Wednesday, April 1, 2009

बंगाल से प्रभावित बंद?...ताला.

19 comments:

  1. हमेशा की तरह बहुत ही अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर बहुत ही अच्छी जानकारी मिलती है , सबसे ख़ुशी की बात है आप ताला भी ट्रांसपरेंट लगाते हो कहाँ से लाये आप बताईये . नहीं तो .........

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  2. इसका मतलब कि आज से ब्लॉगिंग बंद..बहुत दुख हुआ जान कर.

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  3. सुन्दर अभिव्यक्ति! लगता है इसे भी अखबार वाले चुरा लेंगे..

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  4. वैसे तो हम यहाँ आए ही नहीं, मगर आप ताला मार कर कहाँ चल दिये? :)

    कहीं "चोलबे ना" वाली कोई बात तो नहीं :)

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  5. आप इस से पहले भी कोई इतनी बढ़िया पोस्ट लिखें हैं.....याद नहीं पढता....
    जय हो....
    नीरज

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  6. अरे वाह अच्छा किया साल भर का त्योहार है ्दुकान बढाकर मनाना ही चाहिये . लेकिन ज्ञान दादा की दुकान तो खुली है :)उसका क्या ?

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  7. ये फोटो तो सुबह के जागरण में छपी थी... बदला.. :)

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  8. दुखद! मतलब इस ब्लॉग को सक्रिय रखने को पोस्ट मुझे ही लिखनी होंगी!

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  9. भैयाजी, मामला क्या है? कोई टंकी ढूँढ ली क्या? :)
    अरे खोजो रे...

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  10. किस चक्कर में हैं भाई दुकान बंद करके.....????

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  11. अनगिनत अर्थछवियों वाले इसे आलेख के लिए आभार :) वैसे मुझे पंगेबाज भाई की बात पसंद आयी कि दुकान बढ़ाकर ही साल भर का त्‍योहार मनाना चाहिए :)

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  12. समीरलाल चले गये। अब खोल लो ताला!

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  13. ऐं! ई का मतलब भाई? घर में डांट पड़ि गैल का?

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय