शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय, ब्लॉग-गीरी पर उतर आए हैं| विभिन्न विषयों पर बेलाग और प्रसन्नमन लिखेंगे| उन्होंने निश्चय किया है कि हल्का लिखकर हलके हो लेंगे| लेकिन कभी-कभी गम्भीर भी लिख दें तो बुरा न मनियेगा|
||Shivkumar Mishra Aur Gyandutt Pandey Kaa Blog||
Saturday, April 23, 2011
बैटिंग की बातें चलें फट कवित्त दे ठेल....
कल रात को सोचा कि इस सप्ताह को दोहा सप्ताह के रूप में मना लिया जाय. इससे पहले सीडियात्मक दोहे लिखे थे. अब प्रस्तुत है सिद्धुआत्मक दोहे.
जैसा कि आपसब जानते हैं, मैं सिद्धू ज़ी महाराज का बहुत बड़ा फैन हूँ. उन्हें सुनकर मन प्रफुल्लित हो जाता है. मेरा ऐसा विश्वास है कि वे जन्म से ही दार्शनिक थे. बचपन की कुसंगति के कारण क्रिकेटर बन गए.
एक फैन होने के नाते मेरा यह धर्म है कि मैं उनके ऊपर कुछ लिखूं. इसलिए ये अभी कुछ धोये सॉरी दोहे लिखकर टांग दे रहा हूँ. अगर सौ-दो सौ ग्राम तुकबंदी और इकठ्ठा हुई तो और टांग दूंगा. फिलहाल तो यही है. झेलिये.
एक रंग का पहनकर पगड़ी, 'टाई-नेक',
बात-बात पर मारते हमें कहावत फेंक
सुन सवाल वे क्रिकेट का दर्शन दे चिपकाय
उक्ति-सूक्ति बस ठेलकर पग-पग पर पगलाय
बैटिंग की बातें चलें फट कवित्त दे ठेल
अंट-संट बकते रहें खेलें अपना खेल
प्लेयर नेट प्रैक्टिस करें वो किताब रट लेय
जंह-जंह पर मौका मिले, सबको चौंका देय
कहत-कहत दो हाथ की अंगुली देय उठाय
बोल-बोल कर ओय गुरु निज थ्योरी समझाय
अगर रटे पुस्तक सदा जड़मति लगे सुजान
इस महान सिद्धांत का वे ही हैं पहचान
लाफ्टर शो औ खेल में नहीं करें वे भेद
जैसे समझे चुटकुले वैसे बल्ला-गेंद
जब बोलें तो सभी को चुप होना पड़ जाय
टोनी ग्रेग हों या सनी सबसे वे लड़ जाय
एमपी हैं, जज थे कभी और कभी एक्सपर्ट
जब चाहे, जिसमें जंचे, हो जायें कन्वर्ट
अफवाहें यह कह रही नासा की है मांग
करना चाहे स्टडी उनका बड़ा दिमाग
हो कवित्त या शायरी, चाहे गायें गान
हर कोई है सुन रहा उनको यही गुमान
असली गुरु-बानी कहाँ सबको यह संदेह
जो वे बोलें वही है, या जो नानकदेव
बनकर अब एक्सपर्ट वे फैलाते आतंक
प्रेमी जो हैं खेल के समझें उन्हें कलंक
न्यायालय अब कुछ करे सबकी यही गुहार
उससे ही बच सके है यह क्रिकेट-संसार
आई सी सी को चाहिए कर दे उनको बैन
यह डिमांड उससे करें दुनियाँ भर में फैन
बहुत अच्छे मिश्राजी , सिद्धू पाजी महान है , उनका ज्ञान ओर स्मरण शक्ति अद्भुत है , प्रभु से प्रार्थना है की वोह आपको सिद्धू पाजी को झेलने की शक्ति प्रदान करे
ReplyDeleteआपने पोस्ट में "गुरु" का प्रयोग नहीं करा| उनके चरित्र की ख़ास बात "गुरु" हे तोह है| परन्तु आपने सिधु सर को अपने फेन होने का प्रमंड तोह दे हे दिया है|
ReplyDeleteसिद्धू जी तो संत हैं, बैढे धुणी रमाय
ReplyDeleteलाफ्टर हो या क्रिकेट, संगत वही जमाय।
बहुत अच्छे दोहे हैं, एक मैंने भी जड़ दिया है।
नए रूप में हो प्रभू .... :-)
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें !
ओये गुरू, कमाल कर दिया..
ReplyDeleteनाथ जो ये दोहे लिख मारा
ReplyDeleteहोइ कोउ इक फैन तुम्हारा
फैन तो काहे न हवा चलाई
साड्डी सब पगड़ी गरमाई
हम तो कहते हैं कि एक कवि क्रिकेटर बन गया।
ReplyDeleteलेकिन हम कह रहे हैँ कि आप अपने सारे दोहे इकट्ठा करके एक ठो दोहिका क्योँ नही प्रकाशित करवाते!
ReplyDeletejai ho........
ReplyDeletepranam.
अगर रटे पुस्तक सदा जड़मति लगे सुजान
ReplyDeleteइस महान सिद्धांत का वे ही हैं पहचान
असली गुरु-बानी कहाँ सबको यह संदेह
जो वे बोलें वही है, या जो नानकदेव
जय हो हे सिद्धू भक्त शिरोमणि आपकी सदा ही जय हो...
नीरज
दोहों को धो डाला :)
ReplyDeleteमज़ेदार!
ReplyDelete'...वे जन्म से ही दार्शनिक थे. बचपन की कुसंगति के कारण क्रिकेटर बन गए.' - यदि सिद्धू जी महाराज ने ये कहीं पढ़ लिया, तो ख़ुशी से फूल फूल के इतनी दार्शनिकता फेला देंगे की तड़ीपार ही करना पड़ेगा.. :)
ReplyDeleteदोहों का सत्य हर सिद्धू पीड़ित की व्यथा है. पर यदि खुद सिद्धू जी महाराज ने इन्हें पढ़ लिया तो इनसे प्रेरित हो सबको और सतायेंगे.
ऐसी बढ़िया पोस्ट के लिए बधाई. Balanced meal की तरह बढ़िया entertainment !!
धन्यवाद !!
अच्छे दोहे हैं !!
ReplyDeleteहा हा, फैनस की मांग पर आमीन !
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