Monday, November 26, 2007

ब्लॉग में ब्लॉगर

सं (वैधानिक) अपील - ब्लॉगर मित्रों से अनुरोध है कि पोस्ट को केवल मनोरंजन की दृष्टि से देखें.

ब्लॉगवाणी पर पोस्ट आने के बाद चिट्ठे के नाम के आगे चिट्ठाकार का नाम आता है. कई बार दोनों को मिलाने पर बड़े रोचक वाक्य बनते हैं. एक नज़र डालिए;

पहलू में चंद्र भूषण -किसके?

मीडिया व्यूह में नीशू - चक्रव्यूह का ज़माना गया अब.

छाया में प्रमोद रंजन - घनी है या नहीं?

जूनियर कौंसिल में संजीव तिवारी - भगवान् प्रमोशन दें

विस्फोट में संजय तिवारी - कब कौन कहाँ फंस जाए, कह नहीं सकते

झारखण्ड राज्य में राजेश कुमार - बगल में बिहार और बंगाल भी है

दर्पण के टुकडे में कृशन लाल 'किशन' - कितने टुकडों में हैं, सर

समयचक्र में महेंद्र मिश्रा - समय का चक्कर है

एक हिन्दुस्तानी की डायरी में अनिल रघुराज - और किसी का नाम नहीं है?

खेत खलियान में शिव नारायण गौर - भारत एक कृषि प्रधान देश है.

इन्द्रधनुष में नितिन बागला - रंग पूरे हैं तो?

तीसरा खम्बा में दिनेश राय द्विवेदी - बाकी दो में कौन है?

जीवनधारा में अस्तित्व - बाकी है तो ?

कबाड़खाना में दीपा पाठक - ऐसी जगह क्यों चुनी?

निर्मल आनद में अभय तिवारी - बहुत कम लोगों को नसीब होता है

चिटठा चर्चा में अनूप शुक्ल - केवल चिटठा चर्चा में?

कही अनकही में खुश - होना ही चाहिए

भूख में सत्येन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव - समय निकाल कर कुछ खा लीजिये

बाल उद्यान में नंदन - और किसी को इजाजत नहीं है

ज्ञानदत्त पाण्डेय की मानसिक हलचल में ज्ञान दत्त पाण्डेय - कौन किसके अन्दर है?

16 comments:

  1. जबरजस्त!
    क्या धांसू नज़र डाली है!!
    मजा आ गया!!

    इसे तो एक पूरी श्रृंखला बना डालिए!!

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  2. ये लिखा तो आपने बहुत ही अच्छा है बन्धु. लेकिन दुःख इस बात का है कि इसमे मेरे और मेरे ब्लॉग का उल्लेख कंही नही है. इसलिए मैं टिपण्णी नही करूँगा.

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  3. बडी पारखी नजर रखते हैं शिव भईया, हा हा हा मजा आ गया ।

    आरंभ
    जूनियर कांउसिल

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  4. "शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग में शिवकुमार मिश्र" - इत्ता लम्बा बोल कर सम्बोधित करने की बजाय उतने समय मे‍ खुद कलकत्ता न पंहुच जायें!

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  5. अनोखी नजर है आपकी और दृष्टिकोण जो जनाब लाजबाब…।

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  6. "कहीं की ईंट ...कहीं का रोडा...

    शिव कुमार और ज्ञानदत्त ने कुनबा जोडा"

    फुल्ल-फुल्ल मज़ा आ गया जी ...

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  7. बहुत बढिया भाई, आपने तो बस रस की फुहार ही छोड दी ।

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  8. पहलू में चंद्र भूषण -किसके?- ये अन्दर की बात है!
    मीडिया व्यूह में नीशू - चक्रव्यूह का ज़माना गया अब.-अब नये जमाने की नयी पसंद। ब्लाग व्यूह!

    छाया में प्रमोद रंजन - घनी है या नहीं? -कहां, मुआ सूरज ताका-झांकी कर रहा है।

    जूनियर कौंसिल में संजीव तिवारी - भगवान् प्रमोशन दें- अहर्ता पूरी करने पर या आउट आफ टर्न!

    विस्फोट में संजय तिवारी - कब कौन कहाँ फंस जाए, कह नहीं सकते- ट्राई मारने में हर्ज क्या है?

    झारखण्ड राज्य में राजेश कुमार - बगल में बिहार और बंगाल भी है- वहीं तस्लीमा भी हैं।

    दर्पण के टुकडे में कृशन लाल 'किशन' - कितने टुकडों में हैं, सर- टुकड़े किरचों में बदल गये, गिनना मुश्किल है।

    समयचक्र में महेंद्र मिश्रा - समय का चक्कर है- चक्कर नहीं है घनचक्कर है।

    एक हिन्दुस्तानी की डायरी में अनिल रघुराज - और किसी का नाम नहीं है?- है लेकिन बतायेंगे नहीं।

    खेत खलियान में शिव नारायण गौर - भारत एक कृषि प्रधान देश है.- भारत एक ब्लाग प्रधान देश भी है। पहले मीटिंग प्रधान भी रहा बहुत दिन।

    इन्द्रधनुष में नितिन बागला - रंग पूरे हैं तो?- थे लेकिन अब उड़ गये।

    तीसरा खम्बा में दिनेश राय द्विवेदी - बाकी दो में कौन है? -तीसरे के फोटो।

    जीवनधारा में अस्तित्व - बाकी है तो ?- कह नहीं सकते।

    कबाड़खाना में दीपा पाठक - ऐसी जगह क्यों चुनी?ये आराम का मामला है।

    निर्मल आनद में अभय तिवारी - बहुत कम लोगों को नसीब होता है- इनको तो मिला। बांट लेंगे।

    चिटठा चर्चा में अनूप शुक्ल - केवल चिटठा चर्चा में?- कहां नहीं हैं।

    कही अनकही में खुश - होना ही चाहिए- सत्यवचन!

    भूख में सत्येन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव - समय निकाल कर कुछ खा लीजिये- अच्छा बना है।

    बाल उद्यान में नंदन - और किसी को इजाजत नहीं है- हम तो जबरिया घुसबै यार हमार कोई का करिहै!

    ज्ञानदत्त पाण्डेय की मानसिक हलचल में ज्ञान दत्त पाण्डेय - कौन किसके अन्दर है?- अन्दर जाकर ही पता चलेगा।

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  9. अनूपजी ने तो नहले पे दहला ठोंक दिया है। कोई और हो तो बताए नहीं तो, पत्ते समेटें।

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  10. @ हर्ष वर्धन जी,

    समेंट लिया सर....अनूप जी के पत्ते को दहला मत कहिये. उन्होंने सीधा बादशाह दे मारा है और बादशाह के ऊपर वाला पत्ता मेरे पास नहीं....:-)

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  11. डबल डोज हो गया. आपने क्या खुब कहा तो शुक्लजी से उसे बहुत खुब बना दिया.

    मजा आया.

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  12. खाली दिमाग शैतान का घर ... कुछ काम कर लो भैय्या.
    नीरज

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  13. खाली पीली गदर मचा रहे हो।

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  14. जोरदार भाई! अनूप जी को खास तौर से बधाई दीजिए.

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  15. किशन के बाल बढ़ जाएं तो उनका जिक्र भी सारे ब्लॉग जगत में होगा। अभी तो इस चिंता में झड़े हुए हैं कि उनका जिक्र नहीं हो रहा है।

    शिवकुमार मिश्र कलकत्ता पहुंचे तो ज्ञानदत्त पांडेय की रेलगाड़ी में बिना टिकट ही मिलेंगे। वैसे भी इस समय सीटें फुल्लम फुल्ल हैं इसलिए और कोई विकल्प नहीं बचता है।

    राजीव तनेजा जी इसमें ईंटें तो नहीं हैं, लोहपथगामिनी और उसके नीचे रोड़े जरूर मिलेंगे। तो कहना चाहिए कहीं का लोहा कहीं का रोड़ा . किशन का सर सपाट कर छोड़ा। बाल नदारद।

    शैतान को भी रहने के लिए अब घर नहीं ब्लॉग चाहिए। कौन रखेगा शैतान को अपने ब्लॉग में। बतलाये।

    बोलो कट कटर की जय विजय।

    इसे ट्रांसलिट्रेशन के औजार की जरूरत नहीं है। ऐसे ही खूब असर करेगा। जिस जिसके घाव हो जाएं, वे टाटा का नमक और देगी मिर्च छिड़क लें, भरपूर मजा देंगी।

    देर से ही सही पर चिकित्सा दुरुस्त होगी, फेफड़े खुल जाएंगे। हंसी भरपूर आएगी। मनोरंजन की रेल सबकी लंबी करेगी टेल। अब एक कहानी और सुनाएं। कुछ हिस्सा हमसे भी जुड़वायें।

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय