Tuesday, March 26, 2013

नेताओं का गुझिया कम्पीटीशन - पार्ट २

........आगे का हाल

रविशंकर प्रसाद बोले; "मैं माननीय लालू जी से पूछना चाहता हूँ कि प्राचीन भारत के समय से ही गुझिया के मसाला में जो गरी काटकर डाली जाती थी वह रंगी नहीं जाती थी। यहीं देख लीजिये कि इन्होने जो मसाला यहाँ रखा है उसमें इस्तेमाल होने वाली गरी को इन्होने हरे रंग में रँग दिया है।"

रविशंकर प्रसाद की बात पर लालू जी बोले; "आ जो हरे रंग से रंगी गरी देख रहे हैं, ऊ रंगी नहीं है। उसको कहते हैं सेकुलर गरी ... आपका निगाह ही हरा हो गया है। आ अंधे को सब जगह गरी की हरियाली ही दिखाई देती है।"

लालू जी की बात पर जोर का ठहाका लगा।

अपनी पार्टी के एम पी को समर्थन देने आये प्रकाश करात बोले; "यह बात केसरिया गुझिया बनाने वालों को समझ कैसे आएगी लालू जी?"

रविशंकर प्रसाद कुछ कहते उससे पहले मोदी जी बोल पड़े; "मित्रों केसरिया रंग ही नहीं, केसरिया गुझिया भी भारतीय राष्ट्रखाद्य का प्रतीक है। और यही कारण है कि माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी के नेतृत्व में हमारी पार्टी ने मित्रों पांच वर्षों में उतनी गुझिया बनाई जितनी बाकी की पार्टियों ने पचास वर्षों में नहीं बनाई थी। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी यह मानता है .... और फिर प्रश्न यह है मित्रों ....."

वे बोल ही रहे थे कि तभी कांग्रेस पार्टी को रिप्रेजेंट करनेवाले राहुल गाँधी बोल पड़े; "प्रश्न वह नहीं जो आप कह रहे हैं मोदी जी। महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि भारत में गुझिया कौन लाया? और फिर आप अपनी पार्टी की गुझिया की बात कर रहे हैं। हमारी पार्टी ने पिछले नौ वर्षों से देश में जिस मात्रा में गुझिया बनाया है ...."

राहुल गाँधी के प्रश्न पर कि "देश में गुझिया कौन लाया?" पैवेलियन में बैठे किसी दर्शक ने कहा; "राजीव जी लाये। और कौन ला सकता है?"

उनको काटते हुए मोदी जी ने कहा; "राहुल जी कि मैं इज्ज़त करता हूँ लेकिन ये यह भूल रहे हैं कि जिन मसालों का इस्तेमाल करके इनकी पार्टी ने गुझिया बनाया, मित्रों वे सारे मसाले आदरणीय अटल जी के नेतृत्व में हमारी पार्टी ने भारी मात्रा में खरीदे थे। अगर हमारी पार्टी ने उन मसालों का भारी मात्रा में स्टॉक नहीं किया होता तो राहुल जी की पार्टी इतनी गुझिया का निर्माण नहीं कर सकती।"

उधर अपनी पार्टी की तरफ से मुलायम जी आये थे। गुझिया बनाने के लिए सारा सामान साइकिल पर ले आये थे ताकि जमीन से जुड़े प्रतियोगी लगें। मोदी जी की बात सुनकर बोले; "आपएं मासाला खईदा था तो गोईया भी बआं एते।"

उनकी बात पर रविशंकर प्रसाद बोले; "मैं माननीय मुलायम सिंह जी से कहना चाहूँगा कि लोकतान्त्रिक गुझिया ऐसे ही बनती है। मसाला कोई और खरीदे और गुझिया कोई और तले, ऐसा हो ही सकता है।"

तभी अचानक अरनब ने देखा कि डीएमके की तरफ से आये एलेंगोवन जी बड़ी अजीब आकार की गुझिया बना रहे थे जो कुछ-कुछ तिकोनी थी और श्रीलंका के आकार से मिलती-जुलती थी। अरनब ने पूछा; "आई हैव अ डायरेक्ट क्वेश्चन टू यू मिस्टर एलेगोवन। ह्वाई आर यू मेकिंग गुझियाज व्हिच रेजेम्बेल श्रीलंकाज शेप ऑन वर्ल्ड मैप?"

उनके इस डायरेक्ट सवाल के जवाब में एलेंगोवन जी बोले; "सी यारनाब, आवर ल्यीड्डर, डाक्टर कलयैङ्गार सार वास यगेंस्ट्स आवर पार्टिसिपेशन यिन दिस्स गुजिया क्याम्पीटीशन यैज यिट्ट यिज्ज टाटली यागेंस्ट्स आवर द्रविड़ काल्चार। बाट ऐट लास्ट ई याग्रीड़ टू यिट्ट यान द क्यान्डीश्यान दैट हूयेव्वर वुड रिप्रेसेन्ट द पार्टी वुड्ड कुक गुजिया याफ द शेप याफ़ श्रीलंका येन्ड यीट दोज गुजियास देन्न यैंड देय्यर। आवर ल्यीड्डर डाक्टर कलैङ्गार सार टोल्ड दैट डूइंग दिस्स वुड येसटेब्लिशड आवर येट पार श्रीलंका येण्ड यिट्स प्रेजिडेंट। यिन्न पैक्ट यिट्ट यिज्ज आवर वे ऑफ़ प्रोटेयेस्ट यगेंस्ट्स ह्वाट श्रीलंकन गावंमेंट ड्यिड्ड टू आवर तामिल ब्रेदार्न।"

एलेंगोवन जी को चीयर करने आये एम्डीएमके के वाईको ने ताली बनाई।

एलेंगोवन जी की तरफ मुखातिब होते हुए लालू जी बोले; "आ आपलोग सेकुलर रसोई में एतना बरस से हमलोग का साथ मिलकर गोझिया बनाए आ खाए, बाकी आज खाली ई बात पर छोड़कर चले गए कि कांग्रेस जो है सो आपको छोहाड़ा खाने नै दिया? आपलोग को नहीं बुझाया कि ई सेकुलर रसोई का अपमान है?"

लालू जी की बात पर नितीश कुमार बोले; "अभी भी रसोई का याद नहीं गया है? आ सही भी है, देश को गोझिया का पहिला किचेन कैबिनेट देने वाला सब याद नहीं रक्खेगा त कौन याद रक्खेगा?"

नितीश कुमार की किचेन कैबिनेट वाली बात पर राहुल जी को लगा कि शायद उनके घर के बारे में कुछ कहा गया। वे क्या करते, उनका दिमाग जहाँ तक दौड़ा वहां तक वे सोच लिए। अचानक कुर्ते की बांह चढाते हुए बोले; "नितीश जी, सार्वजनिक जगह पर व्यक्तिगत बातें नहीं करनी चाहिए। देखिये हमने पिछले कई वर्षों से इतना गोझिया बनाया। अगर आप चाहें तो हम कुछ गोझिया स्पेशल कूरियर से आपके प्रदेश पहुंचवा देंगे।"

नितीश कुमार बोले; "आ आपकी पार्टी लगातार गोझिया नहीं बनाएगी तो कौन बनाएगा? और फिर कितना बना लिए है? पहले जिस रफ़्तार से बना रहे थे, अब तो वह रफ़्तार भी नहीं रही। ऊपर से गोझिया का सामान और मसाला लाने के लिए आपके पास सीबीआई है। जब चाहें आप उनसे मसाला मंगवा लेते है। तेल ख़तम हो जाए तो सी बी आई ला देती है। मैदा ख़तम हो जाए तो भी .... ऐसे में आप गोझिया नहीं बनायेंगे तो कौन बनाएगा?"

मुलायम जी को लगा कि यहाँ उन्हें सी बी आई का पक्ष लेने की ज़रुरत है। बोले; "एखिये, ऐसी बात नई ऐ। हअबाअ सी बी आई जो ऐ मासाआ नई लाती। असोई चअती अहे, उसके लिए दूकानदाअ कई बाअ खुदै मसाआ पौंचा जाता ऐ। हमयें खुद अपई आँखों से जो ऐ सो देखा ऐ।"

पास खड़े रविशंकर प्रसाद बोले पड़े; "माननीय मुलायम सिंह जी फर्स्ट हैण्ड इनफार्मेशन दे रहे हैं। उनसे बेहतर कोई नहीं जानता कि कई दुकानदार खुद गुझिया का मसाला कांग्रेस पार्टी को दे जाते हैं। लेकिन अरनब, मैं ये भी कहना चाहता हूँ कि सी बी आई कुछ दुकानदारों को परेशान भी करती है। इसबात के लिए कि वे अगर मसाला नहीं पहुंचाएंगे तो फिर उनकी दूकान पर छापा भी ......"

राहुल जी बोले; "लेकिन सी बी आई के बारे में कहीं गई बात से मैं सहमत नहीं हूँ। दुकानदार स्वतंत्र हैं इसबात के लिए कि वे चाहें तो मसाला दें और न चाहें तो न दें। हम किसी न किसी तरीके से मसाला ले ही लेंगे।"

मोदी जे बोले; "मित्रों राहुल जी एकबात भूल रहे हैं और वह ये कि मुद्दा दुकानदारों की स्वतंत्रता का नहीं बल्कि सी बी आई की स्वतंत्रता है।"

मोदी जी की बात पर पास ही खड़े नारायणसामी बोले;"लेट मी रिमाइन्ड एवरीबॉडी प्रेजेंट हीयर दैट सी बी आई ईज्ज मोस्ट यिंडीपेंडेंट गाब्म्येंट बाड़ी।"

सबने एकसाथ ठहाका लगाया। राहुल जी को समझ नहीं आया कि सब लोगों ने एकसाथ ठहाका क्यों लगाया। वे कुछ पूछने ही वाले थे कि अचानक अरनब की निगाह उनकी बनाई गुझिया पर गई जिन्हें देखकर अरनब चौंक गए। सबने देखा कि राहुल जी ने गुझिया में सारे मसाले डाले तो हैं लेकिन उन्होंने एक भी गुझिया बंद नहीं की है।

सब हंसने लगे। सब मन ही मन राहुल जी का मजाक उड़ा रहे थे। अरनब ने पूछा; "राहुल, आपने इतनी सारी गुझिया बनाई लेकिन एक को भी बंद नहीं किया। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? ह्वाट कैन बी द रीजन बिहाइंड दिस स्ट्रेटेजी?"

राहुल कुछ एक्सप्लेन करते उनसे पहले केतकर जी बोल पड़े। जिस चपलता के साथ उन्होंने सफाई देनी शुरू की, देखकर लगा कि उन्हें वहां हाईकमान की तरफ से भेजा गया था। शायद यह कहकर कि कुछ गड़बड़ हो तो संभाल लीजियेगा।

वे बोले; "इन खुली हुई गुझिया के पीछे क्या कारण है वह मैं समझाता हूँ अरनब। मैं यहाँ केवल एक जज ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी के शुभचिंतक की हैसियत से भी आया हूँ। दरअसल राहुल जी ने जो बनाया है वह कांग्रेसी गुझिया है। इसे बंद नहीं किया जाता। बंद न करके पार्टी बताना चाहती है कि वह जब भी चाहे गुझिया में से कोई एक मसाला निकालकर दूसरा मसाला फिट कर सकती है। यहाँ मसालों को छूट है कि वे जब चाहें गुझिया छोड़कर जा सकते हैं। हाँ यह बात अलग है कि पार्टी गुझिया छोड़कर जाने वाले मसालों को ही फ्राई कर देती है। अभी हाल में आपने देखा होगा कि चेन्नई में किस तरह से स्टालिन के घर की रसोई में ......"

उनकी एनाल्यसिस से सभी प्रभावित थे। लालू जी बोले; "आ खाली टीभी पर समाचार पढने से नै न होता है अरनब। आ, जिस तरह से केतकर जी एनेलाइसिस किये हैं कंग्रेस का गोझिया का, उससे बुझा ही गया होगा कि केतना फरक है आपका औउर केतकर जी का कैपेभिलिटी में। अनुभव का बड़ी महत्व है।"

अरनब ने लालू जी के साथ हामी भरी।

रविशंकर प्रसाद बोले; "मित्रों, अनुभव का तो महत्व है ही। केतकर जी कांग्रेसी गुझिया का स्वाद आज से नहीं ले रहे हैं, वे तो इमरजेंसी के जमाने से कांग्रेसी गुझिया खा रहे हैं। ऐसे में अनुभव तो बोलेगा ही।"

किसी ने पास ही कड़ी ममता जी से पूछा; "दीदी, आपकी पार्टी ने किसी को गुझिया बनाने के लिए नहीं भेजा? क्या आपकी पार्टी चुनाव से पहले अपनी गुझिया नहीं खोलना चाहती?"

उसके इस सवाल पर लालू जी बोले; "आ इनका पार्टी अभी बांगाल में लपसी बना रही है। गोझिया बनाने के लिए ई लोग के पास समय कहाँ है?"

दीदी को यह बात अच्छी नहीं लगी। उन्होंने कहा; "आइसा बात नेही है लालू जी। हामारा पार्टी भी गोझिया बनाने सोकती है किन्तु बनाना नेही चाहती। एही बास्ते कि हामसोब मीलकर जो गोझिया बनाएगा, सोब वालमार्ट ख़रीद लेगा ऊ भी आधा दाम में। हामारा पार्टी को एही बात मोंजूर नही है। औउर जे बात है कि हामारा बेंगोल में गुझिया नही बनता है। उहाँ पे पीठे बनता है। कोभी पीठे बनाने का कोम्पीटीशोन होगा तोब हामलोग सोचेगा।"

पता नहीं कहाँ से पास खड़े वाड्रा जी को दीदी की बात "हामारा पार्टी गुझिया बनाना नेही चाहती" धंस गई। वे फट से बोले; "बनाना की जो बात ममता दीदी आज कह रही हैं वो मैंने तो पहले ही ...."

उनकी बात को लालू जी कटते हुए बोले; "आ चुप रहो, ई गोझिया का बात हो रहा है। ई तुम्हारा रीयल एस्टेट नै न है कि जहाँ चाहो ओहीं बोल ...."

खैर, सारी कलाएं दिखाने के बाद जुरी ने सबकी गुझिया चेक की। जुरी के अध्यक्ष कुमार केतकर जी बोले; "अरनब, मैंने सबकी गुझिया चेक की। मुलायम सिंह जी और लालू जी की गुझिया अच्छी लगी मुझे। नरेन्द्र मोदी की गुझिया कुछ ख़ास नहीं लगी। मुझे तो यह समझ नहीं आता कि अगर मोदी की गुझिया अच्छी है ही, तो गुजरात में में बच्चों में इतना कुपोषण क्यों है? वे गुझिया क्यों नहीं खा रहे? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब शायद तीश्ता जी दे पाएं। एलेंगोवन जी की गुझिया मैं चेक नहीं कर सका क्योंकि प्रोटेस्ट रजिस्टर करने के चक्कर में वे सारी गुझिया खा गए। हाँ, जो सबसे ज्यादा पसंद आई मुझे, वह राहुल जी की गुझिया है। क्या गुझिया बनाया है उन्होंने। स्वादिष्ट, मीठी और पूरी तरह से सेक्युलर गुझिया। मुझे यह लगता है कि राहुल जी बहुत बड़े अंतर से जीते हैं इस कम्पीटीशन में।"

दूसरे दिन अखबारों में छपा;"राहुल गांधी ने गुझिया कम्पीटीशन जीता। नौजवानों में आशा का नया संचार"

6 comments:

  1. पता नहीं मसाला तला जा रहा है या गुझिया या फिर जन.

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  2. वाह! भारतीय लोकतंत्र का गुझिया बन ही गया. जब ज्यूरी कुमार केतकर हों तो राहुल जी से बेहतर गुझिया कौन बना सकता है.

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  3. अब सबको रंग लगाया जायेगा।

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  4. देश को गोझिया का पहिला किचेन कैबिनेट देने वाला सब याद नहीं रक्खेगा त कौन याद रक्खेगा?" ..Waah!! Kya zabardast post hai :-)

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय