Monday, March 2, 2009

पंद्रहवीं लोक सभा का चुनाव - पिंटू जी की रिपोर्टिंग

लोकसभा के चुनावों की तैयारियां चल रही हैं. जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आते जायेंगे, पूरा देश ही चुनावग्रस्त होता जायेगा. मजे की बात यह कि बच्चों के स्कूल के इम्तिहान भी नज़दीक आ गए हैं. ऐसे में मास्टर साहब लोग बच्चों को चुनाव के तैयारियों पर निबंध लिखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

अगर आपके मन में यह सवाल उठे कि छोटे-छोटे बच्चों से चुनाव और राजनीति के ऊपर निबंध लिखवाना तर्कसंगत नहीं होगा तो मैं इतना ही कहूँगा कि हमारे देश में इम्तिहान का मतलब यह पता लगाना नहीं होता कि विद्यार्थी क्या-क्या जानता है? मास्टर साहब लोग यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि विद्यार्थी क्या-क्या नहीं जानता?

यही कारण है कि कक्षा तीन-चार से लेकर सात-आठ तक के छात्रों को इन चुनाव की तैयारियों पर निबंध लिखने के लिए शिक्षक दबाव डाल रहे हैं.

प्रस्तुत है कक्षा चार के एक छात्र पिंटू जी का लिखा एक निबंध.

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शोकसभा के नावों के लिए ऐयारी चल रही है. नेता लोग अपने-अपने आग-लश्कर के साथ ऐयार हो रहे हैं. धानमन्त्री जी तबियत खराब होने के बावजूद नाव प्रचार में टुट गए हैं. हर टोस्टर पर उनका ही मोटो लिखाई दे रहा है. सारे मंत्री रोज शिला-नाश कर रहे हैं.

हर ताजनीतिक बल भत्ता पर काबिज होना चाहता है.

ऐयारियों का हाल यह है कि सारे मंत्री ईजी हो गए हैं. तेल मंत्री ने परसों ही पटना में हमाम परियोजनाओं का बनावरण किया. उन्होंने नावी पोषनाओ के बारे में बताते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में लड़कों को चौड़ा किया जायेगा. वे बता रहे थे कि ओजगार के साधन बढ़ाये जायेंगे.

राष्ट्रीय बनता दल वालों को विश्वास है कि उनकी पार्टी के यक्ष इस बार धानमन्त्री बनेंगे. यक्ष जी ने इन फाहों को चिराधार बताया. उन्होंने बताया कि वे जानते हैं कि वे धानमन्त्री बनेंगे लेकिन कब बनेंगे नहीं मालूम. एक साक्षात्कार में उन्होंने गाया कि; "वन डे ताई विल बिकम प्राईम सिनिस्टर."

टीवी वाले तेल मंत्री के कहे का तलब निकाल रहे हैं.

खाद्यान्न मंत्री का नाम भी धानमन्त्री के रूप में सामने आ रहा है. उन्होंने भी इन फाहों को चिराधार बताया.

बाजा टीवी विज्ञापनों के अनुसार तर प्रदेश में जुर्म एक बार फिर से दम हो गया है. टीवी विज्ञापनों के अनुसार जुर्म दम होने का कारण यह है कि सबके पास 'उनका' साथ है. शोकसभा नावों में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे इस प्रदेश में ऐयारी 'जोरों' के हाथ दिख रही हैं. तर प्रदेश की मुख्यमंत्री यावती जी ने भी ऐयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उन्होंने हाल में (और पार्क में भी) अपनी तिमा का बनावारण किया.

उधर बिहार से केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री श्री सवान जी भी ऐयारी में टुट गए हैं. तर प्रदेश के अपूर्व मुख्यमंत्री यम सिंह जी भी धानमन्त्री बनने के लिए तन बनाये बैठे हैं. इस शोकसभा के गाठन के बाद देश को ढेर सारे धानमन्त्री मिलने की उम्मीद है.

रतीय जनता पार्टी शोकसभा के नावों के लिए मुद्दे की लाश में टुटी है. एक्सपर्ट लोग बता रहे हैं कि यह पार्टी इस बार आम को मुद्दा नहीं बनाएगी. शायद अब इस मुद्दे में दम नहीं रहा. अब यह मुद्दा पार्टी के लिए नोट निश्चित नहीं कर सकता.

पंद्रहवीं शोक सभा के गठन का दाम नावों के परिणाम आने के बाद शुरू हो जायेगा. क्षिण भारत के चारों प्रदेश के नेता-पण हर बार की तरह इस बार भी हंगामा करने के लिए तन बनाये बैठे हैं. सान्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री शिष्टाचार के रोपों से बिंध चुके हैं. इन रोपों की वजह से उन्हें कई बार दिल्ली में जिरी बजानी पड़ी है.

ऐयारियों में टुटे ये नेता इसबार गोली कैसे मनाएंगे, ये देखने वाली बात होगी. नाव आयोग ने गोली के मौसम में नावों की पोषना करके नेताओं को किल में डाल दिया है. तुछ नेताओं का मानना है कि अप्रैल महीने में होने वाले क्रिकेट मैच नावों को प्रभावित कर सकते हैं. तुछ नेताओं ने इसका तोड़ काल लिया है. वे क्रिकेट खिलाडियों से ही नाव प्रचार करवाने की राख में हैं.

अमावस्या केवल नेताओं की नहीं है. अभनेता भी अमावस्या में फंसे हैं. इलम की हूटिंग में फंसे अभिनेता नाव प्रचार के आम कैसे खाएँगे, यह भी देखने वाली बात होगी.

इतनी ऐयारी के बावजूद अभी तक नावी मुद्दे तय नहीं हुए हैं. तुछ नेता जली, तड़क और पानी को मुद्दा बता रहे हैं तो तुछ दुर्गति और आर्थिक निकास को मुद्दा बनाने की राख में हैं. हास पर नज़र डालें तो पता चलता है कि ये मुद्दे हमेशा से खले आ रहे हैं. पहली शोक सभा में भी यही मुद्दे थे और पंद्रहवीं में भी यही मुद्दों को सही मुद्दे ताया जा रहा है.

पंद्रहवीं शोकसभा के नावों पर बार और टीवी के पत्रकार बृष्टि बनाये हुए हैं. टीवी के नल डिस्कशन से लगता है जैसे शंकु शोकसभा होने की भावना है. बार के वाददाताओं की माने तो शोकसभा के नावों से सोचक समीकरण भरेंगे.

15 comments:

  1. बुरी बात है बच्चो से लिखवाकर ब्लोगिंग करना इससे उन्हे अत्यधिक मानसिक तनाव सहना पड सकता है .हम मिडिया वालो से कहेगे कि स्लम डाग की पिटाई का मामला छॊड जरा इस बालक से इता कठिन निबंध लिखवाने वाले बुल डाग के खिलाफ़ विश्व व्यापी आंदोलन चलाये :)

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  2. बहुत सुन्दर.. मजा आ गया.. जय पिन्टू की:)

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  3. मासूम बच्चो के खिलाफ ये अन्याय नही सहेंगे... हम विद्रोह करेंगे.. हम सबको बच्चो के डायपर भेजके विरोध करेंगे...

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  4. बच्चा शब्दों से अक्षर खाने की आदत सीख गय़ा है लगता है किसी नेता का सुपुत्र है।

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  5. बच्चा है कि एय्यार है, बस खोद लाया.


    हँसते हँसते पढ़ा, मजा आया. अक्षर बदलने व खाने से बने शब्द रोचक है. खूब.

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  6. wah...............visit www.rangparsai.blogspot.com

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  7. पिन्टू देश का भावी प्रधानमंत्री लग रहा है..काफी स्पेलिंग बड़े नेताओं की लेखनी की झलक दे रही हैं पालने से. :)

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  8. बंधुवर निःसंदेह ये आपकी सर्वश्रेष्ठ पोस्ट में से एक है...लाजवाब व्यंग लेखन है और ये दर्शाता है की आप के मश्तिक्ष की भूमि कितनी उर्वर है...जो भाषा और कथ्य का आपने इस में प्रयोग किया है वो व्यंग लेखन में मील का पत्थर साबित होगा...ऐसा मेरा अनुमान है...जिसके गलत होने की सम्भावना नगण्य है...
    हम इसे पढ़कर हो हो कर के लगातार हंस रहे हैं इस लिए टिपण्णी में क्या लिख रहे हैं इसका सही सही भान हमें नहीं हो रहा....

    नीरज

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  9. आता है ति पिंटू दल्दी बदा होगा ओर पदान मंती बन जाएगा। तुभकानना:):):)

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  10. neta ka bachcha hai ya phir neta banne ki taiyyari kar raha hai, kul milakar achcha baccha hai.

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  11. @ कुश -
    किन करल के देपर होंगे? हमे तो पिक पसनद हे।
    --- पिनटू पांडे

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  12. बालक ने अज्ञानतावश/सरलतावश लेखन में जो मात्रिक अशुद्धियाँ की हैं और जिस तरह अर्थ का अनर्थ हुआ है,यह व्यंग्य नहीं, वस्तुतः यही वर्तमान राजनीति का सत्य है......
    होणार बालक है,इस अवस्था में ही उसने भारतीय राजनीति का सत्य वर्णित कर दिया....निश्चय ही "पदानमंत्री" बनने की योग्यता रखता है.

    लाजवाब व्यंग्य..........शाबाश !!!

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  13. वाह! पिंटू तो बहुत ग़ज़ब का लेखक है. दिनेश जी की बात पर भरोसा न करें. ये वकील लोग हर जगह झगड़ा लगवाने में लगे रहते हैं. मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं वह किसी व्यंग्यकार का ही बच्चा है.

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  14. बड़ा होशियार बच्चा है, अभी से राजनीति पर पकड़ बना रहा है...हम तो इस निबंध के १०० नंबर देते हैं.

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय