Friday, September 25, 2015

दुर्योधन की डायरी-पेज-१०१

भारत के इतिहास में किसी काल-खंड के बारे में भविष्यवाणी करते हुए ऋषि भृगु ने दुर्योधन से कुछ कहा था जिसको युवराज दुर्योधन ने जस का तस डायरी में टीप दिया था. बांचे ऋषिवर ने क्या कहा था;


विवेचना नहीं बस पण होगा,
तर्कों का मोल नगण्य होगा,
विद्वान जुबां नहि खोलेंगे,
बस केवल ऐंकर बोलेंगे,

सब पोलिटिकल दल्ले होंगे,
मरकट की नाई ढब होंगे,
ये कौवे गाना गायेंगे,
दरबारी राग सुनायेंगे,

कोयल छोड़ेगी वन उपवन,
औ चमगादड़ टेरेंगे मन,
जज ट्वीट में ताडेगा गोरी,
जस्टिस देगा भर-भर बोरी,

युवराज करेगा सेमिनार,
चमचे गायेंगे गुन हज़ार,
खुंदक ट्वीटेंगी दत्त-घोष,
मढ़ देंगी एकहि शीश दोष,

कॉमी राइट कर देगा रॉंग,
पीयेगा बस चायनीज भांग,
स्वामी की बातें भी कैसी,
सरकारों की ऐसी-तैसी

ये है बगुला या कि है ये क्रो,
दिस नेशन टुनाइट वांट्स टू नो,
चिल्लायेंगे टॉमी, पतरा,
कानों के पर्दों को खतरा,

वो सत्यवान तब होगा ट्राल,
जो रोज करेगा नव बवाल,
आपी तोड़ेंगे लॉ औ लू,
नेता ट्वीटेगा; प्राउड ऑफ़ यू,

भैंसे तब हाँकेगी लाठी,
न देखेंगी कद या काठी,
आरक्षण मांगेंगे पटेल
होगा ऐसा भी अजब खेल,

खतरे में होगा लोकतंत्र,
जब चोर फिरें होकर स्वतंत्र,
चंदन चलकर लिपटे भुजंग,
देखेगा जंगल हो के दंग,

रेतों पर भी तैरेगी नाव,
जब भी आयेगा इक चुनाव,
नेता सपने तब बेंचेंगा,
जनता की धोती खेंचेंगा,

सम्मान मिलेगा चोरों को,
सोना-चाँदी लतखोरों को,
होंगे व्यापारी साधु-संत,
ये कलयुग की महिमा अनंत,

फॉरेनर बहू कहाएगी,
जो राष्ट्र पे जुल्म ढहायेगी,
नंगा होगा निर्धन का तन,
लूटेंगे शासक सारा धन,

रक्खेंगे देश अँधेरे में,
अपने पिंजरे के घेरे में,
तब बुद्धि की चुप्पी व्याधेगी,
बस अपना मतलब साधेगी।

जो नर चुटकुले सुनाएंगे,
वो महाकवि कहलायेंगे,
तब पत्रकार निर्मम होगा,
कागज़ पर केवल तम होगा,

वासी भूलेगा शिष्टाचार,
फैलेंगे सारे नव विकार,
अधरम जब चरम पे डोलेगा,
विष को तब वायु में घोलेगा,

जो भी भ्रष्टाचारी होगा,
वो पद का अधिकारी होगा,
यह राष्ट्रभाग जब फूटेगा,
पुच्छल तारे सा टूटेगा,

लेकिन अशांति का दावानल,
हो चाहे जितना सुदृढ़, अटल,
उसको नारायण तोड़ेंगे,
औ राष्ट्रदृष्टि को मोड़ेंगे।

4 comments:

  1. आज के समय की सारी राजनीति और सामजिक व्यवस्था का बहुत ही सुंदर रूप से रखा आपने

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  2. o tere ki.......ham to 2 4 sau gram manga tha..........aapne to 'man' "bhar" de dala.......jai jo

    pranam

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  3. अद्भुत ! विलक्षण ! हमेशा की तरह अप्रतिम । दुर्योधन ऋषि भृगु और डायरी के पन्ने को लेकर आजकल को समेट लिया है । संयत किन्तु शिष्ट व्यंग पर गहरा कटाक्ष ।

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  4. बेहतरीन अद्भुत, कमाल लिखा है !!

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय