देश में आजकल दो ही बातों पर चर्चा हो रही है. एक है अमर सिंह और दूसरा है स्टिंग आपरेशन. पिछले कुछ सालों में स्टिंग आपरेशन इस तरह से फ़ैल चुका है जैसे पहले हैजा और प्लेग जैसी बीमारियाँ फैलती थीं. ऊपर से संसंद में हुए विश्वास प्रस्ताव समारोह ने स्टिंग आपरेशन को एक अलग ऊंचाई प्रदान कर दी है. आज हालत यह है कि कबाड़ चुनते-चुनते अगर किसी कबाड़ी को कोई सीडी मिल जाती है तो वह उस सीडी को धो-पोंछ कर डीवीडी प्लेयर पर चढ़ा लेता है. इस आशा के साथ कि अगर सीडी में किसी नेता का स्टिंग आपरेशन स्टोर्ड होगा तो सीडी को किसी न्यूज चैनल को बेंचकर कुछ पैसा कमाया जा सकता है.
कल सुदर्शन से बात हो रही थी. सुदर्शन ने कहा; "अरे सर, ये उमा भारती तो फंस गई. उन्होंने जिस सीडी का उदघाटन इतने ताम-झाम के साथ किया उसमें तो पोस्टर दिखने की वजह से सब गड़बड़ हो गया."
मेरे मुंह से निकला; "कोई बात नहीं. उस पोस्टर को दीवार से हटाकर फिर से शूटिंग कर लेंगे ये लोग."
मेरी बात सुनकर सुदर्शन हंसने लगा. लेकिन मुझे लगा कि ये भी अजीब बात है. कितना सरल हो गया है 'स्टिंग आपरेशन' करना. फिर मन में आया कि अगर आज से कुछ सालों बाद रि-डिस्कवरी चैनल पर अगर भारत में स्टिंग आपरेशन के इतिहास पर एक डाक्यूमेंट्री दिखाई जायेगी तो कैसे होगी? शायद कुछ ऐसी;
भारत में स्टिंग आपरेशन का इतिहास पुराना है. स्टिंग आपरेशन के पुरातन होने की पुष्टि इस बात से होती है कि भागलपुर में हुए आँख-फोडू काण्ड का भेद सबसे पहले स्टिंग आपरेशन के चलते ही खुला था. इसके आलावा इंडियन एक्सप्रेस नामक समाचार पत्र ने एक स्टिंग आपरेशन की मदद से राजस्थान में लगने वाली औरतों की एक मंडी का पर्दाफाश किया था. शुरू में स्टिंग आपरेशन में स्टिल कैमरे और टेप रिकॉर्डर का उपयोग किया जाता था लेकिन बाद में विडियो शूटिंग के प्रयोग की वजह से स्टिंग आपरेशन में एक क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिला.
इक्कीसवीं शताब्दी के आरम्भ में तहलका ने स्टिंग आपरेशन के जरिये ढेर सारे क्रिकेट खिलाड़ियों और नेताओं के भ्रष्ट होने के सुबूत इकठ्ठा किए. हथियारों में दलाली की बात हो या फिर क्रिकेट में पैसा लेकर न खेलने का साहसिक कार्य, सबकुछ स्टिंग आपरेशन की मदद से सामने लाये गए. स्टिंग आपरेशन को नई ऊंचाई तब मिली जब तमाम टीवी न्यूज चैनल स्टिंग आपरेशन के धंधे में उतर गए. पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का कार्यक्रम हो या फिर शारीरिक शोषण के जरिये हिन्दी फिल्मों में हिरोइन का रोल दिलाने के वादे, सब स्टिंग आपरेशन करके जनता के सामने लाये गए.
स्टिंग आपरेशन का विकास कुछ इस तरह से हुआ कि इसके जरिये बहुत सारे लोगों को सताने की प्रथा भी चल निकली. हालत यह हो गयी कि जो समाजशास्त्री पहले स्टिंग आपरेशन को इलाज समझते थे, साल २००८ आते-आते उन्ही समाजशास्त्रियों ने स्टिंग आपरेशन को एक बीमारी मानना शुरू कर दिया. साल २००८ में तत्कालीन सरकार द्बारा विश्वास मत प्राप्ति हेतु लेन-देन के मामले को स्टिंग आपरेशन करके सामने लाने की कोशिश हुई.
स्टिंग आपरेशन के फैलते प्रभाव की वजह से बहुत सारी विदेशी कम्पनियों को भारत एक नए बाज़ार के रूप में दिखने लगा. साल २००८ में संसद में विश्वास मत प्राप्ति कार्यक्रम में स्टिंग आपरेशन के रोल ने विदेशी उद्योगपतियों को बहुत प्रभावित किया. वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार साल २००८ के सितम्बर महीने में विदेशी पूंजी निवेश के कुल अट्ठारह प्रस्ताव आए जिनमें से आठ सीडी निर्माण, तीन स्पाई विडियो कैमरा निर्माण और चार स्टिंग आपरेशन की शिक्षा हेतु कालेज स्थापना के थे. सरकार ने विदेशी पूँजी निवेश के इन प्रस्तावों को बड़े उत्साह के साथ पास कर दिया. साल २०११ तक विदेशी तकनीक को और आगे बढाते हुए भारतीय उद्योगपतियों ने स्टिंग आपरेशन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों में क्रांतिकारी बदलाव किया.
साल २००९ तक लगभग सभी राजनैतिक दलों ने अपने-अपने दल में माईनोरिटी सेल, इकनॉमिक सेल, सोशल जस्टिस सेल की तर्ज पर स्टिंग आपरेशन सेल भी स्थापित किए. इन पार्टियों ने अपने इस सेल में काम करने के लिए उन नेताओं को लगाया जिन्हें स्टिंग आपरेशन में फंसने का गौरव प्राप्त था. इन राजनैतिक पार्टियों का मानना था कि स्टिंग आपरेशन में फंसा हुआ नेता ही ऐसे सेल की अध्यक्षता करने का पर्याप्त अनुभव रखता था. कुछ राजनैतिक दलों ने तो विज्ञापन के जरिये अपने स्टिंग आपरेशन सेल के लिए स्क्रिप्ट राईटर्स और कैमरा मैन की भर्ती भी की.
साल २०१० तक लगभग सारे राजनैतिक दल इस बात बार सहमत हो चुके थे कि स्टिंग आपरेशन की पढाई को देश में हाई स्कूल से अनिवार्य कर दिया जाय. नतीजा यह हुआ कि स्टिंग आपरेशन की पढाई करने वाले छात्रों को सरकार की तरफ़ से वजीफे देने का कार्यक्रम शुरू हुआ. विशेषज्ञों का मानना था कि साल २०२० तक रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर स्टिंग अपारेशन की पढाई करने वाले छात्रों के लिए ही उपलब्ध होने वाले थे.
स्टिंग आपरेशन की सफलता ने हिन्दी फ़िल्म उद्योग के पुराने निर्देशकों और पटकथा लेखकों को रोजगार के अवसर दिए. कुछ पुराने निर्देशक जिन्हें कोई काम नहीं था, उन्होंने स्टिंग आपरेशन के निर्देशन में हाथ आजमाया और उनमें से कुछ तो काफी सफल भी हुए. इन लोगों को सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर टीवी न्यूज चैनल ने उपलब्ध करवाए.
आज भारत में स्टिंग आपरेशन उद्योग का कारोबार करीब सत्तर हजार करोड़ रूपये तक पहुँच चुका है. भारतीयों द्बारा किए गए स्टिंग आपरेशन की ख्याति दुनियाँ भर में फैली हुई है. यही कारण है कि अमेरिका, यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया के कई देश स्टिंग आपरेशन की आउटसोर्सिंग के लिए भारतीय आपरेटरों पर सबसे ज्यादा विश्वास दिखाते हैं. साल २०४५ तक भारतीय स्टिंग आपरेशन उद्योग का कारोबार बढ़कर एक लाख आठ हज़ार करोड़ रूपये तक पहुँच जाने की संभावना है.
आप ने स्टिंग आपरेशन पर लिखा। मगर ये सभी स्टिंग आपरेशन मूल समस्या पर से ध्यान हटाने के लिए नहीं है? देखिए आप का भी ध्यान उधर ही चला गया। जनता बोले तो किसी तो सुनाई न दे ऐसा शोर मचता है। जरा जनता के मूल विषयों पर बात करें।
ReplyDeleteइन सबसे होते हुए स्टिंग ऑपरेशन ब्लॉग्गिंग तक भी आ गया.. उस समय के एक उच्च कोटि के ब्लॉगर शिव कुमार मिश्रा ने स्टिंग ऑपरेशन पर पूरी पोस्ट लिख डाली. और ब्लॉगिंग को एक महान पोस्ट से नवाज़ा उस पोस्ट की कुछ झलकिया हम आपको दिखाएँगे इस ब्रेक के बाद..
ReplyDeleteअगर आज से कुछ सालों बाद रि-डिस्कवरी चैनल पर अगर भारत में स्टिंग आपरेशन के इतिहास पर एक डाक्यूमेंट्री दिखाई जायेगी
ReplyDeleteये "रि-डिस्कवरी" वाली बात इस पोस्ट में सबसे जोरदार लगी....बाकि तो सब हमें मालूम ही था... ये सब तो होना ही है...अंग्रेजी में कहते हैं ना...राईटिंग ओन दा वाल...और हमने देखिये इसे पहले ही पढ़ लिया था.
नीरज
भाई साब अगले साल तक इस धंधे में उतरने का हिसाब बैठाएं क्या?
ReplyDeleteऐसा उज्जवल भविष्य है स्टिंग आपरेशन का. हम तो सोच रहे हैं कि स्टिंग आपरेशन के लिए एक्टर सप्लाई की दूकान खोल लें.
ससुर, मानिएगा नहीं आप? एक ऑपरेशन आपही के खिलाफ़ करवाया जाये क्या?
ReplyDeleteDhanya ho maharaaj jee.sting par itne sting,gazab kar diya aapne,dekhnakahin jugaad ho to apan bhi chhattisgarh me pehle stinger hain aur us sting ka dard aaj tak jhel rahe hain.mazaa aa gaya panditjee
ReplyDeleteअजी यहा तो सब बडे से बडे स्टिंग आपरेशन जुगाडिये हे,
ReplyDeleteआज हालत यह है कि कबाड़ चुनते-चुनते अगर किसी कबाड़ी को कोई सीडी मिल जाती है तो वह उस सीडी को धो-पोंछ कर डीवीडी प्लेयर पर चढ़ा लेता है. इस आशा के साथ कि अगर सीडी में किसी नेता का स्टिंग आपरेशन स्टोर्ड होगा तो सीडी को किसी न्यूज चैनल को बेंचकर कुछ पैसा कमाया जा सकता है.
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कमाल है साहब !
अगर आपकी कलम के
दीवानों का कभी कोई
स्टिंग आपरेशन हुआ तो
हम उसमें ज़रूर दिखेंगे....लेकिन
वह सी.डी. कबाड़खाने में नहीं
दिल के आशियाने में मिलेगी.
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दरअसल आप हर बार हमें
सूरत-ए-हालात को रे डिस्कवर
करने का नायाब तोहफा दे जाते हैं.
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शुक्रिया....शुक्रिया....शुक्रिया.
डा.चन्द्रकुमार जैन
कहीं किसी रोज आप ही न लिपटा जाये स्टिंग में-बहुते खतरनाक चीज है, पहले से बता दे रहे हैं. प्रमोद जी को सुने रहिये. :)
ReplyDeleteकुच स्टिंग आपरेशनो का इतिहास इससे भी पुराना है , बस वो ना बताये जाते है ना दिखाये वो सिर्फ़ भुनाये जाते है जिस की कोशिश मे राजदीप सर देसाई फ़स गये है. वैसे इस भुनाई का भी स्टिंग आपरेशन अमरसिंह और लालू यादव ने सोनिया जी के साथ मिल कर किया है जिसके सीडी के डर से राजदीप देसाई कही कुछ बोल नही सकते बस एक और पदमश्री लेने के अलावा. :)
ReplyDeleteनमस्कार। सटीक और रोचकता से परिपूर्ण यथार्थ लेखन।
ReplyDeleteस्टिंग की स्टेयरिंग को बहुत ही अच्छी तरह घुमाया आपने।
मिसिर बाबा,
ReplyDeleteकहीं से ज्योतिष की कोई अद्भुत किताब हाथ लग गयी है का? दुर्योधन की डायरी के बाद, अब बुझात हौ कि ओरिजनल ‘रावण संहिता’ का जुगाड़ भी कर लिए हैं। एतना चौचक भविष्यवाणी करेंगे तो स्टिंग कम्पनी वाले सबसे पहले आपै को टांग ले जाएंगे। एडवांस में बतावे बदे कि कैमरा कहाँ-कहाँ फिट किया जाय...
जबरदस्त!
ReplyDeleteबढि़या है जी! अरे वही जो आप किये हैं- चिरकुटई!
ReplyDeleteसत्य वचन महाराज!
ReplyDelete"WEll read your blog and article first time, it is really interesting to read about. so detailed article about स्टिंग आपरेशन enjoyed reading it ya"
ReplyDeleteRegards
Yah itihas padh kar hum to future men pahunch gaye.
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