Saturday, October 8, 2011

चंदू'ज एक्सक्लूसिव चैट विद पैरिस हिल्टन...


पैरिस हिल्टन भारत आईं. वैसे अब यह नॉर्मल बात हो गई है. कोई न कोई भारत आता ही रहता है. पैरिस नहीं आती तो ब्रिटनी आ जाती. ब्रिटनी नहीं आती तो अंजेलिना जोली आ जाती. अपने यहाँ आनेवालों की कमी नहीं है. पिछले साल इन्ही दिनों सुश्री पामेला एन्डरसन आई थीं. अभी हाल ही में शोएब अख्तर अपना किताबी मंजन बेंचने आये थे. उसके लिए उन्होंने सचिन को बिना कुछ दिए अपना ब्रांड अम्बेसेडर बना लिया. पैरिस भी आईं थीं कुछ बेंचने ही. पता चला बैग बेचने आई थीं.

मेरे कहने का मतलब यह था कि अब हम ऐसे कंज्यूमर देश हो चुके हैं कि आनेवाले लोगों की कमी नहीं है.

कई लोगों ने मुझसे कहा कि चंदू को भेजकर पैरिस हिल्टन का इंटरव्यू लूँ. अब मैं ठहरा ब्लॉगर. अगर अपने पाठकों के आदेश का पालन न करूं तो ब्लॉगर-धर्म का निर्वाह कैसे करूँगा? मैंने चंदू को मुंबई भेज तो दिया लेकिन इंटरव्यू लेकर आने में उसने काफी समय लगा दिया. वैसे तो उसने बताया कि वह मुंबई भ्रमण कर रहा था इसलिए देर हो गई लेकिन सूत्रों ने बताया कि उसने फिल्म निर्माताओं से मुलाक़ात की है. शायद फ़िल्मी लेखक बनने का प्लान है उसका.

खैर, पेश है चंदू इन एक्सक्लूसिव चैट विद पैरिस हिल्टन.

चंदू: पेरिश जी नमस्कार.

पैरिस हिल्टन: चंदू जी, पेरिश मत कहो न. पेरिश का मतलब कुछ और ही होता है. पेरिश कहने से लगता है जैसे में...

चंदू: (सकपकाते हुए) सॉरी सॉरी मैडम. मैं समझ गया. मुझको याद आ गया कि डिक्शनरी में पेरिश का मतलब सड़ जाना होता है. माफ़ कीजियेगा.

पैरिस हिल्टन: कोई बात नहीं.

चंदू: सबसे पहले तो ये बताइए मैडम कि इंडिया आकर कैसा लग रहा है?

पैरिस हिल्टन: चंदू जी, आप तो ब्लॉग पत्रकार हैं. आप तो कभी टीवी पत्रकार नहीं रहे. फिर भी आप "आपको कैसा लग रहा है" टाइप सवाल कर रहे हैं?

चंदू: वो क्या है मैडम कि यह सवाल भारतीय जर्नलिस्ट का शास्वत सवाल है. अगर यह पूछा न जाय तो इंटरव्यू की तो जाने दें, बाईट भी नहीं पूरी होती. वैसे मैडम जी, हम बहुत खुश हुए कि आपको हमारे बारे में इतना पता है. हम इमोशनल टाइप हो गए यह जानकर कि आपको हमारे बारे में भी पता है.

पैरिस हिल्टन: अरे चंदू जी, हमें पता नहीं रहेगा आपके बारे में? हम सब कुछ जांच-परख कर इंटरव्यू के लिए राजी होते हैं. अब आप यही देख लें कि एक अंग्रेजी ब्लॉग से रिक्वेस्ट आई थी कि हम उन्हें भी इंटरव्यू दें लेकिन हमने मना कर दिया. हमारे एजेंट ने बताया कि उस ब्लॉगर ने अपने ब्लॉग पर हमारे ऊपर पोस्ट लिखी है लेकिन फोटो लगाई है बिनोद काम्बली की. अब आप ही बताइए, यह ठीक है क्या? हमारे अमेरिका में लोग़ सुनेंगे तो क्या कहेंगे? और आपके बारे में कौन नहीं जानता? आपने हमारे प्रेसिडेंट का इंटरव्यू लिया था. ...वैसे अब मैं आपके सवाल का जवाब देती हूँ. इंडिया आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.

चंदू: यह अच्छी बात है मैडम. इंडिया आकर बाहरवालों को अब अच्छा ही लगता है. पहले की बात और थी जब बाहर वालों को इंडिया आने पर खराब के साथ-साथ कभी-कभी पत्थर तक लग जाता था.

पैरिस हिल्टन: अरे नहीं, हमें तो बहुत अच्छा लगा.

चंदू: वैसे इंडिया आने से पहले आपने क्या-क्या तैयारी की?

पैरिस हिल्टन: बहुत तैयारी की. बिना तैयारी के मैं कहीं नहीं जाती. दो दिन तो मैंने दोनों हाथ जोड़कर नमास्टे बोलने की प्रैक्टिस की. फिर दो दिन मैंने दो लाइन; "इंडिया इज अ ग्रेट नेशन.....वेस्ट ओ सो मच टू इंडिया" जैसे सेंटेंस याद किये. मेरे एजेंट ने तो कहा कि मैं गूगल करके महात्मा गांधी के बारे में भी जान लूं लेकिन उसदिन पार्टी में देर हो जाने के कारण मैं उसकी बात भूल गई.

चंदू: आप तो सचमुच बहुत तैयारी से आई हैं. वैसे मेरे मन में एक सवाल है पेरिश जी. आप असल में क्या हैं?

पैरिस हिल्टन: चंदू जी, पेरिश मत कहो न. पेरिश सुनने से लगता है...

चंदू: सॉरी सॉरी मैडम, मैं फिर से भूल गया. वैसे मेरा सवाल यह था कि आप क्या हैं? मॉडल हैं, टीवी एक्टर हैं, सिनेमा एक्टर हैं, होटल मालकिन हैं....आप हैं क्या? हम आपको क्या समझें?

पैरिस हिल्टन: गुड क्वेश्चन चंदू जी. वैसे ये बताइए कि आप मुझे समझना क्यों चाहते हैं?

चंदू: (सकपकाते हुए) वो अब मैं कैसे बताऊँ आपको? मेरा मतलब यह था हम क्या मानें कि आप क्या हैं?

पैरिस हिल्टन: यह तो बड़ा कठिन सवाल कर दिया आपने. आजतक हमें भी नहीं पता चला कि मैं क्या हूँ. दरअसल में खुद को खोज रही हूँ. इसीलिए मैं हमेशा बदलती रहती हूँ. अब किसे पता कि कौन से किरदार में खुद को खोज लूँ? इसीलिए मैं कभी ये बनती रहती हूँ तो कभी वो. आप समझ रहे हैं न? वैसे भी आप तो फिलास्फी और योगा के देश के हैं तो आशा है कि आपको मेरी बात समझ में आ गई होगी.

चंदू: हाँ-हाँ समझ में आ गई. आपकी बात समझ में आ गई. वैसे ये बताएं कि आप इस बार इंडिया क्यों आई हैं?

पैरिस हिल्टन: मैं बैग बेचने आई हूँ. मैंने एक बैग लॉन्च किया तो सोचा कि इसे इंडिया में बेंचा जाय.

चंदू: लेकिन आपको क्यों लगा कि इंडिया में आपका बैग बिक जाएगा?

पैरिस हिल्टन: वो अभी हाल ही में आपके फिनांस मिनिस्टर हमारे देश में थे. उन्होंने वहाँ बताया कि इंडिया एट प्वाइंट फाइव परसेंट से ग्रो करेगा. उनकी बात हमारे एजेंट ने कहीं सुन ली और हमसे बोला कि अगर ऐसा है तो सारा रुपया तो इंडिया में होगा. और अगर सारा रुपया इंडिया में होगा तो उसे रखने के लिए बैग की सबसे ज्यादा ज़रुरत इंडिया के लोगों को होगी. ऐसे में इंडिया मेरे बैग के लिए सबसे बड़ा मार्केट है.

चंदू: बहुत बढ़िया. और आप यहाँ आई हैं तो किस-किस से मिलना चाहेंगी आप?

पैरिस हिल्टन: मैं राखी सावंत से मिलना चाहूँगी. मैंने उनके बारे में बहुत सुना है. हमारे देश में मुझे लोग़ यूएस का राखी सावंत कहते हैं तो मैंने सोचा कि इस महान हस्ती से मिलना चाहिए मुझे. और मिलने की बात है तो मेरे पास सिमी गरेवाल के शो पर जाने की ऑफर आई थी लेकिन मेरे एजेंट ने जाने से मना कर दिया. मैंने सुना है कि उनके शो पर चाहे हमारे प्रेसिडेंट ओबामा भी चले जायें तो भी लोग़ सिमी गरेवाल को ही देखेंगे. अब आप ही बताएं कि ऐसे शो पर जाने का क्या फायदा?

चंदू: आपने बिलकुल सही कहा मैडम. एक बार क्या हुआ कि एक बहुत बड़ा टीवी पत्रकार, मैं नाम नहीं लेना चाहूँगा, वह सिमी गरेवाल के शो पर गया और वापस आकर मुँह लटका कर बैठ गया. तीन दिन तक घर से नहीं निकला. बाद में लोगों ने पूछ तो उसने बताया कि सिमी के शो पर लोग़ उसे नहीं बल्कि सिमी गरेवाल को देख रहे थे. आपने बिलकुल ठीक किया. वैसे एक सवाल यह था मैडम कि सुना कि आपने एक भिखारी को सौ डॉलर दिए? क्या यह सच है?

पैरिस हिल्टन: हाँ यह सच है.

चंदू: आपने भिखारी के साथ फोटो भी खिंचाया या नहीं?

पैरिस हिल्टन: चंदू जी, आपतो जानते ही हैं. मैंने उसके साथ फोटो खिंचाने के लिए ही तो उसे पैसे दिए. हमें हमारी फोटो बहुत प्यारी लगती हैं. और मैं अपने फोटो के लिए कुछ भी कर सकती हूँ.

चंदू: वैसे मैडम एक सवाल था. सुना है आप कन्वर्ट हो गई हैं और आपने इस्लाम धर्म क़ुबूल कर लिया है?

पैरिस हिल्टन: क़ुबूल तो हम कुछ नहीं करते चंदू जी. हाँ, कन्वर्ट हो सकते हैं. हे हे हे ....आप समझ रहे हैं न.

चंदू: हाँ-हाँ, मैडम मैं समझ गया. वैसे आख़िरी सवाल यह था कि आपन अगली बार कब आएँगी इंडिया? और क्या बेचने आएँगी?

पैरिस हिल्टन: हे हे हे..चंदू जी आप तो जानते ही हैं. हम अमेरिका वाले हैं. ऐसे में बेचने के लिए हमारे पास बहुत कुछ है. जब इच्छा हुई कुछ न कुछ बेंचने वापस आ जायेंगे.

चंदू: अगली बार आएँगी तो मैं मिलूंगा मैडम आपसे. फिर से ज़रूर इंटरव्यू दीजियेगा.

पैरिस हिल्टन: अरे चंदू जी, ज़रूर. आपके लिए तो मेरी...

चंदू: मेरी क्या? मेरी क्या मैडम? आपके लिए मेरी क्या?

पैरिस हिल्टन: अरे अरे...मेरा मतलब यह था कि आपके लिए मेरी इंटरव्यू भी हाज़िर है.

चंदू: मेरी इंटरव्यू नहीं मैडम, मेरा इंटरव्यू. ओके मैडम आपको धन्यवाद.

पैरिस हिल्टन: ओके धान्यवाद. नमास्टे.

15 comments:

  1. बैग बेचने आयी देवी,
    ज्ञान परस कर चली गयीं।

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  2. हाय! बडी बेजान निकली ज़ालिम.... अगर चंदू से कह देती आपके लिए तो मेरी..... मेरी जान भी हाज़िर है तो वहीं ढेर न हो जाता :)

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  3. भारत में तो हर कोई मुँह उठाए चला आता है। न जाने कितने कलाकार टीवी पर धमाल मचा रहे हैं? बहुत सटीक व्‍यंग्‍य।

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  4. ek sawaal चंदू se : चंदू जी पैरिस हिल्टन se milkar apko "आपको कैसा लग रहा है ?

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  5. मजेदार पोस्ट। सहला-सहला कर मारा है।..बधाई।

    आपके लिये तो मेरा...मेरा...मेरा...वो क्या कहते हैं कि नया वाला फोटू और नये वाले फोटू के साथ पहला कमेंट हाजिर है।

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  6. चंदू जी से कहिये कि वीणा मालिक का भी इंटरव्यू लिया जाए... पाठक की डीमांड है..

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  7. बहुत बढ़िया! प्लीस, चंदू को हमारी तरफ से पेरिश हिल्टन की कंपनी का एक बैग इनाम में देना!

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  8. इतना बढ़िया बाजार और किसे कहाँ मिलेगा...??

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  9. janta jagrook hue hai......'hilton' ke interview padhna gair-jaroori laga ho sayad???????

    pranam.

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  10. ये चंदू काहे गोरी चमड़ी वालों का इंटरव्यू लेता फिरता है..क्या चंदू के चाचा ने चांदनी रात में चांदी के चम्मच से चटनी नहीं चटाई थी क्या? चटाई होती तो भूरी चमड़ी वालों की तरफ भी वो दीखता...मुंबई में तो हम भी हैं...हम तक तो कभी नहीं आया कमबख्त...आपसे मिले तो समझाइएगा उसे...

    नीरज

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  11. चन्दू अब पत्रकारिता त्याग कर हिल्टनियाँ बैग बेचने लगेगा - ऐसा मेरी छठी इन्द्रिय का अनुमान है!

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  12. चंदू को एक पत्रकारिता पुरस्कार मिलना चाहिए.

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  13. चंदू को बचा के रखा जाये! कहीं कोई उसको पत्रकारिता का कोई इनाम ने दे दिला दे। :)

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  14. चंदू जी ने भी बैग खरीदा कि नही या हो सकता है कि चंदू सोच रहे हों कि पैरिस कहेंगी आपके लिय तो मेरी बैग भी हाज़िर है ।

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय