भी हलकान भाई की तरह हलकान होने की प्रक्रिया से गुज़रते हैं अभी...
ReplyDeleteहलकान भाई और आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं.
नीरज
हलकान भाई के मुँह से आपने आपने दिल की बात कहलवा कर हमारे मन की हलचल को उड़नतश्तरी पर सवार करा दिया। अब तो इसकी गति लिखने जोग नहीं रही।
ReplyDeleteहम भी हलकान जी के स्वर में स्वर मिलाते हैं। आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
आपने इस पोस्ट को लिखने के बाद भी टिप्पणियां खुली रखीं? क्या हो गया है आपको? ज्ञानजी से सीखिये कुछ भाई!
ReplyDeleteक्या आपको नहीं लगता कि हलकान भाई को हलकान होने के लिए सैबेरिया भेज दिया जाय ताकि वि लैबेरिया भूल जांय॥?॥ :)
ReplyDeleteएक हलकान भाई और भी है.. बेचारे खुद के साथ साथ दुसरो के ब्लॉग पर कौन कौन कहाँ से आया इस बात की भी खबर रखते है..
ReplyDeleteHa ha ha ha....Lajawaab !!!!
ReplyDeleteहमहूँ कोशिश करते हैं लाइबेरिया जाने की. कुछ तो होगा ही मैनेज करने को. ब्लूमबर्ग पे देखता हूँ :)
ReplyDelete