कल की बातें.
एनालिस्ट परेशान है. तीन घंटे हो गए, शूट को मैच करते हुए टाई नहीं मिल रही. कल बजट है न.
टीवी कैमरामैन वित्तमंत्री के अलग-अलग विडियो इकठ्ठा करने में लगा है. कल बजट है न.
वित्तमंत्री थिरु वेल्लूर की कविता संग्रह से कविता छांटने में लगे हैं. कल बजट है न.
भारत कहाँ तक फैला है और इंडिया कहाँ तक, इसकी खोज हो रही है. कल बजट है न.
स्टॉक ब्रोकर को पलंग पर लेटे हुए चार घंटे हो गए लेकिन नींद नहीं आ रही है. कल बजट है न.
प्रधानमंत्री वित्तमंत्री की प्रशंसा करते हुए भाषण लिख रहे हैं. कल बजट है न.
रूलिंग पार्टी के एमपी मेज थपथपाने की प्रैक्टिस कर रहे हैं. कल बजट है न.
मिसेज शर्मा आज ही फ्रिज खरीद लाईं. कल बजट है न.
विपक्षी पार्टी के एमपी चिल्ला कर संसद की कार्यवाई रोकने की प्रैक्टिस कर रहे हैं. कल बजट है न.
उद्योगपति वित्तमंत्री को नंबर देने की प्रैक्टिस कर रहे हैं. कल बजट है न.
लोकसभा के स्पीकर 'लाऊडस्पीकर' होने की प्रैक्टिस कर रहे हैं. कल बजट है न.
आज की बात
बजट आया और चला गया. निराश न हों, एक साल बाद फिर से आएगा.
इस इग्यारह बातों को यथावत या ऊपर नीचे कर एक नयी पोस्ट की तरह अगले बजट के समय भी पेश किया जा सकता है। वह पोस्ट भी बासी नहीं होगी। ठीक उसी तरह कि साल दर साल आता बजट कभी बासी नहीं हुआ।
ReplyDeleteदेश बजट से बजट तक प्रगति करता जायेगा!
अगले साल कुछ और खरीदेंगी मिसेज शर्मा।
बजट पर लिखे गए निबंध का कैप्सूल एडीशन है क्या यह?
ReplyDeleteवैसे ज्ञान भइया की बात ठीक है. अगले साल इसी पोस्ट को कॉपी करके पेस्ट कर देना.
वाकई!! ज्ञान जी सही कह रहे हैं
ReplyDeleteवाह सर वाह - गागर में महासागर - [ क्या बात है दो अंगूठों में (:-)] rgds - मनीष
ReplyDeletesahi mein, aisa hi hota hai..ekdum sateek..lol
ReplyDeletesab circus hai.
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