सरकार ने घोषणा की है कि वो जल्द ही गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर देगी. ये भविष्य में होने वाली घोषणा के लिए एक घोषणा है. घोषणा करना सरकार चलाने की प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण काम है. जो सरकार काम नहीं करती, वो घोषणा करती है. कह सकते हैं कि घोषणा से ही सरकार चलती है. अब जैसे किसी जिले में सबकुछ सूख गया हो, पीने का पानी न हो, आदमी और जानवर मर रहे हों, फसलें नष्ट हो रही हों लेकिन जब तक सरकार उसे सूखाग्रस्त जिला घोषित नहीं करती, तबतक वहां पर सूखा नहीं पड़ता.
गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने की ज़रूरत अचानक क्यों पड़ गई? हमारे पूर्वजों का और हमारा सामान्य ज्ञान जितना भी कमज़ोर हो, हमें पता है कि गंगा कई हज़ार साल से भारतवर्ष में ही बहती है. फिर इस तरह की घोषणा करने का क्या मतलब? इसे क्या गंगा नदी का राष्ट्रीयकरण माना जाय? कहीं सरकार को ये डर तो नहीं था कि जल्दी से इसे राष्ट्रीय नदी घोषित करो, नहीं तो कहीं कोई इसे अंतर्राष्ट्रीय नदी घोषित न कर दे?
ये तो जी वैसा ही हो गया जैसे कोई कहे कि; "दिल्ली जो भारतवर्ष की राजधानी है, भारत का ही एक शहर है." या फिर ये कि; "मनमोहन सिंह, जो भारतवर्ष के प्रधानमंत्री हैं, भारत के ही नागरिक हैं."
क्या कारण हो सकता है गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने का? कुछ भी कारण हो सकता है. हम तो केवल अनुमान लगा सकते हैं. हो सकता है ऐसी घोषणा इसलिए की गई कि सरकार तीन-चार महीनों से अर्थ-व्यवस्था के बारे में की जाने वाली घोषणाओं से बोर हो गई हो. या फिर इसलिए कि किसानों को कर्जमाफी की घोषणा के बाद कोई महत्वपूर्ण घोषणा नहीं हुई थी. या फिर हो सकता है कि आतंकवाद से निबटने की घोषणा करते-करते सरकार बोर हो गई हो और सोचा हो कि फॉर अ चेंज एक अलग तरह की घोषणा की जाय.
फिर सोचता हूँ कि चलिए ये गनीमत है कि सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया. सोचिये अगर ये घोषणा करती कि गंगा एक नदी है, तो क्या होता? कुछ नहीं होता. कर भी क्या सकते हैं? हाँ, अगर कोई सवाल पूछता तो सरकार ऐसी घोषणा करने के बाद सफाई भी दे देती कि;
"वो क्या है जी कि हमें डाऊट था कि इतने प्रदूषण और गन्दगी झेल रही गंगा को क्या हम अब भी नदी कह सकते हैं? आज आपको बताते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है कि जो कमीशन हमने बैठाया था उसने तरह-तरह के करतब दिखाकर इस बात की पुष्टि की है कि गंगा को अगले पचीस साल तक नदी कहा जा सकता है. अब पचीस साल के बाद क्या होगा, उसकी गारंटी हम नहीं दे सकते."
लेकिन अब अगर इस तरह की घोषणा हो ही जायेगी तो क्या कर सकते हैं. लेकिन एक बात मन में है. गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने से राजनीति के गरमाने का चांस बढ़ तो नहीं जायेगा? नहीं...आप बुरा न मानिए. ऐसा तो मैं इसलिए सोच रहा था कि हर घोषणा के बाद राजनीति गरम न हो तो ऐसी घोषणा का क्या फायदा?
इतने घटक, इतनी पार्टियाँ, इतने नेता हैं. किसी न किसी तरफ़ से कुछ न कुछ तो बात आ ही सकती है.
कल को करूणानिधि कह सकते हैं कि गोदावरी को राष्ट्रीय नदी क्यों घोषित नहीं किया गया? सरकार ने तमिल भावनाओं का आदर नहीं किया. हम सरकार से अपने एम पी वापस ले लेंगे. लालू जी कह सकते हैं कि कोसी को राष्ट्रीय नदी घोषित क्यों नहीं किया गया? हम अपने एमपी वापस ले लेंगे. कम्यूनिष्ट कह सकते हैं कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करना धर्मनिरपेक्षता के ख़िलाफ़ है. ये बेचारे अपने एमपी वापस नहीं ले सकते. इनके एमपी तो बहुत पहले वापस हो गए हैं. उल्फा को नाराजगी का एक और बहाना मिल सकता है. उल्फा वाले कह सकते है कि ब्रह्मपुत्र को राष्ट्रीय नदी क्यों घोषित नहीं किया गया? इसके विरोध में हम दस बम और फोड़ेंगे. मायावती कह सकती हैं कि उन्होंने 'जमुना' के किनारे ताज कॉरिडोर बनवाया तो 'जमुना' को राष्ट्रीय नदी क्यों नहीं घोषित किया गया. वे तो यह भी कह सकती हैं कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करना मनुवादियों का कुकृत्य है.
कहीं ऐसा तो नहीं कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करके सरकार अपना क़र्ज़ उतार रही है. कहीं ये तो नहीं सोच रही कि गंगा से भी राष्ट्र को पहचान मिली है. अब वक्त आ गया है कि इसको राष्ट्रीय नदी बनाकर क़र्ज़ उतार दिया जाय.
गंगा को राष्ट्रीय नदी बनाकर सरकार क्या करने वाली है? प्रदूषण कम कर सकती है? अगर राष्ट्रीय नदी घोषित करना ही प्रदूषण कम करने की पहली सीढ़ी है तो भइया ये काम पहले ही कर देते. पचीस साल बीत गए, इतना पैसा खर्च हुआ. एक्शन प्लान चालाया गया. सेमिनार हुए. बहस हुई. क्या ज़रूरत थी ये सब करने की? राष्ट्रीय नदी घोषित कर देते और प्रदूषण अपने आप कम हो जाता. और अगर इस तरह की घोषणा से ही नदियों की रक्षा होनी है तो मैं तो कहूँगा कि बाकी नदियों में मीठा पानी नहीं बह रहा है. उनमें अमृत नहीं जा रहा. उनमें भी प्रदूषण ही जा रहा है. बाकी की नदियाँ भी भारत की ही हैं. उन्हें भी राष्ट्रीय नदियाँ घोषित करके काम ख़तम करिए.
या फिर ऐसा इसलिए हो रहा है कि गंगा की पूजा होती है और गंगा के बहाने सरकार वोटरों की पूजा करने निकली है?
बहुत अत्याचार हो रहे हैं गंगा पर। यह अत्याचार भी सही।
ReplyDeleteदिवंगत बनाने की प्रक्रिया में एक कदम है राष्ट्रीय बनना?! :(
आज कल चुनाव का समय है. गंगा के नाम पर पहले भी वोट बटोरे थे कांग्रेस ने. तब राजीव गाँधी प्रधानमंत्री थे. अब उनकी पत्नी द्वारा मनोनीत मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री हैं. गंगा दिल्ली से दूर बहती है पर उन्हें नजर आई. यह और बात है जरा देर से नजर आई. पर यह बात समझ में नहीं आई कि नाक के नीचे बहती यमुना उन्हें क्यों नहीं नजर आई. गंगा ज्यादा वोट दिलाएगी.
ReplyDeleteपहले गंगा में बेक्टोरोफाज़ नाम का जीवाणु था जो दूसरे जीवाणुओ को मार देता था ... अगर गंगा को वहां बैठे पंडो .से....भक्ति के नाम पर फैले दूसरे व्यापार से ...भिखारियों की लम्बी लम्बी टोलियों से ...इस प्रदूषण से मुक्त करना था अफ़सोस राष्ट्रीय नदी भी ख़ुद मुक्त नही हो सकती
ReplyDeleteगंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने वालों ने गंगा का नहीं अपना सम्मान बढ़ाया है। गंगा कल भी जन-जन की थी। राष्ट्रीय थी और आज भी है। मैं अनुराग जी की बात से सहमत हूं।
ReplyDeleteअफ़सोस इन राजनीतिज्ञो ने अपना उल्लू सीधा करने के लिए गंगा जैसी पवित्र नदियों को, जो की धार्मिक महत्त्व ही नही बल्कि हर दृष्टी से हमारे राष्ट्र की जीवन दायीनी है ! उसको भी नही छोडा ! गंगा या हमारी नदियों को प्रदूषित किसने किया ? इन्ही नालायकों ने ! जब इन्होने थोक के भाव जब फ़क्टरियो के लाईसेंस जारी किए थे उस वक्त नही मालुम था की इनका वेस्ट कहाँ जायेगा ? उनको तो इन्ही नदियों में जाना था ! औद्योगीकरण के नाम पर जो नुक्सान हमारे राष्ट्र के साथ हुआ है उसकी भरपाई बहुत मुश्किल ही क्या बल्कि असंभव सी जान पड़ती है ! आज की आ. ज्ञान जी की पोस्ट "भविष्य से वर्तमान में सम्पदा हस्तांतरण" में भी कुछ ऎसी ही मानसिक हलचल है ! अगर नही पढी हो तो अवश्य पढ़े !
ReplyDelete.
ReplyDeleteआहाहा, शिव भाई तुम बात का बतंगड़ बनाने की आदत से बाज आ जाओ !
अरे, इट वाज वेरी सिम्पल.. चलो हिन्दी में समझाता हूँ..
दरअसल गंगा के पर्याप्त मैली होने कि प्रतीक्षा थी
सो, वह हो ली..
अब गंगा उनके चरित्र से ज़्यादा मैली होकर उनकी ही गंदी छवि के गंदलेपन को धूमिल न कर दे
सो, आनन फ़ानन यह सब करना पड़ गया
अब लोग एक राष्ट्रीय नदी में पाप धोकर राष्ट्र द्वारा उपकृत होंगे
सही है, भाई एक अदद राष्ट्रीय नदी का होना भी ज़रूरी है
लोग नहाने धोने से लेकर फेक्ट्रिय़ों आदि का कूड़ा आदि डाल कर पहले ही गंगा का राष्ट्रीयकरण कर चुके हैं। अब सरकार तो उन का अनुसरण कर रही है। आखिर जनता की सरकार जो है।
ReplyDeleteधन्य मेरे देश के कुमान नेता, ओर धन्य है इन्हे जीताने वाले....
ReplyDeleteराम तेरी गंगा रष्ट्रीयाकरण हो गई नेताओ के पाप धोतॆ धोते.
शिव भाई आप ने बहुत सुंदर लिखा.
धन्यवाद
सभी को बधाइयाँ.लेकिन अफ़सोस की गंगा की गंगा के किनारों से इतनी दूर होने की वजह से एक बार उसे देखने जा भी नही सकता की इसकी सफाई के लिए वाकई में कोई जन सहयोग है या फ़िर सिर्फ़ गंगा मां के जयकारों में ही लीं है जनता.
ReplyDeleteगंगा में अपने पाप धो रही है सरकार. अन्यथा सवाल वहीं का वहीं है कि गंगा को राष्ट्रीय नदी बनाकर सरकार क्या करने वाली है?
ReplyDelete"गंगा आए कहाँ से...गंगा जाए कहाँ रे"...बरसों पहले सुना गाना याद आ गया, याने गंगा तब भी रहस्य थी और आज भी है.....इसे राष्ट्रिय घोषित करने का क्या कारण है? याने इसकी दुर्गति भी अब वैसे ही होगी जैसे हमारे राष्ट्रिय स्मारकों की होती है जिसे जो जब चाहे तोड़ फोड़ कर सकता है और तो अपना और अपनी प्रेयसी का नाम खोद सकता है...भईया इसकी दुर्गति वैसे ही हो रही है इसे राष्ट्रीय घोषित करके और काहे कर रहे हो?
ReplyDelete"महान शायर नीरज जी, जिन्हें अभी राष्ट्रिय घोषित करना शेष है का एक शेर है:
"एक नदी बहती कभी थी जो यहाँ
बस गया इंसान तो नाली हो गई"
नीरज
अच्छा तो बात गंगा नदी की थी.. मुझे लगा प्रधानमंत्री जी हमारे पड़ोस में रहने वाली गंगा को राष्ट्रीय संपाति घोषित कर रहे है..
ReplyDeleteअरे कहे घबराते हैं अगली सरकार इस घोषणा पर जांच कमिटी बैठाएगी.
ReplyDeleteहर-हर गंगे नये-नये पंगे
ReplyDeleteगंगा के पीछे वोट के धंधे !
आपने ने तो सब कुछ कह दिया....क्या कहा जाय. एक बार हम सब को भी "राष्ट्रीय" घोषित कर दे.. जी हल्का हो जायेगा. जिस तरह "मेरा देश महान" को दुरुपयोग कर एक मजाकिया स्लोगन बना दिया गया उसी तरह यह "राष्ट्रीय" शब्द ही " शर्मनाक " बनता जा रहा है.
ReplyDeleteगंगा की पूजा होती है और गंगा के बहाने सरकार वोटरों की पूजा करने निकली है?
ReplyDelete............
bas sabkuch kah diya tumne.aur isse adhik kya kahen.
rashtriya khel-hockey
ReplyDeleterashtrapita-mahatmagandhi
rashtragan-jan gan man
rashtrapakhsi-mor
in sab ka hamne jo haal kiya hai. mai to sirf isme sajish hi dekh sakta hoon. ganga maiya apni rakhsa karna!