शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय, ब्लॉग-गीरी पर उतर आए हैं| विभिन्न विषयों पर बेलाग और प्रसन्नमन लिखेंगे| उन्होंने निश्चय किया है कि हल्का लिखकर हलके हो लेंगे| लेकिन कभी-कभी गम्भीर भी लिख दें तो बुरा न मनियेगा|
||Shivkumar Mishra Aur Gyandutt Pandey Kaa Blog||
Wednesday, November 28, 2007
टेस्ट पोस्ट्- एक जोक ही सुन लें!
सरकारी विभाग के एक ठेका दिया जाने वाला था - एक दीवार की मरम्मत का। तीन प्रत्याशी सामने आये। पहले ने कागज पर गणना की और कहा - 900 रुपये। चार सौ का माल, चार सौ की मजूरी और 100 मेरा लाभ।
दूसरा तगड़ा प्रतिद्वन्द्वी था। गणना कर बोला - 700 रुपये। तीन सौ का माल, तीन सौ मजूरी और 100 मेरा लाभ।
तीसरा प्रतिद्वन्द्वी सबसे स्मार्ट था। उसने कोई गणना नहीं की। कागज-कलम का कोई प्रयोग नहीं किया। वह तुरंत अधिकारी के कान में फुसफुसाया - 2700 रुपये। हजार आपके, हजार मेरे और सात सौ इस दूसरे वाले से काम कराने के।
अधिकारी प्रसन्न! तुरत बोला - बिल्कुल सही। दो हजार सात सौ पर तय!
तो आप हैं वे तीसरे।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब रही वाह जनाब
ReplyDeleteसत्य है सोलह आने सच
ReplyDelete