पिछली पोस्ट पर डॉक्टर अमर कुमार जी ने अपनी टिपण्णी में लिखा "ब्लागिंग के मौसम के बारे में बताओ गुरु." उनकी टिप्पणी से लगा कि उन्होंने ने ठान लिया है कि; "आज इस ब्लॉगर की खटिया खड़ी कर दो." मेरे कहने का मतलब ये कि किसी को गुरु कह दो, बस. उसके बाद उसकी खटिया खड़ी होनी तय है.....:-)
अब ब्लागिंग के मौसम के बारे में हम क्या बताएं? ब्लागिंग का मौसम तो फील करने के लिए होता है. यही एक मौसम है जिसमें सारे मौसम समाहित हैं. ब्लागिंग का मौसम अपने हिसाब से गरमी, सर्दी, बरसात वगैरह बना लेता है. अपने हिसाब से चलता है. अपने हिसाब से लिखवा लेता है. गाँधी जयन्ती है तो गाँधी जी को हैपी बर्थ डे बोल डालो. बाढ़ आ गई तो बाढ़ पर हाथ फेर लो.
अमर सिंह पिछले कई दिनों से पलटी मार रहे हैं. सोचा उनकी पलटी पर ही कीबोर्ड कुर्बान कर दूँ. लेकिन फिर सोचा कि असल में तो लिखने की बात तब आती जब वे पलटी न मारते. अमर सिंह जी पलटी न मारें तब जाकर कोई न्यूज़ बनती है. वे पलटी मार लें तो कैसी न्यूज़?
कहीं ख़बर पढ़ी कि उन्होंने ने इंसपेक्टर शर्मा के परिवार को जो चेक दिया था उसमें कुछ 'मिस्टिक' थी. पता चला कि दस लाख के चेक में एक के सामने केवल पाँच शून्य थे. चेक ग़लत निकला. एक बार सोचा कि उनके ईनाम वाले चेक पर कुछ लिख डालूँ. फिर सोचा लोग हँसेंगे. वे ये सोचते हुए हँसेंगे कि मैं अमर सिंह की पढ़ाई-लिखाई पर उंगली उठा रहा हूँ. वो भी तब जब वे कैमरे के सामने 'अंग्रेज़ी बोल लेते हैं.'
ब्लॉगर बंधु ये सोचते हुए भी हंस सकते हैं कि; "इस ब्लॉगर को ये भी नहीं पता कि अमर सिंह को कैश में लेन-देन करने की आदत है. ऐसे में वे अगर चेक लिखने का महान कष्ट करेंगे तो चेक में गलती तो होनी ही है."
लिहाजा अमर सिंह जी भी आज हाथ से निकल लिए.
फिर मन में लाऊडली सोचा कि नैनो बंगाल से निकल ली. नैनो पर ही लिख डालूँ. लेकिन नैनो तो बंगाल से बाहर चलकर गुजरात पहुँच गई. कार एक्सपर्ट बता रहे थे; "फुएल एफिसियेंट कार है." साबित भी हो गया. पहली ड्राइव में ही बंगाल से गुजरात. बिना कहीं रुके हुए. बिना किसी रिफिलिंग के. इसे कहते हैं तगड़ा विज्ञापन. एक फुएल एफिसियेंट कार का इससे अच्छा विज्ञापन और क्या होगा?
लेकिन सोचता हूँ अभी तो इसे गुजरात पहुंचे एक दिन ही हुए हैं. अब कोई गुजरात पहुँच जाए और उसपर चर्चा न हो, ऐसा हो नहीं सकता. नैनो तो न जाने कितनो के नयनों में गड़ रही होगी अभी. नैनो पर लिखने का मौसम सेट इन करने वाला है.
विज्ञापन की बात पर याद आया कि विज्ञापन के साधन बढ़ते जा रहे हैं. रेडिओ, टीवी, अखबार वगैरह तो थे ही, अब दुर्गापूजा के पंडालों ने भी विज्ञापन का भार संभाल लिया है. मैं उन विज्ञापनों की बात नहीं कर रहा जो कई सालों से इन पंडालों पर विराजते थे. जैसे गोरेपन की क्रीम से लेकर दिमाग को ठंडा रखने वाला तेल.
मैं तो नए विज्ञापनो की बात कर रहा हूँ. आप पूछेंगे कि नया माने किस चीज का विज्ञापन? तो ब्लॉगरगण आपको ये बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि इस बार हमारे शहर में दुर्गा पूजा के पंडालों में फिल्मों के और फिल्मी कलाकारों के विज्ञापन और पोस्टर देखने को मिल रहे हैं. कल ही एक नई 'फिलिम' के हीरो हिरोइन लोग आए थे. उनलोगों ने पूजा भी की और फिलिम का विज्ञापन भी किया.
अच्छी बात है. कोई बड़ा भार बाँट लेना ही किसी भी व्यवस्था के पुख्ता होने की निशानी है. और यहाँ मैं केवल विज्ञापन-व्यवस्था की बात कर रहा हूँ.
फिलिम से बात याद आई. कल हमारे एक मित्र किडनैप नामक फिलिम के शिकार हो गए. खूब काम करके परेशान थे तो फिलिम देखने चले गए. सिनेमा हाल से मुझे तीन बार फोन किया. हर बार एक ही बात; "सर, ऐसी घटिया फिलिम मैंने अपनी ज़िन्दगी में नहीं देखी."
उनकी बात सुनकर मुझे याद आया कि जब ये पिछली बार 'फिलिम' देखने गए थी, तब भी यही बात कही थी. देखते-देखते थक गए तो सिनेमा हाल से निकल लिए. फिर फ़ोन किया मुझे. मैंने पूछा; "फ़िल्म ख़त्म हो गई?"
वे बोले; "बीच में ही छोड़कर आ गया. लगभग एक घंटा तक वेट किया कि अब शायद कुछ अच्छी लगे..अब शायद कुछ अच्छी लगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं."
मैंने पूछा; "तब तो ठीक ही हुआ जो बीच में ही छोड़कर निकल लिए."
वे बोले; "निकलने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था. वेट करते-करते लगा जैसे कोई क्रिकेट मैच देख रहे हैं जिसमें भारत को जीतने के लिए दस ओवर में १६५ रन चाहिए लेकिन विकेट केवल तीन बचे हैं. बस, निकल लिए."
विकेट से याद आया कि सौरव गांगुली ने कल संन्यास ले लिया. अरे भइया, क्रिकेट से संन्यास. आपलोग भी कैसी-कैसी बातें सोचते हैं? बहुत महान खिलाड़ी थे. ऐसा टीवी चैनल वाले बता रहे हैं. वही टीवी चैनल वाले जो अभी परसों तक उनकी बखिया उधेड़ने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देते थे.
लेकिन मैं तो इस बात से उत्साहित हैं कि सौरव अब बंगाल की सेवा करेंगे. मतलब देश की सेवा तो खूब की लेकिन अब बारी है बंगाल की सेवा करने की. मतलब ये कि राजनीति वगैरह से बंगाल का भला करें. उनके जैसे लीडर की ज़रूरत भी है.
आज हमारे शहर के अखबार भी परेशान थे. बता रहे थे कि; " नैनो और सौरव, दोनों की वजह से इस साल बंगाल के दुर्गापूजा में खटास आ गई है."
हाँ, दुर्गापूजा से याद आया कि आज सुबह से ही लोग दुखी हैं. आज आखिरी दिन जो है दुर्गापूजा का. ये ठीक नहीं है. दुर्गापूजा केवल तीन दिन हो, ये अच्छी बात नहीं. कुछ तो बदले. पिछले सौ सालों से केवल तीन दिन की दुर्गापूजा. नवमी के दिन तक सबकुछ ख़तम. लाखों रुपये खर्च करके पंडाल बनते हैं. चंदा उगाहा जाता है. साल भर का वेट और केवल तीन दिन! बहुत नाइंसाफी है ये.
मैं कहता हूँ नवमी के बाद दशमी भी तो आती है. दशमी के बाद एकादशी. एकादशी के बाद...कहने का मतलब ये कि कम से कम पन्द्रह दिन तो चलाना ही चाहिए.
दुर्गापूजा से याद आया कि दुर्गापूजा पर ही कुछ लिख लेता. पिछले साल इस मौसम में दुर्गापूजा पर हुई निबंध प्रतियोगिता में एक प्रतियोगी का निबंध पोस्ट कर दिया था. वो भी रिजेक्टेड निबंध. अब इस बार क्या लिखें?
अच्छा इस बार आपको एक नई बात बताता हूँ. कई सालों से दुर्गापूजा के पंडालों को नंबर देने की प्रथा वगैरह चलती ही आ रही है. नंबर के साथ-साथ इनाम में पैसे भी मिलते हैं. पहले केवल एक कंपनी ऐसी प्रतियोगिता को स्पांसर करती थी. बाद में इस तरह के पुरस्कारों की बाढ़ आ गई. कोई टीवी चैनल, कोई बैंक, कोई न्यूज़पेपर और न जाने कौन-कौन, ऐसी प्रतियोगिता चलाते हैं.
ऐसी प्रतियोगिता में जज की कुर्सी पर पहले साहित्यकारों, सम्पादकों, कलाकारों, पेंटरों वगैरह का कब्ज़ा था. सारे के सारे अपने बंगाल के. लेकिन केवल बंगाल के जजों को देखकर शायद लोग बोर हो गए थे. इसीलिए इस बार हमारे शहर के एक न्यूज़पेपर ने यहाँ के अमेरिकन कंसुलेट जनरल को जज बना दिया. उन्होंने अपना जजमेंट दे दिया. न्यूज़पेपर बहुत खुश है. आज उन्होंने ख़बर भी छापी है.
धत्त तेरे की...ब्लागिंग के मौसम के बारे में लिखने बैठा और न जाने क्या-क्या लिख गया. खैर, अब लिख ही दिया तो पोस्ट कर देते हैं.
ब्लॉगरगण इसी में ब्लागिंग के मौसम को खोजने की कोशिश करें. अगर कहीं दिखे तो सूचित भी करें.
कितनी सारी बातें कह गये आप..
ReplyDeleteखीचडी स्वादिष्ट है..:)
यह तो बारह मासा हो गया. हर मौसम को "कवर" कर लिया.
ReplyDeleteनेनो के मोसम से हम भी नहीं बच पाए और एक ठो ठेल दी.
बड़ा मारक मौसम है ब्लॉगरी का.
आपने तो ब्लोग्स पर लिखने के लिये विषयों का मौसम ला दिया। धन्य हो महाराज्।
ReplyDeleteमिश्रा जी.....
ReplyDeleteबातो बातो में आप बस ब्लॉग के मौसम के बारे में बताना भूल गये ....बाकी सब ठीक है !
धत्त तेरे की...ब्लागिंग के मौसम के बारे में लिखने बैठा और न जाने क्या-क्या लिख गया. खैर, अब लिख ही दिया तो पोस्ट कर देते हैं.
ReplyDelete" ha ha ha ek baras ke mausam char, panchvan mausam blogging ka, lakin bhut sare sub mausams ko smete hue, bhut kub'
regards
मौसम के पीछे ही पड़ लिए गुरु. गुरु लिखने का मकसद है तुम्हारी खाट खड़ी करना..:-)
ReplyDeleteबिन मौसम बरसात कर ही दिया आपने.. इतने सारे चीज समेट लाये.. :)
ReplyDeleteओहो तो अब समझ में आया की आप हमे गुरु क्यो कहते थे..
ReplyDeleteखैर पोस्ट तो बढ़िया रही.. कई सारे मौसम समेट लिए आपने.. और वो भी मस्त तरीके से..
क्या शानदार मौसमी चर्चा की आपने ! मजा आ गया !
ReplyDeleteमिश्राजी अपने पास तो अपना लट्ठ और भैंस ,
बस ये दो ही मौसम रहते हैं , बारहों महीने,
अपनी मोटी बुद्धी में और कुछ लिखने के लिहाज
से आता ही नही ! अब आपने ये आइडिये दे दिए हैं
तो इनसे फुर्सत मिली तो उनको आजमा लेंगे ! :)
बहुत सटीक चर्चा रही आज की ! धन्यवाद !
सुना था लोग बाल की खाल खिचते है, लेकिन आप ने तो उस खाल की खाल ओर फ़िर उस खाल की खाल परत दर पते ही उखाड दी धन्य है आप, कहा से चले ओर कहा पहुचा दिया बाबा अब घर केसे लोटे इस भुल भुलेया से , मजा आ गया आप की इस भुल भुलेया का
ReplyDeleteधन्यवाद
शानदार रचना आपके आगमन के लिए धन्यबाद मेरी नई रचना शेयर बाज़ार पढने आप सादर आमंत्रित हैं
ReplyDeleteकृपया पधार कर आनंद उठाए जाते जाते अपनी प्रतिक्रया अवश्य छोड़ जाए
नी सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया...हाय रे हरी हरी छाया... आप ने ये गाना सुना है ? हमारे ज़माने का है...इसे शशि कपूर नामक हीरो टेड़े मेडे होकर गाता है ... तब ये समझ नहीं आया था कि इस गाने का तुक क्या है? छाया हरी हरी कैसे हो सकती है...? लेकिन संगीत बढ़िया था गाना चल निकला...आप कि पोस्ट भी ऐसी है...हरी हरी छाया टाइप बातें बताती चलती है लेकिन संगीत कि तरह रोचक है इसलिए चल निकलेगी...
ReplyDeleteअब आप कहेंगे ये टिपण्णी किस टाइप कि है? तो भाई जैसी पोस्ट वैसी टिपण्णी...जो आप कि पोस्ट समझ लेगा वो मेरी टिपण्णी भी समझ लेगा...
नीरज
बंधू..एक बात बताएं ये बाल किशन मोशाय सिर्फ़ आप कि पोस्ट पर ही क्यूँ टिपण्णी करते हैं? नहीं नहीं वे स्वतंत्र है चाहे जिसकी पोस्ट पर करें ना करें लेकिन सिर्फ़ आप कि ही पोस्ट पर ही क्यूँ? एक प्रशन आया दिमाग में सोचा पूछ लें....आप चाहें तो बताएं न चाहें तो ना बताएं....अब जवानी कि तरह आप पे हमारा कोई जोर तो है नहीं...(कोई जोर जवानी पर नहीं...गीत से प्रेरित वाक्य )
ReplyDeleteनीरज
एक उत्कृष्ट फुरसतियात्मक पोस्ट।
ReplyDeleteनीचे पुच्छल्ले के रूप में एक कविता की कमी रह गयी!
बढ़िया रही यह मौसम पोस्ट :)
ReplyDeleteधत्त तेरे की...ब्लागिंग के मौसम के बारे में लिखने बैठा और न जाने क्या-क्या लिख गया. खैर, अब लिख ही दिया तो पोस्ट कर देते हैं.
ReplyDeleteअब जब पोस्ट ही कर दिया तो पढ़ भी लिया। का करते?
Bahut khoob saari khabro ki charcha hi kar daali aapne
ReplyDeleteमौसम पर लिखते-लिखते मौसम बदल गया!!कोई बात नही पतझड ,सावन, बसंत ,बहार अच्छी पोस्ट के लिये आभार!!
ReplyDeleteअब पढ़ ही लिया है तो अपने तो एक ही मौसम में रहते हैं, और वो है टिप्पणियों का-तो टिपियाये दे रहे हैं फिर से.
ReplyDeleteभैया ब्लॉग की खटिया के मानी क्या ?
ReplyDeleteखटिया,वो जो खड़ी हो सके जैसे ....................
...................................................................?
वही तो मै भी खोजती रही कि गुरू अब बतायेंगे तब बतायेंगे पर ना जी । दुनिया जहान लिख गये पर वो न लिखा जिसकी आस थी ।
ReplyDeleteयार फुल्टू लिक्खाड़ हो गए हो आप तो, किधर से किधर घुमाते हुए बहुत कुछ पे नज़र फिरवा दी आपने।
ReplyDeleteबहुत सही जा रहे हो, गुरु !
ReplyDeleteडबलबेड पर शयन करने वाले खटिया को क्यों मिस किया करते हैं ? हमसे में अधिकांश की खटिया गाँव में खड़ी खड़ी धूप खा रही होगी ।
अब आते हैं, आज की पोस्ट पर..
एकदम पूरे ब्लागिंग स्पिरिट से मस्त भाव से लिखी गयी है.. एकदम्मै बगटुट लेखन !
यही तो मस्त चीज है..
जाते थे जापान..पहुँच गये चीन समझ लेना..
आन्ना आन्ना आन्ना, मेरे ब्लाग पर !
यही तो यहाँ अक्सर ही बजा करता है,
आई सैल्यूट योर स्पिरिट.. ज़ैन्टलमैन !
आपके लेखन की बात ही क्या ? नई नई उद्भावनाएं और नए नए विचार...फिर व्यंग्य की धार....
ReplyDeleteउत्कृष्ट लेखन....
विजयादशमी की बधाई...
आपके मेरे ब्लॉग पर पधार कर उत्साह वर्धन के लिए धन्यबाद. पुन: नई रचना ब्लॉग पर हाज़िर आपके मार्ग दर्शन के लिए कृपया पधारे और मार्गदर्शन दें
ReplyDeleteहमेशा की तरह बढ़िया लेख.
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनाएं.