शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय, ब्लॉग-गीरी पर उतर आए हैं| विभिन्न विषयों पर बेलाग और प्रसन्नमन लिखेंगे| उन्होंने निश्चय किया है कि हल्का लिखकर हलके हो लेंगे| लेकिन कभी-कभी गम्भीर भी लिख दें तो बुरा न मनियेगा|
||Shivkumar Mishra Aur Gyandutt Pandey Kaa Blog||
Friday, August 19, 2011
गवरनेंस बाइ मैजिक वैंड - ए बुक बाइ मैजिकानो वैंडलोई
नई दिल्ली से चंदू चौरसिया, मुंबई से निर्भय सावंत और बैंगलुरू से रजत चिनप्पा
आज एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) को आदेश दिया कि वह एक जांच करके बताये कि केंद्र सरकार, उसके मंत्रियों और प्रधानमंत्री के लिए मैजिक वैंड देश में ही कैसे उपलब्ध कराया जा सकता है. ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री और उनके कई मत्रियों ने मैजिक वैंड उपलब्ध न होने के कारण पिछले ढाई वर्षों में कई बार समस्याओं को सुलझाने में असमर्थता जताई थी. अभी तीन दिन पहले ही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से बोलते हुए प्रधानमंत्री ने असमर्थता जताते हुए अपने भाषण में कहा था; "भ्रष्टाचार मिटाने के लिए हमारे हाथ में कोई मैजिक वैंड नहीं है."
करीब दो महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए अखिल भारतीय सरकार सताओ आन्दोलन के प्रमुख श्री अशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि न्यायालय सी बी आई को आदेश दे कर सरकार और उसके मंत्रियों के खोये हुए मैजिक बैंड को बरामद करवाए. कालांतर में सी बी आई ने एक जांच कर के सुप्रीम कोर्ट को दिए गए अपने हलफनामे में यह खुलासा किया सरकार या उसके किसी भी मंत्री के पास कभी कोई मैजिक वैंड था ही नहीं. दरअसल सरकार और उसके मंत्री चाहते हैं कि या तो देश में ही मैजिक वैंड का उत्पादन शुरू हो या फिर उसे विकसित देशों से आयात करके उन्हें मंत्रियों को उपलब्ध करवाया जाय. सी बी आई के इस हलफनामे के बाद मैजिक वैंड को लेकर देशवासियों में व्याप्त कई तरह के भ्रम ख़त्म हो गए.
यहाँ पर यह बता देना उचित है कि देशवासियों में यह भ्रम था कि सरकार और उसके मंत्रियों के मैजिक वैंड चोरों ने चुरा लिए हैं जिसके कारण मंत्रीगण समस्याएं नहीं सुलझा पा रहे हैं.
ज्ञात हो कि पिछले ढाई वर्षों में वित्तमंत्री, कृषिमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री वगैरह ने कई बार कहा कि उनके पास कोई मैजिक वैंड नहीं है जिससे देश की समस्याओं को सुलझाया जा सके. जहाँ वित्तमंत्री ने मंहगाई को रोक पाने में असमर्थता जताते हुए मैजिक वैंड की अनुपलब्धता की बात बताई वहीँ गृहमंत्री ने आतंकवाद की रोकथाम न कर पाने का श्रेय मैजिक वैंड की अनुपलब्धता को दिया. उधर हाथ में मैजिक वैंड न होने के कारण कृषिमंत्री हर बार चीनी, प्याज, सब्जी, तेल वगैरह के दाम को कंट्रोल नहीं कर पाए.
मैजिक वैंड के बल पर शासन करने की बात नई नहीं है लेकिन इस तरह के सभी शासक हमेशा केवल किस्से-कहानियों में पाए जाते रहे हैं. पुराने किस्से-कहानियों के जादूगर वगैरह मैजिक वैंड के बल पर लोगों के ऊपर शासन करते हुए बरामद होते रहे हैं. लेकिन पाँच साल पहले इटली के समाजशास्त्री, लेखक और विचारक श्री मैजिकानो वैडलोई ने गवरनेंस बाइ मैजिक वैंड नामक किताब लिखकर शासन के इस तरीके को एक बार फिर से विश्व के राजनीतिक पटल पर ला खड़ा किया. वर्तमान भारतीय सरकार श्री वैंडलोई के इस सिद्धांत से इतना प्रभावित हुई कि उसे हर समस्या का समाधान मैजिक वैंड में ही नज़र आने लगा. यह बात अलग है कि देश में अभी तक मैजिक वैंड का न तो उत्पादन शुरू हुआ और न ही इसके आयात के लिए रास्ता खोला गया.
उधर आज दिल्ली में अखिल भारतीय निज-भाषा उन्नति समिति के अध्यक्ष श्री रामप्रवेश शुक्ला ने सरकार और उसके मंत्रियों की यह कहते हुए आलोचना की है कि मंत्रीगण अपनी भाषा पूरी तरह से भूल गए हैं जिसके चलते वे देश के विशाल जनमानस से कट चुके हैं. श्री शुक्ला ने अपने आरोप को सही ठहराते हुए बताया कि सरकार और उसके मंत्रियों को मैजिक वैंड न कहकर जादुई छड़ी कहना चाहिए. मंत्रियों के ऐसा न करने की वजह से हिंदी रसातल में चली जा रही है. श्री शुक्ला ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन देते हुए आग्रह किया कि सरकार के मंत्री अब से केवल और केवल जादुई छड़ी की बात करें.
उधर आज बैंगलुरू में डिफेन्स रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की तरफ से दायर हलफनामे में संस्थान ने मैजिक वैंड का उत्पादन करने में असमर्थता जताई है. ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय सरकार सताओ आन्दोलन द्वारा दायर जनहित याचिका के बाद डी आर डी ओ से हलफनामा माँगा था कि संसथान मैजिक वैंड के उत्पादन के तरीके पर विचार करके एक रिपोर्ट फाइल करे. संस्थान ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि; "यह संस्थान ऐसी कोई चीज के उत्पादन के बारे में विचार नहीं करेगा जिसके साथ मैजिक जुडा हो. संस्थान और उसमें काम करने वाले वैज्ञानिकों को मैजिक में कोई विश्वास नहीं है. संस्थान ने कसम खाई है कि वह केवल और केवल वैज्ञानिक दृष्टि से प्रमाणिक चीजों का ही उत्पादन करेगा."
डी आर डी ओ के इस हलफनामे के बाद सुप्रीम कोर्ट के पास और कोई रास्ता नहीं बचा था. यही कारण है कि मैजिक वैंड के उत्पादन या आयात के बारे में अध्ययन और रिपोर्ट का काम उसने फिक्की को सौंप दिया है.
मैजिक वैंड के बारे में प्रधानमंत्री और उनेक मंत्रियों द्वारा पिछले ढाई वर्षों से लगातार बात करने की वजह से पूरे देश के सरकारी विभाग और उनके कर्मचारी जाग गए हैं और उन्होंने मांग रखी है कि उन्हें भी मैजिक वैंड उपलब्ध करवाया जाय जिससे वे अपने-अपने विभागों की समस्याओं का समाधान कर सके. यही कारण है कि पिछले पंद्रह दिनों से, शिक्षा, रक्षा, रेल, खेल, ट्रांसपोर्ट, एयरपोर्ट, डी डी ए, पी डब्ल्यू डी, सेल्स टैक्स, इनकम टैक्स, नगर पालिका, और ऐसे ही तमाम विभागों के कर्मचारियों ने सरकार के सामने मांग रखी है कि सरकार जल्द से जल्द उन्हें मैजिक वैंड उपलब्ध करवाए जिससे पूरे भारत को एक बार फिर से सोने की चिड़िया बनाकर उसे लूट लिया जाय.
सरकारी कर्मचारियों द्वारा इतनी बड़ी संख्या में मांग रखने के कारण देश के प्रमुख औद्योगिक घराने हरकत में आ गए हैं. कई औद्योगिक घराने मैजिक वैंड के उत्पादन पर विचार करने लगे हैं. अलायंस उद्योग समूह के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की एक मीटिंग में कल फैसला लिया गया कि भारी मात्रा में मैजिक वैंड की डिमांड को देखते हुए कंपनी जल्द ही उसके उत्पादन के क्षेत्र में उतारेगी. सूत्रों के अनुसार कुछ भारतीय उद्योग समूहों ने मैजिक वैंड के क्षेत्र में निवेश करने के लिए मॉरिसश के रास्ते देश में पैसे लाने का इंतज़ाम शुरू कर दिया है. बाहर के कुछ निवेशक समूह इस बात पर कयास लगा रहे हैं कि इस क्षेत्र में सरकार कितने प्रतिशत एफ डी आई पर राजी होगी. भारतीय उद्योग समूहों के अलावा कुछ विदेशी निवेशकों ने भी मैजिक वैंड के उत्पादन में निवेश की घोषणा की है. प्रसिद्द निवेशन श्री वारेन बफेट ने कल बताया कि उनका समूह भारतीय मैजिक वैंड क्षेत्र में पहले चारण में करीब सात करोड़ डॉलर इन्वेस्ट करेगा.
सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद देश के लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. आल इंडिया कॉमन-मेन एशोसियेशन के अध्यक्ष श्री प्रशांत अभ्यंकर ने कल मुंबई में एक संवाददाता सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा; "इस देश के नागरिकों का अब केवल सुप्रीम कोर्ट पर ही विश्वास रह गया है. हमें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की वजह से देश में जल्द ही मैजिक वैंड का उत्पादन शुरू हो जाएगा. देश की सारी समस्याएं छू-मंतर हो जायेंगी और भारत पूरे विश्व में एक इकॉनोमिक सुपर पॉवर बनकर उभरेगा."
कमाल इस बातपे है कि मैजिकल बैंड सरकारके मंत्रियोंके लिये इतना जरूरी होनेके बावजूद हम इतने लापरवाह थे...लगता है नरेन्द्रमोदी पिछ्ले कुछ सालोसे जो वाइब्रन्ट गुजरात के जरिये उध्योग्जगत को गुजरात ले गये इस्के पीछे यहि बात थी कि मैजिकल बैंडका उत्पादन आसान ना हो और सरकार निसहाय हो जाये!
ReplyDeleteहा हा हा :) अच्हा है, खुद ही सोना बनायेंगे और खुद ही लूटेंगे "मैजिक वैंड उपलब्ध करवाए जिससे पूरे भारत को एक बार फिर से सोने की चिड़िया बनाकर उसे लूट लिया जाय."
ReplyDeleteवैसे हमारे तकनीक के क्षेत्र में भी इसकी बड़ी आवश्यकता है, जैसे मिस कॉल नहीं कर पाना, वाइरस समाज का पूरी तरह से विध्वन्सिकरण , आदि आदि . :)
चुनाव के टाइम पर तो छुटभैय्या नेता भी हर हाथ में मैजिक वैण्ड ले कर घूम रहा था - कहता था कि जितवा दो तो इस वैण्ड की नयी बैटरी लगवा कर छू बोलते ही सब चमाचम कर दूंगा।
ReplyDeleteउसके बाद तो वैण्ड ऐसे गायब हुये जैसे गधे के सर से सींग। गधे ही बच गये।
कहां गये वैण्ड, अमरीका गये या स्विटजरलैण्ड - आपकी पोस्ट खुलासा कर पाने में नाकामयाब रही है। ये पत्रकार स्कूप लाने की योग्यता खो चुके हैं शायद। :(
ऐतिहासिक पोस्ट....
ReplyDeleteहमने तो सुन रखा है राज परिवार में बच्चा चाँदी का चम्मच नहीं मैजिक-छड़ी लिये पैदा होता है.
ReplyDeleteइधर आप तो छड़ी के उत्पादन पर ही उतर आए...परिवार को चुनौती... विदेशी षड्यंत्र की बू आ रही है..
यदि विपक्ष के पास भी मैजिक वैंड हो गया तो वे अपने वैंड से सरकार की उपलब्धियों को अनुप्लब्धियों में बदल देंगे!!
ReplyDeleteपहले तो अन्ना के.हज़ारो और लाखॊं के.देव का बैंड बजाया और अब मैजिक का वैंड लिए घूमते हैं???? कहां है कोलकोता के बाबू मोशाय प्रो. सरकार :)
ReplyDeleteआदरणीय, आप जो भी लिखते हो मुझे तो मैजिक बैण्ड ही लगता है ये और बात है कि देश के नेताओं की नज़र में अभी आपका ब्लॉग नही आया है नहीं तो दिल्ली पुलिस को भेज कर आप के माध्यम से मैजिक बैण्ड की आवश्यकता को जरूर पूरा करने का प्रयास करते, बहुत ही शानदार मैजिक बैण्ड....
ReplyDeleteबैण्ड बजा दिया.....
गुरुदेव, बहुत ही बुद्धुजीवी... माने बुद्धिजीवी पोस्ट है यह तो.
ReplyDeleteहम सोचे परधान-मंत्री जी को बचपन की फेरी-टेल याद आती होगी तो वैंड-वैंड कहते होंगे. अब पता चला, इसके पीछे तो लम्बी कहानी है.
ज्ञान बढ़ाने का धन्यवाद. यदि कहें तो मौननिया परधान-मंत्री जी को भी पढ़वा दें. हलाकि कहेंगे तब भी कुछ नहीं वे.
यदि यहाँ उत्पादन प्रारम्भ हो जाये तो ओबामा को भिजवा दें, बिचारे बहुत परेशान हैं।
ReplyDeletei know its you who has stolen the magic wand and has now written this post to escape prosecution
ReplyDeletenarayan.....narayan.......naryan.....
ReplyDeleteapne to bajariye apne samvaddata ke
...........sarkar ki nekniyati pakar
li............
pranam.
काश हमें भी कोई मिल जाए ....शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभकामनायें स्वीकार करें !
ReplyDeleteजी, एक अदद मैजिक बैण्ड हमें भी मिल जाये तो एक दिन में चार अदद पोस्ट लिखवा लिया करें और डा० साहब जो बेचारे आजकल मस्जिद भी शायद जा पा रहे हों, की तरह लम्बी लम्बी टिप्पणियां भी लिख मारा करें...
ReplyDeleteवैसे पुलिस के पास है मैजिक बैण्ड... न माने तो इसे पढ़ें... http://indzen.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html
लिंक देना मेरी मजबूरी समझें...
Shaandar !! Hum bhi Soch rahe they ki P.M. Bar-Bar kaun si "Mazic Band/Jadu ki chadi" ke bare me desh ko batlana chahte hai ki wo unke pass nahi hai ? Sare Deshwasio ko dhundhne ke kaam me lagana chahiye !taki humare p.m. ,kuch kar sake ?
ReplyDeleteये जनता का ही कसूर है कि सरकार के पास ’मैजिक वैंड’ नहीं है, इसलिये सरकार की कोई गलती नहीं है।
ReplyDeleteविचारोत्तेजक रचना/////////
ReplyDelete"इस देश के नागरिकों का अब केवल सुप्रीम कोर्ट पर ही विश्वास रह गया है. हमें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की वजह से देश में जल्द ही मैजिक वैंड का उत्पादन शुरू हो जाएगा. देश की सारी समस्याएं छू-मंतर हो जायेंगी और भारत पूरे विश्व में एक इकॉनोमिक सुपर पॉवर बनकर उभरेगा."
ReplyDeleteआमीन ।
अभी-अभी दिल्ली से हमारे संसद बीट के संवाददाता छंछूदर खोपड़ा हैज़ टोल्ड कि मैजिक वैंड के आयात का फ़ैसला हो गया है. सरकार हैज़ डिसाइडेड दैट वी विल हैव टो बाय द थिंग फ्रॉम इटली ओनली. वो क्या है कि उनके यहां बहुत अच्छे मैजिक वैंड का उत्पादन होता है और वो कमीशन देने में भी कभी कोई आनाकानी नहीं करते हैं. वहां से स्विस बैंकों में चेक चला जाता है. दिल्ली के संसद क्षेत्र से कैमरा मैन वोराई गेहुअन के साथ छंछूदर खोपड़ा.
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