घोटाले हुए हैं तो खुलासे भी होंगे ही। घोटालों की यही खासियत होती हैं कि ये अकेले नहीं होते। बिना खुलासे का घोटाला वैसा ही होता है जैसे बिना सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट मैच। आरोप और प्रत्यारोप के बीच हर सीमा पर लड़ाई छिड़ी है। मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया कोई भी मैदान बचा नहीं है। ऐसे में मन में आया कि अरविन्द केजरीवाल की ट्विटर टाइम लाइन पर पिछले दो दिनों में हुए घमासान पर बहस चलती तो कैसी रहती? शायद कुछ ऐसी :
Arvind Kejriwal's Twitter Timeline
Arvind Kejriwal's Twitter Timeline
Just Superb! by the way people who are on Twitter will enjoy more, Yeh ander ki baat hain :))
ReplyDeleteऔर फेसबुक की टाइमलाइन कैसी होती
ReplyDeleteहेज टेग का ज्यादा आनन्द लिया तो.... #comment #like #must & #Modi4Pm :)
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ReplyDelete:)
ReplyDeleteRT. Sir very original.
ReplyDeleteNice One!! Quite Good!
ReplyDeleteपूरा शोधग्रन्थ है..
ReplyDeleteलालूजी का ट्विट बहुत मार्मिक है। :)
ReplyDeleteशिव का यह कमेन्ट गलती से डिलीट हो गया था। मैंने मेल से लेकर फिर से लगा दिया है।
ReplyDeleteShiv Singh has left a new comment on your post "अरविन्द केजरीवाल की ट्विटर टाइम लाइन...":
रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं होती...बहुत उम्दा और ख्याली लिखा है...बधाई
सामयिक है पर पढ़ कर लगा कुछ जल्दी में थे शिव जी . तंज़ हैं पर चाकू पसली से सिर्फ़ लगा रक्खा है , घुसा के घुमाया नहीं
ReplyDeleteगज़्ज़ब गज़्ज़ब!!
ReplyDeleteमैँ भी सोच रहा था कि एक शिव दूसरे शिव का कमेण्ट डिलीट काहे कर रहा है!
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