उधर केशव बोले जा रहे थे; ....हे पार्थ, प्रश्न अपने-पराये का नहीं अपितु प्रश्न धर्म और अधर्म का है। तुम किनके लिए चिंतित हो? वे जो हमेशा अधर्म की राह पर चलते रहे? ....और हे पार्थ, यह कदापि न सोचो कि तुम उन्हें मारोगे। ...स्मरण रहे कि आत्मा न जन्म लेती है और न ही मरती है। आत्मा अजर-अमर है...जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो हो चुका है वह भी अच्छा था और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा। ....हे पार्थ, अपने मन पर विजय प्राप्त करो। ...कर्म करो पार्थ और फल की चिंता न करो। ...जीवन वर्तमान में है। ...परिवर्तन इस संसार का नियम है कौन्तेय, परिवर्तन और मृत्यु ही सत्य है...हे पार्थ भय और चिंता से मुक्ति पाने का एक मात्र साधन है धर्ममार्ग पर चलना। ...इसलिए हे पार्थ, आगे बढ़ो और धर्म का पालन करो। ...
बोलते-बोलते केशव रुक गए। उन्हें लगा कि वे पर्याप्त बोल चुके हैं और अर्जुन अब युद्ध आरंभ कर देंगे।
अर्जुन की ओर से कोई प्रतिक्रिया न होने पर केशव ने पूछा; पार्थ, क्या अब भी तुम दुविधाओं से घिरे हो? क्या तुम्हारे मन में अब भी कोई प्रश्न है?
अर्जुन ने सिर हिलाते हुए कहा; हे केशव मेरे मन में अब भी एक प्रश्न है।
केशव ने पूछा; कौन सा प्रश्न?
अर्जुन बोले; हे केशव प्रश्न यह है कि, आज अगर महात्मा गांधी होते तो वे क्या कहते?
केशव माथे पर हाथ रखकर बैठ गए।
प्रश्न तो पृथ्वी से भारी है.
ReplyDeleteये तो यक्ष प्रश्न है. अर्जुन ने कैसे पूछ लिया.
ReplyDeletekaphi dino ke bad kuch achcha padha.
ReplyDeleteमहात्मा गांधी जी को समझने से सारा तम यानी अज्ञान दूर हो जाता है
ReplyDeleteगांधीजी अपने तीन बंदरों का उदाहरण देते
ReplyDeleteयानि कुछ ना करो, कुछ भी ना करो।
ReplyDeleteGhandhi ji bhi yudh ki karte.
ReplyDeleteGhandhi is great more
ReplyDeleteमहात्मा गाँधी कहते,अपना दूसरा गाल आगे कर दो वत्स और महान बने रहो
ReplyDeleteपहले लोगों को नानी याद आती थी। आजकल मुसीबत में गाँधी बाबा याद आते हैं।
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