'
जी हाँ, आज सुबह-सुबह हलकान भाई से मुलाकात हो गई. इधर-उधर की बातें हुईं. उन्होंने बिभूति नारायण राय के बयान की निंदा की. उसके बाद मंहगाई पर चिंतित हुए. बात आगे बड़ी तो सुरेश कलमाडी की आलोचना करते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सरकार हम नागरिकों का पैसा पानी की तरह बहा रही है. पैसे के पानी की तरह बहने की बात शुरू हुई तो याद आया कि मानसून की कमी और बाढ़ पर भी बात कर सकते हैं. फिर उसपर भी बात हुई. उसके बाद उन्होंने सरकार की नीतियों पर क्षोभ प्रकट करते हुए आशंका जताई कि आनेवाला समय मिडिल क्लास और लोवर मिडिल क्लास के लिए बहुत कष्टदायक होगा.
बात करते-करते जब मुझे यह लगने लगा कि अब लगभग सभी मुद्दे ख़त्म हो चुके हैं तभी उन्होंने अपनी वसीयत की बात शुरू कर दी. उन्होंने अपने ब्लॉग पर उनकी वसीयत टाइप करने के लिए मुझे धन्यवाद् जैसा कुछ देते हुए कहा; "दूसरे के लिए इतना कुछ करने का जज्बा मैंने बहुत कम ब्लॉगर में देखा है. मेरी वसीयत अपने ब्लॉग पर पब्लिश करने के लिए मैं पोस्ट लिख कर तुम्हें सम्मानित करना चाहता हूँ."
बस उनकी बात सुनकर मैं डर गया. मुझे लगा कि; 'जिस बात से हमेशा डरते रहे, कहीं ऐसा न हो वह हो ही जाए. ऐसा न हो कि हलकान भाई सचमुच मुझे सम्मानित कर दें. वैसे भी मुझे हमेशा डर लगा रहता है कि ब्लॉग पुरस्कार देने वाले किसी दिन पकड़कर सम्मानित कर देंगे तब क्या करूँगा? देखेंगे न लेते बनेगा और न ही ना करते.'
खैर, मैंने उनसे कहा; "हलकान भाई, जाने दीजिये न. क्या सम्मानित करना है? आपने उस पोस्ट पर कमेन्ट कर दिया, यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है."
वे बोले; "केवल कमेन्ट से ब्लॉगर का सम्मान पूरा नहीं होता. ब्लॉगर का असली सम्मान तब होता है जब उसके योगदान के लिए उसे पोस्ट लिखकर सम्मानित किया जाय."
मैंने कहा; "जाने दीजिये न हलकान भाई. मैंने आपकी वसीयत ही तो अपने ब्लॉग पर छापी थी. वह तो मुझे वैसे भी छापना ही था."
वे बोले; "अरे ऐसे कैसे जाने दें? नहीं जाने दूंगा.मैं तुम्हें सम्मानित करके रहूँगा."
फिर कुछ सोचने के बाद बोले; "लेकिन कौन सी कैटेगरी में सम्मानित करूं तुम्हें?"
मैंने कहा; "मैं समझा नहीं."
मेरी बात सुनने के बाद सोचते रहे. अचानक बुदबुदाए; "अच्छा, वर्ष का सर्वश्रेष्ठ टंकक सम्मान कैसा रहेगा?"
मैंने कहा; "टंकक? टंकक का मतलब क्या होता है, हलकान भाई? मैं समझा नहीं?"
वे बोले; "अरे टंकक का मतलब टंकण करने वाला. मतलब टाइप करने वाला. तुमने मेरी वसीयत अपने ब्लॉग पर जो छापी उसके लिए तुमने टाइप तो किया ही न."
कुछ समझ में नहीं आ रहा था. मैं सोचने लगा कि सम्मान मिलेगा और वो भी टंकक का! बड़ी दुविधा में फँसा था. क्या कहूँ हलकान भाई से? उन्हें सीधा-सीधा मना कर दूँ?
मेरी 'सोचनीय' अवस्था को शायद वे भांप गए. मुझसे बोले; "अरे चिंता मत करो. मैं अपने ब्लॉग पर ज्ञान जी को भी सम्मानित करने वाला हूँ. साथ-साथ तुम्हें भी कर दूंगा. लोग यह तो नहीं कहेंगे कि केवल एक को सम्मानित किया और दूसरे को नहीं किया."
उनकी बात सुनकर मन में आया कि; 'मतलब मेरे साथ ज्ञान भइया भी गए?'
वैसे मुझे बड़ा अजीब लग रहा था. अजीब कैटेगरी है; वर्ष का सर्वश्रेष्ठ टंकक. फिर मन में उत्सुकता जागी कि हलकान भाई से पूछें कि वे भइया को कौन सी कैटेगरी में सम्मानित कर रहे हैं? मैंने उनसे पूछा; "वैसे हलकान भाई, आप ज्ञान भइया को कौन सी कैटेगरी में सम्मानित कर रहे हैं?"
वे बोले; " अभी तक तय नहीं हुआ है. असल में कैटेगरी तय करने वाली हमारी समिति में ज्ञान जी के सम्मान की कैटेगरी को लेकर मतभेद हो गया है. लेकिन चिंता करने की बात नहीं है. हम जल्द ही इस मतभेद को सुलझा लेंगे."
मैंने कहा; "मतलब अभी तक तय नहीं हुआ है? वैसे क्या-क्या कैटेगरी हो सकती है उनके लिए?"
वे बोले; "देखो तीन कैटेगरी में मामला उलझा हुआ है. हमारी समिति के दो मेंबर चाहते हैं कि ज्ञान जी को वर्ष का सर्वश्रेष्ट मार्निंग ब्लॉगर सम्मान दिया जाय. दो मेंबर चाहते हैं कि उन्हें वर्ष का सर्वश्रेष्ठ गंगा प्रचारक ब्लॉगर सम्मान दिया जाय. वही समिति के एक मेंबर इस बात पर टिके हुए हैं कि ज्ञान जी को वर्ष का सर्वश्रेष्ठ संचारक ब्लॉगर सम्मान दिया जाय."
मैंने कहा; "संचारक? यह कौन सी कैटेगरी हुई?"
वे बोले; "संचारक ब्लॉगर का मतलब तो मुझे भी नहीं मालूम है लेकिन अगर हमारी समिति के मेंबर ने ऐसी कोई कैटेगरी बनाई है तो उसका कुछ न कुछ मतलब ज़रूर होगा."
मैंने कहा; "तो आपने बाकायदा समिति बना रखी है जो कैटेगरी का आविष्कार करती है? जिससे ब्लॉगर भाइयों और बहनों को पकड़ कर सम्मानित किया जा सके?"
वे बोले; "अरे इतना बड़ा महोत्सव है. बिना तैयारी के कैसे शुरू कर देता? बाकायदा समिति है. फाइव मेंबर कमीटी . मेजोरिटी का डिसीजन फाइनल होता है. हाँ, कभी-कभी किसी कैटेगरी पर झमेला हो जाता है जैसे ज्ञान जी वाली कैटेगरी पर. ऐसी परिस्थिति में मेरा निर्णय फाइनल और मान्य होता है."
मैंने कहा; "तो हलकान भाई, इसका मतलब आप और भी लोगों को सम्मानित करेंगे? वैसे और कौन-कौन सी कैटेगरी है?"
वे बोले; "बहुत लम्बी लिस्ट है कैटेगरी की. सुनाना शुरू करूँगा तो पूरा एक दिन लगेगा. अभी तक सत्तर कैटेगरी का अनाऊँसमेंट हो चुका है. लेकिन अभी भी करीब एक सौ पैसठ कैटेगरी बाकी हैं. कुछ प्रमुख कैटेगरी हैं जैसे सर्वश्रेष्ठ आंचलिक जूनियर ब्लॉगर, सर्वश्रेष्ठ आंचलिक सीनियर ब्लॉगर, सर्वश्रेष्ठ आंचलिक प्रचारक, सर्वश्रेष्ठ आंचलिक प्रताड़क, सर्वश्रेष्ठ कानूनी ब्लॉगर, सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मी ब्लॉगर, सर्वश्रेष्ठ भोजपुरी फ़िल्मी ब्लॉगर, सर्वश्रेष्ठ......"
मैंने कहा; "बस-बस...हलकान भाई मैं समझ गया. आप महान काम कर रहे हैं."
वे बोले; "ब्लागिंग का मतलब केवल पोस्ट और टिप्पणी लिखना नहीं होता है. ब्लागिंग का मतलब सम्मान भी होता है. ब्लागिंग का मतलब अपमान भी होता है. ब्लागिंग का मतलब गुमनाम भी होता है. ब्लागिंग का मतलब...."
मैंने कहा; "समझ गया हलकान भाई. पूरी तरह से समझ गया."
वे बोले; "तो तुम्हारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ टंकक के रूप में सम्मान पक्का..."
पुरस्कार |
क्या कहता? कुछ नहीं बोला. हाँ यह सोचते हुए उनसे विदा हुआ कि जब तक पोस्ट लिख रहा हूँ तबतक ठीक है, जिस दिन पोस्ट नहीं लिख पाऊँगा उसी दिन से सम्मान देने का धंधा शुरू करूँगा और सबसे पहले हलकान भाई को वर्ष के सर्वश्रेष्ठ सम्मान वितरक के ख़िताब से सम्मानित करूँगा.
अंगूर खट्टे हैं
ReplyDeleteom nammah shivaayae
ReplyDeleteवाह! शायद मॉर्निग में गंगा-प्रचार युक्त संचारक ब्लॉगर का सम्मान मिले! क्या ख्याल है!
ReplyDeleteब्लॉगरों को ब्लॉग सम्बन्धी कार्यों के लिए ही सम्मान नहीं मिलता, और भी क्षेत्रों में काम करने पर सम्मानित किया जाता है. जैसे दान-धर्म करने पर सर्वश्रेष्ट साहसी सम्मान. अँगूर खट्टे लगे तो सर्वश्रेष्ट टेस्टर सम्मान.
ReplyDeleteकहने का मतलब यह है कि सम्मानित करने के मामले में कोई बाधा कोई दीवार आड़े नहीं आती, बस गले डालने का जज्बा होना चाहिए.
सुना है हलकान भाई ने एक सर्वश्रेष्ट प्रवासी-परिंदे केटेगरी भी बनाई है. विदेश से देश के लिए आसूँ बहाते ब्लॉगर के लिए.
आपको सम्मान मिल रहा है...कौनसा सम्मान मिल रहा है ये महत्वपूर्ण नहीं है...सम्मान महत्वपूर्ण है...याने अब आप चर्चा में आ जायेंगे...याने अब आपके ब्लॉग पर टिप्पणियों की बाड़ आ जाएगी...याने आपके की शान में और आपके विरुद्ध खूब लिखा जायेगा...याने अब हर ब्लोगर कहेगा यदि उसे तो हम क्यूँ नहीं समझा गया सम्मान के लायक??? याने "हम किसी से कम नहीं..."कव्वाली हर ब्लॉग पर बजने लगेगी...हलकान जी ने कुरुक्षेत्र की लड़ाई का बिगुल बजा दिया है...सेनाएं आमने सामने डट चुकी हैं...सुबह होने होने का इंतज़ार है...हलकान जी की तरफ से सम्मान का तीर जैसे ही चला उधर से तलवारे खींचते सारे योद्धा मैदान में कूद पड़ेंगे...अंत में थक हार कर शाम को ये भी भूल जायेंगे के जंग का मुद्दा क्या था...
ReplyDeleteहर सम्मान के बाद ये ही कहानी सदियों से दोहराई जा रही है..दोहराई जाती रहेगी...टेंशन मत लें...सम्मान ले कर अपने ब्लॉग पर उसका लोगो चिपकाएँ और मस्त रहें..
नीरज
तुसी ग्रेट हो मिश्र जी..!!!....सच्ची बोले तो ......
ReplyDeleteहे भगवान, इतनी सारी कैटेगरीयां.....इतने सारे झमेले....बाप रे।
ReplyDeleteवैसे सम्मान लेना और उसके अनुसार प्रतिक्रिया व्यक्त करना भी बड़ा जीवट का काम है...क्यों न एक और सम्मान की घोषमा की जाय ....'सर्वश्रेष्ठ जीवटाचार्य' :)
झकास पोस्ट है।
*घोषणा पढ़ें!
ReplyDeleteशिव भैया,
ReplyDeleteसत्तर अस्सी कैटेगरी और बढ़ा दें आपके हलकान जी तो हम भी सम्मान ले लेंगे जी, काहे से कि हमारा सक्रियता क्रमांक 315 के आस पास है। कुछ मिसमैनेज करिये न, आपका तो बहुत आन, बान, शान वाला मान सम्मान करते हैं। अपने लिये कैटेगरी भी हमीं सुझा देते हैं, सर्वश्रेष्ठ कढ़ीबिगाड़ ब्लॉगर।
तो मौसा जी, सम्मान पक्का समझें न?
सर्वश्रेष्ठ रौंदू ब्लोगर का सम्मान हो तो बताइयेगा हमारे एक परिचय वाले ब्लोगर है उनको दिलाना है.. एक सर्वश्रेष्ठ बड़े भाई ब्लोगर का सम्मान भी हो जाये तो मज़ा आये..
ReplyDeleteटेस्टर का तो संजय भाई ने बता ही दिया है.. एक सम्मान उस ब्लोगर के लिए भी होना चाहिए जो सम्मानित करने वाले ब्लोगर की कोई नॉन सम्मान पोस्ट ढूंढ के लाये..
वैसे हम जो ऊपर ये बोले है उसकी वजह हमें एक भी सम्मान नहीं मिलना है.. (ऊपर वाले का करम कहूँ या अपनी अच्छी किस्मत)
शीव बाबू, आप भी सम्मान देने का धंधा शूरू करने के बारे में सोचने लगे!
ReplyDeleteआपको तो अब हमारी ब्लागर सम्मान वितरक एसोसियेसन की सदस्यता लेनी पड़ेगी.
हिन्दी ब्लागिंग के शैशवावस्था से बाहर निकालने के लिये ये जरूरी है कि राब्लाद के हर सदस्य के ब्लाग पर हमारे सम्मान की चिप्पी चिपकी हो
संजय बैगानी ने "अंगूर टेस्टर" सम्मान का नाम सुझाया है इनको भी सम्मान सुझाव सम्मान देना चाहिये
चचा को कोई सम्मान मिले, हमें हार्दिक प्रसन्नता होगी।
ReplyDeleteफोटो चकाचक लगाए हैं ;)
सलीम खान की सटीक टिप्पणी से बाटा (99.95%) सहमति।
ReplyDeleteएक बात बताइये कि ये टंकक पुरस्कार अलग-अलग फ़ॉंट/साफ़्टवेयर/जुगाड़(बारहा,इंडिक,गूगल ट्रांसलि्ट्रेशन आदि) के हिसाब से मिलेंगे कि सब तरह की टाइपिंग के लिये एक इनाम बांट दिया जायेगा! और हां, सह टंकक का भी कोई इनाम बंटेगा कि गोल कर दिया जायेगा।
व्यंग्य को समझना बड़ा मुश्किल होता है !! मनुष्य की आदिम प्रवृति यानी आत्म प्रशंसा या कोई उसे बड़ा कहे आदी आदी ...अपने कितनी बारीकी ke साथ दोहरे तिहरे किरदारों को दिखलाया है.लेकिन हम कुड मगज़ इतना भी नहीं समझ पाते hain!!
ReplyDeleteआप लिखते रहें !! अच्छा लिख रहे हैं !
समय हो तो पढ़ें:
शहर आया कवि गाँव की गोद में
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_04.html
ठीक है पहले सब तय तू कर लीजीए तब घोषणवा कर डालिएगा ....तब तकले तो हम कहबे करेंगे कि ..........उंह कुछ जलने की बू आ रही है ......मगर आ कहां से रही है ???
ReplyDeleteकोई ऐसी कैटेगरी ढूढ़ी जाये जिसमें दूसरा फिट भी न हो पाये।
ReplyDeleteइस सहज, सरल मगर जटिल सामान, मेरा मतलब सम्माननीय प्रस्तुति की अंतर्ध्वानियां देर तक और दूर तक हमारे मन मस्तिष्क में गूंजती चली गई है। सम्मान के बुनियादी मुद्दों पर केंद्रीत यह आख्यान हमें प्राभावित तो करती ही है, यह सोचने के लिए बाध्य भी करती है कि इस तरह के सम्मान से हम कितने सम्मानित और कितने असम्मानित(अपमानित) होते हैं ?
ReplyDeleteयह सम्मान से भरी दुनिया अपने काम की नहीं लगती है। चलता हूँ। मैं तो आपकी अच्छी सी पोस्ट पढ़कर ही सम्मानित हो लिया। बाकी कुछ मिले या न मिले। अपना उल्लू तो सीधा हो लिया।
ReplyDeleterakh kar diya hai aapne,
ReplyDeletehalkaan ji aise hi halaakaan karte rahein, aapko aur paathko ko bhi
;)
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ReplyDelete.
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हा हा हा हा,
अच्छा भला सोने से पहले दूध पी रहा था इतनी हंसी आई कि नाक से निकल कर की-बोर्ड पर भी गिर गया है... तो यह टीप दूधमय ही समझिये...
"क्या कहता? कुछ नहीं बोला. हाँ यह सोचते हुए उनसे विदा हुआ कि जब तक पोस्ट लिख पा रहा हूँ तबतक ठीक है. हाँ, जिस दिन पोस्ट नहीं लिख पाऊँगा उसी दिन से सम्मान देने का धंधा शुरू करूँगा..."
कितनी खूबसूरत परिकल्पना है और कितना सुखद संवाद भी... शीघ्र शुरू हो आपका यह धंधा... जल्दी से जल्दी आपकी यह गत हो... हमारा नंबर भी आयेगा फिर... यह सोच-सोच हलकान हुऐ जा रहे हैं हम भी... ;)
...
सम्मान का पोस्टमार्टम...टॉप टू बॉटम...ग्रेट
ReplyDeleteजय हिंद...
बोले तो झक्कास -मैं तो खल्लास , खल्लास ,खल्लास !
ReplyDeleteइनके बिना दुनिया कितनी नीरस और बेमजा नहीं हो जायेगी...
यह कैसी परिकल्पना है जो अपने शिव भाई को अभी तक नहीं लपेट पायी ,मुला लिपटा ली होती तो गजब हो गया होता -फिर ई झन्नाटेदार पोस्ट का माज़ा(इस समय माज़ा ही चल रहा है ,जबसे गिरिजेश जी वर्तनी शुद्ध किये हैं ! ) जाता रहता !
एक कटेगरी छूट गयी -हलकान विद्रोही जनक सम्मान !
अद्भुत!
ReplyDeleteआपके लेखन में बहुत सुधार है । जारी रखिये । सफलता आपके कदम चूमेगी ।
ReplyDelete@ विवेक सिंह -
ReplyDeleteवाह! सर्वश्रेष्ठ लेखन सुधारोन्मुख ब्लॉगर!
nice
ReplyDelete:)
और जो सम्मान लेने से इनकार करे उसके लिए मैंने काफी पहले ही "खुशदीप सम्मान " की कटेगरी बना दी थी ....(खुशदीप भाई से क्षमायाचना सहित ,केवल निर्मल हास्य के लिए ) -मगर दुःख है यह सम्मान किसी को दिया नहीं गया -अब नाईस वाले यह परिकल्पना सम्मान शिव भाई को आफर करें ,जाहिर हैं वे ठुकरा देगें ही -झट से वे खुशदीप सम्मान के हकदार बन जायेगें ! :) :)
ReplyDelete
ReplyDeleteनीरज जी टिप्पणी पढ़ने के बाद कुछ भी कहने को रह नहीं गया।
…………..
अंधेरे का राही...
किस तरह अश्लील है कविता...
ब्लागिंग का गूढ़ सत्व प्राप्त हुआ....
ReplyDelete"ब्लागिंग का मतलब केवल पोस्ट और टिप्पणी लिखना नहीं होता है. ब्लागिंग का मतलब सम्मान भी होता है. ब्लागिंग का मतलब अपमान भी होता है. ब्लागिंग का मतलब गुमनाम भी होता है. ब्लागिंग का मतलब...."
एकदम चकाचक पोस्ट है....
आप हिन्दी की बहुत मेवा कर रहे हैं इसलिये आपको कलेवा सम्मन के लिये तीन अन्य लोगों के साथ नामित कर लिया है। बाकी दोनों प्रायोजक के भाई और आयोजन समिति के पदाधिकारी हैं। सम्मन भिजाने की तय्यारी सम्मन सम्मान की घोषणा के बाद होगी।
ReplyDeleteज्ञान जी को देखकर अच्छा लगा।
नीरज जी ने व्यंग्य का सटीक जवाब दिया है .....सलीम ने कहा कि "अंगूर खट्टे हैं " ....मेरे समझ से हलकान जैसे लोमड़ी की क्षुद्र मानसिकता समझनी चाहिए थी परिकल्पना वालों को और दे देना चाहिए था धूर्त लोमड़ी सम्मान !
ReplyDeleteहा हा !
ReplyDeleteकुछ हमें भी दिलवाइए न हकलान भाई से कह के. आपकी तो सेटिंग लगती है. एक तो वो पोस्ट दे देते हैं और ऊपर से इनाम भी. हकलान भाई कहीं आपको हायर तो नहीं कर रहे पुरस्कारों की सूची के टंकण के लिए?