एक हैं हाफिज़ सईद साहेब. हैं पकिस्तान के लेकिन अपना कार्यक्षेत्र हिन्दुस्तान को बना रखा है. ट्रेनिंग-व्रेनिंग देने में माहिर हैं. ट्रेनिंग देकर नौजवानों को स्वर्ग भेजने का पुण्य कार्य करते हैं. मुंबई पर हुए हमले में इनका नाम है. भारत ने सुबूत दिया तो अरेस्ट हो लिए. बाद में पकिस्तान ने बताया कि सुबूत पर्याप्त नहीं हैं तो छोड़ दिए गए. फिर भारत चिल्लाया कि हमने तो सुबूत दिए थे. पाकिस्तान फिर चिल्लाया कि आपके सुबूत काफी नहीं हैं. इतने नाकाफी कि हाफिज़ सईद को रोककर रखने में असफल हैं.
कल पाकिस्तान ने फिर बताया कि भारत ने पर्याप्त सुबूत नहीं दिए इसलिए हाफिज़ सईद को रोककर रखना उनके बस की बात नहीं.
पकिस्तान के बस में वैसे भी कुछ नहीं है. दिल्ली से लाहौर तक बस गई. लाहौर से दिल्ली नहीं आई.
खैर, पकिस्तान ने भारतीय सरकार को एक पत्र लिखकर खुलासा किया कि सुबूत इकठ्ठा करने के लिए पकिस्तान ने बहुत प्रयास किया लेकिन सुबूत मिले नहीं. उनकी कोशिशों का लेखा-जोखा निम्नलिखित है;
०१. हमें लगा कि अगर यह बात सच है कि मुंबई पर हमला हाफिज़ सईद साहेब ने पकिस्तान से नौजवानों को भेजकर करवाया तो उन्होंने रिक्रूटमेंट के लिए अखबारों में विज्ञापन ज़रूर दिए होंगे. यह कहते हुए कि; "ज़रुरत है साहसी नौजवानों की जो मुंबई पर हमला कर सकें."
कहते हैं इस तरह के हमलों के लिए काफी दिनों तक तैयारी की ज़रुरत है. हमने पिछले दो सालों का अखबार छान मारा लेकिन हमें हाफिज़ सईद द्बारा दिए गए इश्तिहार किसी अखबार में नहीं मिले. इससे यह साबित होता है कि मुंबई पर हुए हमले में उनका हाथ नहीं है.
०२. तमाम जुगत लगाकर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अगर इन नौजवानों को पकिस्तान में ट्रेनिंग दी गई है तो जिस स्कूल में ट्रेनिंग दी गई है, उस स्कूल को फीस पेमेंट करने का कोई तो सुबूत होगा. हाफिज़ सईद के घर की तलाशी में हमें किसी स्कूल की फीसबुक नहीं मिली. इससे साबित होता है कि इस हमले में हाफिज़ साहेब का हाथ नहीं है.
०३. अगर हाफिज़ सईद साहेब ने इन नौजवानों को पाकिस्तान से मुंबई भेजा होता तो उन्होंने ज़रूर कोई बड़ा मजमा लगाकर उन्हें बिदाई दी होती. मजमा लगता तो उसकी फोटोग्राफी भी हुई होती. टीवी पर दिखाया भी गया होता. हमने बहुत कोशिश की लेकिन हमें इस कार्यक्रम की विडियो रिकॉर्डिंग नहीं मिली. इससे यह साबित होता है कि मुंबई पर हुए हमले में हाफिज़ साहेब का कोई हाथ नहीं है.
०४. हिंदुस्तान का कहना है कि कसाब एंड पार्टी कराची से चलकर मुंबई तक बोट से पहुंचे. खोज करने के बाद कराची पोर्ट पर हमें यह तो पता चला कि किसी हाफिज़ सईद ने एक बोट भाड़े पर ली थी लेकिन पोर्ट के फार्म में जहाँ यह पूछा गया था कि; "बोट भाड़े पर लेने का मकसद क्या है?" वहां पर जवाब में लिखा गया था कि "बोट पर चढ़कर कुछ नौजवान मुंबई घूमने के लिए जायेंगे."
हमारा मानना है कि अगर यह बोट इस इरादे से भाड़े पर ली गई होती कि उसमें सवार नौजवान मुंबई पर हमला करने जा रहे हैं तो पोर्ट के फार्म में इस बात का डिसक्लोजर ज़रूर रहता. इससे यह साबित होता है कि मुंबई हमले में हाफिज़ साहेब का कोई हाथ नहीं है.
०५. हाफिज़ साहेब के घर से हमें रेकॉर्ड्स मिले हैं जिनसे पता चलता है कि उन्होंने कुछ सेटेलाईट फ़ोन की खरीदारी की थी. लेकिन यहाँ हम बताना चाहेंगे कि फ़ोन कंपनी को दिए गए डिसक्लोजर में यह नहीं कहा गया है कि ये फ़ोन मुंबई में हमले के लिए इस्तेमाल होने वाले थे.
०६. हाफिज़ सईद साहेब के डेरे से हमें मुंबई के नक्शे वगैरह मिले तो सही लेकिन पूछताछ के बाद पता चला कि हाफिज़ साहेब ने नक्शे इसलिए मंगवाए थे क्योंकि वे मुंबई में लैंड प्रोपर्टी में इन्वेस्ट करना चाहते थे.
०७. हमने हाफिज़ साहेब से पूछा कि; "क्या मुंबई में हुए हमले में आपका हाथ है?" इसके जवाब में उन्होंने हमें बताया कि मुंबई में हुए हमले में उनका हाथ नहीं है. इससे यह साबित होता है कि मुंबई पर हुए हमले में हाफिज़ साहेब का हाथ नहीं है.
०८. हमने हाफिज़ साहेब से यह भी पूछा कि; "क्या लस्कर-ए-तैयबा दहशतगर्दों का आरगेनाइजेशन है?" इसके जवाब में उन्होंने हमें बताया कि; "नहीं जनाब. लश्कर-ए-तैयबा तो एक कव्वाली गाने वाला आरगेनाइजेशन है."
हमारे पास उनकी बात पर विश्वास न करने का कोई कारण ही नहीं था. इससे साबित होता है कि मुंबई हमले में हाफिज़ साहेब का हाथ नहीं है.
०९. हमने नेशनल जियोग्राफी और डिस्कवरी जैसे चैनलों से भी खोज की लेकिन उनके पास भी इन नौजवानों द्बारा करांची से मुंबई तक किये गए सफ़र की विडियो रिकॉर्डिंग नहीं है. ऐसे में यह साबित होता है कि जिन लोगों ने मुंबई पर हमला किया वे पाकिस्तानी नहीं थे.
१०. हमें हाफिज़ सईद और कसाब के कुछ विडियो मिले हैं लेकिन हमने देखा कि हर विडियो में हाफिज़ साहेब कसाब को कव्वाली की बारीकियां समझा रहे हैं. इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कसाब मुंबई गया भी होगा तो कव्वाली गाने की प्रैक्टिस करने.
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिन्दुस्तानी सरकार ने उसे आतंकवादी समझकर अरेस्ट कर लिया.
हम हिन्दुस्तानी सरकार से यही कहेंगे कि अगर उसके पास मुंबई पर हुए हमले की प्लानिंग और हमले का शुरू से लेकर अंत तक विडियो रिकॉर्डिंग हो तो हमें मुहैय्या कराये. फिर हम सोचेंगे कि हाफिज़ साहेब से पूछताछ की ज़रुरत है या नहीं.
आप कह रहे हैं कि हाफ़िज साहब का कहीं हाथ नहीं है तो मानना ही पड़ेगा। का करें?
ReplyDeleteअरे, कसाब कहीं वही कव्वाली तो नहीं गा रहा था न जिसे मैंने कल पोस्ट किया था? ठीक उसी समय उसे पकर कर अंदर कर दिया गया..
ReplyDeleteभाई पाकिस्तान के द्वारा दिए गए १ से १० तक सबूत बहुत काफी है. एक दो कम भी दे देते तो हमारी सरकार मान लेती..........पहले भी बहुत कुछ मान चुकी है और हम तो पहले ही अनुमान लगा रहे थे की " मुंबई हमले जैसा कुकृत्य कोई लश्कर-ए-तैयबा जैसा कव्वाली गाने वाली संस्था नहीं कर सकती है", भाई दहशतगर्दी तो जांबाजों का काम है और ये मामूली संस्था मैं दिलेर जांबाज़ हैं कहाँ ? खैर, आपने उन्हें निर्दोष साबित करने की पूरी कोशिश की है और मेरे अनुमान को भी पुख्ता किया है .............. पाकिस्तानी सरकार से मेरी तहे दिल से दरख्वास्त है --- की आप आओ और इस ब्लॉग को देखो और समझो..............
ReplyDeleteभाई, विशेष... कैसे इतना अच्छा सोच और लिख लेते हो. कमाल का लिखा है.
अब तो मानना ही पड़ेगा… खामखा में टाइम बरबाद किया… वैसे एक अलग तरह की कव्वाली गाने वाली टीम अपने इधर भी है, जिसमें सीबीआई, रॉ और आईबी मिलकर गाते हैं…
ReplyDeleteहम इस पोस्ट से तथ्यात्मक रूप से इत्तेफाक नहीं रखते और यह साबित कर सकते हैं कि हाफिज साहब का इसमें एक हाथ ही नहीं वरन दोनों हाथ हैं। जरा बताइये?
ReplyDeleteक्या बिना ताली के कव्वाली गायी जा सकती है?
क्या ताली एक हाथ से बजती है?
इसलिये हम हाफिज साहब का हम मुंबई कव्वाली समारोह में स्वागत कर रहे हैं, वैसे हमारी सरकार में भी कई ताली बजाने वाले ही बैठे हैं वरना ....
च च च ....बेचारा पाकिस्तान !!!!!! कितनी बार कहेगा हमारा हाथ नहीं...अब तो भारत को मानना चाहिए .....अब देखिये ना आज दौ सौ बच्चे वहां पढने लिखने गए थे अब मीडिया वाले कह रहे है की उन्हें सुसाइड बोम्बर की ट्रेनिंग दे जा रही थी .छि!!!!!ये मीडिया भी भारत से मिला हुआ है......
ReplyDeleteअगर कव्वाल पकड़ा तो गलत ही पकड़ लिया था पाकिस्तान सरकार ने।
ReplyDeleteअसल में जो भारत से जो सबूत दिये गये थे वे तो हाफिज़ सईद नाम के एक कुकुर के थे।
हाफिज को इस मुल्क का राष्ट्रपति, कसाब को गृहमन्त्री बनाना चाहिये, तभी शान्ति और धर्मनिरपेक्षता कायम हो सकेगी.
ReplyDelete"हाफिज़ सईद के घर की तलाशी में हमें किसी स्कूल की फीसबुक नहीं मिली"
ReplyDeleteअब तलाशी गलत जगह करें तो फ़ीसबुक कैसे मिलती? अरे, वो तो फ़ेसबुक में छुपी थी....वो कहते हैं ना- चोर की दाढ़ी में तिनका:)
पाकिस्तान अगर कहे कि सुबूत मिलने पर भी हम उसे अरैस्ट नहीं करेंगे तो क्या कल्लोगे जी ?
ReplyDeleteवह अगर घुमा फ़िराकर इनकार कर रहा है ताकि पड़ौसी की ख्वामखाह बेइज्जती न करनी पड़े तो इसमें गलत क्या है . अगर वह सीधे सीधे मना करे तो आप जो करने वाले हो उसे अभी करोगे तो आपको कौन रोकता है जो सबूत देने के बाद करने पर नहीं रोकेगा !
बात करते हैं !
गलत बात खांमाखा किसी तो तंग करना.. बेचारा....
ReplyDeleteजब उन्होंने कहा उनका हाँथ नही है मतलब नही है ..इतना रोने -धोने की क्या जरुरत है?
ReplyDeleteथेंथर हैं सब...।
ReplyDeleteबहुत गलत बात है..निर्दोष लोगो को नाम लेलेकर फ़ंसा रहे हैं..नाइंसाफ़ी है.
ReplyDeleteरामराम.
सोचते हैं , अब हम भी एक-४७/५६ को छोड़ हाथों में हारमोनियम और झाल पकड़ लेते हैं...
ReplyDeleteऊपर सुरेश चिम्पुलकर जी की टिप्पणी भी काबिले-गौर है...
ReplyDeleteयहाँ संसद भवन में इनका एक कव्वाली का आयोजन हो ही जाना चाहिए!!!!
ReplyDeleteअभी हाल में खबर पढ़ी थी बीबीसी पर की पकिस्तान में कव्वाली गाने वालों का बुरा हाल है ! बड़े बुरे दिन चल रहे हैं. पाकिस्तान की सरकार को बेलआउट करना पड़ेगा जी !
ReplyDeleteदस का दम इसे कहते हैं......
ReplyDeleteतुम्हारे दसों प्वैंट तो दमदार हैं ही,लेकिन लेख का पहला पारा..उफ़ क्या कहिये....
एकदम लाजवाब !!!!
Shiv ji aapki lekh ke 10 point bahut strong hai
ReplyDeleteSuresh ji ka vayang bhi sahi hai
agar pakistaan kahti hai ki haath nahi hai to nahi hi hoga aakhir tabhi to bharat kuch nahi kar raha.........
Napaaak Padosee Jhooth nahi bol raha hai. Jub lahore Court ne Hafij ko bari kar diya tab Pak Sarkar Kya kar sakti hai.
ReplyDeletePadhiye Hafij ki Court mein peshi.
मास्टरमाइंड आतंकी बाइज्ज़त बरी (व्यंग्य/कार्टून)Posted by K M Mishra on June 6, 2009, on www.kmmishra.tk
kya khoob kes lada hai aapane pakistan aur hafeez saeed sahab kee taraf se ab iske aage koee kya kahe ? Badhiya wyang.
ReplyDeleteHi
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बंधू पकिस्तान के इन अकाट्य तर्कों के समक्ष भारत सरकार के पास कहने को कुछ नहीं है सिवा इसके "हम से का भूल हुई जो ये सजा हमका मिली...."वैसे येही गीत कुछ समय बाद कसाब भी गाने वाला है...सुना है आजकल वो जेल में इस गीत को गाने की प्रक्टिस नदीम ( श्रवण फेम ) भाई से वाया सेटेलाईट ले रहा है...
ReplyDeleteनीरज
ठीक कह रहे हैं सर. हाफ़िज साहब का हाथ ऐसे-तैसे काम में हो भी नहीं सकता है. हाथ तो दुनिया भर मे सिर्फ़ एकै है और वो कांग्रेस के पास है. उहो आजकल अपनी पूरी ऊर्जा सिर्फ़ गुरु जी बचाने में लगाए हुए है, सुप्रीम कोर्ट के सज़ा सुनाने के बाद से.
ReplyDeletearey to ham kaun sa use maarne peetna ya mukadma karne ke liye chaah rahe hain...kavvali gaane ke liye to jaroorat aan padi hai...bas pakad ke gautam ji ke hawale kar dete hain, harmonium aur jhaal se khoob khatirdari karenge.
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