Monday, April 20, 2009

हमरा ताकत लेकर नेतवा सब ताकतवर हो जायेगा.

फ़िल्मी दुनियाँ वाले वोटरों को बता रहे हैं कि वोट बहुत ताकतवर होता है, इसलिए वोट दीजिये. इस बात पर रतीराम जी का कहना है कि; "ससुर, जब भोट में ताकत होता ही है त हम अपना भोट नेतवा सब को काहे दें? हमरा ताकत लेकर नेतवा सब ताकतवर हो जायेगा."

बात चली तो बोले; "निकाल दिए हैं मन का भड़ास कागज़ पर. चाहिए त ले जाइये. छाप दीजियेगा."

हम उनका लेख लेकर आये हैं. छाप रहे हैं. आप बांचिये.

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ई फिलिम वाला सब आत्मविश्वास से लबालब भरा रहता है. तरह-तरह का आत्मविश्वास का मारा हुआ. किसी का चिरकुटई से भरा फिलिम हिट होकर इतिहास क्रिएट कर देता है त उसका आत्मविश्वास औरउ बढ़ जाता है. ऊ सोचता है कि ऊ जो भी बोलेगा, जनता सुनेगी. कुछ भी उगलेगा त जनता उहे मानेगी.

कोई कोई हीरोइन त टीवी कैमरा पर इहे बोल कर पांच मिनट तक हंसती है कि; "आय ऍम अ बिग फूडी..."

हम कहते हैं कि तुम्हरे पास पइसा है. तुम फूडी बनो आ चाहे जो. ईमे हंसने का है कुछ? लेकिन नाही. उनका अपना आत्मविश्वास पर बहुत कांफिडेंस है. ऊ त इहे बोलकर हँसेगी. जानती है न कि टीवी देखने वाला न जाने केतना लोग ई बात को अपना डायरी में नोट करने के बास्ते मारा जा रहा है.

एगो आमिर खान हैं. कहते हैं; "भोट दो. भोट बड़ा ताकतवर होता है."

भइया हमें त मालूम ही नहीं था. आप बताये त हमें पता चला कि भोट बहुत ताकतवर होता है. आखिर ताकतवर नहीं होता त ई नेतवा सब हमारा ताकत के पीछे काहे पड़ता. सोचता होगा कि भोटरवा सब का ताकत हथिया लो. खुद ताकतवर बन जाओ.

आमिर खान त ई सब बात बता ही रहे थे. अब करन जौहर भी आठ-दस लोगन का लेकर कह रहे हैं कि भोट दो. भोट दो.
बता रहा है लोग कि; "भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जुलुम बगैरह एही वास्ते फैला कि हम भोट नहीं देते."

लो सुन ल्यो बात. पिछला साठ साल से हम अउर का दे रहे है. साल-दू साल में भोट देते हैं अउर हर साल टैक्स. भोट अउर टैक्स देने के अलावा बाकी हम कुछ देने लायक नहीं है. बेटा-बेटी को सलेट-पेंसिल दें चाहे नहीं, बाकी नेतवा सब को भोट अउर सरकार के टैक्स ज़रूर देते हैं."

अउर फिर भोट देकर आतंकवाद रुक जायेगा? भ्रष्टाचार रुक जायेगा? ससुर तुम्हरी समझ का घास चरने गई है? ई नेतवा सब भोट पाकर ही त मस्त है. तुम कहते हो अउर भोट दो. कोई इनसे काहे नहीं पूछता कि भोट देने से आतंकवाद कईसे ख़तम हो जायेगा? भ्रष्टाचार कईसे ख़तम हो जायेगा?

जिनको ई सब ख़तम करना है ऊ लोग भोट लेकर ही त वहां पहुंचा है जहाँ जाकर ई सब चीज को कंट्रोल किया जाता है. काहे नहीं कंट्रोल करता सब?

अउर तुम आ गए हो ई बताने कि भोट दो.

अरे तुम अगर इतना ही जागरूक करना चाहते हो जनता सब को त पाहिले अपना ही नगरी का उन चिरकुटों को काहे नहीं जागरूक करते जो पॉँच-दस लाख लेकर किसी का भी चुनाव प्रचार करने चला जाता है. मंच पर खडा होकर ठुमका लगाता है. गाना गाता है.

ससुर एक तरफ तुम लोग बता रहे हो कि भोट में ताकत होता है. दूसरा तरफ तुम्हारा ही फिलिम नगरी का न जाने केतना चिरकुट सब पइसा लेकर चुनाव प्रचार करता है. एक तरफ त तुम जनता को ताकतवर बता रहा है दूसरा तरफ तुम्हारा ही भाई बंधू लोग एही जनता को बेवकूफ समझता है. इतना बेवकूफ समझता है कि नाच-गाना करके उनका भोट न जाने कईसा-कईसा कंडीडेटवा सब को दिलाने पर आमादा है.

किसको ठीक माने? तुमको आ फिर उनलोगों को जो ठुमका लगाते हुए पईसा कमा रहा है? पहिले हमरे सवाल का जबाब दो, फिर हमको भोट देने को कहो.

24 comments:

  1. wah kaya bat hai.....maja aa gaya parkar....E sub chirkut hai...aur yanha ke logon ko bhi chrkut samjhata hai....dimag per hathora chalane wala lekh hai...khoob gudgudata bhi hai...

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  2. बिल्कुल सटीक सवाल है-पहले जबाब लो:अपने आत्मविश्वास पर बहुत कांफिडेंस से पूछा है. :)

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  3. wah - wah, ratiraam ji ka political gyan to bahut hi baddhiya hai!

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  4. wah - wah, ratiraam ji ka political gyan to bahut hi baddhiya hai!

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  5. रतीराम तो बेहद मारक हैं जी

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  6. बहुते कॉंफ़िडेंस के साथ लिखा है, सारा दिमाग ही जड़ से हिल गया है...पान खा के.


    इ ससूरा ताकत ताकत भी पैसा लेकर बोल रहा होगा...

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  7. जब जबाव आ जाए तो एक पोस्‍ट लिखकर बता जरुर दीजिएगा।...वैसे आपका एपलीकेशन खारिज हो जाएगा।

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  8. लाख रुपये का सवाल! और किसी के पास इसका जवाब भी नहीं है!

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  9. ऊ सब का बात छोड़ीए न, भाई साहब..
    रतीराम भाई जब अपना ताकत पहचानिये लिये हैं, त नेतवा को अखाड़ा में पकड़ के एगो धोबियापछाड़ काहे नहिं देते ?
    उनको भेजीए ईहाँ , टिरेनींग हम दूँगा.. बदला में एक्दूठो पोस्ट हमहूँ पा जायेंगे !

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  10. काश सभी मतदाता रतिराम जी की ही तरह प्रबुद्ध होते। फिर तो ई नेता लोग मतदाताओं के सवाल के जवाब देने में ही टें बोल जाते।

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  11. वाह का गोली के माफिक सवाल दागा है रतिराम बाबू ने.

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  12. मतिराम जी,
    पायलागन।
    ई भोट का मामला कुछ माया-मछिंदर का माफिक लगता है। अब देखिए हम जिसको भोटियाते हैं ऊ साला तो बाली की तरह दूगुना तकतवर हो जाता है और हम वैसे ही खैनी पिटपिटाते ना रह जाते हैं। कहीं ना कहीं बिलैण्डर मिस्टेक जरूरै है।

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  13. हमारी प्रोब्लम दूसरी है मिश्रा जी....वोट की ताकत तो हमको मालूम है बरसो से .पर वोट किसे दे ???सब साले छटे हुए गुंडे जमा है

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  14. भाई मिश्राजी हमको रतिराम जी का पता दिजिये..हम तो जाकर उनका शिष्यत्व ग्रहण करुंगा.

    रामराम.

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  15. @ ताऊ रामपुरिया - हमको रतिराम जी का पता दिजिये..हम तो जाकर उनका शिष्यत्व ग्रहण करुंगा.--------

    कहां खोजेंगे? आप तो एकलव्य बनें!

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  16. अब समझ में आया नेताओं के ताकतवर होने का राज ... वोट के रूप में हमारी ताकत जो छीन लेते हें।

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  17. अच्छा है, रतिराम समझ रहा है कि वोट का मौजूदा सिस्टम अब उस के काम का न रहा। इसे ठीक करना पड़ेगा। और ठीक करने का काम भी उन के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता जो वोट ले कर संसद , विधान संभा में जाते हैं, वरना फिर वे तो ऐसा ही सिस्टम बना डालेंगे जो जनता के नहीं उन के या उन के आकाओं के काम का होगा।

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  18. ये फिल्मी ठठेरे चिल्लाते तो खूब हैं कि वोट दो अरे वोट दो....लेकिन वोट वाले दिन बारह बजे तक बिस्तर ही नहीं छोडेंगे.....पता ही नहीं चलता कि बिस्तर इन्होंने खरीदा है या बिस्तर ने इन्हें :)

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  19. चिरकुटाई में ही भोट देना पड़ेगा...कम-से-कम संतोष होगा

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  20. ई तऽ मानना परेगा कि भोटवा में ताकत है। एही से तो रतिराम जी भी फुल कान्फीडेन्स से नेता लोग का छीछालेदर करने का हिम्मत किए हैं।

    जय हो!

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  21. हमारा वोट तो रतिराम जी को जाता है. .ससुर हाम्रा दिल का बात लिख दिए..

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  22. एही मारे आज एक फिलिम वाला नेतागिरी के चक्कर में जूता खा गया न! इसके पीछे कहीं रतीराम जी का तो हाथ नहीं है?

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  23. पोस्ट के बारे में बाद में कहेंगे..पहले ये बतलाईये की रति राम को ये सब लिखने के लिए कौन पैसा दिया है...???इतना सच्चा बात कोई बिना पैसे लिए कैसे लिख सकता है, ये न कहियेगा की अंतर आत्मा की आवाज सुनके लिख रहे हैं,वर्ना हम हंस हंस के लोट पोट हो जायेंगे...अंतर आत्मा और आज के युग में????जरूर कोई कुछ दे दवा के लिखवा रहा है उनसे... बाद में दो चार ऐसी पोस्ट लिख के जरूर कहेंगे की अगर आप ये सब नहीं देखना/पढना चाहते तो फलां को वोट दो...आज कल पान के धंदे में मंदी है का?
    नीरज

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय