Friday, August 8, 2008

इम्तिहान है - मुशर्रफ़ साहब के आईडिया का और शरीफ बाबू के बालों का

चुनाव बड़े-बड़े नेताओं का समय पलट देते हैं. देखिये न, पाकिस्तान में हुए चुनावों ने मुशर्रफ़ साहब का समय ख़राब कर दिया. कल टीवी पर समाचार देखा रहा था. पता लगा कि पाकिस्तान के राजा पर अब महाभियोग का मुकदमा चलने वाला है. नवाज शरीफ और ज़रदारी साहब को एक साथ देखा. दोनों प्रेस को संबोधित कर रहे थे. कह रहे थे कि अब मुशर्रफ़ साहब का बचना मुश्किल है. मुशर्रफ़ साहब ने भी अपने पिछले कई साल राजनीति करने में जाया कर दिए. कितना कुछ किया जिससे सत्ता में बने रहे. उनके लिए अच्छा रहता अगर वे थोड़ा समय निकाल कर रफी साहब का गाया गाना सुन लेते. अरे वही गाना; 'आदमी को चाहिए वक्त से डर के रहे, कौन जाने किस घड़ी में वक्त का बदले मिजाज़.' लेकिन बिजी शासक ने पूरा समय सत्ता में बने रहने और पूरी दुनियाँ को गुमराह करने में लगा दिया.

कल मुझे एक बार फिर पक्का विश्वास हो गया कि समय बहुत बलवान होता है. अब देखिये न. एक समय था कि नवाज़ शरीफ प्रधानमंत्री थे. मुझे याद है जब उनका तख्त मुशर्रफ़ साहब ने पलट दिया था. शरीफ बाबू ने लाख कोशिश थी कि मुशर्रफ़ साहब, जो लंका के दौरे पर थे, उनका विमान पकिस्तान में नहीं उतरे, लेकिन ऐसा हो न सका और मुशर्रफ़ जी न सिर्फ़ पाकिस्तान में उतरे बल्कि उन्होंने शरीफ बाबू की खटिया खड़ी करने में जरा भी समय जाया नहीं किया.

आज समय बदला है. आज शरीफ बाबू प्रधानमंत्री तो क्या मंत्री भी नहीं हैं. लेकिन उनके अन्दर गजब का आत्मविश्वास आ गया है. मुझे लगा ऐसा क्यों हुआ कि शरीफ बाबू आज इतने निर्भीक हो गए हैं. अचानक मन में आया कि जब उनका तख्त पलटा था तो उनके सर पर बाल नहीं थे. आज बाल हैं. बालों की वजह से ये आत्मविश्वास आ गया है. बेचारे जब प्रधानमंत्री थे तो तमाम तरह की चिंताओं से घिरे रहते होंगे लिहाजा बाल उड़ गए. लेकिन जब देश निकाला मिला तो अरब देशों में रहते हुए सूखे फलों और मेवे का जमकर सेवन किया होगा. ऊपर से गद्दी की भी चिंता नहीं थी तो बाल वापस आ गए. इसमें थोडी-बहुत मदद उनके तमाम यूरोप दौरों से मिली होगी.

आदमी के आत्मविश्वास में बालों का विकट योगदान होता है. ऐसा मैं नहीं कह रहा. ऐसा कहना है बाल उगाने वाले डॉक्टरों का. हमारे शहर के बाल उगाने वालों डॉक्टरों का विज्ञापन हर रविवार को समाचार पत्रों में छपता है. लिखा रहता है; "री-गेन योर कांफिडेंस.' मतलब ये कि आपका जो कांफिडेंस बाल उड़ जाने से चला गया है उसे हम बाल उगाकर वापस कर देंगे. बस आप मेरे पास आ जाइये.

वैसे सुना है कि मुशर्रफ़ साहब चीन के दौरे पर हैं. वहां ओलिम्पिक्तोसव देखने गए हैं. लेकिन मुशर्रफ़ साहब क्या ऐसे हार मान लेंगे? कहते हैं "ऐन आईडिया कैन चेंज योर लाइफ." और मुशर्रफ़ साहब वैसे भी बड़े आईडियावान व्यक्ति हैं. हो सकता है इस बात को ध्यान में रखते हुए मुशर्रफ़ साहब जिम्नास्टिक का कोई मुकाबला देख रहे हों और जिमनास्ट को उलटते-पलटते देख उनके दिमाग में कोई आईडिया आ जाय और वे भी कोई उलटन-पलटन कर डालें. खैर, ये तो वक्त बतायेगा कि उनक क्या होता है. हम अभी भी सोचते हैं कि मुशर्रफ़ साहब किसी न किसी उलटन-पलटन कार्यक्रम की तैयारी कर रहे होंगे.

अब तो मुशर्रफ़ साहब के किसी आईडिया का और शरीफ बाबू के बालों का इम्तिहान है.

20 comments:

  1. मुशरर्फ़ को लालू यादव और मुलायम ने भारत आने और उनकी पार्टी ज्वाईन करने का आमंत्रण दिया है . साथ मे वो अगर दो चार करोड वोटर भी ले आये तो उसका भी स्वागत है :)

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  2. ideawaan hone ka idea jamaa,aur aaj aapko padhkar aisa lagne laga hai ki apna confidence loose hone ka main karan bal jhadna hi hai.. badhiya post

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  3. बाल बचे रहे तो बाल भी बाँका न हो. मूश साहब बाल खुजा रहें होंगे और सोच रहे होंगे की बाल बाल बच जाऊँ बस. मगर ये चुने हुए लोग बाल की खाल निकाल कर रहेंगे.

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  4. बेचारे कम बाल वाले और सर को बालों से आच्छादित कर आत्मविश्वास जगाने वाले......सरे एक व्यंगकार के चपेट में ...........अब तो खैर नही किसी की.
    धन्य हो..... कहीं भी जाओ व्यंग्य निकाल ही लेते हो.....

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  5. तो भाई तुम भारत से पाकिस्तान पंहुच गए.
    पहिले यंहा का काम तो ख़तम कर लेते.
    बहुत से बालों की खाल निकालनी है यंहा भी.
    खैर कोई बात नहीं अगली बार सही.
    बहुत ही करारा व्यंग्य.
    बधाई.

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  6. सही व्यंग लिखा है आपने ..:)

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  7. हम से मिस्टेक हो गयी जो इतनी देर बाद आप का पोस्ट पढ़े हैं....हमें भी अपनी कुर्सी बचानी होती है बंधू...समझा करो...अब क्या है की भारत हो या पाकिस्तान दोनों देश में एक समानता है...दोनों देशों की सत्ता की कुर्सी इन्द्र के सिंहासन की तरह हमेशा डोलने को तत्पर रहती है...जरा सा कुछ हुआ नहीं की सिंहासन डोला...(डोला रे डोला रे डोला रे डोला ये डोला फ़िर डोला हाय डोला क्यूँ डोला बस डोला लो डोला...डोला रे डोला रे डोला रे डोला...वर्ल्ड फेमस फ़िल्म देवदास का अमर गीत )
    जहाँ तक बालों से कान्फिडेंस की बात है वो बिल्कुल बकवास है...अरे वो राजकुमार जो बिल्कुल गंजे थे जब फिल्मों में संवाद बोलते थे तो सामने वाले का कान्फिडेंस हिल जाता था...महात्मा गाँधी की कौनसी हमारे जैसे जुल्फें थीं ? अब तो आप के केश भी सामने से टाटा बाय बाय की मुद्रा में आ गए हैं तो क्या आप का कान्फिडेंस हिल गया है बताईये....पोस्ट आप कुछ भी लिखिए लेकिन ऐसे मूर्ख ना बनाईये हमको कहे देते हैं....
    नीरज

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  8. ११ तारीख तो आई ही समझो. देखिये, बाल का एडवरटाइजमेन्ट सही होने ही वाला है. बहुत सटीक व्यंग्य रहा. वैसे सुना है मुश साहब को चीन नहीं जाने दिया गया-अफवाह ही होगी. अभी समचार नहीं पढ़े. :)

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  9. मुशर्रफ़ साहब नहीं गये चाईना-उनकी जगह गिलानी जी घूमने गये हैं. :)

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  10. सही है!

    उ का है न देखिए, बकिया सब तो ठीकै है लेकिन आप ये बालों का मजाकवा काहे बना रहे है जी, अपन तो पूर्ण गंजत्व की ओर अग्रसर होते जा रहे हैं ;)

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  11. आप का अंदाजा बिल्कुल सही है, मुशर्र्फ़ इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं। जहां तक बालों का सवाल है मुझे लगता है मर्द जाते बालों की वजह से कोन्फ़िडेंस खोते हैं तो औरतें बाल छोटे होने पर और जोरदार फ़ोर्म में आ जाती है अब मायावति को ही देख लिजिए जब से बाल कटाई है तब से क्या रोबदार लग रेली है। लेफ़्ट राइट सब दबाये बैठी है

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  12. मरता क्या न करता। क्या करेगा? देखने को तैयार रहिए।

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  13. तो क्या मान ले की मुश के बाल भी उड़ने वाले हैं..????

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  14. सही है , आगे आगे देखिये होता है क्या ....

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  15. सही है। मियां मुशर्रफ़ अब घिर गए है, लेकिन मुझे उसकी हिम्मत और आत्मविश्वास पर पूरा भरोसा है, बन्दे मे दम है। उम्मीद है, निकट भविष्य में, पाकिस्तान मे अच्छा ड्रामा देखने को मिलेगा।

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  16. samay samay ki baat hai
    lekin
    khuda meharbaan
    to gadha
    kabhi bhi ho sakta hai
    Pahalwaan............

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  17. शिव कुमार जी, मैंने पिछले सप्ताह ही बाल कटवाये हैं (यानी कि मैं गंजा हो गया हूँ)ओर मैं अब अपने में पहले से ज्यादा कान्फिडेंस महशूस कर रहा हूँ, बिना किसी शर्म के कहीं भी आ-जा रहा हूँ.
    मैं नीरज गोस्वामी जी की टिप्पणी से सहमत हूँ कि
    "...जहाँ तक बालों से कान्फिडेंस की बात है वो बिल्कुल बकवास है...अरे वो राजकुमार जो बिल्कुल गंजे थे जब फिल्मों में संवाद बोलते थे तो सामने वाले का कान्फिडेंस हिल जाता था...महात्मा गाँधी की कौनसी हमारे जैसे जुल्फें थीं ? अब तो आप के केश भी सामने से टाटा बाय बाय की मुद्रा में आ गए हैं तो क्या आप का कान्फिडेंस हिल गया है बताईये....पोस्ट आप कुछ भी लिखिए लेकिन ऐसे मूर्ख ना बनाईये हमको कहे देते हैं..."
    अजय तोमर

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  18. बाकी हों न हों, नाचीज़ आपके बाल में खाल है से सह मत हैं - [- जैसे जब से हमारे बाल उड़े कांफिडेंस गया पानी में वगैरह..-] और आदरणीय नीरज भाई की बात पर छोटा सा नुक्ता यूँ है कि राजकुमार साब जब कांफिडेंस से बोलते थे तो गंजे कभी नहीं दिखे [ :-)] - मनीष

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  19. बालो की बात न किया करिए हम सेंटी हो जाते है.....

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय