Wednesday, December 8, 2010

स्कैम गाथा

बहुत दिनों के बाद तुकबंदी इकठ्ठा करने बैठा तो ये डेढ़ सौ ग्राम अशुद्ध तुकबंदी इकठ्ठा हो गई. आप बांचिये.



पूरा भारतवर्ष स्कैम्स से हुआ है धन्य
.....................ऐसे में बस रोज इक स्कैम निकलवाइये
नया स्कैम जो निकले पुराने को ढांप लेवे
.....................अपनी सीबीआई लगवा कर जांच करवाइए
आपके नेतागणों का रोल अगर सामने हो
.....................विरोधी पार्टी के स्कैम्स याद दिलवाइये
विपक्ष अगर अड़ा हो जेपीसी पर तो अड़ने दें
.....................आप निर्लज्ज होकर मांग ठुकराइए


एक तरफ नीरा तो दूसरी तरफ बरखा हो
.....................एक तरफ वीर हों तो दूसरी तरफ राजा
अगर लाइन भटक कर और कहीं चली जाए
.....................तो भी वहाँ बजेगा स्कैम का ही बाजा
खाली एक पत्र लिख अपना हाथ साफ़ रखिये
.....................जिससे खड़ा रहे ईमानदारी का प्लाजा
जनता लाख गाली दे, आप साबित करते रहें
.....................टके सेर भाजी टके सेर खाजा


देश के अन्दर चाहे जैसी सिक्यूरिटी हो
.....................सिक्यूरिटी काऊंसिल में परमानेंट सीट चाहिए
अपने घर में चाहे मिले नहीं भूंजी भांग
.....................परन्तु जब बाहर रहें तो चिकेन-मीट चाहिए
ज़ी डी पी बढ़ेगी और घटेगा इन्फ्लेशन एकदिन
.....................यह ज्ञान देने हेतु मिनिस्टर ढीट चाहिए
आपके सरकार की सफलता बसी ज़ी डी पी में
.....................इसी संदेश का डेली रिपीट चाहिए


सी डब्ल्यू ज़ी के घोटाले की बात हो तो
.....................जेब में हाथ डाल आदर्श को निकालिए
आदर्श की बात अगर पब्लिक में जोर पकड़े
.....................उससे ध्यान हटाने को टू-ज़ी ले आइये
टू-ज़ी की बात पर विपक्ष अगर अड़ जाए
.....................टीवी चैनलों से फ़ूड स्कैम ठेलवाइये
उससे भी अगर ध्यान जनता का न हटे तो
.....................राजाबाबू के घर पर रेड करवाइए


विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को देश में बुलाइए ताकि
.....................उनसे सुनने को मिले आप तो महान हैं
आफिशियल डिनर पर चेलो-चमचों के बीच सुनें
.....................आपकी ईमानदारी ही भारत की पहचान है
आपके मंत्री और संतरी सारा देश लूट खाएं
.....................आपकी इंटीग्रिटी पर सबको गुमान है
पी आर की नींव पर ही सरकारी बिल्डिंग खड़ी
.....................उसी की वजह से चलती आपकी दूकान है


जनता बेचारी तीन वर्षों से सोच रही
.....................उनके जीवन से मंहगाई कब जायेगी
आपके मंत्री-एडवाइजर रोज उससे यही कहें
.....................दो महीने रुको बस खुशहाली अब आएगी
मंत्रियों के वादे पर न जाने कितने महीने गए
.....................पता नहीं आँखें ऐसे दिन देख पाएगी
समय नहीं बचा है अब नारों और वादों का
.....................जल्द ही जनता अपने लात चलाएगी


आपके राज में स्कैम लगे दर्द जैसा
.....................और यही सोचे कि वो निकले किधर से
कभी फूट पड़ता है वो किसी बिल्डिंग से तो
.....................कभी तोड़ निकल आये खेल के उदर से
कभी वह निकल आये गेंहू और चावल से
.....................तो कभी फूट पड़ता है रेल के उधर से
दल और दलालों से देश भर गया है अब
.....................किन्तु कुछ नहीं निकले आपके अधर से

18 comments:

  1. उनकी इमानदारी चिकने घड़े से भी ज्यादा चिकनी है. कितने ही घोटाले हो उनकी कमीज पर छिंटे नहीं पड़ेंगे. सफेद पर्दे के पिछे कितने ही पाप हो, बस पर्दे की सफेदी की प्रसंशा करते रहें.

    मुझे लगता है आपने जितने ग्राम तुक्कबंदी की बात की है उससे ज्यादा जान पड़ती है. शुद्धाता में भी 19-20 हुआ है. क्या स्कैम है जी? :)

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  2. बहुत बढ़िया. हर महीने-पंद्रह दिन में डेढ़-डेढ़ सौ ग्राम ठेलते रहिएगा. लोड कम रहेगा.

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  3. गजब! आपने लिखी, समझो हमने लिखी। बाकी संजय बेंगानी सही कह रहे हैं - आपका तराजू कुछ कम तोलता है! :)

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  4. apne gm samjh parosa
    hamne mt samajh sapeta
    aur mg bhar dakara

    na jaratwa me na ghanatwa me
    na kshetraphal me na wazan me
    ye tukbandi hai matric ton me


    pranam.

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  5. इस तुकबंदी पर हम झुकबंदगी करते हैं :)

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  6. ढेड सौ ग्राम? घोटालों की संख्या मे ये फिगर क्या फिट बैठती है? इसका निचोड बस एक हाईकु मे कहूँगी
    गरीब मार
    घोटाला सरकार
    लोग लाचार ।{ कैसी है तुक बन्दी पर तुक बन्दी}

    अच्छी तुकब्व्न्दी के लिये बधाई।

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  7. अब क्या होगा देश का जब कविता में भी देश की चिन्ता की जा रही है।

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  8. बिना इस्कैम के तो अब काम नहीं चलने वाला. अब ये सिस्टम का पार्ट है जनता को इसके साथ जीना पड़ेगा. ये इकोनोमिक मॉडल का हिस्सा है. इस्कैम सब बंद हो गया तो अर्थव्यवस्था चरमरा जायेगी. :)
    प्रणाम !

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  9. देख रहा हूँ आजकल आपके दिमाग के पेड़ पर पोस्ट्स के फल खूब आने लगे हैं...रोज एक पोस्ट ठेल रहे हैं और कभी कभी तो एक दिन में दो पोस्ट्स ठेलने से भी नहीं चूकते...दिमाग न हुआ सिवैयां निकानले की मशीन हो गया जिसमें से सेवैयों की तरह पोस्ट निकलती आ रही हैं...

    कमाल करते हैं आप मिश्रा जी...

    नीरज

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  10. कित्ता सारा स्कैम...


    ______________
    'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस

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  11. क्यूँ परेशान हो रहे हो शिव भाई ,
    ये तो यूँ ही चालेगा ....अभी कम से कम १० साल और झेलोगे !
    सादर

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  12. जियो...

    हम आभारी हैं इस लाजवाब ठेल के लिए...

    यह ठेलन कार्यक्रम अनवरत जारी रहे ...धधकते मन को राहत मिलती रहेगी...

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  13. Bahut sundar chitran kiya hai! Kuch yaad aa gaya--

    Ghodon ko milti nahi ghaas dekho,
    Gadhe kha rahe hain chyawanprash dekho.

    Gudgudate rahiye!

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  14. वाह। समसामयिक है। हालांकि लोग धीरे-धीरे लोग इसके आदी हो जाएंगे, क्योंकि यह सिलसिला अब रुकने वाला नहीं है।

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  15. थोड़ी और मेहनत कर दी होती आपने तो पूरा स्कैम चालीसा ही बन जाता. रोज़ सुबह-शाम पाथ करने से तमाम प्रकार के पाप-ताप सब धुल जाते.

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  16. अरे भाई! माफ़ करिए पूरी छप्पन लाइनें हैं. वास्तव में संजय बेंगाणी और ज्ञानदत्त जी सही कह रहे हैं. आप का तराजू थोड़ा नहीं, ज़्यादा कम तौलता है. ऐसे ही तौलता रहा तो बाट-माप वालों के लगाना पड़ेगा. वैसे वे लोग कुछ करेंगे नहीं, बस ये है कि आप को उन्हें थोड़ा खिलाना पड़ेगा. लेकिन अगर आपने उन्हें बता दिया कि वास्तव में यह एक टोटका है और इसका सुबह-शाम पाठ करने से किसी भी प्रकार के कितने भी बड़े स्कैम के आरोप का वारा-न्यारा हो जाएगा, तो यकीन मानिए, वे भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ेगे. बिना खाए तो बेचारे जाएंगे ही, हो स्कता है आपको ही खिलाने-पिलाने लग जाएं.

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  17. बहुत मजेदार तो नहीं लेकिन ठीक है। ज्ञानजी की लिखी लग रही है न शायद इसीलिये। :)

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  18. अरे ई तो पूरा पौने दो सेर है भाई! और शुद्ध भी पूरा. हमको तो इसका पढ़ते हुए चन्द्रशेखर मिश्र जी याद आते रहे लगातार.

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय