टेबिल पर अखबारों की ढेर सारी कटिंग्स पड़ी हैं। प्रधानमंत्री ने उन्हें उलट-पलट कर देखा। शायद उन्हें लगा की फिर से देखना चाहिए। उन्होंने उन्हें फिर से उलटा-पलटा। कुछ सोचने का उपक्रम किया। इसके तहत उन्होंने आफिस की सीलिंग को निहारा। उसके बाद शायद उन्हें लगा कि एक बार टेबिल को देखकर भी सोचा जाय। उन्होंने वह भी किया।
सबकुछ करने के बाद संतुष्ट नहीं दिखे। सचिव से मुखातिब हुए। बोले; "ये हेल्थ मिनिस्टर जी की वही फोटो पोलिओ टीकाकरण अभियान के लिए छपी जो पिछले साल छपी थी। मिनिस्ट्री ने नई फोटो भी नहीं छपवायीं? सालभर पहले जिस बच्चे को दवा पिलाते हुए फोटो खिचाई थी, वही बच्चा इस साल वाली फोटो में भी है। ऐसा क्यों? क्या देश में बच्चों की कमी है?"
सचिव बोले; "सर, बच्चों की कमी तो नहीं है लेकिन मेरा ख़याल है कि मंत्री जी बहुत बिजी होंगे इसलिए उन्हें फोटो खिंचाने का समय नहीं मिला होगा।"
प्रधानमंत्री; "हेल्थ मिनिस्टर इतने बिजी किसलिए होंगे? क्या वे खुद ही पोलिओ टीकाकरण के लिए बच्चों को दवा पिलाते हैं?"
सचिव; "हे हे हे ..सर अगर ऐसा होता तब तो फोटो खिंच ही जाती।"
प्रधानमंत्री; "तब किसलिए समय नहीं मिला उन्हें?"
सचिव; "सर पिछले छ महीने में मंत्री जी को पांच बार अपने बयानों को लेकर बीस सपष्टीकरण देने पड़े। उसके बाद और भी काम में बिजी रहना पड़ा उन्हें।"
प्रधानमंत्री; "अपने मंत्रालय के अलावा एक मंत्री और कहाँ बिजी रहेगा? और कुछ नहीं तो किसी ब्लड-डोनेशन कैम्प का उद्घाटन करके खून देते हुए ही फोटो खीचा लेते। जिस पार्टी के पहले प्रधानमंत्री पंडित जी थे, उसी पार्टी की सरकार आज ईमेज बिल्डिंग नहीं कर पा रही है। हम पंडित जी तक को भूलते जा रहे है। हमें उनसे सीखना चाहिए कि ईमेज बिल्डिंग होती क्या है? रक्तदान करते हुए उनकी छ दर्जन तसवीरें तो खुद मैंने देखी हैं। "
सचिव; "सर, वो समय अलग था। पंडित जी इतना काम करते थे फिर भी रक्तदान करते हुए फोटो खिचाने का टाइम मिल जाता था उन्हें। सर, जो बिजी रहता है वह समय निकाल ही लेता है। वैसे सर, याद दिला दूँ कि आपने ही तो तेलंगाना मुद्दे को संभालने के लिए मंत्री जी को कहा था। पिछले आठ महीने में कुल ग्यारह बार उन्हें हैदराबाद जाना पड़ा। फिर जगनमोहन रेड्डी को मनाने का काम भी तो उन्ही के जिम्मे था। सर, मुझे लगता है कि ये जगनमोहन रेड्डी वाला मामला नहीं फंसा होता तो और कुछ नहीं तो मंत्री जी की नई फोटो तो ज़रूर खिंच जाती।"
प्रधानमंत्री; "अरे हाँ, तब तो वे सचमुच बहुत बिजी थे। आपका कहना सही है। ये फोटो नहीं खींचे जाने के पीछे जगनमोहन रेड्डी ही जिम्मेदार हैं। लेकिन वो काम भी ज़रूरी है। अगर इसी तरह से चला तो सरकार की ईमेज नष्ट हो जाएगी। वैसे ये सिविल एवियेशन की भी कोई ऐसी तस्वीर नहीं दिखाई दे रही जिसे देखकर लगे कि वे कुछ काम के आदमी हैं। एयर इंडिया के लिए नया एयर-लाइनर आया लेकिन उसके साथ भी उनकी एक फोटो नहीं है? नए एयर्लाइनर की अखबारों में जो फोटो छपी हैं उनमें मिनिस्टर कहीं दिखाई ही नहीं दिए।
सचिव; "जब एयर लाइनर की डिलीवरी हुई, उस समय मंत्री जी किंगफिशर को संभालने में लगे थे। एयर इंडिया के लिए नए फंड भी रिलीज करवाने थे। फंड नहीं रिलीज होते तो स्टाफ को सैलेरी नहीं मिलती।"
प्रधानमंत्री; "क्या फायदा हुआ? फिर भी तो किंगफिशर का कुछ नहीं हुआ। मैं कहता हूँ मंत्रालय का काम-धाम तो वैसे ही नहीं हो रहा है, ऐसे में जांच के बहाने किसी एयरक्राफ्ट की कॉकपिट में बैठकर फोटो खिचाने में क्या जाता है? और ये शिक्षा मंत्री की क्या रिपोर्ट है?"
सचिव; "सर कोई रिपोर्ट नहीं है। कई महीने हो गए उन्होंने प्राईमरी एडुकेशन तक पर चिंता व्यक्त नहीं की।"
प्रधानमंत्री; "प्राइमरी एडुकेशन पर किसी सेमिनार वगैरह का उद्घाटन तो किया होगा?"
सचिव; "नहीं सर, पिछले छ महीने में तो ऐसा भी कुछ नहीं हुआ।"
प्रधानमंत्री; "बड़े मीडिया हाउस के सेमिनार में बोलने के लिए ये लोग हमेशा तैयार रहते हैं। मैं कहता हूँ किसी स्कूल का बिना बताये दौरा ही कर लेना चाहिए था। दो-चार टीवी चैनल वालों को लेकर किसी स्कूल की वर्किंग देखने के बहाने ही फोटो खिंचा लेते। ग्रेडिंग की बात की थी तो देशवासियों को बहस करने का बहाना मिल गया था। उसके बाद उन्होंने कुछ किया ही नहीं।"
सचिव; "नहीं सर, उसके बाद ही तो आई आई टी वाला मसला खड़ा किया था उन्होंने।"
प्रधानमंत्री; "अरे एक मसला कितने दिन बहस-प्रेमी जनता को बिजी रखेगा? और नया मसला खड़ा नहीं करेंगे तो जनता को भी नहीं लगेगा कि सरकार काम कर रही है। वहीँ फिनांस मिनिस्टर को देखो, उन्होंने ऍफ़ डी आई का मसला खड़ा करके कुछ तो राहत पंहुचाई। एडुकेशन मिनिस्टर पिछली बार आकाश टैबलेट के साथ दिखे थे। कितना पुराना मामला है। टैबलेट फेल हो गया, इम्प्रूव्ड आकाश आने का समय हो गया लेकिन एक भी नई फोटो दिखाई नहीं दी उनकी।"
सचिव; "अब सर, पाँचों उंगलियाँ एक सामान तो नहीं होती। वैसे भी वित्तमंत्री जितने काबिल सारे मंत्री तो नहीं हो सकते न। वैसे भी सर यही दोनों तो स्कैम की बात होनेपर प्रेस कान्फरेन्स करते हैं। कैसे समय मिलेगा? सर, आपसे एक बात कहनी थी कि सड़क और यातायात मंत्री के बारे में आई बी की रिपोर्ट है कि सोशल मीडिया पर लोग उनके एक दिन में बीस किलोमीटर सड़क वाले प्लान की बड़ी हंसी उड़ाते है। "
प्रधानमंत्री; "हंसी नहीं उड़ायेंगे? मैं कहता हूँ न्यूजपेपर में मंत्रालय का विज्ञापन लगाने में क्या जाता है? और कुछ नहीं तो किसी दिन का सेलेक्शन करके सड़क विकास दिवस ही मना लेना चाहिए था। हाथ में कुदान और सर पर इंजिनियर की हैट पहनकर फोटो खिचाने में कितना टाइम लगता है? पंडित जी हर दो महीने में कारखाने का दौरा करके हाथ में कुदान और इंजीनियर्स कैप पहनकर फोटो खींचा लेते थे। आज भी वो तसवीरें ईमेज बिल्डिंग के लिए किसी को भी इंस्पायर कर सकती हैं। लेकिन जब हमीं उनका अनुसरण नहीं कर सकते तो औरों से कैसे आशा करें?"
सचिव; "सर, पंडित जी की बात ही कुछ और थी। सर, याद कीजिये कि कैसे वे नॉर्थ -ईस्ट जाकर वहां की पारंपरिक पोशाक में नाचते हुए फोटो खीचा आते थे। आज भी उन तस्वीरों को देखकर लगता है जैसे अभी बोल पड़ेंगी। सर ये वाली तस्वीर ही देखिये। ये उन्होंने मणीपुरी महिलाओं के साथ नाचते हुए खिचाई थी। और ये वाली देखिये सर, कैसे बच्चे को गोद में लिए वात्सल्य रस की बृष्टि कर रहे हैं। उनके साथ खड़े बच्चे कित्ते तो हैपी हैं। मैं कहता हूँ सर, आज भी कोई चाहे तो बहुत कुछ सीख सकता है इन तस्वीरों से।"
प्रधानमंत्री; "अब क्या कहें? कहते हैं चिराग तले अँधेरा होता है। बस हमारी सरकार की हालत वैसी ही हो गई है। आज जब हमें जरूरत है कि हम पंडित जी और इंदिरा जी की ईमेज बिल्डिंग के तरीकों से कुछ सीखें, हमीं चूक जा रहे हैं। रूरल डेवेलपमेंट मिनिस्टर की एक तस्वीर ऐसी नहीं जिसमें वे किसानों की सभा को संबोधित कर रहे हों। मैं कहता हूँ रूरल एरिया में नहीं जाना हो, मत जाओ लेकिन क्या दस -पांच किसानो को दिल्ली बुलाना बहुत कठिन काम है? उनको यहाँ बुलाकर तो फोटो खिंचवा ही सकते हैं।"
सचिव; "सही कह रहे हैं सर। उनसे अच्छे तो कृषि मंत्री हैं। अभी परसों दुबई से आई सी सी की मीटिंग करके लौटे लेकिन कल ही बारामती जाकर किसानों की सभा को संबोधित कर डाला। ये देखिये सर, पगड़ी में कित्ते फब रहे हैं।"
प्रधानमंत्री; "इसीलिए तो मैं पवार साहब की बड़ी इज्जत करता हूँ। इतनी उम्र हो गई उनकी लेकिन आज भी किसान लगते हैं। अब और किसकी बात करूं? अब तो हाल ये है कि रेलमंत्री को आजकल कोई झंडा दिखाकर गाडी रवाना करते नहीं देखता। शासन करने के इतने अच्छे-अच्छे तरीके थे हमारे पास लेकिन वही आज कहीं दिखाई तक नहीं देते।"
सचिव; "सर, डोमेस्टिक मिनिस्टरी की तो जानें दें अब तो फॉरेन मिनिस्टर भी नहीं दिखाई देते कहीं। 2009 तक तो यूनाइटेड नेशंस सिक्यूरिटी काऊंसिल में परमानेंट सीट लेने की बात करते थे तो लगता था कि फॉरेन मिनिस्ट्री में कुछ हो रहा है। सर, मुझे लगता है एकबार फिर से अगर सिक्यूरिटी कॉउन्सिल में परमानेंट सीट की बात शुरू की जाती तो ..."
प्रधानमंत्री; "नहीं-नहीं, हर आईडिया का एक लाइफ होता है। दिस आईडिया हैज आउटलिव्ड इट्स लाइफ। कुछ और सोचना पड़ेगा। ईमेज बिल्डिंग नहीं करेंगे तो सरकार चलेगी कैसे? आप एक काम कीजिये। ईमेज को बढ़ावा देनेवाली कैबिनेट कमिटी की मीटिंग की व्यवस्था कीजिये, हमें सरकार की ईमेज बिल्डिंग एक्सरसाइज का क्रिटिकल एक्जामिनेशन करना है।"
सचिव नोटिस भेजने का इंतज़ाम करने निकल जाते हैं।
हर मन्त्री को एक नया मंहगा से मंहगा कैमरा प्रदान किया जाये उनके पर्सनल इक्विपमेण्ट के रूप में!
ReplyDeleteसचमुच में लगता ही नहीं देश में कोई सरकार है. मंत्री कुछ कर रहे है. केजरीवाल है और घोटाले है. सफाई है और धमकियाँ है.
ReplyDeletebechare 'mouni baba' image building ke chakkar me kitta to bol gaye.........fir bhi janta aur adhik bolne ke liye pok kar rahi hai......
ReplyDeletepranam.
मालूम नहीं था की सरकार चलने के इतने झमेले हैं .. बेचारा प्रधानमंत्री भी क्या करे ?? सब मंत्री तो इतने व्यस्त है की फोटो भी नहीं खिचवा सकते .. हम तो युही इन्हें कोसते हैं !! आपने तो आज ज्ञान के सरे चक्षु खोल दिए ! आपकी लिखाई ने प्रभावित किया ..कमेन्ट अच्छा लगे तो पड़े वर्ना सर जी मनमोहन सिंह को माफ़ करे !! ;D;D
ReplyDeleteअब कोई कहाँ तक फोटो खिंचवाता फिरे, निस्वार्थ सेवा भी कुछ होती है।
ReplyDelete" कुछ सोचने का उपक्रम किया। इसके तहत उन्होंने आफिस की सीलिंग को निहारा। "
ReplyDeleteमजा आ गया पढ़ कर ..
जो हैं सो हैं ..पंडित जी की याद ताजा करने के लिए भैया धन्यवाद ,
आक्सफोर्ड से जो मंत्री जी पढ़ कर आये हैं ...वो धमकी टाइप दे कर जरुर
इमेज में इजाफा जरुर कर रहे हैं |
अब आपके ही भरोसे है सरकार की इमेज। आपै धक्का लगाओगे तब ये फ़ोटो-सोटो बाजी होगा।
ReplyDeletecabinet mein decide hoga ki instat foto upload ke liye har mantri ko ek iPad diya jaye
ReplyDelete:)
ReplyDeleteईमेज बिल्डिंग नहीं करेंगे तो सरकार चलेगी कैसे? आप एक काम कीजिये। ईमेज को बढ़ावा देनेवाली कैबिनेट कमिटी की मीटिंग की व्यवस्था कीजिये, हमें सरकार की ईमेज बिल्डिंग एक्सरसाइज का क्रिटिकल एक्जामिनेशन करना है।"
ReplyDelete.......................!!!!!!!!!!!!!!!!!!
इसके बाद एक नोट भेजा गया जिसमे एक इमेज बिल्डिंग डिपार्टमेन्ट बनाने की अनुशंसा की गयी. जिसमें एक फुल, एक अडिशनल, दो जाइंट, तीन डाइरेक्टर, चार अडिशनल, छ:..... वगैरा वगैरा... स्टाफ सैंक्शन किया गया... :)
ReplyDelete(:(:
Deletepranam