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निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद
ये क्या शिवकुमार जी.. :(
ReplyDeleteएक निरापद टिप्पणी :
ReplyDeleteजय हो.
निरा पद । लगता है अब ऐसी ही पोस्ट लिख कर हम सुरक्षित रह सकेगें:))
ReplyDeleteगुरूजी..शत प्रतिशत नहीं ये तो उससे भी ज्यादा हो गया ..सौ से बहुत ज्यादा बार लिखा है निरा पद...इसके बाद प्रेरणास्पद..संदेहास्पद..और जितने भी प्रकार के पद हैं ..उन पर भी ऐसा ही जोरदार लेख जो जाए....जय हो जय हो
ReplyDeleteन्द्क;ल्जश्वि;ओह्व.क च्ब्व्क.वेज४ज्फ़्ग्व्ब्वएज्ब च्व.कजेर्ह;ओएह्न्द,म व्च.क्सेज्फ़्ह्ब्द.च व्स,.एफ़्झ.क्व्जेब फ़्व्. च.क्सजेफ़्ह्क्ज्व्ब्न
ReplyDeleteEven Google translator said *महासय ये कौनसी भासा है ? *
Delete@ अजय कुमार झा जी
ReplyDeleteअजय जी, शत-प्रतिशत का मतलब सौ या सौ ज्यादा या कम बार नहीं होता. वैसे भी आपकी टिप्पणी पढने के बाद संदेहास्पद कुछ लगता ही नहीं. ....:-) ऐसे में संदेहास्पद पर लिखने की ज़रुरत दिखाई नहीं देती....:-)
कहने की ज़रुरत नहीं कि प्रेरणास्पद वैसे भी कुछ नहीं है.
निरापद = निरापद
ReplyDeleteअच्छा लिखा, सुन्दर, खूबसूरत, वाह, आभार, शुभकामनायें… ये हैं सबसे निरापद टिप्पणी… और ये भी न मिले तो (ये :) और :( ये) टिप्पणी भी इसलिये कि भैया ध्यान रखना हम आये थे आपके ब्लॉग पर। आप भी आना, मेरी कविता पढ़ना, कहानी पढ़ना, पहेली हल करना, गाने सुनना… जो भी करना हो निरापद करना।
ReplyDelete@ज्ञानदत्त जी की टिप्पणी पढ़ी।अत उन के विचारों से सहमति जताने के लिए दुबारा आना पढ़ा।;)
ReplyDeleteतैयार रहिये अमर उजाला में आपका ये आलेख छपने ही वाला है..
ReplyDeleteज्ञान भैया से पूर्ण सहमति :)
ReplyDeleteज्ञान जी से सहमत होने का मन तो कर रहा है, पर पहले उनकी टिप्पणी के समझ में आने का खतरा है । कई बार जो निरापद दिखे है, निरापद होवे नहीं । गूढ़ार्थ समझ लिया गया गया हो उनकी टिप्पणी का, ऐसा तो नहीं लगता मुझे ।
ReplyDeleteन समझ लिया गया हो- शायद इसलिये निरापद ।
Kya kahun?????
ReplyDeleteज्ञान भैया का बहुत बहुत आभार है जो उन्होंने शब्द हीनता से उबारा......एकदम परफेक्ट लगा सो इसे यहाँ चेप रही हूँ.....
ReplyDelete"श्रीमन्त, आपको इस विश्व से आइडिया और इन्स्पिरेशन लेने हैं। लगाम आपको अपने हाथ में रखनी है और खुद को बेलगाम नहीं करना है, बस!
भद्रजन, आप इस जगत को अपने विचार, लेखन, सर्जनात्मकता, गम्भीरता, सटायर या गम्भीर-सटायर से निरापद करें।"
. .
ReplyDelete-उपरोक्त हमारी निरापद टिप्पणी. इससे ज्यादा लिखने की हिम्मत नहीं हुई.
वाह शिव जी क्या लिखा है आपने ..नियमित लिखें
ReplyDelete.
शिव जी, आपने कल कहा था कि अब आप कविता लिखेंगे तो कोई खतरा नही रहेगा. हमने तो आज आपकी बात को सत्य समझकर एक कविता ठेल दी. अभी एक घंटा भी नही हुआ और हटाने की सलाह आगई है.
ReplyDeleteक्या करें? और निरापद लेखन कैसे करें. या फ़िर थोडे दिन टंकी पर चढ जायें?
रामराम.
पहली बार आप कोई ऐसी पोस्ट लिखें हैं जो हमारे भेजे में सीधे ही घुस गयी है...क्या सिर्फ हमारी ही खातिर लिखें हैं आप ये पोस्ट यदि हाँ तो शुक्रिया और यदि नहीं तो बताईये हम सा बौड़म दूसरा कौन है ?
ReplyDeleteनीरज
यह पोस्ट बिल्कुल सही है। इससे पहली व बाद वाली पर आपत्ति हो सकती है। आप तितली पर लिखेंगे या चिड़िया पर तो हम जैसे चिड़िया का नाम चुराने वाले आपत्ति कर सकते हैं, कहीं कोई तितली रानी भी हो सकती है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
@ न्द्क;ल्जश्वि;ओह्व.क च्ब्व्क.वेज४ज्फ़्ग्व्ब्वएज्ब च्व.कजेर्ह;ओएह्न्द,म व्च.क्सेज्फ़्ह्ब्द.च व्स,.एफ़्झ.क्व्जेब फ़्व्. च.क्सजेफ़्ह्क्ज्व्ब्न
ReplyDeleteसहमति या असहमति जताने से पहले किसी निरापद आत्मा से सलाह लेता हूँ।
?????????????????????????
ReplyDelete:-))))))))))))))))))))))
निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद
ReplyDeleteनिरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद निरापद
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hmm, chaliye aapke nirapad lekhan ne hame idhar aane ko fur majbur kiya ;)
ReplyDeletevaise je maamla ka hai bhaiya, apne takle sir k upar se gujar gaya ;)
आपकी पोस्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. जीवन के गूढ़ सत्य को जिस तरह आपने अपने लेख में उजागर किया है वह प्रेरणादायक है. आने वाले समय में जब जब हिंदी साहित्य का चौथा या पांचवा इतिहास लिखा जाएगा तो आपके इस लेख का उल्लेख किये बिना उसका विमोचन नहीं हो सकेगा. मैं आपको नियमित पढने का प्रयास करता हूँ पर ऐसा मानस मंथन पहली बार देखने को मिला. आशा है इसी प्रकार लिखते रहंगे.
ReplyDeleteशुभकामनाओं सहित,
अभिनव
पुनश्च: वैसे निरापद का मतलब क्या होता है?
गोया एक शब्द मे इतना अच्छा व्यंग लिख दिया आपने !! बधाई
ReplyDeleteसुरेश चिपलुनकर जी को सर्वश्रेष्ठ टिप्पणी के लिये बधाई !मगर हम थोडे कांग्रेसी है और थोडे हिन्दुस्तानी भी ...हा हा हा
परमपद की प्राप्ति के लिए निरापद नामस्मरण का अभिनव प्रयोग निश्वय ही फलीभूत होगा। किन्तु कलियुग में जप चार गुना करनें पर ही इच्छित फल देता है। सम्पुट लगा लेनें से उद्देश्य स्पष्ट और शीघ्र फलप्रद होता है। सामूहिक रूप से संकीर्तन किये जानें पर द्वेशबाधा, ईर्ष्याबाधा, भयबाधा आदि से मुक्ति के साथ ब्लागर को ब्लागिंग सिद्ध होजाती है। एवमस्तु।
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ReplyDeleteजयत्यतिबलो मारूत रामो लक्ष्मणश्च महाबलः
ब्लागर्थो प्रतिष्ठामि निरापदाः निज पोस्टरक्षताम
बाबा निट्ठल्ले ने वर्षों की साधना से प्राप्त निरापद-लेखन मन्त्र
ब्लागर-हितार्थ च टिप्पणीकार-कल्याणार्थ यहाँ समर्पित किया ।
बोले... हऽऽर हर महाऽऽदेव, शिव शँभो
:)
ReplyDeleteमज़ाक की भी हद होती है।
ReplyDeleteकृपया आगे से इस किस्म की ब्लागिंग न करें।
आपको यह शोभा नहीं देता है। जो आपको गंभीरता से लेते हैं, उनके बारे में भी सोचें।
आपके निरापद लेखन की जय हो.
ReplyDeleteयकीनन।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteएक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
मेरे जैसे आलसी को आपने अच्छा तरीक़ा थमा दिया है.
ReplyDeleteVakaee Mein निरापद lekhan hai. Badhai.
ReplyDeleteये तो आपकी महानता है जो इतनी बार लिख दिये , अन्यथा एक बार लिख देते तो भी हम शतप्रतिशत ही समझते और कोई आपदा नहीं भेजते :)
ReplyDeletemerey khayal se copy paste ka is se uttam udaharan milna mushkil hai. phir bhi shiv kumar ji ki mehnat to hui.paste karney me hi sahi..badhai. nirapad badhaii.
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