"ड्राफ्टिंग कमिटी में ब्लॉगर समाज के प्रतिनिधि को जगह दिए जाने की आपकी मांग क्या उचित है?"; एक पत्रकार ने सवाल किया.
हलकान भाई ने सवाल को धीरज-मुद्रा में सुना. कुछ सोचा और बोले; "क्यों नहीं? हमारी मांग को अनुचित कैसे ठहराया जा सकता है? आज ब्लॉगर समाज का इस देश की सिविल सोसाइटी में महत्वपूर्ण योगदान है. अगर अनुसूचित जाति और जन-जाति के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग की जा सकती है तो फिर ब्लॉगर समाज ऐसा क्यों नहीं कर सकता?"
उनकी बात सुनकर एक और पत्रकार ने सवाल दागा; "आपको लगता है कि ब्लॉगर समाज में योग्य व्यक्ति हैं जिन्हें इस कमिटी में शामिल किया जा सकता है?"
"क्यों नहीं? एक से बढ़कर एक योग्य ब्लॉगर हैं जो इस ड्राफ्टिंग कमिटी के मेम्बर होने लायक हैं. कितने लोग़ हैं जो बड़े ब्लॉगर एशोसियेशन के हेड हैं. कई लोग़ हैं जो ब्लॉगर पुरस्कार वितरण संस्था के मालिक हैं. कई ब्लॉग इतिहासकार हैं. पत्रकार, लेखक, वकील हैं. हजारों की संख्या में कवि हैं. इतिहास बताता है कि जब-जब देश पर संकट आया है तब-तब कवि ने देश को जगाया है. और फिर ये लोग़ तो हैं ही, मैं खुद भी हूँ. मैंने अपने ब्लॉग पर भ्रष्टाचार के ऊपर कई बार हमला किया है. करीब अट्ठारह-उन्नीस ब्लॉग पोस्ट लिखकर भ्रष्टाचारियों पर करारा 'पोस्टिक' प्रहार किया है. आपको यह जानकार ख़ुशी होगी कि मेरा नाम हिंदी ब्लागिंग की इतिहास नामक पुस्तक में पेज ४ पर है. इंडीब्लॉगर ने मुझे इकहत्तर की रैंकिंग दी है. मेरी एक कविता वाली पोस्ट पर सतहत्तर कमेन्ट मिले थे. आपको नहीं लगता कि मेरे ये अचीवमेंट मुझे इस लायक बनाते हैं कि मैं इस कमिटी में शामिल हो सकूँ?"; हलकान भाई ने पत्रकार से उल्टा सवाल कर डाला.
उनका सवाल सुनकर पत्रकार सकपका गया. कुछ कहने के लिए अपने मन में शब्दों को गूंथकर कोई वाक्य बना ही रहा था कि किसी और पत्रकार ने पूछा लिया; "लेकिन यह भी सुनने में आ रहा है कि आपको पीलीभीत हिंदी ब्लॉगर महासभा का समर्थन नहीं मिला है?"
"ऐसी बात नहीं है. मतभेद कहाँ नहीं होते? ब्लॉगर समाज में मतभेद उसमें मज़बूत लोकतंत्र का एक बड़ा उदहारण है. वैसे आपको बता दूँ कि झारखण्ड ब्लॉगर एशोसियेशन, धनबाद आंचलिक ब्लॉगर एशोसियेशन, छत्तीसगढ़ हिंदी ब्लॉगर महासभा, पानीपत ब्लॉगर एशोसियेशन, दिल्ली हिंदी ब्लॉगर एशोसियेशन, गाजियाबाद ब्लागिंग कम्यूनिटी, अखिल भारतीय सॉफ्टवेयर डेवलपर्स ब्लॉगर एशोसियेशन, आल इंडिया न्यू जनरेशन इंडस्ट्री ब्लॉगर एशोसियेशन, बैंक एम्प्लोयीज ब्लॉगर एशोसियेशन और ऐसे ही भारत भर से करीब अठहत्तर ब्लॉगर एशोसियेशन का समर्थन हासिल है मुझे. जहाँ तक पीलीभीत ब्लॉगर महासभा के समर्थन ना मिलने की बात है तो उसके बार में यही कहूँगा कि यह सरकार के कुछ मंत्रियों द्वारा फैलाई गई अफवाह है और इसमें कोई तथ्य नहीं है. दरअसल मैं यह बता देना उचित समझता हूँ कि सरकार चाहती है कि ब्लॉगर समाज की डिमांड को दफन कर दिया जाय"; हलकान भाई से स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा.
हलकान भाई हिंदी ब्लाग समाज के प्रतिनिधि के रूप में एक प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे और पत्रकार उनसे सवाल पूछ रहे थे.
जनलोकपाल बिल की ड्राफ्टिंग कमिटी को और व्यापक बनाने के लिए देश भर के तमाम तथाकथित समाज से आवाजें उठनी लगी थीं. सूचित जाति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन-जाति, ब्राह्मण महासभा, अखिल भारतीय क्षत्रिय अन्तराष्ट्रीय महासभा, भोजपुर इंटरनॅशनल सिटिज़न्स फोरम, इस्टर्न यूपी बाहुबली एशोसियेशन, तमिल क्लैशिकल इंटरनेशनल कांफ्रेंस, रेड्डी ब्रदर्स माइंस एम्प्लोयीज एशोसियेशन, आल इंडिया पब्लिक रिलेशंस ऑपरेटर्स फोरम, राडिया ट्रस्ट, टीवी न्यूज ऐंकर्स एशोसियेशन और ऐसे ही ना जाने कितने संगठनों ने अपने प्रतिनिधियों की भर्ती के लिए आन्दोलन शुरू कर दिया था. जाट महासभा ने एयरपोर्ट के रन-वे पर चक्का जाम कर दिया था और गुर्जर महासभा ने रेल लाइंस अपने नाम कर ली थी.
कई देसी-विदेशी पत्रकार यह कल्कुलेशन करने में बिजी थे कि अगर इस तरह का व्यापक आन्दोलन किया जा रहा है तो भारत में भ्रष्टाचार कैसे पनपा? लोग़ दंग थे. सबको इस बात का आश्चर्य था कि इतने ईमानदारों के बावजूद देश में भ्रष्टाचार फैला तो कैसे फैला? पी एचडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के इच्छुक कुछ छात्र इसी विषय पर पी एचडी करने के लिए कमर कस रहे थे. इन तमाम सभा, जनसभा और महासभा को देखकर हलकान भाई ने ब्लॉगर समाज का प्रतिनिधित्व अपने हाथ में ले लिया था और इस बात पर अड़े थे कि उन्हें ड्राफ्टिंग कमिटी में भर्ती मिलनी ही चाहिए.
सरकार इन तमाम समाज और महासभाओं के प्रतिनिधि को ड्राफ्टिंग कमिटी में जगह ना देने पर कमर कसी बैठी थी. कारण यह नहीं था कि इन संस्थाओं के प्रतिनिधियों के बैठने के लिए कुर्सी की कमी थी. असली कारण यह था सरकार का काम करने का तरीका. अगर इन संस्थाओं के प्रतिनिधियों को जगह दे दी जाती तो फिर सरकार को उतनी ही संख्या में मंत्री भिडाने पड़ते और यहाँ सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती. हज़ारों मंत्रियों की खोज आखिर बहुत बड़ी समस्या थी.
सरकार के ज़ीओएम की एक मीटिंग हुई. मीटिंग का एजेंडा यह था कि इतने प्रतिनिधियों को कैसे टरकाया जाय? मीटिंग में कानून मंत्रालय के सेक्रेटरी को भी बुलाया गया था. कानून मंत्रालय में यह सेक्रेटरी ताजा-ताजा अर्बन डेवेलपमेंट मिनिस्ट्री से ट्रान्सफर हुआ था. सरकार के माथे से पसीना पोंछते हुए उसने तुरंत अपना आईडिया दे डाला. बोला; "सर, बड़ा मुँह और बड़ी बात होगी. इन संस्थाओं को टरकाने का एक तरीका यह है कि ड्राफ्टिंग कमिटी में जगह केवल एक संस्था को दी जाय और उसके लिए हमें लॉटरी का सहारा लेना चाहिए. मैंने अर्बन डेवेलपमेंट मिनिस्ट्री में रहते हुए सरकारी फ़्लैट अलाटमेंट में यह सीखा है. क्या बोलते हैं?"
उसकी बात सुनकर कानून मंत्री ने उसका माथा चूम लिया. बोले; "हर बात की तरह ही इस बात पर भी हमें तुमपर गर्व है."
दूसरे दिन सरकार ने लॉटरी कर डाली. लॉटरी में ब्लॉगर समाज के प्रतिनिधि को ड्राफ्टिंग कमिटी में जगह मिल गई. हलकान भाई बहुत खुश थे. इतिहास का निर्माण हो रहा था. उधर हिंदी ब्लागिंग का इतिहास लिखा जा रहा था और इधर उसी समाज का एक ब्लॉगर देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अपने हथियार चमका रहा था. हलकान भाई अब अक्सर भारतीय संविधान, लोकपाल, लोकतंत्र, जनतंत्र, अम्बेदकर, भ्रष्टाचार, टू ज़ी स्कैम, प्रधानमंत्री के कर्त्तव्य, राष्ट्रपति के अधिकार, स्पेन की राजनीति में लोकपाल जैसे विषयों के बारे में बात करते पाए जाते. वे अपना ज्ञान भी बढ़ाते जा रहे थे.
ड्राफ्टिंग कमिटी की पहली मीटिंग में करीब दस दिन बाकी थे. सबकुछ प्लान के मुताबिक़ चल रहा था कि कांग्रेस के एक महामंत्री ने हलकान भाई के ऊपर एक प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगा दिया. बोले- ब्लॉगर हलकान 'विद्रोही' को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. जब पत्रकारों ने इस बात पर उनसे रौशनी डालने के लिए कहा तो उन्होंने कहा - हमारे पास प्रूफ है कि हलकान 'विद्रोही' ने अपने ब्लॉग पर कमेन्ट करने के लिए फर्जी आईडी बनाई. उनके ब्लॉग पर कुल अट्ठाईस हज़ार चार सौ चौंसठ कमेन्ट हैं जिनमें से कुल तीन हज़ार पाँच सौ सोलह कमेन्ट हलकान 'विद्रोही' ने खुद बनाई गई फर्जी आई डी से किये हैं. उन्होंने श्री अमर सिंह के हिंदी ब्लॉग पर उनकी बुराई भी की है. पिछले साल ही एक ब्लॉगर एशोसियेशन के महामंत्री ने उनके ऊपर ब्लॉगर सम्मलेन के दौरान इकठ्ठा किये चंदे की रकम में हेर-फेर का आरोप लगाया था. उनके ऊपर एक एशोसियेशन के चुनाव के दौरान.....
अमनेस्टी इंटरनेशनल और ऐसी ना जाने कितनी संस्थाएं हलकान 'विद्रोही' समर्थन में आगे आ रही थीं.
दूसरे दिन ही टीवी चैनलों के पत्रकारों ने हलकान 'विद्रोही' के खिलाफ एक पुराना केस निकाला जब स्कूल की एक पिकनिक में उन्होंने दो समोसे और दो जलेबियाँ ज्यादा खा ली थीं. अब उनके ऊपर आरोपों की झड़ी लगने लगी थी. वे प्रेस कांफ्रेंस करके सफाई देते फिर रहे थे. देश के कई ब्लॉगर एशोसियेशन से उन्हें हताश ना होने की सलाह मिल रही थी. वे एक प्रेस कन्फ्रेसं कर रहे थे. मैं उन्हें टीवी पर देख रहा था. टीवी देखते-देखते मैंने घर से आवाज़ लगाई हलकान तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं. इतना कहकर मैंने हाथ उठाया ही था कि चाय की बढ़िया खुशबू मेरे नाक में घुसी. अचानक नींद खुल गई.
पता चल चुका था कि मैं सपना देख रहा था.
कोई कुछ भी कहे हलकान भाई है बड़े इंटेलिजेंट व इंटरेस्टिंग ...:)
ReplyDeleteअहा!
ReplyDeleteकई तो ब्लॉगर पुरस्कार वितरण संस्था के (.) मालिक हैं .... यहाँ तक कईयों ने तो प्रमाणपत्र लाखों की संख्या में स्केन कर रखवा लिए हैं ....हा हा .... बहुत ही रोचक सटीक व्यंग्य ....
ReplyDeleteसीडी कहाँ है, सीडी... वही हलकान भाई ब्लॉगर इतिहास के पन्नों पर जगह पाने के लिए फोन पर प्रलोभन दे रहे थे उसकी सीडी. अमरसिंह तो कह रहे थे उनके पास है....
ReplyDeleteमजा आ गया....
हलकान भाई जी बने रहें, हम सपना देखते रहें, देश चलता रहे।
ReplyDeleteगाजियाबाद ब्लागिंग कम्यूनिटी ने कभी समर्थन नहीं दिया अब प्रतिनिधि महिला ही होगी हर एशोसियेशन की अध्यक्ष ब्लॉग लिखती महिला ही हैं . सुचारू रूप से लोकपाल बिल आसके और अभिव्यक्ति की स्वंत्रता के नाम पर ड्राफ्ट मे अल्लम गल्लम ना लिखा जाए तो जिम्मा ब्लॉग लिखती महिला का ही हैं
ReplyDeleteजन लोकपाल बिल पर आपत्ति दर्ज की जाये और जननी लोक पाल बिल को मंजूरी दी जाए . ये जन कहने का मतलब ही क्या हैं . लोक पाल भी गलत ही हैं इसको "लोकपाला" कहना सही होगा . यानी जननी लोकपाल बिली अब बिल भी सही नहीं हैं ना .
ReplyDeleteवाह हलकान,गुरु हलकान!क्या बात है!हम तो इतिहास में नाम, अपना नाम लिखवाने के लिए बैंक में खाता खुलवाते ही रह गए और अवसर चूक गए.खैर खाता खुल गया है अगली इतिहास की पुस्तक में हमारा नाम सुनहरे नहीं तो रुपहले अक्षरों में तो होगा ही!
ReplyDeleteओ तेरे की, सपना था।
ReplyDeleteलाइन में तो अपन भी लग चुके थे।
धारदार, दुधारी व्यंग्य.
ReplyDeleteऔर, सपना बोलकर हमें उल्लू न बनाइए. ये तो सुपर-वर्चुअल-रीयलिटी है!
` मैं खुद भी हूँ. मैंने अपने ब्लॉग पर भ्रष्टाचार के ऊपर कई बार हमला किया है.'
ReplyDeleteहां जी, कई बात तो कंप्यूटर ऐसे हमलों से टॆं बोल गया :)
हलकान भाई का फुल टाइम काम क्या है ये समझ में नहीं आया . कही वकील तो नहीं है.......?
ReplyDeleteएक बेहतर मनोरंजक व्यंग
जो क्राइटेरिया अपने हलकान भाई ने रखा है उस के चलते अपना नम्बर तो सपने में भी नहीं आने का...
ReplyDeleteबू हू हू...
बिल्कुल ठीक. आख़िर उन्होंने दो समोसे और जलेबियां अधिक क्यों खाईं? यह भ्रष्टाचार का गम्भीर मामला है. यह जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए और उसमें एक बिन्दु यह भी होना चाहिए कि कहीं वह आपकी वो चोटिया जलेबी तो नहीं थी!
ReplyDeleteकमेटी की कम-से-कम एक बैठक तो हो जाने देते। नाहक जल्दी जाग पड़े। बेचारे हमारे प्रतिनिधि हलकान हुए जा रहे होंगे।
ReplyDelete:)
हम कानपुर ब्लागर एसोशियेशन की अगली (पहली) बैठक में हलकान जी के समर्थन का प्र्स्ताव पेश करके रहेंगे। :)
ReplyDeletehaaa haaa... jarur ek blogger ko jagah milni chaahiye...
ReplyDeleteइस तरह के सपने देखने का talent भी हर ब्लॉगर में नहीं होता
ReplyDeleteअगर हमारे वोट में वीटो की पावर आ जाए तो हर नो-वोट को convert करके आपको.. err .. हलकान भाई को, सदस्य क्या अध्यक्ष ही बना दें.
बहन मायावती ने कहीं पढ़ लिया तो अपनी हर मूर्ति को ब्लॉगर बनने का फरमान जारी कर देंगी.
bakery फ्रेश पोस्ट में हर छोटे बढे व्यंग को पूरे चस्के लेके एन्जॉय किया.
धन्यवाद गुरुदेव !
हम भी हलकान भाई के साथ है अगर वो बढ़िया खुशबु वाली चाय हमसे साझा करें तो, वो जो बचपन में ज्यादा जलेबी खायीं थी उसका हिसाब किताब फ़िर बाद में कर लेगें…।:)
ReplyDeleteहमेशा की तरह धारदार, मजेदार्…।
दो समोसे और दो जलेबियाँ , इतना भरी जुर्म ! गए काम से. मैं सोच रहा हूँ बस अठहत्तर ठो का ही समर्थन मिला तो बाकीयों ने किसे समर्थन दिया होगा :)
ReplyDeleteदुर्योधन और धृतराष्ट्र का पूर्ण समर्थन है हलकान भाई को
ReplyDeleteऔर उनके पाले कुत्ते अगर हलकान भाई को काटते है तो ये उनका और कुत्तो का निजी मामला है
aap sapna ka vayas dekar ...... mudde
ReplyDeletese bhale he....bhatkane ki koshish karen.....lekin bhaijee 'now' public
sab janti hai........bakiya, halkan
bhai ke liye hum sub vito lagayenge..
jai ho.
pranam.
हलकान भाई की सदस्यता खारिज किये जाने की खबर पढ़कर आ रहा हूँ.. सुना है कि आल इण्डिया हिंदी ब्लोगर मीट एसोशियन द्वारा उन्हें समर्थन नहीं दिया गया है और बिना ब्लोगर मीट के किसी का ब्लोगर होना मान्य ही नहीं है..
ReplyDeleteयह सपना ही तो है....
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