बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
करो चंद एहसान तुम्हारी ऐसी-तैसी
फोड़ रहे हैं बम आतंकी
आज कच्छ, कल बाराबंकी
गाते शांति-गान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
स्वामी की बातें ना खोखली,
लिए फिरे हैं मूसल-ओखली,
कांगरेस दें ध्यान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
मोदी जी भी अडे हुए है,
रस्ता रोके खड़े हुए हैं,
पप्पू ले पहचान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
लालू पुत्र कहे सुन बापू,
बनवा दें पटना को टापू?,
दिखें नहीं इंसान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
राम गुहा से बोले मोदी,
सूफी था इब्राहिम लोदी,
खूब किया था दान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
राजदीप से बोली बरखा,
चले न्यूज का उल्टा चरखा,
बेचों बस ईमान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
येचुरी बोले सुनो कन्हैया,
हमसब की बस एक ही मैया,
सुन लो देकर कान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
कहें मुलायम; चओ सैफई,
हएं तुमौ जो साधन देई,
नाचेगा सलमान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
लिबरल सेक्युलर बिके हुए हैं,
नेहरू युग से टिके हुए हैं,
देश रहा पहचान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
मदर थी कल, अब संत हो गई,
जैसे आदि-अनंत हो गई,
हुई बड़ी दूकान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
हरिश्चंद्र का बापू कजरी,
खाये खीर बताये बजरी,
दिल्ली का नुकशान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
अरनबवा खाली चिल्लाता,
रोज रात को ढोल बजाता,
खुद को कहे महान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
प्रेष्याओं का हमला भारी,
रातें हैं अब लंबी कारी,
खबर हुआ अनुमान तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
मन की बातें मोदी करते,
भासन से तकलीफें हरते,
भासन ही पहचान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
जे एन यू से क्रांति बही है,
प्रेष्या बोलें यही सही है,
नक्सलियों का ज्ञान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
देशी भोजन नहीं सोहाये,
सारा भारत पिज़्ज़ा खाये,
इटालियन पकवान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
बिजनेसमैन हुए सब बाबा,
लेकर सिर पर फिरते झाबा,
बेंच रहे लोहबान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
चुप हैं अब इशरत के पप्पा,
थक गए करके लारा-लप्पा,
भारत भरे लगान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
मोर्टगेज करके कैलेंडर,
माल्या भागा अरबों लेकर,
बैंक भये परेशान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
भारतमाता की जय काहे?
पूछे वह अधिकार जो चाहे,
नफ़रत का सामान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
जिसने बाँटा था बिहार को,
साथ उसी के हैं निहार लो,
सबकुछ है आसान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
राज्यसभा क्यों नहीं चल रही?
वर्किंग काहे रोज टल रही
पूछ रहे नादान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
खेलें सब वाटरलेस होली,
निज कल्चर की उठा के डोली,
सेक्युलर यह फरमान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
ट्विटर, फेसबुक रखे बिंझाये,
और नए क्या साधन लायें,
बस इसपर संधान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
देशों को भी ट्वाय कर दिया,
मिडिल-ईस्ट डिस्ट्रॉय कर दिया,
अमेरिकन अनुदान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
लास्ट वर्ड्स हैं पत्रकार के,
कुछ भी कह दें बिन अधार के,
बने फिरें भगवान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
भारत स्वच्छ बनेगा कैसे,
जबतक बरधे, पंडवा, भैंसे,
खाकर थूकें पान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
भ्रष्टाचारी नदी बहाया,
स्वच्छ हुआ जो कोयला खाया,
कर जमुना-स्नान तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
देशबंधु की त्रिया प्रियंका,
गुरुवर पीटें डेली डंका,
हैं ब्राह्मण अभिमान तुम्हारी ऐसी-तैसी
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
करो चंद एहसान तुम्हारी ऐसी-तैसी,
बहुत किया अपमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
अति उत्तम
ReplyDeleteदो दिन बाद पुनर्पाठ होगा होगा भैयाजी, ऐसी तैसी हटाकर..
ReplyDeleteबढिया है ...फेस बुक पर साँझा कर रही हूँ .आशा है आपत्ति न होगी .
ReplyDeleteसबकी ऐसी तैसी कर दी भैया। वाह।
ReplyDeleteआपने तो खूब जमकर ऐसी-तैसी कर दी है
ReplyDeleteबहुत ही जबरदस्त रचना हैं शिव जी
ReplyDeleteफेसबुक पर शेयर कर रहा हूं कृपया अनुमति देने की कृपा करें। सप्रेम
ReplyDeleteफेसबुक पर शेयर कर रहा हूं कृपया अनुमति देने की कृपा करें।सप्रेम
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteMe apke in Sb adbhut rachnayo ko share kr rha hu.... Kripya karke anumati dena Shiv sir
ReplyDeleteबहुत ही क्रांतिकारी भैय्याजी... प्रणाम स्विकार करें 🙏🏻
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