कल रतीराम जी की पान दुकान पर गया था. निंदक जी मिल गए. इधर-उधर की बात हुई. बात करते-करते बोले; "सुने कि नहीं? ई रतीरमवा बिजनेस डाईभर्सीफाई कर रहा है."
मैंने कहा; "हाँ सुना था मैंने. वो आईपीएल की टीम का आक्शन हो रहा था तो गए थे टीम खरीदने.
मेरी बात सुनकर बिदक गए. बोले; "का महराज आप भी न. खाली ब्लागिंग में लगे रहते हैं. बाकी दुनियाँ में का हो रहा है, कौनौ ख़बर नहीं रखते."
मैंने कहा; "मतलब? और कुछ नया हो गया क्या?"
बोले; "अरे ऊ किरकेट टीम का मामला पुराना है. अब तो ई और भी केतना बिजनेस खोलने का बात करने लगा है."
मैं जानने के लिए उत्सुक हो गया. मैंने कहा; "अच्छा. क्या बिजनेस करना चाहते हैं रतीराम जी?"
निंदक जी ने इशारे से कुछ दिखाया. बोले; "ई देखिये. केतना-केतना प्रोजेक्ट रिपोर्ट मंगाकर रक्खा है ई. उधर देखिये का-का बिजनेस का रिपोर्ट है."
मैंने देखा तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. रतीराम जी जहाँ बैठकर पान लगाते हैं, वहीं पर तीन-चार प्रोजेक्ट रिपोर्ट रखी हुई थी. मैंने उलट-पलट कर देखा. एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट हिन्दी टीवी न्यूज़ चैनल की थी. एक और रिपोर्ट क्रिकेट लीग शुरू करने के बारे में थी. एक और रिपोर्ट मनोरंजक टीवी सीरियल बनाने को लेकर थी और चौथी रिपोर्ट टीवी रियलटी शो की थी. रियलटी शो के भी दो प्रकार थे. एक रियलटी शो गाने के बारे में थी और दूसरी डांस प्रोग्राम की थी. मैं इनके बारे में जानने के लिए उत्सुक हो गया. मैंने सोचा रतीराम जी से ही बात कर लूँ.
मैंने रतीराम जी से पूछा; "क्या बात है रतीराम जी? नया प्रोजेक्ट के बारे में सोच रहे हैं क्या?"
मेरी बात सुनकर हंस दिए. बोले; "हाँ. असल में हम कोशिश त पहले भी किए रहे, बाकी फेल हो गए. देखिये टीम तो मिला नहीं हमको त सोचे कि नया हिसाब बैठाएं कुछ.फिर हम प्रोजेक्ट कंसलटेंट से बात किए त ऊ बोला कि तीन-चार धंधा है जो बहुत हिट चल रहा है. अब एही तीन-चार में से कौनौ एक धंधा कर लो."
मैंने पूछा; "वैसे कौन से धंधे के बारे में बताया कंसलटेंट ने?"
बोले; "ओही सब धंधा है. एक ठो तो न्यूज़ चैनल का है. दूसरा गाना और डांस का रियलटी शो का है. तीसरा टीवी सीरियल का है अऊर एगो है किरकेट लीग शुरू करने का."
मैंने कहा; "तो इन चार में से आपको कौन सा ठीक लगा?"
बोले; "हमको त ई नाच गाना का रियलटी शो बहुत निक लगा. कंसलटेंटवा कह रहा था कि ऊ लोग एगो एस्टिमेट निकाला है जिसके हिसाब से साल २०२० तक पूरा भारत में करीब दस करोड़ लोग गाना गाने वाला और आठ करोड़ लोग नाचानेवाला बन जायेगा. और अभी साल २००८ तक टारगेट में से खाली अस्सी हज़ार लोग नाचने वाला और एक लाख आठ हज़ार लोग ही गाने वाला बन पायेगा. त इसके हिसाब से गैप बहुत बड़ा रहेगा. अऊर ऊ गैप भरने के लिए देश में केवल साल २०१३ तक करीब पैंसठ हज़ार नया रियलटी शो बनेगा."
उनकी बात और एस्टिमेट सुनकर मैं दंग था. मैंने कहा; "माने पूरा होमवर्क कर लिए हैं."
मेरी बात सुनकर बोले; "अरे का कहें? होमवर्क त हम किरकेट टीम खरीदने के बखत भी किए रहे. लेकिन धोखा हो गया. टीम मिला नहीं हमको. एही वास्ते सोच रहे हैं कि इस बार कुच्हौ छूट नहीं जाए. मजे का बात ई है कि ई धंधा में ज्यादा खर्चा भी नहीं है. अऊर साइड का कमाई ऊपर से है. हमरे कहने का मतलब एसएमएस का भोटिंग से ही रुपिया का अम्बार लग जाता है. देख के लगता है कि कौन ससुर कहता है कि देश में गरीबी बढ़ गया है."
मैंने कहा; "और न्यूज़ चैनल का हिसाब नहीं जमा?"
बोले; "ऊ धंधा भी ख़राब नहीं है. अब देखिये न्यूज़ चैनल त नाम का है. असल में त है ससुर पूरा का पूरा मनोरंजक चैनल ही. आ सबसे बड़ा हिसाब त एही है कि चौबीस में से बारह घंटा त ससुर बाकी चैनल पर चलने वाला प्रोग्राम का ही फीड देखाना है. उसके बाद समय बचा त रखी सावंत और खली हैं ही. और फिर क्राईम, सनसनी, भूत-प्रेत से दो-तीन घंटा कटा देंगे. अरे मिसरा बाबू का कहें. थोड़ा पैसा का दिग्दारी हो रहा है नहीं तो हम तो दुन्नो धंधा खोल लेते."
मैंने कहा; "आईडिया बुरा नहीं है. वैसे आपको क्या फाइनेंस की समस्या हो रही है?"
बोले; "हाँ ऊ तो है. ओईसे एक दलाल से बात किए हैं. बोला है कि बैंक से लोन दिला देगा. बात चल रहा है. फिर सोचे कि गाँव में जो भाई-भतीजा रहता है सब, ऊ लोगों को वहीं से कृषि लोन का जुगाड़ बैठाकर ऊ पईसवा भी एही धंधा में लगा देंगे."
मैंने कहा; "लेकिन इसमें तो समस्या आ जायेगी. कृषि लोन को इस धंधे में लागने नहीं देगा बैंक."
मेरी बात सुनकर हंसने लगे. बोले; "आप भी न. बड़े भोले हैं. आपको का लगता है? ई जो सरकार साठ हजार करोड़ माफ़ किया है अभी, ऊ सब पैसा कृषि में लगा था?"
मैंने कहा; "जरूर ऐसा ही होगा." मेरी बात सुनकर उनके चेहरे पर ऐसे भाव आए, जैसे कह रहे हो 'कैसा बकलोल मनई है.'
मेरी बात सुनकर बोले; "ओईसे आपको एक सॉलिड धंधा बतायें, मिसरा बाबू?"
मैंने कहा; "हाँ-हाँ कोई आईडिया हो तो जरूर बतायें."
बोले; "आप न एगो काम कीजिये. आप तीन-चार ठो संस्था खोल लीजिये जिसमें रियलटी शो में जजबाजी के लिए शिक्षा दीजिये. आख़िर इतना शो चलेगा त जज ससुर भी त होने चाहिए. ऊ सब कहाँ से आएगा?"
उनकी बात सुनकर मैं दंग रह गया. देश में आईडिया की कमी नहीं है. उपजाऊ आईडिया देने वालों को जितना अपने आईडिया पर विश्वास नहीं है, उससे ज्यादा विश्वास देशवासियों की बेवकूफी पर है. मैं रतीराम जी को उनके नए धंधे ठीक-ठाक चलने के लिए विश किया और अपना पान मुंह में दबाये खिसक लिया.
आप के पास भी धंधे का कोई आईडिया हो तो एक पूल बनाईये. हो सकता है भविष्य में काम आए.
रतिराम जी तो आज से हमरे गुरु हुए.. क्या क्या आइडियाज दबा के बैठे है खोपड़ी में.. एक आध हमे भी मिल जाए तो ससुर काम बन जावे
ReplyDeleteपूल बनाना होगा तो रतिराम के साथ बनायेंगे. आपके साथ काहे बनाये भाई. आप तो कृषि लोन से किसान ही बनवा दोगे हमें. हमें तो उसमें ज्यादा पोटेन्शियल नजर आ रहा है.
ReplyDeleteवैसे आंकडे और उनके वर्ष कहीं देखे/सुने हुए से लगते हैं इससे मिलते जुलते..याद नहीं आ पा रहा है. आपको याद हो बतायें..कहाँ देखे होंगे? :)
बहुत उम्दा लिखे हो भाई.
रतिराम जी प्रॉजेक्ट रिपोर्ट पर न जायें। भारत की बेहिेसाब और बेलगाम अमीरी तथा फटेहाल गरीबी दोनों फले-फूलेंगी। वे पान का धन्धा छोड़ एक हाई क्वालिटी विजय माल्या छाप दारू और एक ताड़ी/देसी शराब बनाने का काम चालू करें। सर्वदा सम्पन्न रहेंगे।
ReplyDeleteधांसू धंधा शुरु करने की सोचे हैं। अल्टीमेटली होना यही है कि अपनी पान की दुकान सबसे चौकस है।
ReplyDeleteऐ मिसरा एकदम बुड्बके हो का... खाली विश करे से कुछो नाही होगा.. एक पूल हमनी सब मिलकर बनाते हैं. कंसल्टेंसी का.... नासिक और विदर्भ जायेंगे वहा के किसानों की मौत का फोटू उतारेंगे और उ का नाम है चैनल का झंडा टीवी... उसको बेच देंगे... आजकल सुना है मोटा पैसा देता है ई सब चीज का.... का कहते हो भाईलोग
ReplyDeleteगुरु ये रति राम तो बहुते पंहुचे हुए है.
ReplyDeleteहमको तनी एक बार भेटवा दीजये ना.
कोवनो धंधा शुरू करना चाह रहे है. अब उनसे अच्छा जुगाडू गुरु कंहा से मिलिगा.
बाकी आप तो छका मारदिये है. एके बार मे चार छ को लपेट लिए है.
क्या रतिराम सो बात हो पाएगी....कुछ मुझे उनसे सुझाव चाहिए....मदद करो शिव भाई
ReplyDeleteरतिरामजी को समझाइये कि रीयल्टी शो का धंधा पुराना हो लिया है। अब भूत शो आ रहा है।
ReplyDeleteगांव, शहर के कुछ नौजवान टाइप भूत और क्यूट भूतनियों को जुटायें। सारे टीवी चैनल पान की दुकान परे कूदे आयेंगे।
भूत में ही भविष्य है टीवी का।
रतिरामजी का पता बताया जाय. ससूरा सारा पोल पट्टी खोल के रख दिया है. धंधा चौपट करवा के रहेगा...हम ही बना के दिये थे परोजेक्ट रपट. दो चार बेसी बनायी है, किसी को चाहिए तो सम्परक करें.... :)
ReplyDeleteबंधू
ReplyDelete"जब तक सूरज चाँद रहेगा....रतिराम तेरा नाम रहेगा" रति राम जी के होते देश के बारे में चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है....क्या गजब की खोपडी है गुरु की...हाँ जब आप जज वाली संस्था खोलें तब हमें जरूर याद करलें...बिना कुछ किए पैसा और नाम दोनों मिलता है इसमें.
नीरज
कृपया हमारी भी शुभकामनाएं पहुंचाने का कष्ट करें।
ReplyDeleteरतिराम जी को हमारी शुभकामनाएं।
ReplyDeleteऔर आप सब मनई को भी जो रतिराम जी के साथ या उनके आइडियाज के साथ काम शुरू करने जा रहे है। :)
software company kholne ke baare me kya vichaar hai unka??
ReplyDeletekoi idea hoga to hame yaad kijiyega.. :D
वाह,, पढ़ के मिजाज मस्त हो गया.जियो भइया जियो.एकसाथ एकै तीर से केतनो को बेध डाला,बहुत बढ़िया,लाजवाब..अगली बार रतिराम जी के यहाँ जइयो तो हमरे तरफ़ से पान के पैसे के अलावे एतना सुंदर सुंदर आइडिया सुनाने के लिए टिप भी दे दियो.
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