पत्रकारिता मेहनत का काम है. ईमानदारी का काम है. अब देखिये न, बड़े-बड़े पत्रकार अपने टीवी स्टूडियो में बैठे-बैठे ही एनालिसिस करते रह गए लेकिन असली पत्रकार राष्ट्रपति ओबामा से मिलकर उनका इंटरव्यू निकाल लाया. ज़ी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ हमारे ब्लॉग पत्रकार चंदू चौरसिया की.
चंदू ने मुझे एक महीना पहले ही भरोसा दिलाया था कि चाहे जो हो जाए, वह बराक ओबामा ज़ी का इंटरव्यू लेकर रहेगा. मेहनती इतना कि पाँच तारीख से ही आगरा में डेरा जमाये था. सुबह से ही ताजमहल के सामने वाले दरवाजे पर पेन और पेपर लेकर बैठ गया. जब शाम तक ओबामा ज़ी नहीं निकले तो उसने सोचा कि कोई न कोई लफड़ा है. पूछताछ करने पर पता चला कि ओबामा ज़ी छ तारीख को आयेंगे और आगरा वाले ताजमहल में नहीं बल्कि मुंबई वाले ताजमहल में रहेंगे.
यह भी पता चला कि वे मुंबई से सीधा दिल्ली आयेंगे तो चंदू ने निश्चय किया कि वह अब दिल्ली में ही इंटरव्यू लेगा. मुंबई नहीं गया. नहीं जाने का एक कारण और भी था, उसे डर था कि मुंबई जाने के बाद उसके मन में कहीं हीरो बनने का लालच न आ जाए. उसने अपना जीवन पत्रकारिता को समर्पित कर दिया है इसलिए अब हीरो बनने में उसे शर्म आती है.
आज सुबह ही दिल्ली से कोलकाता पहुँचा. मैं इंटरव्यू टाइप कर दे रहा हूँ. आप बांचिये.
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चंदू: गुड ईविनिंग सर. वेलकम तो आवर इंटरव्यू, सर.
ओबामा: चंदू ज़ी, अंग्रेजी में बात क्यों कर रहे हैं? अरे भाई मुझे हिंदी आती है.
चंदू: सर! ये तो चमत्कार हो गया. आपको हिंदी आती है? कहाँ सीखी, सर?
ओबामा: हाँ भाई, मुझे हिंदी आती है. मैं अमेरिका का प्रेसिडेंट हूँ. और आपको बता दूँ कि अमेरिका का प्रेसिडेंट कुछ भी कर सकता है. यहाँ तक कि हिंदी भी सीख सकता है. भाई व्यापार करने निकला हूँ भाषा का ज्ञान नहीं रहेगा तो व्यापार कैसे होगा? वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मैंने हिंदी सीखने के लिए टेली-शॉपिंग का महागुरु हिंदी स्पीकिंग कोर्स खरीदा और हिंदी सीख ली.
चंदू: अरे सर, आपने तो हमारी मुँह की बात छीन ली. बहुत बढ़िया कोर्स है सर.
ओबामा: अच्छा, क्या आपने भी हिंदी वहीँ से सीखी है?
चंदू: नहीं सर. हमने तो महागुरु के कोर्स से अंग्रेजी सीखी है. वैसे सर, यह बताइए कि आपने हिंदी कब और क्यों सीखी?
ओबामा: जब मैं प्रेसिडेंट बना तभी मैंने निश्चय किया कि मुझे हिंदी सीखनी है. साल २००८ में मैंने आपके तत्कालीन विदेशमंत्री द्वारा अंग्रेजी में दिया गया भाषण सुना. भाषण ख़त्म होने के बाद मैंने उसी अंग्रेजी भाषण का अंग्रेजी ट्रांसलेशन माँगा. उसे पढ़ने के बाद मैंने अपने अफसरों के साथ मीटिंग की और यह तय किया हिंदी सीखकर झमेला ख़तम किया जाय और भारतीय नेताओं के साथ हिंदी में ही बात कर ली जाय.
चंदू: सर, यह बताइए कि आप अभी अपने देश का मध्यावधि चुनाव हार गए हैं. क्या आप अपने पद से इस्तीफ़ा देंगे?
ओबामा: पद से इस्तीफ़ा? क्यों? मैं मिड-टर्म इलेक्शन हारा हूँ, उसके लिए इस्तीफ़ा क्यों दूँ?
चंदू: दरअसल सर, आपको इस्तीफ़ा देने की ज़रुरत नहीं है. मैंने यह सवाल तो पत्रकार धर्म का पालन करने के लिए पूछा है. हमारे देश में जब कोई सरकार मिड-टर्म इलेक्शन हारती है तो विपक्ष और पत्रकार दोनों उसके इस्तीफे की बात करते हैं. यह अलग बात है कि सरकार इस्तीफ़ा नहीं देती.
ओबामा: अच्छा यह बात है? आपके देश के पत्रकार तो बहुत अच्छे हैं.
चंदू: हाँ सर. एक से बढ़कर एक हैं. वैसे मेरा आपसे अगला सवाल है कि आप भारत क्यों आये? आपके आने का उद्देश्य मेरे लिए जानना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि कुछ लोग़ कह रहे हैं कि इतने सारे लोगों को भारत लेकर आये हैं इतने बड़े-बड़े व्यापार समझौते किये आपने जिसे देखकर लगता है जैसे आप साल २०१२ के लिए अपना चुनाव प्रचार मुंबई से शुरू कर रहे हैं.
ओबामा: नहीं-नहीं यह सच नहीं है. मैं यहाँ चुनाव प्रचार करने नहीं आया हूँ. दरअसल मैं यहाँ कुछ और अजेंडा लेकर आया हूँ.
चंदू: मैं आपकी बात मान गया सर. वैसे भी अगर आप चुनाव प्रचार करते तो आपके साथ हमारी फिल्म इंडस्ट्री का कोई न कोई हीरो अवश्य होता. वैसे आपका अजेंडा क्या है सर?
ओबामा: देखिये ऐसा है कि अमेरिका में तो मैं गाँधी ज़ी को कई बार महान बता चुका हूँ. अपने देश में भाषण देते हुए मैं कई बार भारत को इकॉनोमिक पावरहाउस बता चुका हूँ. कई बार आपके प्रधानमंत्री को मैं महान बता चुका हूँ. मैंने सोचा कि क्यों न यही बातें भारत में की जाएँ. उससे मेरी ईमेज भी बढ़िया होगी और आपके प्रधानमंत्री की ईमेज में भी चार चाँद लग जायेंगे.
चंदू: वैसे सर, मेरा अगला सवाल यह है कि आप पाकिस्तान को मदद पर मदद दिए जा रहे हैं. जिस पाकिस्तान में आपको सैनिक झोंकने चाहिए उसमें आप डालर झोंके जा रहे हैं. ऐसा क्यों?
ओबामा: मुझे पता था कि आप कभी न कभी यह सवाल पूछेंगे. देखिये पाकिस्तान पूरे विश्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिका भी पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है. ऐसे में एक महत्वपूर्ण देश का धर्म बनता है कि वह दूसरे महत्वपूर्ण देश के लिए कुछ करे...... भारत एक उभरता हुआ इकॉनोमिक पॉवर हाउस है. दक्षिणी पूर्वी एशिया में ही नहीं भारत का विश्व के मंच पर एक अपना रोल है. भारत आनेवाले समय में पूरी दुनियाँ को विकास का रास्ता दिखा सकता है. आज के विश्व में भारत का जो स्थान है वह उसे मिलना चाहिए. मैं जब प्रधानमंत्री श्री सिंह से पहली बार मिला था तभी मैंने उन्हें बताया था कि मैं उनका बहुत बड़ा फैन हूँ. मुंबई में रहकर मैंने जो महसूस किया वह यह है कि आनेवाले समय में भारतीय युवा अपन रोल बखूबी समझता है. देखने वाली बात यह है कि......
चंदू: सर, आप मेरे सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं.
ओबामा: आपके सवाल का उचित जवाब यही है जो मैंने दिया है. अगर आपको कोई और जवाब सुनना है तो फिर मैं सच बता देता हूँ. देखिये हमारे देश में डालर प्रिंट करने वाले प्रेस अभी ओवरटाइम काम कर रहे हैं. जब हम टार्गेट से ज्यादा डालर प्रिंट कर लेते हैं तो उसमें से कुछ पाकिस्तान को दे देते हैं. हमारे यहाँ रखने की भी दिक्कत होती है न.
चंदू: अच्छा सर यह बताइए कि आप इतने बड़े-बड़े सीईओ को लेकर आये हैं. व्यापार समझौते के अलावा और किन मुद्दों पर पर समझौता करना चाहेंगे?
ओबामा: बहुत सारे और क्षेत्र हैं जिनमें भारत और अमेरिका को एक साथ आने की ज़रुरत है. मैं प्रधानमंत्री श्री सिंह से कहूँगा कि व्यापार के अलावा सांस्कृतिक क्षेत्र में भी समझौते हों. जैसे कि ढेर सारे अमेरिकी टीवी प्रोग्राम की नक़ल करके आपके देश में प्रोग्राम चल रहे हैं. मेरा मानना है कि हमारे देश की टीवी इंटरटेनमेंट को और ज्यादा से ज्यादा भारत में दिखाया जा सके तो बढ़िया रहेगा. आपके हिंदी न्यूज चैनल जिस तरह से कानपुर, मेरठ, दिल्ली, सहारनपुर जैसी जगहों के आपराधिक मामले दिखाते हैं वैसे ही अब वे न्यूयार्क, लास वेगास और लास एंजेलिस के आपराधिक मामले दिखा सकते हैं. जैसे वे रामपुर, बदलापुर, नजफगढ़ जैसी जगहों के भूत-प्रेत, चुड़ैल, जिन्न आदि की कहानियां दिखाते हैं वैसे ही वे अमीरीक भूत-प्रेत, चुड़ैल वगैरह........जैसे वे राखी सावंत, सम्भावना सेठ और डाली बिंद्रा के किस्सों वाले प्रोग्राम्स दिखाते हैं वैसे ही वे अब ब्रिटनी स्पीयर, पेरिस हिल्टन वगैरह के प्रोग्राम्स दिखायें.
चंदू: अरे सर, आप राखी सावंत और डाली बिंद्रा को भी जानते हैं?
ओबामा: उन्हें कौन नहीं जानता? ह्वाईट हाउस का मेरा स्टाफ बिग बॉस और राखी का इन्साफ जैसे प्रोग्राम का बहुत बड़ा फैन है.
चंदू: दोनों देशों के बीच और किस तरह के सांस्कृतिक आदान-प्रदान हो सकते हैं सर?
ओबामा: मेरा मानना है कि एक क्षेत्र और है जिसमें सांस्कृतिक आदान-प्रदान की अद्भुत सम्भावना है. मुझे लगता है कि अगर भारतीय ज्योतिषाचार्य लोग़ अमेरिका में अपनी सर्विस दें तो यह अमेरिका के लिए बहुत अच्छा रहेगा. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि हमारे देशवासियों का अब हमारे इकॉनोमिस्ट में विश्वास नहीं रहा. ऐसे में हम देश की आर्थिक समस्याओं को सॉल्व करने के लिए ज्योतिष का सहारा ले सकते हैं. दरअसल ऐसा है कि अब हमारे देश के इकॉनोमिस्ट इकॉनोमी के बारे में सही भविष्यवाणी नहीं कर पा रहे हैं. आपके देश के ज्योतिषी लोग़ हमारे बहुत काम आ सकते हैं. मुंबई में ताजमहल होटल में मैंने कुछ न्यूजपेपर देखे जिनमें आपके ज्योतिषी लोगों की भविष्यवाणियाँ पढ़ने को मिलीं जिनमें बताया गया था कि चन्द्र, सूर्य, राहु-केतु वगैरह का देश के शेयर बाज़ार पर क्या असर पड़ता है? खासकर मेटल ट्रेडिंग पर ग्रहों के प्रभाव के बार में जानकार मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने अपने सलाहकारों से बात कर ली है और आशा करता हूँ कि जल्द ही आपके ज्योतिषी हमारे देश के गोल्डमैन सैक्श और मेरिल लिंच को अपनी सर्विस देंगे. वैसे भी हमारे इन्वेस्टमेंट बैंकर आपके ज्योतिषियों के आगे नहीं ठहरते. मेरा....
चंदू: सर, भारतीय पत्रकारिता का आपका अनुभव कैसा रहा?
ओबामा: बहुत बढ़िया रहा. आपके पत्रकारों ने मुझे जो इज्ज़त दी, उतनी तो मैं भी खुद को नहीं देता. मैं सोच रहा था कि आपके देश से कुछ पत्रकारों को मैं अपने साथ अमेरिका ले जाऊं. पिछले कुछ न्यूज प्रोग्राम देखकर मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि अगर आपके अंग्रेजी पत्रकार हमारे देश में होते तो ग्राउंड जीरो पर मस्जिद बनने में मुझे कोई दिक्कत नहीं आती. मैं बरखा दत्त ज़ी से बहुत प्रभावित हूँ. और अरनब....मुझे आपका राष्ट्रीय चैनल इंडिया टीवी देखकर बहुत ख़ुशी हुई.
चंदू: अच्छा सर, यह बताएं कि आपकी अफगानिस्तान नीति अब क्या होगी? खासकर तब जब आप मिड-टर्म इलेक्शन हार गये हैं?
ओबामा: देखिये अफगानिस्तान में हम सफल रहे हैं. दो साल पहले तक जिस देश में गुड तालिबान और बैड तालिबान थे वहाँ अब केवल तालिबान है. ऐसे में कहा जा सकता है हम सफल रहे हैं. हम तालिबान से बात कर रहे हैं. हाँ, अब हमें यह तय करने में दिक्कत आ रही है कि असली तालिबान कौन है? हामिद करजई या हक्कानी? लेकिन सी आई ए ने केस हाथ में ले लिया है. हम जल्द ही पता लगा लेंगे कि....
चंदू: सर, मेरा एक सवाल और है कि...
ओबामा: बस-बस चंदू ज़ी बस. बाहर आपके सरकारी राष्ट्रीय चैनल इंडिया टीवी के पत्रकार भी इंतजार कर रहे हैं. उन्हें भी तो मौका मिलना चाहिए.
चंदू: अरे, सर, आप नाम पर न जाएँ. इंडिया टीवी का मतलब सरकारी टीवी नहीं है....
ओबामा: लेकिन नाम तो...
चंदू: अरे सर, नाम से धोखा हो जाता है. अब देखिये न पकिस्तान के एक नेता हैं नवाज़ शरीफ...शराफत नाम में भी है लेकिन क्या वे...
ओबामा: हा हा हा...
चंदू: अच्छा सर, नमस्कार. आपने इतना समय दिया. उसके लिए आपको धन्यवाद.
ओबामा: धन्यवाद.
:)
ReplyDeleteमजेदार..
आदरणीय दुनिया के दबंग (जैसा कि स्टार न्यूज वालो ने आपको कहा) हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में आपका योगदान देख आँख भर आयी.. आपके इस कृत्य से हमारे अंकल (जो कि हिंदी की सेवा में तन मन दनादन से लगे हुए है ) बहुत प्रसन्न होंगे..
ReplyDeleteसाथ ही चंदू जी को भी बहुत आभार.. इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के लिए
वैसे राखी का इन्साफ व्हाईट हाउस में भी देखा जाता है जानकार ख़ुशी हुई..
चन्दू जी ने वह सच उगलवा लिया है जो बड़े बड़े न उगलवा पाये। अमेरिका अब हिन्दी सीखेगा, ब्लॉगर प्रसन्न रहें, प्रशंसकों में ओबामा जी भी होंगे।
ReplyDelete`पत्रकारिता मेहनत का काम है'
ReplyDeleteटेबल न्यूज़ मेहनत का नहीं दिमाग का काम है... शाबाश चंदू :)
ओबामा ने सबको बना दिया मामा... राजनीतिबाज इसी में खुश हो गये...
ReplyDeleteबड़ी संभावनाएं है... और राष्ट्रिय चैनल तो वाह वाह !
ReplyDeleteचंदू: सर आप पकिस्तान को इतना भाव क्यूँ देते हैं?
ReplyDeleteऔ:क्यूँ की उसकी कंपनी बड़े देशों की है.
चंदू: क्या मतलब?
औ: तुम्हारे देश की कंपनी कौन दे रहा है?
चंदू: कंपनी मतलब?
औ: कंपनी मतलब कौनसा देश तुम्हारे देश के साथ है बोलो?
चंदू: समझा नहीं सर
औ: औ हो यू इंडियन...अरे बाबा देखो पकिस्तान की कंपनी में भारत है, चीन है, अफगानिस्तान है, ईरान है...और तुम्हारे देश की कंपनी में कौन है? पकिस्तान, बंगला देश, नेपाल, भूटान और चीन...चीन को छोड़ दें तो बाकि देश कौनसी गिनती में हैं बोलो? जिसकी कंपनी में ताकतवर लोग हों हम उसे सपोर्ट करते हैं...भूगोल पढ़ो, दुनिया का नक्शा देखो, फिर इंटरव्यू लेना...समझे...
चंदू को औ के पकिस्तान की तरफ झुकाव का कारण समझ में आ गया..आप को भी आ गया होगा...औ दूर की कौड़ी लाए हैं...नहीं?
नीरज
यह सबसे बेहतरीन ओबामा का भारतीय इन्तेर्विएव था | :P
ReplyDeleteई ओबामा जी तो बड़े छुपे रुस्तम निकले हो..
ReplyDeleteसरकारी चैनल पर हिन्दी में खाली नमस्ट़े बोला और चंदू जी संग पूरा का पूरा हिन्दी में बतिया लिए...
अब तो हमको उनके इस यात्रा के मकसद में भी ऐसा ही झोल नजर आ रहा है...
जो उप्पर उप्पर बाहर बाहर अंगरेजी में उन्होंने बोला , उसका सीधा यकीन करना ठीक नहीं रहेगा ..... नई ???
किसी भी बढे नेता की तरह, इस इंटरव्यू में भी ओबामा जी मुख्य अजेंडा के बजाय सब बता गए .
ReplyDeleteशायद येही नेता की बोली होती है, उसपे हिंदी जान लेने पर और एक्सपर्ट हो गए हैं.
दुःख इसी बात का है की इ फर्राटा हिंदी हम सबहु न सुन पाए सिर्फ चंदू जी भागमान निकले.
ओबामा जी की इच्छा का मान हो और इन् सब पत्रकारों को अमरीका भेज दिया जाए, देश का भी भला होगा और अमरीका का बेडागर्क.
बढ़िया पत्रकारिता का एक ठु और एग्जम्पिल !
हमें पढाय उका धन्नबाद (भासा गढ़बडा गईल उका सवारी)
मजेदार इण्टरव्यू, आपका बहुत धन्यवाद कि आप ये ऍक्सक्लूसिव इण्टरव्यू हमसे सांझा किये।
ReplyDeleteकुछ पंक्तियाँ जो सबसे पसन्द आयीं।
"मैंने आपके तत्कालीन विदेशमंत्री द्वारा अंग्रेजी में दिया गया भाषण सुना. भाषण ख़त्म होने के बाद मैंने उसी अंग्रेजी भाषण का अंग्रेजी ट्रांसलेशन माँगा.
पिछले कुछ न्यूज प्रोग्राम देखकर मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि अगर आपके अंग्रेजी पत्रकार हमारे देश में होते तो ग्राउंड जीरो पर मस्जिद बनने में मुझे कोई दिक्कत नहीं आती.
मुझे आपका राष्ट्रीय चैनल इंडिया टीवी देखकर बहुत ख़ुशी हुई."