Monday, March 24, 2008

सर्वश्रेष्ठ टीवी न्यूज़ चैनल अभी तक पर ब्लागवीरों की होली

टीवी न्यूज़ चैनल की दुनियाँ भी अद्भुत है. दिवाली पर चैनल के सेट पर ही दिवाली मना लेते हैं. ऐसा ही होली पर भी है. पूरे देश में अपने संवाददाता खड़े कर देते हैं. हालत ये रहती है कि गली मुहल्ले में बच्चे रंग-गुलाल फेंकते हैं तो जाकर किसी न्यूज़ रिपोर्टर को लगता है. कहीं बरशाने की होली दिखाते हैं तो कहीं मथुरा की. नेता की होली दिखाते हैं. जनता की होली दिखाते हैं. विदेशी सैलानियों को होली खेलते हुए दिखाते हैं. लालू जी को कुर्ता-फाड़ होली खेलते हुए देखा जा सकता है. शाहरुख़ खान के बंगले मिन्नत की होली दिखाते हैं. इनका बस चलता तो जन्नत की होली भी दिखा डालते, लेकिन वहाँ से ट्रांशमिशन की सुविधा नहीं है. संवाददाता तो जाने के लिए राजी हो भी जाए लेकिन सरकार ने वहाँ से ट्रांशमिशन पर रोक लगा रखी है.

जैसा कि हम जानते हैं, ये लोग वही दिखाते हैं जो 'जनता देखना चाहती है'. लिहाजा इस बार जनता ने चिट्ठियां लिखकर बताया कि कोई नई होली दिखाईये. अब नए मुद्दे खोजने निकले तो पता चला कि देश में अभी दो ही बातें हैं जिनपर सभी बहस कर रहे हैं. पहला है अमेरिका के साथ न्यूक्लीयर डील और दूसरा है हिन्दी ब्लागिंग. अब अमेरिका में सरकार होली मनाती तो वहाँ की होली दिखा डालते. अब ऐसा नहीं है तो हिन्दी ब्लागर्स की होली दिखाने में जुट गए. जहाँ-जहाँ हमारे ब्लागवीर हैं वहाँ-वहाँ संवाददाताओं की फौज भेज दी गई. अब देखिये क्या-क्या दिखाते हैं....

टीवी न्यूज़ चैनल 'अभी तक' का स्टूडियो. महान एंकर दीपक परदेशिया बैठे हुए हैं. आज चैनल अपना विशेष कार्यक्रम दिखायेगा, ब्लागवीरों की होली. ब्लागवीरों पर बात करने के लिए चैनल ने ब्लागाचार्य श्री दिलकार नेगी को स्टूडियो में बुला रखा है. कार्यक्रम की शुरुआत होती है...

"नमस्काआआआर्, मैं हूँ दीपक परदेशिया और आप देख रहे हैं अभी तक. जी हाँ, भारत का सर्वश्रेष्ठ चैनल अभी तक. आज हम आपको दिखाएँगे, एक बिल्कुल नए तरह के लोगों की होली. जी हाँ, ब्लॉग जगत की होली. हमारे साथ स्टूडियो में हैं, ब्लागाचार्य श्री दिलकार नेगी. जी हाँ, वही दिल्कार नेगी जिन्हें हिन्दी ब्लागिंग का गुरु माना जाता है. नमस्कार, दिलकार जी."

"नमस्कार"; अभी दिलकार जी ने अभिवादन का जवाब दिया ही था कि दो व्यक्ति स्टूडियो में दाखिल हो गए. उन्हें देखकर परदेशिया जी चौंक गए. इनलोगों को देखते ही उनके मुंह से निकला; "माफ़ कीजिएगा, लेकिन कौन हैं आपलोग?"

"मैं दिलकार नेगी हूँ"; उनमें से एक ने कहा. परदेशिया जी अचंभित होते हुए बोले; "ये क्या बात है? दिलकार नेगी तो हमारे साथ पहले से बैठे हैं."

"जो पहले से बैठे हैं, वो काल्पनिक वाले हैं. असली दिलकार नेगी मैं हूँ"; उसने जवाब दिया.

अभी उसने जवाब दिया ही था कि दूसरा बोला; " नहीं-नहीं ये असली वाले हो सकते हैं लेकिन मैं बिल्कुल असली वाला हूँ."

दीपक परदेशिया जी बड़ी मुश्किल में पड़ गए. असली दिलकार नेगी कौन है? अभी सोच ही रहे थे कि स्टूडियो में बैठे दिलकार नेगी जी ने कहा; "देखिये, असली दिलकार नेगी मैं ही हूँ. आप ये भी देखिये न कि मैंने ही अपनी पिछली पोस्ट में ब्लॉग पर टिपण्णी पाने के तरीकों पर सुझाव दिए थे. मैं अपना ब्लॉग खोलकर दिखा सकता हूँ"

परीक्षा हुई. दिलकार नेगी ने अपना ब्लॉग खोलकर दिखा दिया. साबित हो गया कि असली दिलकार नेगी वही हैं. उसके बाद कार्यक्रम शुरू हुआ. परदेशिया जी ने बोलना शुरू किया; "जैसा कि मैं कह रहा था, आज हम आपको ब्लागवीरों की होली के बारे में बताएँगे. आईये चलते हैं कानपुर जहाँ हमारे संवाददाता सुधीर विनोद कानपुर के प्रसिद्ध ब्लागवीर श्री अनूप शुक्ला जी के घर के सामने खड़े हैं. सुधीर, क्या हाल है वहाँ? क्या आपकी मुलाक़ात शुक्ला जी से हुई?..... सुधीर आपको मेरी आवाज आ रही है?..... सुधीर, आप हमें सुन पा रहे हैं?.... सुधीर? ए सुधीर?".....

कोई आवाज नहीं आने पर उन्होंने कहा; "लगता है सुधीर से हमारा सम्पर्क नहीं हो पा रहा. अच्छा चलिए' इसी बीच हमारा सम्पर्क इलाहबाद में मौजूद हमारे संवाददाता नंदन कुमार से हो गया है. नंदन इस समय इलाहबाद के प्रसिद्ध ब्लॉगर ज्ञान दत्त पाण्डेय जी के घर के सामने हैं. आईये उनसे बात करते हैं; "नंदन, आप पाण्डेय जी के घर के सामने खड़े हैं, आपको कैसा लग रहा है?"

परदेशिया जी की बात सुनकर नंदन कुमार कुछ परेशान हो गए. उन्होंने परदेशिया जी से कहा; "दीपक जी, ऐसे सवाल हम जनता से पूछते हैं. 'आपको कैसा लग रहा है' नामक तकिया कलाम केवल जनता के लिए है. चलिए कोई बात नहीं है. वैसे आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूँ कि मैं इस समय पाण्डेय जी के घर के सामने नहीं बल्कि महाशक्ति के नाम प्रसिद्ध ब्लॉगर प्रमेन्द्र प्रताप सिंह के घर के सामने हूँ. वही प्रमेन्द्र प्रताप जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर चुनाव में आलोक पुराणिक जी को हराया था".

"लेकिन नंदन ऐसा क्या हुआ कि आप पाण्डेय जी के घर के सामने नहीं हैं?"; परदेशिया जी ने जानना चाहा.

"हमने पाण्डेय जी से सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन जब से वे मालगाड़ी वाले डिपार्टमेन्ट में गए हैं, न तो उन्हें मानसिक हलचल का समय मिलता है और न ही पोस्ट लिखने का. इसलिए मैंने प्रमेन्द्र प्रताप से सम्पर्क साध लिया"; नन्दन कुमार ने जानकारी देते हुए बताया.

"जी हाँ, अब हमारे साथ हैं इलाहाबाद के प्रसिद्ध ब्लॉगर, महाशक्ति के नाम से मशहूर प्रमेन्द्र जी. आईये, उनसे कुछ सवाल करते हैं. नन्दन, ज़रा महाशक्ति जी से पूछिए, उनका हिन्दी ब्लागिंग का मठाधीश बनने के बारे में क्या ख़याल है?"; परदेशिया जी ने सवाल पूछा.

उनका सवाल सुनकर नंदन कुमार ने महाशक्ति से कहा; "महाशक्ति जी, स्टूडियो से दीपक जी जानना चाहते हैं कि हिन्दी ब्लागिंग का मठाधीश बनने के बारे में आपका क्या ख़याल है?"

"देखिये मैं हमेशा से ही हिन्दी ब्लागिंग में मठाधीशी के ख़िलाफ़ रहा हूँ. मैंने हमेशा ख़ुद को मठाधीश समझने वाले देबाशीष जी का विरोध किया है. वैसे भी मेरे पास मठाधीशी के लिए समय नहीं है. मैं ख़ुद हिंदुत्व का प्रचार करने में व्यस्त हूँ. ऊपर से सामने चुनाव आ रहे हैं. अगर संघ ने मुझे बीजेपी को सहयोग देने के लिए कहा तो मेरे पास समय नहीं रहेगा मठाधीशी के लिए"; महाशक्ति जी ने अपने जवाब से अवगत कराया.

तब तक परदेशिया जी ने महाशक्ति से दूसरा सवाल पूछ लिया. बोले; "नन्दन, जरा महाशक्ति से पूछ कर बताईये उनका होली का क्या प्रोग्राम है?"

नन्दन कुमार जी ने महाशक्ति जी से पूछा; "स्टूडियो से दीपक जी जानना चाहते हैं कि आपका होली मनाने का क्या प्रोग्राम है?"

महाशक्ति ने बताया; "देखिये, जैसा कि आपको मालूम है, महाशक्ति समूह एक बहुत बड़ा समूह है. मैं और मेरे मित्र तारा चंद और राज कुमार ने ठंडाई और भंग का प्रोग्राम रखा है. वैसे आपको बता दें कि ठंडाई पीने से पहले हमलोग संघ द्वारा सुझाई गई प्रार्थना करते हैं."

महाशक्ति अभी अपनी बात कह ही रहे थे कि कानपुर में सुधीर बिनोद से पुनः सम्पर्क स्थापित हो गया. सम्पर्क स्थापित होने से दीपक परदेशिया जी का चेहरा खिल गया. बोले; "इसी बीच हमारा सम्पर्क कानपुर में हमारे संवाददाता सुधीर बिनोद के साथ पुनः हो गया है. चलिए उन्ही से पूछते हैं कि फुरसतिया के नाम से मशहूर अनूप शुक्ला जी का होली मनाने का क्या प्रोग्राम है. सुधीर आपको हमारी आवाज़ आ रही है?"

"जी हाँ दीपक जी अब मुझे आपकी आवाज़ आ रही है. और इस समय हमारे साथ हैं कानपुर को पूरी दुनियाँ में ब्लागिंग के नक्शे पर जगह दिलाने वाले श्री अनूप शुक्ला. अनूप जी स्वागत है आपका हमारे विशेष कार्यक्रम ब्लागवीरों की होली में"; शुक्ला जी का स्वागत करते हुए सुधीर बिनोद ने कहा.

"धन्यवाद"; अनूप जी से कहा.

"अनूप जी आज होली है, आपको कैसा लग रहा है?"; सुधीर बिनोद ने अपना घिसा-पिटा सवाल पूछ डाला.

"देखिये, होली है तो अच्छा ही लगेगा. अभी-अभी मैं बारह दोहों की एक पोस्ट चढाकर आया हूँ. आपसे बात करने के बाद घर में जाकर गुझिया खाऊँगा. ठंडाई पीऊँगा. मौज लूंगा. आपको बता दूँ कि मुझे कायदे से मौज लेने आता है इसलिए मुझे होली अच्छी लगती है"; अनूप जी ने बताया.

"और होली मनाने का कोई ख़ास प्रोग्राम है आपका?"; सुधीर बिनोद ने पूछा.

शुकुल जी अभी कुछ कहते उसी समय स्टूडियो में बैठे दिलाकार नेगी ने परदेशिया जी को बताया; "शुक्ला जी बढ़िया मौज लेते हैं. आप उनसे पूछिए कि मुम्बई जाकर अज़दक जी के साथ होली खेलने का जो उनका प्लान था, उसका क्या हुआ?"

परदेशिया जी ने तुरंत सुधीर बिनोद से कहा; "सुधीर, शुक्ला जी को बताईये कि इस समय हमारे साथ ब्लागाचार्य दिलकार नेगी जी बैठे हैं और पूछ रहे हैं कि शुकुल जी का मुम्बई जाकर अज़दक जी के साथ होली मनाने के प्रोग्राम का क्या हुआ."

सवाल सुनकर शुकुल जी के चेहरे पर हंसी आ गई. उन्होंने कहा; "देखिये, मैंने सोचा तो था कि मुम्बई जाकर अज़दक जी के साथ होली मनाऊँगा लेकिन चूंकि मुम्बई जाने के लिए टिकट उपलब्ध नहीं था इसलिए मैंने सोचा कानपुर में ही बैठकर ब्लॉग पोस्ट पर ही होली मना लूंगा. इसलिए मैंने आज जो बारह दोहे पोस्ट किए हैं, उनमें से एक दोहा अज़दक जी के लिए भी है."

शुकुल जी का जवाब सुनकर परदेशिया जी ने एक सवाल और पूछा; "सुधीर, शुक्ला जी से पूछा जाय कि इलाहबाद में ज्ञान दत्त पाण्डेय जी की होली मनाने के प्लान के बारे में उन्हें क्या कहना है."

सुधीर बिनोद ने शुकुल जी तक सवाल पहुंचाया; "स्टूडियो में दीपक जी जानना चाहते हैं कि इलाहाबाद के ज्ञान दत्त पाण्डेय जी की होली के बारे में आपका क्या कहना है."

सवाल सुनकर शुकुल जी को हंसी आ गई. बोले; "ज्ञान जी क्या होली मनायेंगे, वे तो इतने व्यस्त हैं कि उन्हें समय नहीं मिल रहा. वैसे भी वे कायदे से मौज नहीं ले पाते तो होली कैसे मनायेंगे. आजकल व्यस्तता का हवाला देते हुए पोस्ट भी नहीं लिख रहे. कभी-कभी मोबाइल कैमरे से एक दो फोटो डाल कर चार लाइन लिख देते हैं. वैसे भी उनकी इस बात के लिए मैं दिलकार नेगी जी को भी दोषी मानता हूँ. न तो नेगी जी वो किताब लिखते और न ज्ञान जी लिखना बंद करते."

शुकुल जी की बात सुनकर स्टूडियो में बैठे दिलाकार नेगी जी को हंसी आ गई. ठीक उसी समय स्टूडियो में बैठे परदेशिया जी ने कहा; "और अब चलते हैं जबलपुर जहाँ हमारे साथ उपस्थित हैं हमारे संवाददाता विजय सोनवलकर. विजय क्या हाल है वहाँ? आपकी मुलाकात समीर लाल जी से हुई कि नहीं?"

"जी हाँ. दीपक जी इस समय मैं उड़न तश्तरी के नाम से प्रसिद्ध ब्लॉगर समीर लाल के घर पर हूँ. आईये उन्ही से पूछते हैं कि होली मनाने के बारे उनका प्लान क्या है. समीर स्वागत है आपका हमारे विशेष कार्यक्रम में. आप बतायें, होली मनाने के लिए आपका क्या प्लान है.?"; सोनवालकर ने पूछा.

"देखिये, छ महीने हो गए मुझे भारत आए हुए. आने के बाद बहुत सारी घटनाएं हुईं. कुछ बातों को लेकर दुःख भी हुआ. जैसे, दुःख तब हुआ जब पता चला कि लोटा अब लुप्त-प्राय हो गया. उसके बाद सबसे ज्यादा दुःख तब हुआ जब मुझे अलेक्सा की रैंकिंग में अपना नाम नहीं मिला. उस समय लगा कि धरती फटती तो समा जाता. लेकिन फिर लगा कि धरती इतनी भी नहीं फट सकती कि मैं समा सकूं"; समीर जी ने कुछ पुरानी बातें बताते हुए कहा.:-)

"लेकिन मैं पूछ रहा था कि होली मनाने के बारे में आपका क्या प्लान है?"; सोनवलकर ने पूछा.

"हाँ मैं उसपर आ ही रहा था. देखिये पहले ज़माना ठीक था तो हम लोग भेंडाघाट चले जाते थे. वहाँ पानी में रंग घोल देते थे और दोस्तों के साथ कूद जाते थे. अब दोस्तों को शिकायत है कि ज़माना ख़राब हो गया है. समय के साथ साथ मैं भी 'बड़ा' हो गया हूँ. दोस्तों को शिकायत है कि मुझे भिगोने के लिए पूरे पाँच बाल्टी रंग लगता है. इसलिए इस बार दोस्तों ने ड्रम में रंग घोल रखा है. लेकिन एक समस्या और है. वे मुझे उठाकर ड्रम में रख नहीं पाते. इसलिए मैं ख़ुद ही उन्हें आराम देते हुए ड्रम में बैठ जाता हूँ. वहाँ से निकल कर हमसब मिलकर गुझिया खाते हैं और ठंडाई पीते हैं. पत्नी गुझिया कम खाने के लिए कहती हैं लेकिन अब ऐसा तो हो नहीं सकता. है कि नहीं?"; समीर भाई ने पूरी बात बताई.

समीर भाई की बात सुनकर सब संतुष्ट हुए. स्टूडियो में बैठे परदेशिया जी ने कहा; "जी हाँ, अभी आपने देखा कि किस तरह से समीर लाल जी होली मनाते हैं. चलिए अब आपको लेकर चलते हैं छतीसगढ़ की राजधानी रायपुर.

जारी रहेगा...अभी तक होली ख़त्म नहीं हुई है.

18 comments:

  1. यह होली थोड़ी लम्बी चलेगी तो भी कोई बात नहीं...आप जारी रखें :D मजा आया.

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  2. लगता है अभी तो पहला ब्रेक आया है।
    बॉस लगे रहिए इस बहाने इन हाउस खबरें तो मिल रही हैं। वर्ना ये चैनल वालों को राखी सांवत और राजू श्रीवास्‍तव से ही फुर्सत कहां कि ब्‍लागर्स की होली जैसा आइडिया आ पाता।
    अगली पोस्‍ट का इंतजार

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  3. सो तो ठीक है जी
    लेकिन आपने हमें स्टूडियो में आने जाने के बदले में जो लिफाफा देना था वो नहीं दिया.
    कृपया जल्दी भिजवा दें.

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  4. ये दिलकार नेगी जी केवल लिफाफा मांग रहे हैं। उसमें कुछ हो या न हो। इतने संतोषी जीव को एक लिफाफा तो दिया ही जा सकता है। :)

    बाकी यह जरूर कहेंगे कि आपका दिमाग बहुत तेज और बहुत तरफ चलता है! बहुत जमी यह पोस्ट।

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  5. अजी ये सब ब्लागवीर इतने भोले कहाँ कि साक्षात्कार में सब सच-सच बताएं. चैनल से कहकर किसी स्टिंग ऑपरेशन का प्रबंध कीजिये.

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  6. एक ड्रम रंग में मेरा क्या होगा..अब तो मित्र रंग का टेंकर बुलवाने लगे हैं..बाकि तो गुजिया और आपकी पोस्ट...दोनों चकाचक...बहुत बेहतरीन...सररर ररररर....होली है!!! बहुत मुबारक..

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  7. भाई, खूब जम रही है होली। अभी तो समय है। मध्य प्रदेश में रंगपंचमी तक होगी और मेरे यहाँ खास बारहवें दिन याने 3 अप्रेल तक जब न्हाण मनाया जाएगा। बीच में पहली अप्रेल भी आ रही है। तब तक होली का आनन्द चलता रहे। अगले एपीसोड का इन्तजार रहेगा।

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  8. पढकर भौत मजा आया, आगे की कडी का इन्तजार रहेगा ।

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  9. धांसू है। जमाये रहिये। लेकिन एक बात बताइये तमाम सवाल के जबाब जो हमने दिये वे गोल काहे कर दिये? क्या यहां भी कैंची चलती है?

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  10. वाकई धांसू है लेकिन हवा भी हो रही है क्योंकि अब दीपक परदेशिया जी की नज़र रायपुर पहुंच रही है ;)

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  11. Shivjee,

    Achha hai, ya kahun kafi achha hai.

    Shuklajee ki shikayat vajib lagati hai. Unka jabab ek-do panktiyon ka to ho hi nahin sakata. Unka jabab to "Ganga ki mauj aur Yamna ki Dhara" ki tarah bina kinara vala mauj hota hai. Jarur aapne kainchi chala di hai. Main aapke kat ko jodhne ki dhrishtta karata hun. Galati hogi to kshama kariyega.
    Reporter: Shuklajee, abki baras holi ka kya plan hai?
    Anup: he, he, he. Agar aap sarvjanik kar denge to main aapko kyun bataunga. Meri virtual prerna padukaon ko prayog karane ka karan dhudhti rahati hai aur har samay taiyar rahati hai. Meri poston se apko mere dar ka anubhav nahin hota. Main Chokherbaliyon se thodhe hi darata hun, unse to meri pair ki jooti bhi na dare, lekin apni abhasi prernaki vastvik jooti se to mujhe darana hi padhega.
    Reporter: Nahin, nahin, main Shiv jee dwara produced program se aa raha hun, vahan par filtering ki vyastha hai, bas aap unki avastha ka dhyan rankhe aur unke liye bhi kuchh intjaam rakhiye.
    Anup: Theek hai, andar ki baat hai. TV par mat batana. Maine apni is holi ko ek blog-veerangna ke saath uske aangna mein mana kar yadgar banana hai. Ek veerangana tumhare is program ke producer ke liye bhi dundh rakhi hai. Bas usse bolna ki mujhe tv par to dikha de, par is jabab ke saath nahin.
    Reporter: Theek hai jee. Ab TV par dene vala jabab bhi bata hi den aap.
    Anup: Is holi par main " Ganga ki mauj aur unhne jamuna ki dhara" ki tarah mauj lena chahta hun. Aur chahta hun ki aap bhi is dhare aur mauj ke saath savar hokar nahate huye Gyanjee se milne Allahabad jayen aur nahayen jarur kyonki unhen gandagi se sakht nafarat hai.

    Reporter ka agla padhav. Allahabad mein Ganga ki dhara aur Yamuna ke mauj ke sangam par. Gyan jee kyonki khushi se reporter saheb ka swagat karate huye tali baja rahe hain, atev ghujhiyon aur rang-gulal vali thali bahbhijee ya mahashakti ke haath mein de rakhi hai. Reporterjee apna swagat dekh, kuchh ast-vyast hain, gujhiya khakar mast hain. Mahashakti ke shakti se kuchh trast hain.
    Reporter: Gyanjee, aap holi mein kya kar rahe is bar.
    Gyanjee: Main to seedha-sada vyakti, karata hun jee bhakti. Chahe ho holi ya ya ho Deewali, rahu saath main apne gharvali. Main tyohar apne pariwar ke saath apne man-baap, patni, bete, beti, bhritya bhratlal ke saath manunga.
    Repoter: Kya aap kisi blog-veerangana ke saath kuchh romanchak holi nahin mana rahe hain?
    Gyanjee: he Bhagvan, main yah kya sun raha hun apne kaanon se. Tumne kaan mujhse thodhi der ke liye vapas kyon nahin le liya in panktiyon ko sunane se pahle.
    Reporter saheb, main blog-veeranganon par apna mobile camera bhi na kharchun, holi manane ki to baat hi nahin lana. Ab jaldi se tum apni ravangi kara lo sameerlal ya alok puranik jee ke paas. Vahi donon naspeete hain jo reeta (v/s rambha)-reeta ka jaap peeta karate rahte hain. Ek canada ki reeta ke saath lane adal-badal kar driving karata hai, aur doosra SMS par votebazi karata rahata hai.

    Kafi badda badda tippadhi ho gaya, anadhikar blog-jagah lene ke liye kshama chahunga.

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  12. मस्त जबरदस्त है जी. आगे की कड़ियों का इंतजार है.

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  13. अभी मेरी बात खत्‍म नही हुई मै सीट पर बैठा हूँ, अभी बहुत कुछ कहना बाकी है, आखिर चुनाव जो आने वाले है :)

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  14. अच्छा ये सर्वश्रेष्ठ चैनल का संवाददाता कलकत्ता भी आया था क्या? अगर आया है तो मुझे पता नहीं चला.
    कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी और को बाल किशन बना कर खड़ा दिया.

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  15. बहुत बढ़िया क्रम वद्ध प्रस्तुति के लिए धन्यवाद .

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  16. बहुत बढ़िया दादा "लोटा वगैर जग सब सूना " लोटा फ़िर से सक्रिय हो गया है होली के बाद लोटा पानी के साथ धूम मचावेगा

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय