शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय, ब्लॉग-गीरी पर उतर आए हैं| विभिन्न विषयों पर बेलाग और प्रसन्नमन लिखेंगे| उन्होंने निश्चय किया है कि हल्का लिखकर हलके हो लेंगे| लेकिन कभी-कभी गम्भीर भी लिख दें तो बुरा न मनियेगा| ||Shivkumar Mishra Aur Gyandutt Pandey Kaa Blog||
Saturday, October 11, 2008
'रीटेल इन्वेस्टर' की 'री-टेलिंग' - एक माईक्रो पोस्ट हमरी भी
"जनवरी में जब सेंसेक्स २१००० था तब ये शेयर १४० रुपया में एक खरीदे थे. आज ११ रुपया में एक बिक रहा है."
बेचारा ग्रेटर फूल सॉरी 'ग्रेटर भूल थ्योरी' का शिकार हो गया.
वाकई दर्दनाक है- micro की सीमा में macro का असीम दर्द समाहित हो गया है। मेरे साथ भी यही हुआ है, बस गिरावट का अंतर कम है और शेयर भी ज्यादा नहीं खरीदे थे।
शेयर मार्केट का दर्द " शेयरिया " ही समझें..माइक्रो पोस्ट का असर उनके लिए मेक्रो है. शेष के लिए माइक्रो ....हा हा.!! अब तो ज्यादातर सवाल ये किए जाते हैं, भइया ! जुए के खेल में कभी हारोगे नहीं.
कल Rediff मे एक शख्स को दिखाया गया था कि वो शेयर बाजार के बाहर सेंसेक्स देख रहा है बडी हैरत की नजर से, हाथ मे उसके छतरी है और सिर लगभग खंभे से टिका हुआ है.....आज वही व्यक्ति नवभारत टाईम्स मे दिख रहा है ..... ये क्या हो गया कहते हुए उसके हाथ ......सबकुछ कह रहे थे..... और हाँ......आज उसके हाथ मे छतरी नहीं थी।
हमारी फसल बरबाद हो जाती है..या उपज की कीमत कम मिलती है..शायद कुछ वैसी ही अनुभूति हो रही होगी शेयरधारकों को..। हम तो पहले से ही वेदना में हैं, संवेदना तो होगी ही :)
हमारे एक बुजुर्ग दोस्त ने एक बार ४० हजार युरो के शेयर खरीदे थे, उन दिनो बहुत चढ रहै थे, कुछ समय बाद ४० के उन्हे ४हजार मिल रहै थे, फ़िर पता नही क्या हुआ, लेकिन उन्होने नसीयत हम सब को दी कभी भी लालच मत कर, क्योकि लालच बुरी बात है, ओर हम तो देखते भी नही उस तरफ़ राम राम जी की
बेचारा ग्रेटर फूल सॉरी 'ग्रेटर भूल थ्योरी' का शिकार हो गया.
ReplyDelete'ha ha ha ha bhut shee pechana aapne, magar ab kya ho....'
regards
क्या मासूमियत है साहब !
ReplyDeleteक्या कहें? हमारी संवेदनाएं आपके साथ है :(
ReplyDeleteवाकई दर्दनाक है- micro की सीमा में macro का असीम दर्द समाहित हो गया है। मेरे साथ भी यही हुआ है, बस गिरावट का अंतर कम है और शेयर भी ज्यादा नहीं खरीदे थे।
ReplyDeleteक्या सामयीक बेहतरीन माइक्रो पोस्ट लिखी है ! शुभकामनाएं !
ReplyDeleteमाफ करे , पिछली टिपणी में शुभकामनाए की जगह संवेदनाएं पढा जाए ! :)
ReplyDeleteअभी ग्यारह रुपये मिल रहे हैं न.. जब कीमत रुपये भर रह जायेगी तब, ससुर, शेयर क्लीयर करेंगे?
ReplyDeletesateek. shortcut se ameer to ho nahi paye ha diwalaa short sorry microcut se nikal gaya.
ReplyDeleteशेयर मार्केट का दर्द " शेयरिया " ही समझें..माइक्रो पोस्ट का असर उनके लिए मेक्रो है. शेष के लिए माइक्रो ....हा हा.!! अब तो ज्यादातर सवाल ये किए जाते हैं, भइया ! जुए के खेल में कभी हारोगे नहीं.
ReplyDeleteरीटेल इन्वेस्टर की टेल ही बची है, बॉडी गायब हो गयी है!:(
ReplyDeleteकल Rediff मे एक शख्स को दिखाया गया था कि वो शेयर बाजार के बाहर सेंसेक्स देख रहा है बडी हैरत की नजर से, हाथ मे उसके छतरी है और सिर लगभग खंभे से टिका हुआ है.....आज वही व्यक्ति नवभारत टाईम्स मे दिख रहा है ..... ये क्या हो गया कहते हुए उसके हाथ ......सबकुछ कह रहे थे..... और हाँ......आज उसके हाथ मे छतरी नहीं थी।
ReplyDeleteअच्छा लगा आप की माइक्रोपोस्ट को पढ़ कर। अधिक लोगों को पढ़ा और टिपियाया जा सकता है।
ReplyDeleteहमारी फसल बरबाद हो जाती है..या उपज की कीमत कम मिलती है..शायद कुछ वैसी ही अनुभूति हो रही होगी शेयरधारकों को..।
ReplyDeleteहम तो पहले से ही वेदना में हैं, संवेदना तो होगी ही :)
क्या बोलें? बस शुक्र मना रहे हैं कि हमने कोई शेयर कभी नहीं खरीदे और अब अब तो ऐसी हिमाकत बिलकुल नहीं करेंगे!
ReplyDeleteआपकी मार्गदर्शी टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यबाद आपका आगमन नियमित बनाए रखें मेरी नई रचना पढ़े http://manoria.blogspot.com/2008/10/blog-post_11.html
ReplyDeleteजल्दी से उसे भी बेच दें नहीं तो रोने लायक भी नहीं बचेंगे.. :)
ReplyDeleteहमारे एक बुजुर्ग दोस्त ने एक बार ४० हजार युरो के शेयर खरीदे थे, उन दिनो बहुत चढ रहै थे, कुछ समय बाद ४० के उन्हे ४हजार मिल रहै थे, फ़िर पता नही क्या हुआ, लेकिन उन्होने नसीयत हम सब को दी कभी भी लालच मत कर, क्योकि लालच बुरी बात है, ओर हम तो देखते भी नही उस तरफ़
ReplyDeleteराम राम जी की
इकोनोमिक्स शुरू नहीं हुई कि फिलोसॉफी का आगमन भी होने लगता है. °ग्रेटर भूल थ्योरी°
ReplyDeleteआर्थिक मसलों पर और भी पोस्ट्स की आशा करते हैं आपसे.
ReplyDeleteमेरी संवेदनाएं!
ReplyDelete(माइक्रो जवाब)
जल्दी बेंच डालिए नही तो कहीं अगली बार पोस्ट खाली न छोड़नी पड़ जाए
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